कार में वो प्यार भरे पल -2

कार में प्यार भरे कुछ पल अंशुल के साथ बिताने के बाद मैं और अंशुल हम कुछ दिन बाद एक पार्क में फिर से मिले।

उसने मुझसे कार में प्यार भरे पल वाली पहली मुलाक़ात कैसी लगी? उसके बारे में पूछा।

मैने कहा मेरे लिए वो एक प्यार भरा एहसास था जिसे में कभी भुला नहीं सकती और उसे शब्दों में बयां करना मेरे लिए मुश्किल था इसलिए मैने उसके कहते ही हाँ अच्छी थी के उत्तर में अपनी गर्दन झुका दी।

फिर मैने उससे पूछा की उसे कैसा लगा? तो उसने कहा की मुझे भी बहुत अच्छा लगा। उस समय उसके कहते ही मैं सोचने लगी की उसके लिए भी यह पहला एहसास था शायद।

उसके बाद उसने मुझसे कहा की मैं तुम्हारे और करीब आना चाहता हूँ। तुम्हारा साथ मुझे बहुत अच्छा लगता हैं क्या तुम भी यही चाहती हो? तो में यह सुनकर थोड़ा शर्मायी पर उस दिन के बाद में भी उसके साथ सहज महसूस करने लगी थी तो मैने कहा है मुझे भी तुम्हारा साथ अच्छा लगता है।

फिर उसने कहा क्या तुम्हे उस रात नींद नहीं आयी अब मैं उस वक़्त उससे क्या कहती की मेरे लिए वो पहली मुलाक़ात की वो रात कैसे कटी मैं करवट बदल बदल कर उसके बारे मैं ही सोच रही थी।

जो उस दिन मेरे साथ हुआ था लेकिन आज मौका था मेरे पास उससे यह कहने का की उस दिन मेरी जी भर प्यार पाने की ख्वाहिश को वो आज पूरा कर दे लेकिन उससे यह सब कह नहीं पायी क्योंकि मुझे यह सब कहने में शर्म महसूस हो रही थी में चाहती थी की वो ही कह दे की आज फिर से मुझे वो अपने प्यार में रंग के लिए तैयार हैं।

उसके बाद में उससे मिलकर अपने घर चली आई। मैं घर आकर रात में सोचने लगी की उससे मिलने से पहले मेरी जिंदगी में जो खालीपन था वो भर गया था जिसे आज तक मैंने किसी को महसूस होने नहीं दिया था।

मैं बाहर से खुश होने का दिखावा करती लेकिन अंदर से खुश नहीं थी बस अपनी जिंदगी बिताये जा रही थी। मैं स्वाभाव से बहुत ही चंचल हूँ इसलिए अपने परिवार में सबकी चहेती रही हूँ।

हर कोई मुझसे अपने मन की बात कह देता हैं। मुझे उससे बात करना अच्छा लग रहा था मुझे भी उसके बारे में यह अंदाजा होने लगा था की वह भी मुझको पसंद करने लगा हैं और मुझे प्यार भी करने लगा हैं।

मैं मन ही मन यह सोचकर खुश होने लगी मुझे लगने लगा था की यह लड़का मेरी परवाह करता हैं। मेरी ख़ुशी के लिए कुछ भी कर सकता हैं। उसके मन में मेरे प्यार के लिए जूनून था।

जब उसने मुझे प्रोपोज़ किया था। मैं अकेले में भी अपने आप ही मुस्कुरा रही थी मैं अपने आप में बदलाव महसूस करने लगी थी की मुझे कुछ तो हुआ हैं।

उससे बाते करके बहुत अच्छा लगता था न जाने क्यों मेरा दिल उसके लिए धड़कने लगा था। मुझे भी अपनी जिंदगी में प्यार चाहिए था उसके बाद में उसके बारे में सोचकर नींद के आगोश में सो गई।

अगली सुबह मैं कॉलेज जल्दी पहुँच गई थी उसके बाद वो भी कॉलेज आने के बाद मुझसे मिला और हम एक क्लासरूम में आकर बैठ गए जो खाली था।

हम दोनों के अलावा क्लास में कोई और नहीं था। उसने मुझसे पूछा की क्या मैं तुम्हारा हाथ पकड़ सकता हूँ। उसकी आँखों में मैने सच्चाई देखी मैं उस समय उसको मना नहीं कर पायी और मैने हाँ कर दी।

उसके बाद उसने मेरे हाथों को प्यार से पकड़कर मुझसे कहा तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। मैं तुम्हे पसंद करने लगा हूँ, तुमसे प्यार करने लगा हूँ। मैं जिंदगी भर तुम्हारा बनकर तुम्हारे साथ रहना चाहता हूँ।

उसकी बातों मैं इतनी सच्चाई और ईमानदारी थी की मैं उसे मना नहीं कर पायी और मैने हाँ कर दी। कुछ देर बाद क्लासरूम में मेरी सहेली शिखा मुझे बुलाने आ गई थी।

उसके बाद अंशुल ने मुझसे शाम को मिलने के लिए कहा और में उससे मिलने के लिए तैयार हो गई उसने कहा कहाँ मिलना हैं मैंने मेरी सहेली शिखा को सब कुछ उसके बारे में बता रखा था

उसने कहा मैं तुम दोनों को मिलवाने में मदद करुँगी उसके बाद में उससे अपनी सहेली के रूम पर मिली जो की हॉस्टल का था रात को हम वही रुके।

उसने रूम के अंदर आकर मुझे अपने पास बिठाया और मुझे बड़े प्यार से बिना पलकें झपकाए वो मुझे देखे जा रहा था।

में गुलाबी रंग के कुर्ते में जो मेरा पसंद का था और वो भी अपना पसंदीदा शर्ट पहनकर आया उसकी आखों में मेरे लिए एक अलग ही प्यार था उस शाम।

तभी अचनाक उसने आगे बढ़कर उसने मुझे अपनी बाहों में लेना चाहा। मेरे गुलाबी और नरम होठों पर अपने होंठ रख दिए उसकी छुअन ने मेरे तन बदन में एक गजब सा एहसास और गर्मी भर दी थी।

में भी उसकी बाहों में पिघलने लगी थी लेकिन मुझे अंदर से एहसास हुआ की में ये क्या कर रही हूँ शायद में भी उस जवानी के जोश में ऐसा करना चाहती थी।

उसने मुझे फिर से प्यार भरी नज़रों से देखा मैने भी उसे इसी अंदाज़ में देखा उसने उसके बाद मेरे स्तनों को उस दिन की तरह बहुत प्यार से सहलाया और फिर धीरे धीरे दबाने लगा। मुझे
भी उसके साथ मज़ा आने लगा था

जैसे मेरी साँसे ही रूक गई हो मैं मौन हो गई थी और उसके प्यार में जैसे खो ही गई थी जैसे अक्सर खो जाती हूँ।

मैं जिस प्यार के लिए महीनो से तड़प रही थी यह मैंने सपने में भी नहीं सोचा था की इतनी जल्दी यह सच हो जायेगा।

यह जो हो रहा था मेरे साथ उस समय में अपने आपको रोक नहीं पायी और मेरी आँखे धीरे धीरे बंद होने लगी थी।

लेकिन मुझे थोड़ा डर लग रहा था की उस समय में खुद को कैसे संभल पाऊँगी उस दिन के बाद मैने उसका स्पर्श महसूस किया था तो मेरे बदन में सिहरन होने लगी।

उसने मेरी जांघो को छूना शुरू किया अब मैं धीरे धीरे गर्म होने लगी थी मैने उसके हाथ पर हाथ रखा उसके बाद वह फिर से मेरी जांघ को सहलाने लग गया।

उसने मेरी कमर पर अपने हाथ रख दिए मुझे फिर से चूमने लगा मैं भी उसकी पीठ को अपने हाथो से सहलाने लगी उसे भी बहुत अच्छा लगने लगा था।

उसने फिर से मेरे होठों को अपने होठों से मिलाया फिर उसने अपनी उंगली मेरे होठों पर रख दी अब मुझे भी नशा हो चला था मैं उसके सिर को प्यार से सहलाने लगी।

अब उसे भी आराम महसूस हो रहा था उसने अपना लिंग मेरी तरफ आगे बढ़ाया मैं घबरा
रही थी फिर मैंने उसके लिंग को छुआ उसे भी बहुत अच्छा लगा लेकिन उसने मेरे साथ जबरदस्ती नहीं की।

मेरी पैंटी के ऊपर से ही वो मेरी योनि को सहलाने लगा मुझसे रहा नहीं गया मैने उसके हाथ को पकड़ लिया काफी समय तक हम एक दूसरे को ऐसे ही चूमते रहे।

उसके दोनों हाथ मेरी योनि पर थे और वो मेरी योनि को अच्छे से सहलाकर मुझे खुश कर रहा था अब मैं फिर से मदहोश होने लगी थी।

मैने उससे कहा की थोड़ा धीरे धीरे करो लेकिन कही न कही उसको भी डर लग रहा था और वह भी मन ही मन घबरा रहा था।

कुछ देर वो मेरे ऊपर ऐसे ही रहा अब मैं उसके होठों को प्यार से चूमने लगी। अब हम दोनों को बहुत मज़ा आ रहा था शायद यह उसके लिए भी पहली मुलाक़ात का पहला और ख़ास एहसास था तो दोस्तों ये थी कार में वो प्यार भरे पलों से शुरू हुई मेरी पहली मुलाक़ात की कहानी।

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