चुदक्कड़ आंटी और मेरा लण्ड-1

नमस्ते दोस्तो.. मेरा नाम साहिल है.. मैं लखनऊ का रहने वाला हूँ।

मैं आज पहली बार अपनी लाइफ की एक सच्ची घटना लेकर आप लोगों के सामने हाजिर हूँ.. जिसने मुझे पहली बार सेक्स का मज़ा दिया था।

बात उन दिनों की है.. जब एक बार मैं कुछ दिनों के लिए छुट्टियाँ बिताने मुंबई गया था। मुंबई में मेरी बहुत दूर की एक रिश्तेदार रहती थीं.. जो शायद रिश्ते में मेरी चाची लगती थीं।

वास्तव में मुझे उनके बारे में कुछ पता नहीं था। जब घर वालों ने बताया.. तब पता चला कि मुझे उनके यहाँ जाना है। चूंकि मैं पहली बार मुंबई जा रहा था.. इसलिए मैंने भी सोचा कि यही ठीक रहेगा।

उस आंटी से मैंने एक बार फोन पर बात की और कुछ दिनों बाद मैं मुंबई आ गया। मैं पहली बार मुंबई आया था.. इसलिए जब मैं स्टेशन पर उतरा तो आंटी मुझे लेने के लिए आई थीं।

मैं जैसे ही उनसे मिला.. तो उसने मुझे गले से लगाया। मेरा सर उसके दोनों सेक्सी चूचियों में दब गया था।

मुझे अजीब सा लगा कि पहली बार में कोई ऐसे करता है क्या??

फिर मैंने जब उसे ध्यान से देखा तो क्या बताऊँ.. गजब की सेक्सी माल थी.. ना ज्यादा दुबली थी.. और न ज्यादा मोटी थी.. उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ और उससे भी बड़ी गाण्ड..

लेडीज या लड़कियों को देखते ही सबसे पहले मैं यही देखता हूँ.. इसलिए आंटी मुझे बड़ी मस्त लगी और उसका मुझे इस तरह से गले लगाना.. इस बात ने मुझे उसका दीवाना बना गया।

मैं मन ही मन पता नहीं क्यों.. बहुत खुश हो रहा था। खैर.. उसकी कार में बैठ कर हम लोग घर आए।

उसने कहा- तुम्हारे अंकल कुछ दिनों के लिए बाहर गए हैं.. इसलिए यहाँ सिर्फ़ हम दोनों ही हैं।

मैंने बोला- कोई बात नहीं आंटी.. वैसे भी मैं तो मुंबई घूमने आया हूँ.. आप ही घुमा देना।

उसने भी कहा- हाँ.. यही अच्छा रहेगा..

फिर उसने मुझे फ्रेश होने को कहा। मैंने पहली बार इतना बड़ा बाथरूम देखा था.. उसमें आंटी की एक छोटी सी पैन्टी टँगी थी.. शायद आज सुबह उसने ये पैन्टी निकाली थी।

मैं मौका देखकर उसको सूंघने लगा.. मेरा लंड खड़ा हो रहा था.. लेकिन मैंने खुद पर कंट्रोल किया।

फिर मैं खाने के बाद सो गया और शाम को दोनों सिटी में घूमने के लिए गए।

रात में खाना खाने के बाद सोते समय उसने मुझे एक गोली दी और कहा- इसे खा लो.. तुम थक गए होगे.. तुम्हें अच्छी नींद आएगी।

मैंने गोली ले ली.. थोड़ी देर में ही मेरे शरीर में गर्मी होने लगी और मेरा लंड खड़ा होने लगा। उसने

मुझे नाइट ड्रेस में सिर्फ़ एक शॉर्ट नायलॉन की हाफ पैन्ट और टी-शर्ट दी थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था.. कि मेरा लंड अचानक खड़ा क्यों हो रहा है।

मैं सोने के लिए दूसरे कमरे में आ गया.. लेकिन मुझे तो नींद ही नहीं आ रही थी। फिर मेरी समझ में आया कहीं इसने मुझे सेक्स की गोली तो नहीं दे दी है..

यह सोचते ही मैं चुपचाप उसके कमरे की तरफ आया.. तो देखा वो सो रही थी। यह देख कर मैं उदास हो गया और सोचने लगा कि क्या करूँ?

उसके पास जाने की मेरी हिम्मत तो हो नहीं रही थी और इधर साला मेरा लंड पागल हुआ जा रहा था.. इसलिए मैं बाथरूम में गया और पैन्ट उतार कर मुठ्ठ मारने लगा।

मुझे नहीं पता था कि सेक्स की गोली का असर इतना होता है। लंड इतना गरम हो गया था कि मानो जल सा रहा था।

मैं अपने हाथ में लंड लेकर आँख बंद करके आंटी के बारे में सोच रहा था और दनादन मुठ्ठ मारे जा रहा था।

तभी मुझे अपने पीछे कुछ आहट सुनाई दी.. मैं एकदम से चौंक गया और पीछे पलटा.. वहाँ आंटी खड़ी थीं।

मैं डर गया और अपने हाथों से अपने लंड को छुपाने लगा।

आंटी बोली- ये सब क्या हो रहा है? मैं बोला- क..कुछ नहीं आंटी..

‘क्या कुछ नहीं..?’ मैंने बोला- वो नींद नहीं आ रही थी.. तो.. ‘तो क्या..?’

मैं सर झुका कर खड़ा हो गया। ‘नींद नहीं आती है.. तो यही करते हो..?’

मैं शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पा रहा था और सिर झुका कर बस मौन साधे हुए खड़ा था और अपने हरामी लंड को हाथ में छुपाने की कोशिश कर रहा था.. लेकिन वो साला खड़ा ही था.. नीचे जा ही नहीं रहा था..

फिर आंटी ने पूछा- और ये क्या छुपा रहे हो? मैंने बोला- कु..कुछ नहीं..

आंटी बोली- वो तो मैं देख रही हूँ.. कि ये ‘कुछ नहीं’.. बल्कि कितना ‘कुछ’ कह रहा है..

फिर वो मेरे पास आई और मेरा हाथ हटाया। मेरा हाथ हटते ही मेरा लंड एकदम से उछल कर खड़ा हो गया और आंटी के सामने झूलने लगा।

आंटी देख कर चौंक गई और बोली- बाप रे.. क्या है ये.. इत्ता ख़तरनाक लंड.. तभी ये इतना पागल हो रहा है?

दो मिनट तक उसने मेरे लंड को देखा.. फिर खड़ी हो गई और कहा- संभाल कर रखो इसे.. इतना बेकाबू मत होने दो।

अब वो वहाँ से चली गई।

उसके जाते ही मैं जल्दी से अपने कमरे में भागा और कपड़े पहन लिए.. लेकिन मेरा लंड साला इतना हरामी है कि इतना कुछ होने के बाद भी खड़ा ही था।

मैं सोचने लगा कि जब इतना कुछ हो ही गया है.. तो क्यों ना कुछ ट्राइ कर ही लूँ?

मैं आंटी के कमरे की तरफ गया तो देखा वो आँख बंद करके लेटी हुई थी। मैं समझ गया कि वो सोने का नाटक कर रही है।

मैं उसके पास आया और उसे गौर से देखने लगा। उसकी सामने से खुलने वाली नाईटी जाँघ के ऊपर थी और पेट से भी खुली हुई थी।

मुझे उसकी नुकीली चूचियां.. गदराई हुई जाँघें.. सपाट पेट और मस्त नाभि देख कर मेरा लंड और ताक़त में आ रहा था।

मैं सोच रहा था कि इस मादरचोद रंडी को अभी यही पर कुतिया की तरह चोद दूँ.. पर क्या करता?
मेरी भूखी नज़रें उसको बड़े गोल मम्मों और नंगी पेट पर टिकी हुई थीं। मैं चूची तो साफ देख रहा था.. पर चूत देखने के लिए तड़फ रहा था।

मैं उसके मादक शरीर की गर्मी महसूस कर रहा था.. वो कमीनी मुझे व्याग्रा की गोली खिला कर खुद सोने का नाटक कर रही थी।

मैं सोच रहा था कि इस रंडी को यहीं मसल दूँ.. साली की गाण्ड फाड़ दूँ.. साली कुतिया कहीं की..
उसके शरीर की गर्मी और मादक सुगंध मुझे महसूस हो रही थी.. उसके मांसल चूतड़ और गाण्ड की गोलाइयाँ.. मुझे चुदाई के लिए मजबूर कर रही थीं..

मैं उसके रसीले होंठों को चूमने के लिए बेकरार हो रहा था.. तभी उसने आँखें खोलीं और कहा- यहाँ क्या कर रहे हो..?

इस कहानी का पूरा मजा लेने के लिए अगले भाग को जरूर पढ़िए।

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