दोस्तो, मैं मैं मनीष अपनी शादीशुदा बहन की चुदाई की कहानी लेकर हाजिर हुआ हूँ. मेरी दीदी की उम्र 27 वर्ष है और वो बहुत ही सेक्सी दिखती हैं.
मैं दीदी को जीजाजी के दोस्त से कई बार चुदते देख चुका हूँ.
जीजा जी का दोस्त मेरी दीदी को जम कर पेलता था और जीजाजी को बहुत सारे ठेके भी दिलवाता था.
कुछ महीने बाद उस इंजीनियर का ट्रांसफर हो गया था.
यह पुलिस सेक्स कहानी उसके जाने के कुछ महीने बाद की घटना पर है.
उस दिन हम लोग खाना खा रहे थे तभी अचानक घर में पुलिस आई और जीजाजी को पकड़ कर ले जाने लगी.
मैंने इंस्पेक्टर से पूछा- आप जीजा जी को क्यों ले जा रहे हैं?
तो उसने बताया- तुम्हारे जीजा जी ने एक सरकारी भवन बनाने में घोटाला किया है. भवन एक ही साल में गिर गया है. इसलिए हम लोग इनको ले जा रहे हैं.
हमने पुलिस वालों से बहुत हाथ जोड़ कर विनती की, पर वो नहीं माने. जीजा जी को थाने ले जाया गया.
फिर मैं और दीदी अगले दिन वकील से मिलने पहुंचे और उनको सारी बात बताई. उन्हें एफआईआर की कॉपी दिखाई.
वो बोला- केस तो बहुत तगड़ा है, जमानत जल्दी नहीं मिलेगी.
दीदी ने वकील से पूछा- क्या करना होगा, जिससे वो जल्दी छूट जाएं?
वकील ने बताया- पुलिस अगर एक दो धारा हटा दे, तो काम बन सकता है. इसलिए आप लोग पहले पुलिस इंस्पेक्टर से मिलिए.
मैं अपनी दीदी के साथ वहां से चल दिया और हम दोनों थाने पहुंच गए. थाने में दीदी ने इंस्पेक्टर से इस बारे में बात की.
वो बोला- मैं कुछ नहीं कर सकता हूँ, मेरे हाथ से केस निकल चुका है. खुद डीएसपी साहब इस केस को देख रहे हैं, आपको उन्हीं से मिलना होगा. मगर आज आपकी मुलाकात सम्भव नहीं है. डीएसपी साहब शहर से बाहर गए हैं.
अगले दिन मैं और दीदी डीएसपी के पास पहुंचे. दीदी उनके सामने भी बहुत गिड़गिड़ाईं. लेकिन वो भी नहीं माने. आखिर में उन्होंने अगले दिन आने का कहा.
अगले दिन हम दोनों फिर से गए और दीदी और मैंने डीएसपी साहब से फिर से बहुत रिक्वेस्ट की.
दीदी बोलीं- आपको जितने पैसे चाहिए, जो चाहिए ले लीजिए. पर मेरे पति को छुड़वा दीजिए. वो बोला- ये सब बात ऑफिस में मत कीजिए.
उसने एक कागज पर अपना नंबर लिख कर दीदी को दिया और बोला- बाद में फोन कीजिएगा. फिर मैं बताऊंगा कि कैसे क्या करना है. उसके बाद से हम दोनों वहां से वापस घर चले आए.
अगले दिन मैंने दीदी से पूछा- दीदी बात हुई उससे … कितने पैसे मांग रहा है? दीदी बोलीं- मैंने फोन किया, तो उसने उठाया ही नहीं.
मैं बोला- तो फिर से उसके ऑफिस चलते हैं. दीदी बोलीं- आज रविवार है, ऑफिस बन्द होगा. अगर आज बात नहीं होगी, तो कल चलेंगे.
मैं बोला- ठीक है. दीदी बोलीं- मैंने नाश्ता बना कर रख दिया है. तुम खा लेना. मैं जरा पार्लर से होकर आती हूँ.
और वो चली गईं. मैं सोच में पड़ गया कि ये क्या माजरा है.
एक घंटा बाद दीदी लौटीं, तब मैंने देखा कि दीदी ने बाल सैट करवाए थे और आइब्रो बनवाई हुई थीं.
मेरे दिमाग में शक की सुई घूमने लगी ‘जीजा जी जेल में हैं और दीदी पार्लर से क्यों आ रही हैं.
शाम होते ही दीदी ने कहा- जल्दी से खाना खा लो, मेरी तबियत ठीक नहीं है. मैं सोने जा रही हूँ. तुम भी खाकर जल्दी सो जाओ.
मुझे पक्का पता चल गया कि आज दीदी चुदने वाली हैं. मुझे भी उस पल का बेताबी से इंतजार था.
मैं भी खाना खाकर बोला- दीदी, अब मैं सोने जा रहा हूँ. मुझे भी नींद आ रही है. दीदी बोलीं- ठीक है, तुम सो जाओ.
मैं ऊपर गया और सीढ़ी के पास बने रोशनदान के पास बैठ गया.
दीदी ने मेज से बर्तन उठाए और किचन में चली गईं. फिर जल्दी से बर्तन धोकर बाथरूम में घुस गईं और दस मिनट बाद एकदम नंगी बाहर निकलीं.
दीदी की चूचियां शादी के इतने दिन बाद भी एकदम तनी हुई लग रही थीं. दीदी की चूत भी चिकनी थी.
शायद कुछ देर पहले बाथरूम में बनाई होगी या पार्लर से चूत की वैक्सिंग करवा कर आई होंगी.
दीदी अपनी गांड मटकाती हुई अपने रूम में चली गईं. वो बड़ी खुश लग रही थीं.
कमरे का दरवाजा खुला हुआ था तो मुझे यहां से भी साफ साफ दिखाई दे रहा था.
दीदी ने तौलिये से सारा शरीर पौंछा. फिर अपना मंगलसूत्र, चूड़ियां, कान की बाली सब निकाल कर रख दिया.
फिर सारे शरीर पर लोशन लगाया उसके बाद दीदी ने चड्डी और ब्रा पहनी. फिर दीदी ने नीले कलर का पजामा और गुलाबी रंग की कुर्ती पहनी जिसमें दीदी की चूचियां एकदम उभरी हुई नजर आ रही थीं.
दीदी एकदम कुंवारी लड़की जैसी बन गई थीं. अब दीदी बैचैन होकर इधर उधर टहल रही थीं.
तभी फोन की घण्टी बजी. दीदी ने तुरंत फोन उठाया और दरवाजे के पास दौड़ कर गईं.
दरवाजा खुला और वो डीएसपी अन्दर आ गया. वो 6 फुट का हट्टा कट्टा आदमी था
उसकी उम्र करीब 35 के आस पास की थी लेकिन वो एकदम फिट और जवान लौंडे जैसा दिख रहा था.
दीदी ने उसको सोफे पर बिठाया और इठला कर बोलीं- सर कुछ लाऊं आपके लिए? वो दीदी की चूचियां देखता हुआ बोला- कुछ नहीं, बस आप आ जाओ.
दीदी शर्माती हुई उसके पास बैठ गईं.
उसने दीदी का चेहरा पकड़ कर उनके होंठों में अपने होंठ फंसा दिए और कुछ देर तक वैसे ही चूसता रहा. दीदी भी उसके बालों में हाथ घुमाती रहीं.
फिर उसने दीदी को अपनी गोद में बिठा लिया और ऊपर से ही दीदी की चूचियों को दबाने लगा. दीदी को मजा आने लगा था. दीदी उसके हाथ को पकड़ कर अपनी चूत के पास ले गईं.
वो ऊपर से ही दीदी की चूत में उंगली करने लगा. कुछ देर में ही दीदी को मस्ती चढ़ चुकी थी तो दीदी बोलीं- कमरे में चलते हैं.
वो दोनों कमरे में चले गए और दरवाजा बंद कर लिया. कुछ देर बाद मैं भी बाहर की गैलरी से होता हुआ खिड़की के पास पहुंचा और खिड़की के छज्जे पर चढ़कर रोशनदान से देखने लगा.
तब तक दोनों अपने कपड़े खोल चुके थे. दीदी के शरीर पर सिर्फ चड्डी औऱ ब्रा थी. वो सिर्फ चड्डी पहने था.
दीदी उसके बगल में लेटकर उसकी छाती को चूम रही थीं.
उसके बाद दीदी का हाथ उस डीएसपी की चड्डी के अन्दर चला गया और उसके लंड को मसलने लगीं. दीदी ने उसके लंड को बाहर निकाला तो मैंने देखा कि उसका लंड काफी मोटा लम्बा था.
मैं समझ गया कि आज दीदी की चुदाई होने वाली है. दीदी उसके लंड को चूसने लगीं.
वो चारों तरफ से मुँह घुमाकर लंड चूस रही थीं. बीच बीच में दीदी उसके अंडकोषों को भी मुँह में ले लेतीं.
उस डीएसपी को भी मस्ती छाने लगी थी. दीदी जोर जोर से मुँह में लंड को अन्दर बाहर करने लगी थीं.
डीएसपी का लंड अकड़ने लगा था, वो उठ बैठा और दीदी को पटक कर उनकी छाती पर चढ़ गया और वो अपना पूरा लंड दीदी के मुँह में ठूंस कर धक्के मारने लगा.
उसका मोटा लौड़ा दीदी के कंठ में अन्दर तक घुस रहा था. दीदी के मुँह से गूँ गूँ की आवाजें निकलने लगी थीं.
मुझे ऐसा लगा कि दीदी की जान निकल जाएगी. फिर उसने सारा वीर्य दीदी के मुँह में छोड़ दिया और सारा वीर्य दीदी के अन्दर चला गया.
कुछ देर बाद जब उसने लंड निकाला तो दीदी लंबी लंबी सांसें लेने लगीं.
फिर उसने दीदी की ब्रा को फाड़ दिया और दीदी की चूचियों को जोर जोर से मसलने लगा. दीदी दर्द से तड़पने लगीं.
फिर उसने दीदी की दोनों चूचियों को बारी बारी से मुँह में लिया और दोनों चूचियों को जी भरके चूसा. दीदी की दोनों चूचियां लाल लाल हो चुकी थीं.
अब दीदी को भी मजा आ रहा था. वो भी अपनी कमर उठा उठा कर चूत चुसवा रही थीं. दीदी के मुँह से आह आह की आवाज निकल रही थी.
मैं भी अपने हाथ से अपने लंड को मसल रहा था. कुछ देर बाद दीदी झड़ गईं. दीदी की चूत के नमकीन पानी को वो डीएसपी चाट चाट कर पी गया.
तब तक उसका लंड फिर से खड़ा हो चुका था. उसने एक तकिया लेकर दीदी की कमर के नीचे रखा. दीदी की गुलाबी और फूली हुई चूत देखकर मेरा भी मन चोदने का कर रहा था लेकिन मैं क्या कर सकता था.
फिलहाल चुदाई देखकर ही आनन्द लेना था. अब उस डीएसपी ने दीदी की टांगों को फैला दिया. दीदी की चूत का छेद साफ साफ दिखाई पड़ रहा था.
उसने लंड को दीदी की चूत के छेद पर रखा तो दीदी एकदम से सिहर गईं.
तभी उस डीएसपी ने जोर से धक्का दे दिया. उसका लंड फिसल गया.
ऐसा दो तीन बार हुआ तो वो बोला- किसी शादीशुदा औरत की इतनी टाइट चूत तो पहली बार देख रहा हूँ. तुम्हारा पति तुमको नहीं चोदता था क्या?
दीदी बोलीं- सर उनका लंड बहुत छोटा है. मेरी चूत में लंड रखते ही उनका झड़ जाता है. मेरी गर्मी शांत ही नहीं हो पाती है. फिर उसने दीदी की चूची मसल कर कहा- चिंता मत करो, आज मैं तुम्हारी सारी गर्मी झाड़ दूँगा.
दीदी भी चुदवाने के लिए उतावली हो रही थी क्योंकि जब से इंजीनियर गया था, तब से दीदी ने कोई मोटा लंड नहीं लिया था.
फिर उस डीएसपी ने दीदी के पैरों को अपने कंधों पर रखा और लंड को चूत पर सैट कर दिया.
दीदी ने भी अपने दोनों हाथों से चूत को फैला दिया. फिर उस डीएसपी ने जोर का धक्का मारा और उसका आधा लंड चूत में प्रवेश कर गया.
दीदी जोर से चिल्लाने को हुईं मगर उन्होंने किसी तरह से खुद अपने मुँह को बंद कर लिया.
अभी दीदी दर्द से तड़फ ही रही थीं कि तभी उस डीएसपी ने फिर से एक और धक्का दिया.
इस बार उसका पूरा लंड दीदी की चूत को चीरते हुए अन्दर तक घुस चुका था. दीदी चिल्लाने और छटपटाने लगीं.
मैं समझ चुका था कि दीदी को वास्तव में दर्द हो रहा है क्योंकि इस डीएसपी का लौड़ा काफी बड़ा है और मोटा भी है. थोड़ी देर बाद दीदी शांत हो चुकी थीं.
अब उस डीएसपी ने दीदी की चूचियों को पीना और मसलना शुरू किया. दीदी को भी मजा आने लगा, वो भी खुलकर साथ देने लगीं.
करीब 10 मिनट तक ताबड़तोड़ चुदाई चलती रही थी.
तभी वो दोनों एक दूसरे से जोर से लिपट गए. पांच मिनट बाद दोनों अलग हो गए.
मेरा भी जांघिया कब गीला हो गया था, मुझे भी पता नहीं चला.
थोड़ी देर आराम करने बाद वो दोनों फिर से शुरू हो गए. इस बार उसने दीदी को कुतिया बनाया. दीदी को भी कुतिया स्टाइल में चुदवाना बहुत पसंद था.
जीजा जी के इंजीनियर दोस्त से दीदी कुतिया बन कर खूब चुदवाती थीं.
अब डीएसपी दीदी के पीछे आकर खड़ा हो गया और दीदी की चूत की बजाए उनकी गांड के छेद पर लंड टिका दिया. दीदी घबरा गईं और बोलीं- गांड मत मारो सर, बहुत दर्द करेगा. मैं नहीं सह पाऊंगी.
उसने दीदी से कहा- तुमने बोला था कि तुम मुझे खुश कर दोगी … और मैं जब तक गांड चूत दोनों नहीं मारता, तब तक मुझे खुशी नहीं मिलती है. अगर तुम्हें गांड नहीं मरवाना है … तो मैं जा रहा हूँ.
यह सुनकर दीदी बोलीं- ठीक है, करो. मगर आराम से करना. दीदी उठीं और तेल लेकर आ गईं.
खुद अपने हाथ से उस डीएसपी के लंड पर तेल लगाने लगीं और अपनी गांड के छेद पर भी तेल लगा लिया.
दीदी फिर से कुतिया बन गई डीएसपी साहब ने दीदी की गांड पर अपना मोटा लंड रखकर धीरे धीरे दबाना शुरू किया. उसके लंड का सुपारा दीदी की गांड में घुस चुका था.
फिर उसने दीदी के चूतड़ों को हाथों से फैलाया और जोर से धक्का दे दिया. तेल के कारण पूरा लंड दीदी की गांड में घुस चुका था.
दीदी अपना मुँह तकिये में घुसा कर मम्मी मम्मी कहकर रोने लगीं. उसने दीदी की चिल्लपौं को नजरअंदाज किया और उनकी गांड में अपने मोटे लंड को अन्दर बाहर करने लगा.
जब वो अपना लंड बाहर खींचता तो दीदी की गांड का लाल लाल गूदा लंड के साथ चिपककर बाहर आ रहा था.
वो लगातार अपने धक्के की स्पीड बढ़ा रहा था और दीदी अपने रोने की.
करीब 15 मिनट तक डीएसपी दीदी की गांड को ऐसे ही फाड़ता रहा और अपने हाथों से दीदी के चूतड़ों पर थप्पड़ मार मार कर मजा लेता रहा.
उसने दीदी के दोनों चूतड़ों को एकदम लाल कर दिया था.
दीदी को कराहता देख मुझे भी बहुत तकलीफ हो रही थी और दीदी की पहली बार गांड मराई देखकर मजा भी आ रहा था.
फिर उसने सारा वीर्य दीदी की गांड में छोड़ दिया और वहीं लेट गया. बेचारी दीदी वैसे ही पड़ी रहीं.
कुछ देर बाद वो उठा और बोला- ऑफिस आ जाना, तुम्हारा काम कर दूंगा. फिर वो पुलिस वाला सेक्स करें के बाद चला गया.
दीदी ने पलंग की दराज से व्हिस्की की बोतल निकाली और सीधे बोतल से मुँह लगा कर कुछ लम्बे घूँट खींचे मैं भी अपने रूम में जाकर सो गया और सुबह उठ कर नीचे आया तो दीदी सोई हुई थीं.
मैं बोला- दीदी 10 बजे गए हैं और तुम अभी तक सोई हुई हो. डीएसपी के ऑफिस नहीं जाना है क्या? दीदी बोलीं- आज मेरी तबियत बहुत खराब है. बाद में जाऊंगी.
बेचारी दीदी ठीक से चल भी नहीं पा रही थीं, वो पूरे दिन बिस्तर में पड़ी रहीं. मैं जानबूझ कर उनसे कहता- दीदी डॉक्टर बुला दूँ क्या?
वो कहतीं- नहीं, ऐसे ही ठीक हो जाएगा. तुम चिंता मत करो. तुम्हारे जीजा जी आज घर आ जाएंगे. मैंने कहा- वो कैसे?
दीदी ने कहा- वकील से बात हो गई है. फिर जब शाम को वकील साहब के साथ जीजाजी घर आए, तब मेरी समझ में आ गया कि दीदी की डीएसपी से फोन पर बात हो गई होगी.