दोस्तो, मैं आपकी प्यारी चुदक्कड़ मनीषा एक बार फिर अपनी चूत की दास्तान लेकर प्रस्तुत हुई है।
चुदाई के कई दौर होने के बाद कुछ देर आराम करने के बाद बारिश रुक चुकी थी। मैंने भी घर जाने की इच्छा जाहिर की।
साहिल और मैंने अपने नंगे बदन को फिर से अपने कपड़ों से ढका और साहिल ने गाड़ी निकली और मैंने अपनी गाण्ड उठा कर गाड़ी की सीट पर बैठ गई, फिर उसने मुझे हॉस्टल छोड़ दिया।
मैं कमरे में आई कपड़े उतारे और नहाने चली गई। चुदाई के बाद नहाने में बड़ा मज़ा आता है और चुदाई की थकान भी मिट जाती है इसलिए नहाना तो था ही।
मैं नहाई, कपड़े पहन कर कमरे में लेट गई और नौकरी के बारे में सोचने लगी।
थोड़ी देर बाद जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने साहिल को फ़ोन कर ही दिया और फिर घुमा फिरा कर नौकरी के बारे में पूछने लगी।
मैंने साहिल को मनाया कि वो अपने बॉस को मनाये कि मुझे जॉब दे दे पर जब मुझे एहसास हुआ कि यह उसको हाथ में नहीं तो मैंने सोचा कि उस कम्पनी में जो बॉस है, उसे कैसे उसे पटाऊँ कि मुझे जॉब मिल जाये।
अब क्यूंकि कम्पनी का का एचआर मेरा दोस्त बन गया था इसलिए मैं किसी से भी मिलने की सेटिंग तो कर ही सकती थी।
मैंने साहिल को किसी तरह बॉस को मुझसे मिलाने के लिए कहा।
उसने ने भी अपने बॉस से मेरे बारे में साफ़ साफ़ बात की कि मुझे जॉब चाहिए और उसके लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ, कुछ भी… उसका मतलब था कि मैं उनसे चुद भी सकती हूँ पर जॉब गारंटी मुझे ही मिलनी चाहिये।
उसके बॉस ने भी मौका पाकर अपना फायदा उठाने में ज़रा भी देरी नहीं की और साहिल से बोला- रविवार को मेरी बीवी बाहर जा रही है तब मिल कर बात करते हैं।
रविवार को एक कैफे में में मिलने का प्लान फिक्स हुआ, मैं शाम को कैफ़े आई तो बॉस मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे।
साहिल ने मुझे अपने बॉस से मिलाया और फिर हम लोग इधर उधर की बातें करने लगे और साथ ही साथ हुक्के का भी लुत्फ़ उठाने लगे।
साहिल काम का बहाना बना कर वहाँ से खिसक गया। मुझे तो सब समझ आ गया था कि इसका बॉस सच में बहुत चुदक्कड़ है, सब कुछ पहले से प्लान करके रखा था साले ने।
मैं भी उसके और करीब जाकर बैठ गई और जॉब की बातें करने लगी। बातों बातों में मैंने अपना हाथ उसकी जांघों पर रख दिया और उसकी आँखों में आखें डाल के जॉब की जुगाड़ की बात करने लगी।
अब बॉस का भी खड़ा होने लगा था इसलिए उसने फट से बिल दिया, कहा- कहीं बाहर चलकर बात करते हैं।
उसने अपनी कार निकली, हम उसके घर की तरफ जाने लगे। मुझे लेकर वो घर ही आ गए और हम दोनों अब घर में प्रवेश कर गए।
काफी आलीशान सा घर बना था।
मैं सोफे पर जाकर बैठ गई और बॉस फ्रिज से पानी की बोतल निकल कर ले आए और मुझे पूछने लगे।
मैंने हाथ बढ़ा कर पानी की बोतल उनसे ले ली और पानी पीने लगी। मैंने पानी की बोतल नीचे रखी और बॉस को समझाने लगी कि मेरी लिए जॉब करना कितना जरूरी है।
बॉस ने भी मेरी जांघों को सहला कर अपनी भावनाओं को हाथों से व्यक्त किया और फिर मेरे बदन से बदन चिपककर बगल में अपनी गांड टिका दी।
बातों बातों में मौका पाकर उसने मुझे चूम लिया। मैं एकदम से घबरा गई पर अचानक से ली गई चुम्मी का भी अपना मज़ा है और फिर मेरा मकसद साफ़ था।
फिर हमारी चूमा-चाटी का दौर चलने लगा और धीरे धीरे बॉस ने मुझे आराम से चूमने का सिलसिला चालू किया और मुझे अपनी गोद भी बिठा कर मेरे होठों का रसपान करने लगा, धीरे से अपना हाथ उसने मेरे मम्मे पर रख दिया।
मैंने हाथ वहीं पकड़ के नीचे कर दिया। पर चूमना चालू रखा और दो मिनट बाद फिर से मम्मा ज़ोर ज़ोर से दबा दिया।
मैंने फिर से मेरा हाथ हटाने की कोशिश की पर इस बार मेरी एक न चल पाई।
मैंने हार मान कर सिसकारियाँ भरी आहटों के साथ मज़ा लेना शुरू कर दिया। फिर उसने मेरे टॉप के अन्दर हाथ डाल कर ब्रा का हुक खोल दिया और फिर तो जैसे मेरे मम्मों को भी खुला आसमां नज़र आने लगा और वो खुल कर लटक गए, एकदम गोरे गोरे माखन जैसे मम्मे देख कर बॉस पागलों की तरह मेरे टॉप के ऊपर से ही मम्मों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
मेरे मुँह से अआह आआह्ह की आवाजें निकलने लगी, निप्पल चुस चुस कर लाल होने लगे।
अब बॉस कभी मम्मों को दबाते, कभी मेरे चूतड़ सहलाते, मेरी साँसें तेज़ होने लगी।
बॉस ने अब मेरी सलवार के ऊपर से चूत के ऊपर हाथ फिराया और धीरे से सलवार का नाडा खोल के अन्दर चिकनी चूत पर उंगली फेरने लगे।
मेरी चूत गुलाब की पंखुड़ियों की तरह एकदम से साफ़ और मखमली थी। कुछ ही देर में बॉस में मुझे निर्वस्त्र कर कपड़ों का चीर हरण कर उसको मेरे अंग से अलग कर के एक कोने में फेंक दिया।
बॉस ने मुझे अपनी गोद में उठाया और अपने बैडरूम में ले आये। बॉस ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे बगल में आकर लेट गए।
मैंने पूरी तरह नंगी थी और बॉस ने पूरे कपड़े पहने थे, बड़ी नाइंसाफी थी, यह तो मैं भला ऐसा कैसे होने देती।
मैंने अपना हाथ बॉस की जींस के ऊपर रख दिया और लौड़े को सहलाने लगी, मैंने धीरे धीरे हाथ फेरना शुरू किया, मैंने मौका देख कर जिप खोल लिया और बॉस के हृष्ट पुष्ट लौड़े को बाहर निकाल कर उसके हाथ में ले दिया।
मैंने लौड़े को सर से पकड़ा और झट से लौड़े को अपने मुँह में डाल दिया।
मैंने धीरे धीरे सुपारे को चूसना शुरू किया और वो मेरे सर पे हाथ फेरने लगे !
दस मिनट लौड़े को चूसाने के बाद बॉस की वीर्य पतन के लिए तैयार हो गया था मैंने वीर्यरस मुँह के पास लाकर छोड़ दिया।
थोड़ी देर बाद बॉस का लण्ड धीरे धीरे खड़ा हो गया और अब हम दोनों नग्न अवस्था में लेटे हुए थे। बॉस ने फिर से मम्मों का रस पीना शुरू कर दिया, निप्पल चूस चूस कर लाल कर दिए।
अब बॉस मेरी चूत की तरफ आगे बढ़ने लगे और जाँघों पर चूमना और हाथ फिराना चालू किया। धीरे से बॉस अपना लंड हाथ से पकड़ के उसके बाद अन्दर डालने की कोशिश करने लगे।
मैं भी अब तड़प रही थी- उउह्ह्ह्ह आअह्ह्ह्ह्न उस्स…उह…
बॉस ने उसे जोर से दबाया और अपना बारूद भरा लंड एक बार में ही अन्दर डाल दिया।
मैं दर्द से सिहर उठी और मैंने अपने दोनों पैर बॉस की कमर पर जोर से जकड़ लिए। करीब 10 मिनट तक बॉस ने लगातार मुझे चोदा, फ़िर मेरी चूत में ही झड़ गए।
फ़िर कभी कभी मुझे किस करते रहे, थोड़ी देर बाद वो फिर से चुदाई के मूड आ गए, अपने लंड को मेरी चूत के अन्दर-बाहर करने लगे। अब मुझे अच्छा लगने लगा था लेकिन थोड़ा दर्द तो उसे अब भी हो रहा था।
फिर बॉस ने अपने धक्कों की गति बढ़ा दी और करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गई और बॉस को कस के पकड़ लिया। तक़रीबन 15 मिनट हम एक दूसरे के ऊपर ऐसे ही लेटे रहे। फिर चुदाई का वो खेल शुरू हुआ कि दो दिन हमने न जाने कितनी बार चुदाई की।
थोड़ी देर बाद वो फिर से चुदाई के मूड आ गए, अपने लंड को मेरी चूत के अन्दर-बाहर करने लगे। अब मुझे अच्छा लगने लगा था लेकिन थोड़ा दर्द तो उसे अब भी हो रहा था।
थोड़ी देर बाद बॉस ने मुझसे पूछा- तुम्हें देर तो नहीं हो रही?
उन्होंने कहा- तुम चाहो तो आज यहीं रुक सकती हो और कल सुबह मेरे साथ चलना, मैं तुम्हें जॉइनिंग लेटर दे दूँगा।
मैंने जैसे ही जॉइनिंग लेटर की बाद सुनी फिर काहे की देरी- अब तो मेरी चिंता खत्म हो गई, मैंने फट से कहा- जी नहीं, मैं रुक जाऊँगी आपसे साथ, वैसे मुझे भी आपके साथ चुदाई में मज़ा आने लगा है।
ये लफ़्ज़ सुन कर तो जैसे बॉस का लंड चुदाई के लिए फड़फड़ाने लगा और तन के खड़ा हो गया था।
मैंने बॉस से कहा- जो लोग धीरे धीरे सम्भोग का मज़ा लेते हैं, चरम सीमा पर जाकर चूत और लंड का मिलन करते हैं, मुझे ऐसे लोग बहुत पसंद है और आप बिल्कुल वैसे ही हैं।
मेरा इरादा साफ़ था, मुझे मज़ा करना था और बॉस को मज़ा देना था। मुझे अब यह भरोसा तो हो चुका था कि जॉब मिल गई, अब मेरी इच्छा यह थी लो कैसे बॉस को अपने बदन के मायाजाल पूरा फंसा लूँ जिससे कंपनी में मेरे सारे काम आसानी से हो जाएँ।
बॉस ने मुझे उल्टा लिटा दिया और मेरी गांड को सहलाते हुए मेरी पीठ चाटने लगा।
वातावरण बहुत गर्म हो चुका था, बॉस कभी गर्दन तो कभी पीठ को चाटना और चूमने लगते।
फिर बॉस ने मुझे झपट कर नीचे लिटाया और अपना मुँह रख लिया मेरी चूत पर, बॉस मेरी दोनों टाँगें अपने कंधे पर रख कर काफी देर तक चूत चाटता रहा और मैं सिसकारती रही- आअह ह्हह… आआह ह्ह… ऊऊह ह्ह…
मेरे मुँह से बहुत ही कामुक सी आवाज़ आने लगी- …आह !!!!! सर थोड़ा धीरे से !!
उन्होंने अपना लंड पकड़ा और एक झटके में मेरी चूत को फाड़ते हुए अंदर घुसा दिया।
लण्ड अन्दर तक डालने के बाद वो 2 मिनट रुका और अपने होंठों को मेरे होंठों से मिलकर चूसने लगा।
मैंने भी मजे लेते लेते हुए अपने कूल्हे नीचे से हिलाने शुरू कर दिए।
वो समझ गए कि मुझे मज़ा आने लगा है तो उन्होंने मेरी दोनों टांगें अपने कन्धों पर रख कर अपना लण्ड अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।
वो एक तरफ लगातार उसकी चूत में अपना लण्ड पेल रहा था, पूरा बाहर निकालता और एक झटके से उसकी चूत के अन्दर तक घुसा देता, मेरे मुँह से ‘सीईई…ईईई!! ओह आअह आआह्ह्ही…ईई !!’ जैसी आवाज़ आती।
फिर उन्होंने अपना लण्ड जो चूत पर लगा कर जोर से झटका मारा और पूरा अन्दर डाल दिया। मैंने अपनी गांड दबाकर नीचे से उछलना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर बाद बॉस झड़ झड़ गए लगभग 15 मिनट तक मेरे ऊपर लेटे रहे। थोड़ी देर बाद बॉस ने अपना हाफ निकर पहना और रसोई से खाना लेकर आए।
मैं बाथरूम गई और अपनी चूत को पानी और हाथ धोकर खाने के लिए आ गई। मैं जाकर बॉस के पास बैठ गई और कहा- आप ही खिला दो।
बॉस कभी खुद खाते तो कभी मुझे खिलाते। खाना खत्म हुआ और बॉस फिर से मेरे पास आकर बैठ गये। अब चुदाई तो काफी हो चुकी थी पर मुझे मज़ा नहीं आया क्यूंकि मेरी लंड की प्यास पूरी बुझी नहीं थी।
मैंने बॉस को बिस्तर पे लिटा दिया और 69 की पोजीशन में उनके ऊपर चढ़ के लेट गई और अब मज़े करने की बारी मेरी है।
बॉस जहाँ एक तरफ चूत चाटने में व्यस्त थे, वहीं मैं भी दोनों हाथों से पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से बॉस के तने हुए लंड को पकड़ कर हिला रही थी।
फिर जैसे ही बॉस का लंड चरम सीमा पर पहुंचने वाला था, मैंने लंड को हिलाना रोक दिया ताकि वीर्य का पतन न हो और लंड तना रहे।
थोड़ी देर बार मैंने लंड को फिर से हिलाना शुरू किया पर इस बार लंड को मुँह में लेने लगी और साथ ही साथ बॉस के लंड से टोपे को अपनी जीभ से सहलाने लगी और धीरे धीरे मैंने गति और बढ़ा दी।
और जैसे ही उनका वीर्य पतन होने वाला था मैंने लंड को मुँह से निकाल कर चेहरे पर मलने लगी और कुछ ही सेकंड में मेरा चेहरा वीर्य में लिपटा हुआ था।
कुछ देर बाद मैंने वह रखे टिश्यू पेपर से वीर्य को साफ़ किया, फिर लंड के सुपारे को चूमने और चूसने का लुत्फ़ उठाने लगी। फिर आकर बॉस के बगल में लेट गई।
मैंने बॉस से पूछा- आप मेरी गाण्ड नहीं मारेंगे?
बॉस आश्चर्य चकित होकर बोले- तुम्हें गांड मरवाना पसंद है?
मैंने खिलखिलाते हुए हाँ में जवाब दिया और पूछा- क्यों आपको नहीं पसंद?
तो बॉस बोले- यार, पसंद तो बहुत है पर मेरी साली बीवी को यह सब नहीं पसंद इसलिए अरसा बीत गया। मैंने कहा- अगर आपको नहीं करना तो कोई बात नहीं।
बॉस झट से बोले- अरे क्यों नहीं? नेकी और पूछ पूछ… मैं तो पूरी गांड मार सकता हूँ, सालों से इसका इंतज़ार था। पूरी कसर तुम पर ही निकालूंगा।
मैं भी बॉस की तरफ गांड घुमा कर लेट गई और चुदाई का न्योता देने लगी।
बॉस ने भी फुर्ती दिखाई। कुछ देर के बाद मैं मैं घोड़ी बन गई और बॉस ने मेरे चूतड़ों को सहलाते हुए धीरे से मेरे कान में कहा- अब मैं तेरी गाण्ड मारने वाला हूँ।
बॉस ने अपने हाथों में क्रीम लगा ली और मेरी गांड के छेद को दोनों उँगलियों से खींचकर दूसरे हाथ की एक उंगली अंदर डालने लगे। मुझे हल्की हल्की गुदगुदी होने लगी।
वो बार बार उंगली अंदर बाहर कर रहे थे जिस कारण कुछ क्रीम भी अन्दर तक चली गई।
धीरे धीर मुझे उंगली का अन्दर तक अहसास हुआ पर तब तक उनकी उंगली इतनी चिकनी हो गई थी कि गांड के अंदर आराम से सरकने लगी।
दर्द तो हो रहा था, हल्का सा पर चिकनाहट का भी कुछ कुछ असर था, मजा आने लगा था।
धीरे धीरे एक से दो उँगलियाँ मेरी गांड के मज़े लेने लगे थे।
तभी अचानक मुझे अपने गांड में लंड का एहसास हुआ, वो मेरे पीछे आये और अपना लंड मेरी गांड पर रखकर अन्दर सरकाने का प्रयास करने लगे।
लंड का टोप धीरे धीरे अन्दर जाने लगा, एक इंच से भी कुछ ज्यादा ही शायद उनका लंड मेरी गांड के अंदर चला गया था, मुझे कुछ दर्द का अहसास होने लगा, मैं दर्द से कराहने लगी- आआअ… ह्ह्ह्ह… आह्ह्ह्ह… उउहह… उह्ह… ह्य्यईईए आहहह… उन्होंने अचानक ज़ोर का दबाव दिया तो इस बार जोर का झटका जोर से लगा, मुँह से दर्द की आहटें आने लगी- आआअह्ह ह्ह्ह्ह ऊऊह्ह्ह ह आहहहहह…
उधर बॉस अपने दोनों हाथों से मेरे मम्मों को पकड़ के स्पंज की तरह दबाये जा रहे थे। धीरे धीरे बॉस मेरी कमर को पकड़ कर लंड और अंदर घुसाने लगे और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगे।
बॉस ने स्पीड बढ़ा दी और फिर अंत में अपना वीर्य मेरी गांड में समर्पित कर वहीं हम दोनों औंधे लेट गए। उस रत हमने दो बार फिर से चुदाई की और बॉस को मैंने पूरी तरह से अपनी चूत के बस में कर लिया था।
हम थक कर वही लेट गये और हमारी आँख लग गई। सुबह उठकर हम नहाए और फिर ऑफिस आ गए। ऑफिस में बॉस ने साहिल को भी बुलाया था।
बॉस ने मुझे ऑफर लेटर दिया और जॉइनिंग लेटर सोमवार को ईमेल करने की बात कही।
फिर साहिल ने मुझे हॉस्टल छोड़ दिया। सोमवार को मुझे बॉस का ईमेल आया जिसमें फ्राइडे को जॉइनिंग डेट थी और पोस्ट थी बॉस की पर्सनल सेक्रेटरी।
बॉस का भी इशारा साफ़ था और मेरा भी काम हो गया !