हाय, मेरा नाम सुमित है। मैं 27 साल का हूँ आपके सामने बहुत ही ख़ास सेक्स कहानी को पेश कर रहा हूँ हुआ यूं कि घर में सिर्फ़ मम्मी और मैं थे। सुबह पापा भी ओफ़िस चले गये।
मम्मी कामवाली के साथ काम करने लगी और मैं अपने कमरे मैं स्टडी करने चला गया। दोपहर करीब एक बजे कामवाली चली गयी। मैं स्टडी कर रहा था के मुझे मम्मी की आवाज़ आयी।
मैं कमरे के बाहर गया तो देखा कि मम्मी फ़र्श पर गिरी पड़ी थी। मैंने फ़ौरन जाकर मम्मी को उठाया और पूछा- क्या हुआ? मम्मी बोली “फ़र्श पर पानी पड़ा था, मैंने देखा नहीं और गिर गयी!” मैंने कहा-“चोट तो नहीं लगी?” “हल्दी वाला दूध पी लो!”
मम्मी बोली-“नहीं, उसकी ज़रूरत नहीं। बस टांग में दर्द हो रहा है, लगता है नस पे नस चढ़ गयी है!” मुझसे चला नहीं जा रहा, मुझे बस मेरे कमरे तक छोड़ आ!”
मैंने कहा – “आराम से लेट जाओ और अब कोई काम करने की ज़रूरत नहीं है।”
मम्मी – “हाय रे, टांग हिलाई भी नहीं जा रही।
मैं – “मैं कुछ देर दबा दूं क्या?”
मम्मी- “दबा दे।”
मैंने टांग दबानी शुरू की। मैं पूरी टांग दबा रहा था, पैर से लेकर जांघ तक!“कुछ आराम मिल रहा है?”
मम्मी – “हाँ”
मैं – “मेरे ख्याल से तो आप थोड़ा तेल लगा लो, जल्दी आराम मिल जायेगा।”
मम्मी – “कौन सा तेल लगाऊँ?”
मैं – “वो ही, जो बोडी ओयल मेरे पास है।”
मम्मी – “चल ले आ”
मैं अपने कमरे से जाकर तेल ले आया। मम्मी ने अपनी सलवार ऊपर उठा ली लेकिन वो घुटने से ऊपर नहीं उठ पायी। मैंने कहा “अगर आपको ऐतराज़ न हो तो मैं ही लगा दूं?”
इतने में फोन की बेल बजी। फोन पे पापा ने कहा कि वो आज खाना खाने नहीं आयेंगे।
मम्मी – “किसका फोन था?”
मैं – “पापा का था कि वो खाना खाने नहीं आ रहे!”
मम्मी – “अच्छा!”
मैं – “तेल लगा दूं?”
मम्मी – “लगा दे!”
फिर मैंने मम्मी के पैर से लेकर घुटने तक तेल लगाना शुरू कर दिया कुछ देर बाद मम्मी बोली “पर दर्द तो मेरे घुटने के ऊपर हो रहा है।”
मैं – “एक काम करते हैं। आप टांग के ऊपर कम्बल कर लो, मैं कम्बल के अन्दर हाथ डाल के आपके जांघ की मालिश कर दूंगा।”
मम्मी – “मैं खुद ही कर लूंगी।”
मैं – “मैं एक बार कर देता हूं आपको आराम जल्दी मिल जायेगा।”
मम्मी -“अलमारी से कम्बल निकाल के मेरे ऊपर कर दे।”
मैंने मम्मी के ऊपर कम्बल कर दिया। फिर मैंने कम्बल के अन्दर हाथ डाल के मम्मी की सलवार का नाड़ा खोला और सलवार घुटनों के नीचे सरका दी, मम्मी ने अपनी आंखें बंद कर ली। मैंने मम्मी की जांघ पर तेल लगाना शुरु किया। “ऊऊओह…” मम्मी की जांघ का अनुभव बहुत ही मादक था।
मैं – मम्मी कहाँ तक लगाऊँ तेल?
मम्मी – बेटे थोड़ा तेल जांघ पर!
मैंने मम्मी की जांघ पर अंदर की तरफ़ तेल लगाना शुरु किया तब मम्मी ने अपनी टांगें थोड़ी फ़ैला ली। मैं तेल मलते हुए कभी कभी अपना हाथ मम्मी की पेंटी और चूत के पास फेरता रहा। मैं कम्बल में खिसक गया और मम्मी की टांगें अपनी कमर की साइड पे रख के तेल लगाता रहा।
मैं – मम्मी, अगर आप उलटी लेट जाओ तो मैं पीछे से भी तेल लगा दूंगा।
मम्मी – अच्छा
मैं – मम्मी सलवार का कोई काम नहीं है, इसे उतार दो!
मम्मी – नहीं, खोल के घुटनों तक सरका दे।
मैं – अच्छा।
फिर मम्मी पेट के बल लेट गयी, अब मैं मम्मी की दोनों टांगों के बीच में बैठा हुआ था- मम्मी कुछ आराम मिल रहा है? हम्म!
मैं – मम्मी एक बात बोलूं? आपकी जांघें सोफ़्टी की तरह मुलायम हैं.” मम्मी इस पर कुछ नहीं बोली।
मैंने तेल मम्मी की हिप्स पर लगाना शुरु कर दिया- मम्मी आपकी हिप्स को छू के…
मम्मी – छू के क्या?
मैं – कुछ नहीं!
मम्मी – बता न छू के क्या?
मैं – आपके हिप्स को छू के दिल करता है कि इन्हें छूता और मसलता जाऊँ।
मैं – आपकी जांघें और हिप्स बहुत चिकनी हैं। तेल से भी ज़्यादा चिकनी। मम्मी क्या आपकी कमर भी इतनी ही चिकनी है?
मम्मी – तुझे नहीं पता? खुद ही देख ले!
मैं – मम्मी आप पहले के जैसे पीठ के बल लेट जाओ!” फिर मैं मम्मी के पेट और कमर पर हाथ फेरने लगा।
मम्मी – बेटे अब मैं बहुत मोटी होती जा रही हूं, है न?
मम्मी – नहीं मम्मी, आप पहले से ज्यादा सेक्सी लगने लगी हो?
मम्मी – क्या लगने लगी हूं?” मैं – “सेक्सी।
मम्मी – बेटे सेक्सी का क्या मतलब होता है?”
मैं – सेक्सी का मतलब होता है कामुक!” “सच्ची, मैं तुझे कामुक लगती हूं?” “हाँ, मम्मी मैंने आज तक इतनी चिकनी हिप्स नहीं देखी… क्या मैं आपकी हिप्स पे किस कर सकता हूं?
मम्मी – क्या?
मैं – प्लीज़ मम्मी, बस एक बार!
मम्मी – पर किसी को बताना मत!
मैं – बिल्कुल नहीं बताऊँगा!
मैं मम्मी की हिप्स पे किस करने लगा और जीभ से चाटने भी लगा।
मम्मी – बेटे कम्बल निकाल दे।” मैंने कम्बल निकाल दिया।
मैं – मम्मी आपकी हिप्स के सामने तो अमूल बटर भी बेकार है।
मम्मी – अच्छा।
मैं – “मम्मी मैं एक बार आपकी नाभि पे किस करना चाहता हूं।
नहीं, तूने हिप्स पे कहा था और वो मैंने करने दिया और तूने तो उसे चाटा भी है, अब और नहीं।
मम्मी – प्लीज़ मम्मी, जब हिप्स पे कर लिया तो नाभि से क्या फ़र्क पड़ता है?” “तो आखिर करना क्या चाहता है?
मैं तो आपकी जांघों को भी चूमना चाहता हूं, आपकी जांघों की शेप किसी को भी ललचा सकती है, आपकी कच्छी (पेंटी) आपकी कमर पे इतनी अच्छी तरह फ़िट हो रही है कि मैं बता नहीं सकता, आपकी जांघें देख कर तो मेरे मुँह में पानी आ रहा है, क्या मैं आपकी जांघों पे भी किस कर सकता हूं?”
मम्मी – “पता नहीं तूने मुझ में ऐसा क्या देख लिया है, हम दोनों जो भी करेंगे सिर्फ़ आज करेंगे और आज के बाद कभी इसको डिस्कस भी नहीं करेंगे, प्रोमिस?”
मैं- “प्रोमिस… मम्मी मैं आपकी सलवार निकाल दूं?”
मम्मी – “हम्मम्मम… निकाल दे!”
अब मम्मी बिना सलवार के थी। फिर मैं मम्मी की नाभि को चाटने लगा। मम्मी ने अपनी आंखें बंद कर ली। फिर मैं मम्मी की जांघों को दबाने, चूमने और चाटने लगा।फिर मैंने एक चुम्मा पेंटी के ऊपर से ही मम्मी की चूत का लिया।
मम्मी – अह्हह, बेटा… ऊउस्स शहह्हह… यह क्या… अच्छा लग रहा है!
मैं- मम्मी मैं आपकी चूत चखना चाहता हूं।
मम्मी – क्या चखना चाहता है?
मैं- चूत
“चूत क्या होती है?” चूम के बताऊँ?
मम्मी – बता
मैंने फिर से पेंटी के ऊपर से मम्मी की चूत को चूमा।
मम्मी ने कहा “आआहह्हह…ईईएस्स…बेटा मेरी चूत को थोड़ा और चूम कच्छी के ऊपर से ही? अब कच्छी निकाल दे।
मम्मी के इतना कहने की देर थी कि मैंने कच्छी निकाल दी और मम्मी की चूत को चाटना शुरु कर दिया।
मम्मी सिसकने लगी- ईईएस्स शहह्ह… आआहह… बेटा बहुत आनन्द आ रहा है। मेरी चूत पे तेरी जीभ का स्पर्श कमाल का मजा दे रहा है।
मैं कुछ देर तक मम्मी की चूत चाटता रहा। इतने सब होने के बाद तो मेरा लौड़ा भी तैयार था मम्मी, अब मेरा लौड़ा बेचैन हो रहा है।
मम्मी – लौड़ा क्या होता है?
मैंने पैंट उतार कर अपना लौड़ा मम्मी के सामने रख दिया और बोला- मम्मी इसे कहते हैं लौड़ा!
मम्मी – हाय तू इतना गंदा कब से बन गया कि अपना यह… क्या नाम बताया तूने इसका?” लौड़ा! अपना लौड़ा अपनी ही माँ के सामने रख दे।
मैं- माँ मेरा लौड़ा मेरी माँ की चूत के लिये मचल रहा है।
मम्मी – लेकिन बेटे माँ की चूत में उसके अपने बेटे का लौड़ा नहीं घुस सकता।
मैं- लेकिन क्यों माँ?
मम्मी – क्योंकि यह पाप है।
मैं- माँ तू क्या है?
मम्मी – मैं तेरी मा हूं।
मैं- मेरी माँ होने से पहले तू क्या है?
मम्मी – एक औरत।
मैं- बस, सबसे पहले तू एक औरत है और मैं एक मर्द, और एक मर्द का लौड़ा औरत की चूत में नहीं घुसेगा तो कहाँ घुसेगा? जब मैंने तेरी चूत तक चाट ली तो क्या तुझे चोद नहीं सकता?”
मम्मी – तू मेरी चूत चाहे कितनी ही चाट ले, मुझे चटवाने में ही मजा आ रहा है।
मैं- माँ चुदाई में जो आनन्द है वो और किसी चीज़ में नहीं।
मम्मी – तू जानता नहीं मेरी चूत इस वक्त लौड़े की भूखी है। पर कहीं बच्चा न हो जाये?
मैं- नहीं माँ, मैं अपना माल तेरी चूत में नहीं गिराऊँगा।
मम्मी – तो अपनी माँ की बेकरार चूत को ठंडा कर दे न, बेटे मेरी चूत की आग बुझा दे न।
फिर माँ मेरे लौड़े पर बैठ गयी और मैंने धक्के मारने शुरु कर दिये।
मैं- माँ तेरी चूत तो टाइट है!” “ऊऊओहह्हह… अपने बेटे के लिये ही रखी है।
मम्मी – हाँ…माँ की चूत बेटे के काम नहीं आयेगी तो किसके काम आयेगी ऊऊओ… मेरा प्यारा बेटा… मेरा अच्छा बेटा… और ज़ोर लगा।
फिर मैं और मम्मी चुदाई के साथ फ़्रेंच किस भी करते रहे। “ऊऊ माँ मेरा माल निकलने वाला है।
मैंने कहा – करूं अपने लौड़े को तेरी चूत से अलग?
मम्मी – नहीं…नहीं, चोदता रह तेरे लौड़े में मेरी चूत की जान है।
अब मैंने अपना लण्ड माँ के मुँह में दे दिया वो उसे भी मज़े से चूसे जा रही थी।
कुछ देर बाद वो बोली- चल आ जा! और चोद मुझे! और मैंने इशारा पा कर उसकी चूत में अपना लण्ड फंसा दिया।
वो बोल रही थी- धीरे! आह्ह्ह्ह्ह्! अव्वो! आराम से! कुछ देर बाद वो छूटने वाली थी और मैं भी।
मैंने अपना पानी उसके बुर के उपर डाल दिया. फिर उसके ऊपर ही निढाल हो कर गिर गया- आआ आआ आ आ आअ।
सुबह हुई तो मेरे सामने मेरी माँ मुस्कराते हुए कहने लगी- कैसी कटी रात? अब जब भी हमें मौका मिलता है तो मैं उसे चोदता हूँ।