पुरानी दोस्त ने चूत चुदाई का मजा दिया

नमस्कार दोस्तो! मैं आपका अपना साथी संदीप सिंह हूँ।
मेरी उम्र 26 साल है और मैं उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर का रहने वाला हूँ।

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वर्तमान में मैं दिल्ली में जॉब करता था, लेकिन अब मेरी कंपनी ने मेरा तबादला मुंबई जैसे बड़े और चमचमाते शहर में कर दिया है।

अगर मैं अपनी शारीरिक बनावट की बात करूँ, तो मेरी हाइट 5 फुट 7 इंच है।
मेरा लंड का साइज़ इतना मस्त है कि किसी भी लड़की की चूत को बेकरार कर दे।
यह करीब 7 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है।

मेरा शरीर एकदम फिट है, क्योंकि मैं रोजाना जिम में पसीना बहाता हूँ और अपनी बॉडी को तराशता हूँ।
मेरे चौड़े कंधे और सिक्स-पैक ऐब्स किसी भी लड़की को दीवाना बना सकते हैं।

आज मैं आपके सामने एक ऐसी कामुक कहानी लेकर आया हूँ, जो आपके लंड को खड़ा कर देगी और चूत में आग लगा देगी।

ये इंडियन लड़की की चुदाई कहानी मेरी और मेरी पुरानी क्लासमेट निकिता की चुदाई की है.
जिसमें लंड, चूत, मम्मे, चूचियां और गांड की चुदाई का ऐसा तड़का है कि आप मुट्ठ मारने पर मजबूर हो जाएंगे।

तो अपनी पैंट की चेन खोल लीजिए और चूत को सहलाने के लिए तैयार हो जाइए।

जब मेरी कंपनी ने मेरा तबादला मुंबई में किया, तो मैं थोड़ा घबराया हुआ था।
मुंबई मेरे लिए एकदम नया शहर था।
यहां ना तो मेरा कोई दोस्त था, ना ही कोई रिश्तेदार।

मैं अपनी कंपनी के एक लड़के राहुल के साथ एक फ्लैट शेयर करने लगा।

राहुल ठीक-ठाक था लेकिन उसका रहन-सहन और मेरी आदतें बिल्कुल नहीं मिलती थीं।
वह रात-रात भर मोबाइल में गेम खेलता और सुबह देर तक सोता।

मुझे उसका ये रवैया बिल्कुल पसंद नहीं था।
मैं एक ऐसा इंसान हूँ, जो सुबह जल्दी उठकर जिम जाता है और अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित रखता है।

राहुल के साथ रहते हुए मुझे लगने लगा कि मैं किसी जेल में कैद हूँ।

मुंबई की चकाचौंध ने शुरू में तो मुझे लुभाया।
ऊंची-ऊंची इमारतें, समुद्र का किनारा और हर तरफ भागती-दौड़ती जिंदगी।

लेकिन जल्द ही मुझे अहसास हुआ कि ये शहर बाहर से जितना खूबसूरत है, अन्दर से उतना ही अकेला।

ऑफिस में काम का प्रेशर इतना था कि मैं दिन भर फाइलों और लैपटॉप में उलझा रहता।

रात को जब फ्लैट पर लौटता, तो राहुल की बकवास और उसका गंदा कमरा मुझे और चिड़चिड़ा कर देता।

मैं सोचता था कि काश कोई ऐसा दोस्त मिले, जिसके साथ मैं अपने दिल की बातें शेयर कर सकूँ।

उस दिन राहुल अपने गांव गया था.
वह दस दिन बाद वापस आने की कह गया था.

एक दिन मैं ऑफिस से थक-हारकर फ्लैट पर लौटा।
जैसे ही मैंने दरवाजा खोला, मेरा फोन बजा।

स्क्रीन पर एक अनजान नंबर था।

मैंने कॉल उठाया, तो दूसरी तरफ से एक जानी-पहचानी आवाज़ आई- संदीप, मैं निकिता बोल रही हूँ.
मैं एकदम चौंक गया।

निकिता मेरी स्कूल और कोचिंग की पुरानी दोस्त थी।
हम बारहवीं कक्षा में एक साथ पढ़ते थे और बाद में कोचिंग में भी मिलते रहते थे।

निकिता का नाम सुनते ही मेरे दिमाग में उसकी वह खूबसूरत स्माइल और गोल-मटोल चेहरा घूम गया।

‘अरे निकिता, तू कहां से बोल रही है? इतने साल बाद कैसे याद किया?’
मैंने उत्साह से पूछा।

‘मैं मुंबई में हूँ, संदीप। तू भी यहीं है ना? मैंने तेरा नंबर तेरे एक पुराने दोस्त से लिया। मुझे मिलना है तुझसे!’
उसने जैसे ही यह कहा कि मिलना है, मेरे दिल में जैसे लड्डू फूटने लगे।

मैंने तुरंत उसे अपने फ्लैट का पता दिया और कहा- आ जा, आज रात तू यहीं रुकेगी.
करीब एक घंटे बाद निकिता मेरे फ्लैट पर थी।

जैसे ही मैंने दरवाजा खोला, मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं।
निकिता पहले से भी ज्यादा हॉट हो गई थी।
उसकी हाइट करीब 5 फुट 5 इंच थी और उसका फिगर 32-28-34 का था।

उसने टाइट जींस और एक काले रंग का टॉप पहना था, जिसमें से उसके मम्मे उभरे हुए साफ दिख रहे थे।

उसकी चूचियां इतनी गोल और भरी हुई थीं कि मेरा लंड पैंट में ही तन गया।

उसका चेहरा अभी भी वैसा ही गुलाबी और बेदाग था और उसके होंठ इतने रसीले थे कि मैं बस उन्हें चूसना चाहता था।

‘क्या देख रहा है, संदीप? निकिता ने शरारती अंदाज़ में पूछा।
‘कुछ नहीं, बस सोच रहा हूँ कि तू पहले से भी ज्यादा खूबसूरत हो गई है!’
मैंने हंसते हुए कहा।

इस पर वह भी हंस पड़ी और मेरे गले लग गई।
उसकी चूचियां मेरे सीने से जैसे ही टकराईं, तभी मैंने महसूस किया कि मेरा लंड अब पूरी तरह खड़ा हो चुका है।

हम दोनों सोफे पर बैठ गए।
मैंने निकिता के लिए कॉफी बनाई और हम पुरानी बातें करने लगे।

उसने बताया कि उसने मेडिकल की पढ़ाई पूरी कर ली है और अब मुंबई में एक हॉस्पिटल में इंटर्नशिप कर रही है।

मैंने उसे अपनी जॉब और मुंबई की जिंदगी के बारे में बताया।
बातों-बातों में उसने अपने बॉयफ्रेंड का जिक्र किया।

उसका नाम रोहन था और वह भी मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था।
लेकिन उसकी आवाज़ में थोड़ी उदासी थी।

मैंने पूछा- क्या बात है, निकिता? सब ठीक तो है ना?
उसने एक गहरी सांस ली और बोली- संदीप, रोहन ने मुझे धोखा दिया। मैंने उसे एक लड़की के साथ अपने रूम में देखा। वह उसकी चुदाई कर रहा था.
उसकी आंखें भर आईं।

मैंने उसे गले लगाया और समझाया- निकिता, वह तेरे लायक नहीं था। तू इतनी खूबसूरत और समझदार है, तुझे उससे लाख गुना बेहतर लड़का मिलेगा.
वह मेरे सीने से लिपटकर रोने लगी।

उसकी चूचियां मेरे सीने पर दब रही थीं और मैं अपने लंड को कंट्रोल करने की पूरी कोशिश कर रहा था।
लेकिन उसकी गर्म सांसें और मुलायम मम्मे मुझे पागल कर रहे थे।

मैंने धीरे से उसके बाल सहलाए और कहा- निकिता, तू मेरे साथ है। मैं तुझे कभी दुखी नहीं होने दूँगा.
रात हो चुकी थी और निकिता ने कहा कि वह मेरे फ्लैट पर ही रुकेगी।

मेरे पास सिर्फ एक बेड था, तो हम दोनों को उसी पर सोना था।

मैंने निकिता को अपनी टी-शर्ट दी, ताकि वह चेंज कर ले।

जब वह बाथरूम से निकली तो मेरी सांसें थम गईं।

मेरी टी-शर्ट में उसकी चूचियां साफ दिख रही थीं और उसकी जांघें इतनी गोरी और चिकनी थीं कि मैं बस उन्हें चूमना चाहता था।

हम बेड पर लेट गए।
निकिता मेरी बगल में थी और उसकी पीठ मेरी तरफ थी।

उसकी गांड मेरे लंड को छू रही थी और मेरा लंड अब पूरी तरह से तन चुका था।

मैंने खुद को रोकने की कोशिश की.
लेकिन निकिता की गर्माहट मुझे बेकाबू कर रही थी।

थोड़ी देर बाद निकिता पलटी और मेरी तरफ मुँह करके लेट गई।
उसका चेहरा मेरे इतने करीब था कि मैं उसकी सांसें महसूस कर रहा था।

मैंने धीरे से उसके गाल पर हाथ रखा और कहा- निकिता, तू ठीक है ना?
उसने मेरी आंखों में देखा और बोली- संदीप, मुझे तुझसे कुछ चाहिए.
‘क्या? मैंने पूछा।

उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
उसका चुंबन इतना गर्म और रसीला था कि मैं पागल हो गया।

मैंने भी उसे जोर से चूमना शुरू कर दिया।
मेरे हाथ उसके मम्मों पर चले गए और मैंने उन्हें धीरे-धीरे दबाना शुरू किया।

निकिता की चूचियां इतनी मुलायम थीं कि मैं बस उन्हें चूसना चाहता था।

मैंने धीरे से निकिता की टी-शर्ट उतारी।
उसने काली ब्रा पहनी थी जिसमें उसकी चूचियां और भी सेक्सी लग रही थीं।

मैंने उसकी ब्रा खोली और उसके गोल-मटोल मम्मे मेरे सामने थे।

मैंने एक चूची को मुँह में लिया और चूसने लगा।

निकिता के मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह … संदीप … और जोर से चूस …

उसकी आवाज़ सुनकर मेरा लंड और सख्त हो गया।
मैंने उसकी जींस उतारी।

उसने हल्के गुलाबी रंग की पैंटी पहनी थी जो उसकी चूत पर पूरी तरह चिपकी हुई थी।

मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सूँघा।
उसकी चूत से आ रही खुशबू मुझे पागल कर रही थी।

मैंने उसकी पैंटी उतारी और उसकी चूत मेरे सामने थी।
निकिता की चूत एकदम साफ और गुलाबी थी, जैसे अभी-अभी शेव की हो।

मैंने उसकी चूत पर जीभ रखी और चाटना शुरू किया।
निकिता की सिसकारियां और तेज हो गईं- उम्म … संदीप … आह्ह … और चाट … मेरी चूत को खा जा … आह!

मैंने उसकी चूत में जीभ डाली और चूसने लगा।
निकिता ने मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा लिया।
वह इतनी गर्म हो चुकी थी कि उसकी चूत से पानी निकलने लगा।

मैंने उसका सारा पानी चाट लिया।

अब मैंने अपने कपड़े उतारे और अपना 7 इंच का लंड निकिता के सामने रखा।
उसने मेरे लंड को देखा और बोली- संदीप, ये तो बहुत बड़ा है … मेरी चूत में कैसे जाएगा?

मैंने हंसते हुए कहा- निकिता, तू बस मजे ले। मैं तुझे स्वर्ग की सैर करवाऊंगा.

मैंने उसे मेरा लंड मुँह में लेने को कहा।
पहले तो उसने मना किया लेकिन फिर उसने मेरे लंड को चूसना शुरू किया।

वह मेरे लंड को आइसक्रीम की तरह चाट रही थी।

मैंने उसे 69 की पोजीशन में आने को कहा।
अब मैं उसकी चूत चाट रहा था और वह मेरा लंड चूस रही थी।

करीब दस मिनट तक हम एक-दूसरे को चूसते रहे।
इस दौरान निकिता एक बार झड़ गई और उसका पानी मेरे मुँह में आ गया।

अब मैंने निकिता को बेड पर लिटाया और उसकी टांगें चौड़ी कीं।
मैंने उसके चूतड़ों के नीचे एक तकिया रखा ताकि उसकी चूत मेरे लंड के लिए पूरी तरह खुल जाए।

तब मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ा।
निकिता सिसकार रही थी- संदीप … अब डाल दे … मेरी चूत को फाड़ दे!

मैंने एक झटके में अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया।

निकिता की चीख निकल गई लेकिन मैंने उसके मुँह को अपने होंठों से दबा लिया।
धीरे-धीरे मैंने लंड को उसकी चूत में अन्दर-बाहर करना शुरू किया।

निकिता की चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड उसे चीरता हुआ अन्दर जा रहा था।

निकिता की आंखों से आंसू निकल रहे थे लेकिन वह मजे में सिसकार रही थी- आह्ह … संदीप … और जोर से … मेरी चूत को चोद दे!
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और उसे जोर-जोर से चोदने लगा।

उसकी चूचियां मेरे हर धक्के के साथ उछल रही थीं।
मैं कभी उसकी चूचियां चूसता, तो कभी उसके होंठ पीता।

करीब आधा घंटा की चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था।
मैंने निकिता से पूछा- कहां निकालूँ?
उसने कहा- मेरी चूत में ही डाल दे … मुझे तेरा पानी चाहिए!

मैंने एक जोरदार धक्का मारा और अपना सारा माल उसकी चूत में डाल दिया।
हम दोनों हांफ रहे थे।
मैं निकिता के ऊपर ही लेट गया।
उसकी चूत से मेरा और उसका पानी मिलकर बाहर निकल रहा था।

उस रात हम दोनों ने चार बार चुदाई की।
हर बार मैंने निकिता की चूत को अलग-अलग तरीके से चोदा।

एक बार मैंने उसे डॉगी स्टाइल में चोदा तो एक बार उसने मेरे लंड पर सवार होकर अपनी चूत को चुदवाया।

उसकी गांड इतनी सेक्सी थी कि मैंने उसकी गांड भी मारी।

पहले तो उसे दर्द हुआ लेकिन बाद में वह भी मजे लेने लगी।

सुबह जब निकिता उठी, तो वह इंडियन लड़की की चुदाई के कारण ठीक से चल नहीं पा रही थी।

मैंने उसे अपनी बांहों में उठाया और बाथरूम तक ले गया।

हम साथ में नहाये और वहां भी मैंने उसकी चूत को एक बार और चोदा।

नहाते वक्त उसकी गीली चूचियां और चिकनी चूत देखकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था।

दो दिन तक मैं निकिता के साथ रहा।
हमने दिन-रात चुदाई की और एक-दूसरे के शरीर को हर तरह से एक्सप्लोर किया।

तीसरे दिन मैंने निकिता से अपने दिल की बात कही- निकिता, मैं तुझे स्कूल के समय से चाहता हूँ। मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूँ.
उसने मेरी आंखों में देखा और मेरे गले लग गई।

उसने कहा- संदीप, मैं भी तुझसे प्यार करती हूँ। तूने मुझे उस धोखेबाज़ से निकाला और इतना प्यार दिया.

उसके बाद हम दोनों ने कई बार मेरे और निकिता के फ्लैट पर चुदाई की।

अब निकिता दिल्ली में है और अपनी जिंदगी में खुश है।
लेकिन जब भी वह मुंबई आती है, हम दोनों फिर से वही आग बरसाते हैं।

उसकी चूत और मेरे लंड का रिश्ता आज भी बरकरार है।

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