नमस्कार, मेरा नाम देवांश है मैं उतर प्रदेश के लखनऊ का रहने वाला हूं।
आज मैं आप लोगों के बीच अपनी एक सच्ची भाभी चुदाई कहानी लेकर आया हूं जो मेरी और मेरी भाभी के बीच हुई चुदाई की है ।
मेरी भाभी का नाम ज्योति है मेरी उम्र अभी 28 साल है और मेरी भाभी की उम्र 30 साल है।
उनकी शादी को कोई आठ साल हो गए हैं।
उनके दो बच्चे भी हैं. एक बेटा और एक बेटी।
मैं देखने में भी अच्छा खासा हैंडसम और स्मार्ट हूँ।
मेरी भाभी भी एकदम मस्त माल हैं ।
उन्हें देखने में कहीं से ये नहीं लगता है कि उनकी इतनी उम्र होगी।
उनकी चूचियों की साइज 34बी है. वो अक्सर बड़े गले वाला ब्लाउज पहनती हैं, जिससे उनके लगभग आधी चूचे दिखते हैं।
भाभी के मम्मों को देखकर मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता है. मेरे लंड का साइज अच्छा ख़ासा है ।
मेरे भैया यहां नहीं रहते हैं, वे आर्मी में हैं तो अपनी ड्यूटी के चलते भाभी को ज्यादा टाइम नहीं दे पाते हैं ।
एक साल में सब मिलाकर लगभग दो ही महीने वो घर में रह पाते हैं, जिससे भाभी को भैया का साथ नहीं मिलता था और वो उदास रहने लगी थीं ।
मैं ये बहुत दिनों से नोटिस कर रहा था कि भाभी कुछ चुप चुप सी रहती हैं ।
हालांकि मैं भाभी से खुल कर मजाक कर लेता था तब भी हमारे बीच ये देवर भाभी वाला मजाक एक सीमा में बंधा हुआ था ।
घर में सभी लोग रहते थे तो कुछ ज्यादा करना सम्भव नहीं था ।
फिर गांव का मामला था तो घर के बाहर जाने का भी कोई ख़ास चांस नहीं था ।
ये उस दिन की बात है जब घर में कोई नहीं था, सब लोग बुआ के घर शादी में गए थे ।
मुझे घर में देख रेख के लिए रोक दिया गया था ।
भैया को आने की छुट्टी नहीं मिली थी इसलिए भाभी कुछ ज्यादा ही बेचैन सी दिख रही थीं और उन्होंने शायद इसीलिए बच्चों के छोटे होने का बहाना बनाकर शादी में जाने से मना कर दिया था ।
उस दिन सुबह मैं नहा रहा था तो उस दिन नया शैम्पू लाना भूल गया था ।
मेरा शैम्पू खत्म हो गया था ।
तो मैंने भाभी को आवाज़ दी कि आप अपना शैम्पू दे दीजिए ।
यह कह कर मैंने बाथरूम का आधा दरवाजा खोल दिया था ।
वे शैम्पू लेकर आईं और झुककर जैसे ही शैम्पू पकड़ाने लगीं तो उनकी साड़ी का पल्लू गिर गया, जिससे उनकी चूचियां दिखने लगीं ।
उनकी आधी से ज्यादा चूचियां ऐसे नंगी देखकर मेरा लौड़ा खड़ा हो गया ।
मैंने हाथ बढ़ा कर शैम्पू ले लिया ।
भाभी मुझे देखती हुई बोलीं- तुम शैम्पू लगा कर मुझे वापस दे दो. मैं बाहर ही खड़ी हूँ. मुझे भी नहाना है ।
मैंने हां कह दी और जैसे ही मैं शैम्पू लगा चुका, तो मैंने कहा- लो शैम्पू ले जाओ भाभी ।
उस समय मेरी आंखें बंद थीं, ऐसा मैंने नाटक किया था ।
भाभी ने हाथ अन्दर डाला और कहा- लाओ दे दो ।
मेरे दिमाग में शरारत सूझी ।
मैंने भाभी से कहा- आप अन्दर आ जाओ और शैम्पू ले लो. मेरी आंखों में साबुन लगा है, मुझे कुछ दिख नहीं रहा है ।
एक दो पल तक भाभी की कोई आवाज नहीं आई ।
मैंने फिर से कहा- आओ न जल्दी से … मुझे नहाना भी है ।
फिर वो बाथरूम का खुला दरवाजा कुछ और खोल कर शैम्पू लेने अन्दर आ गईं,
अन्दर आते ही भाभी मेरा लौड़ा खड़ा देखकर वहीं रुक गईं और एकटक मेरे लौड़े को देखने लगीं ।
मैंने कहा- लो पकड़ो ना! भाभी एकदम से हड़बड़ा गईं कि क्या पकड़ना है ।
फिर उन्होंने मेरे हाथ से शैम्पू की शीशी ली और बाहर चली गईं ।
मैं मन ही मन मुस्कुराने लगा कि आज भाभी की चूत में आग लगा दी है ।
मगर भाभी भी कुछ और सोचने लगी थीं. उन्होंने बाथरूम का दरवाजा खुला ही रखा था और बाहर से ही मुझे नहाते हुए देख रही थीं ।
जब तक मैंने नहा नहीं लिया, तब तक भाभी वहीं बाहर खड़ी खड़ी देखती रहीं ।
फिर जब मैं नहा चुका और जैसे ही नहाकर कपड़े बदल रहा था तो पीछे से आकर भाभी ने मुझे पकड़ लिया और मेरी पीठ से चिपक गईं, इससे उनकी चूचियां मेरी पीठ पर रगड़ने लगीं ।
एक बार फिर से मेरा लौड़ा खड़ा हो गया.
मैंने उनसे कहा- अरे भाभी, ये क्या कर रही हो?
भाभी बोलीं- कुछ नहीं बस गले लगा रही हूं … प्यार करने का मन कर रहा है.
मैं- क्यों?
भाभी- तुम्हारे भैया की याद आ रही है, लेकिन वो यहां नहीं हैं ना!
मैं हंस कर बोला- देखो भाभी, भैया नहीं है, तो कुछ और न कर लेना!
भाभी- क्यों मैंने कुछ और किया तो साथ नहीं दोगे क्या?
ये सुनकर मुझे डर भी लग रहा था और मौका भी सामने दिख रहा था ।
मैं बोला- चलो आप खुद बता दीजिए कि मुझे साथ देना चाहिए या नहीं?
वो बोलीं- आपकी जगह मैं होती, तो बिल्कुल साथ देती ।
मैं बोला- ओके, तो वही समझ लीजिए कि मैं भी आपका साथ देने को राजी हूँ।
वो बोलीं- तो क्या मैं पक्का समझूं? मैं बोला- जो आपको सही लगे, मुझको कोई प्रॉब्लम नहीं है ।
वो बोलीं- तो ठीक है आज रात को बच्चों के सोने के बाद मिलती हूँ मैंने कहा- ठीक है ।
ये बोल कर मैं बाहर आ गया ।
बाहर आकर मैं बस वही सोच रहा था कि क्या सही है … क्या गलत. अगर सही है तो फिर कैसे करना है, यही सोच कर मैं दो बार मुठ मार चुका था ।
फिर शाम को खाना खाने के बाद मैं कमरे का दरवाजा खुला छोड़ कर अपने बिस्तर पर चला गया ।
भाभी का कमरा बाजू में था. उनके बच्चे सो नहीं रहे थे, उन्हें सुलाने के लिए भाभी की आवाज आ रही थी ।
कुछ देर बाद मेरी नींद लग गई ।
ग्यारह बजे के आस-पास भाभी मेरे पास आईं ।
उनके आने की आहट मिली और साथ ही उनकी आवाज भी आई- क्या हुआ? सो गए लाला?
मैंने भाभी की आवाज सुनी तो हाथ बढ़ा कर लाईट का बटन ऑन कर दिया ।
आह गजब का नजारा था ।
वो उस समय केवल पैंटी और ब्रा में थीं ।
मेरी आंख से आंख मिलते ही वो मेरे पास आ गईं और मेरे ऊपर टूट पड़ीं ।
मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर चूसने लगीं ।
चूसते चूसते ही भाभी ने मुझे नंगा कर दिया और खुद भी नंगी हो गईं ।
वे मेरा हाथ अपने मम्मों पर रखवा कर खूब दबवाने लगीं और खुद मेरा लौड़ा हिलाने लगीं ।
मेरी आवाजें निकलने लगीं- आ हम्म्म आह … भाभी ।
उसी समय भाभी ने मेरा पूरा लौड़ा अपने मुँह में भर लिया और मस्ती से चूसने लगीं ।
वो बोलीं- इतना बड़ा लौड़ा तो तुम्हारे भैया का भी नहीं है. जब से तुम्हारे लौड़े को देखा है, तब से बुर से पानी अपने आप निकल रहा है ।
दो बार उंगली भी कर चुकी हूं. आज मुझे अपने मोटे लौड़े से चोद दो … मेरी चूत का पानी निकाल दो देवर जी. मैं रात दिन लौड़े के लिए तरसती हूं … आह्ह सच में क्या मस्त लौड़ा है आपका!
मैं- आह भाभी … कितना मस्त चूस रही हो … आह मैं झड़ जाऊंगा ।
भाभी- कोई बात नहीं देवर जी … आज मुझे पिला दो अपना रस … आह … अपने लंड ला रस पिलाकर मुझे अपनी रखैल बना लो देवर जी … आह हम्म म्म्मआ ह्ह्ह्ह.
मैं- अह्ह लो … मेरी जान पी लो लंड का रस आह!
उनका सर पकड़ कर मैंने अपना पूरा लौड़ा उनके गले में उतार दिया और झड़ गया भाभी ने लंड चाट कर साफ़ कर दिया ।
तब भाभी बोली- मेरे राजा तुम नहीं चूसोगे मेरी चूत को? मैं- क्यों नहीं भाभी ।
इतना बोला नहीं कि भाभी ने मुझे धक्का दे कर लिटा दिया और मेरे मुँह पर अपनी चूत रख दी.
मैं उनकी चूत के नीचे दब गया था वो मेरे मुँह पर अपनी चूत रगड़ने लगीं ।
मेरा दम घुटने लगा था लेकिन जब तक भाभी झड़ नहीं गईं, तब तक चूत रगड़ती रहीं ।
कुछ मिनट बाद भाभी झड़ कर ‘अअह्ह हम्मम …’ करने लगीं और मेरे सीने पर गिर गईं ।
मैंने पहली बार किसी की चूत का पानी मुँह में लिया था मुझे बहुत अच्छा लगा।
भाभी की चूत चूसने से नमकीन सा रस मेरे मुँह में आया, उसे चाट कर बहुत मजा आया।
फिर भाभी ने तुरंत ही अपने बूब्स मेरे मुँह में दे दिए ।
जैसे ही मैंने एक दूध अपने मुँह में लिया और निप्पल को खींच कर चूसा, उसमें से दूध निकल रहा था ।
मैंने कहा- अरे भाभी, इसमें से तो दूध आ रहा है।
वो बोलीं- अब भाभी बोलना बंद करो … अपनी रंडी बोलो, रखैल बोलो अब रंडी की तरह जब मन करे तब मुझे चोदो मेरे दूध इसलिए आ रहा है क्योंकि मेरा बेबी अभी डेढ़ साल का ही हुआ है।
फिर वो मेरे नीचे को सरक गईं और मेरे लंड पर बैठ कर आगे पीछे होने लगीं ।
भाभी अपनी गांड को लंड पर चलाने लगी थीं उन्होंने बहुत अच्छी तरह से अपनी चूत में मेरे लौड़े को घिसा और उसे कड़क कर दिया ।
अब वो लंड पर अपनी चूत फंस कर रगड़ने लगी थीं। कड़क लंड ने अपना सुपारा चूत में घुसा दिया था और एक तेज आह के साथ भाभी ने लंड चूत में खा लिया था।
मुझे भी ऐसा लगा कि लंड को किसी भट्टी में पेल दिया गया हो।
कुछ ही देर में मस्ती चढ़ने लगी और चुदाई के साथ साथ ‘अह्ह ह उह्ह्ह हम्मम …’ की आवाजें कमरे में गूंजने लगीं।
फिर जब वो झड़ने वाली हुईं तो खुद नीचे हो गईं।
अब मैंने उनका एक पैर अपने कंधे पर रखा और दूसरे पैर को कुछ इस तरह से सैट किया कि उनकी चूत का मुँह एक विशेष अंदाज में खिल उठा । मैंने भाभी की चूत में लौड़ा डाल दिया और चोदने लगा।
‘आह उह हम्मम अह्ह्ह उह्ह अअह ह्ह्ह उह्ह्म्म्म …’ करती हुई भाभी झड़ गईं.
मैं अभी नहीं झड़ा था।
मैंने उनके दोनों पैरों को अपने दोनों कंधों पर रख लिया और पूरा लौड़ा चूत की जड़ तक पेलने लगा।
लंड की ठोकर भाभी की बच्चेदानी तक लगने लगी । इससे भाभी फिर से गर्म हो गईं और मादक आवाजें निकालने लगीं।
वो ‘अअहह उह …’ करके चिल्लाती हुई कहने लगीं- नहीं, अब नहीं … आह बहुत मोटा है … बस करो आह उह्ह
मैं ताबड़तोड़ पेलने में लगा रहा, अपनी पूरी जी जान लगा कर भाभी को चोदता रहा । फिर कुछ मिनट बाद मैं भी झड़ गया ।
भाभी मेरे साथ एकदम से चिपक गईं और कुछ देर बाद वो मेरे कमरे से निकल कर अपने बच्चों के साथ जाकर सो गईं ।