बात उन दिनो की है जब मै 19 साल की थी और फ़र्स्ट इयर मे पढ़ती थी। उस दिन मूड बहुत खराब था पापा ने बिना बात के ही डांट दिया था। मैंने अपनी सहेली को फोन किया तो वो भी फ्री नहीं थी तो मूड और खराब हो गया। बुरे मूड को सुधारने के लिए मै खूब शॉपिंग वोपिंग करके पापा के पैसे उड़ाने का मन बनाया।
मै घर मे अकेली लड़की हू और दो बड़े भाई है, अकेली लड़की होने के कारण मै अपने पापा की बहुत लाड़ली हू इसीलिए जब उस दिन पापा ने डांटा तो मै और भी ज्यादाह नाराज़ हो गयी थी। मैंने पापा का क्रेडिट कार्ड टपाया और मॉल की तरफ निकल पड़ी।
हमारा घर काफी खुले विचारो वाला था और मेरा किसी लड़के से दोस्ती को बुरा नहीं माना जाता था। बचपन से ही मेरी दोस्ती लड़को और लड़कियो दोनों से ही थी। लेकिन जैसे जैसे मै जवान होने लगी तो मैंने पाया की लड़को की नजरे मेरे प्रति बदल रही थी। 19 साल की उम्र मे ही मेरा शरीर पूरा भर गया था और छाती और नितम्ब खूब उभर आए थे। कॉलेज मे आने के बाद मेरी एक लड़के से दोस्ती हुई जो थोड़ा आगे बढ़ गयी और मेरे उसके साथ शारीरिक संबंध भी बन गय थे।
सोमवार की दोपहर होने के कारण उस दिन मॉल लगभग खाली था। मै एक बड़े से कपड़ो के स्टोर मे अपने लिए कपड़े देखने लगी। स्टोर भी खाली था और 4-5 सेल्समैन जगह जगह खड़े थे। मैंने एक लहंगा चोली पसंद कर ली, पर उसकी चोली सिली हुई नहीं थी। सेल्समैन ने बताया की पीछे की तरफ टेलर बैठा है वो सिल देगा, तो मै कपड़ा ले कर पीछे की तरफ चली गयी।
टेलर एक अलग कमरे मे बैठा था, मैने उसे कपड़ा दिखाया और चोली सिलने के लिए बोली। मैंने देखा की टेलर करीब 50 साल के लगभग का दाढ़ी वाला आदमी था, वो मेरे को कनखियो से ताड़ रहा था।
“ठरकी साला,” मै मन ही मन सोची।
फिर वो मेरे से चोली का स्टाइल पूछने लगा।
“मैडम ये आप जैसी यंग लड़की के लिए ये ठीक रहेगा,” वो एक फोटो दिखा के बोला। मैंने देखा की चोली आगे से और पीछे से काफी डीप थी और उसमे मेरी छातिया काफी दिखती।
“ये तो काफी डीप नेक है,” मै बोली।
“पर आप पे ये सूट करेगा,” वो मेरी छातिया ताड़ते हुए बोला।
“साला कमीना,” मै मन ही मन सोची पर कुछ बोली नहीं, उसे अपने ऊपर लार टपकाते देख के मन मे गुदगुदी सी होने लगी। मै भी मज़ा लेने के लिए अपनी चूचियो की तरफ देखते हुए बोली,
“जयादह दिखेंगे।”
“आप पे अच्छा लगेगा, हर लड़की के थोड़े ही इतने अच्छे होते है,” वो मेरी चूचियो की तरफ देख के खीसे निपोरता हुआ बोला।
“नहीं मेरे पापा नाराज़ हो जाएगे,” मै भी मज़े लेती रही।
“मेरे पास एक सैंपल चोली है, आप ट्राए तो करके देखिये,” वो बोला और जल्दी से एक चोली मेरे आगे रख दी। मै उस दिन सलवार सूट पहने थी और चोली पहनने के लिए मुझे कुर्ता उतारना पड़ता। मै चोली हाथ मे लेकर उसकी तरफ देखने लगी।
“वहाँ, पीछे कमरा है,” वो पीछे की तरफ इशारा करता हुआ बोला, “वहाँ ट्राइ कर लीजिए।”
मै चोली हाथ मे लेकर पीछे के कमरे मे चली गयी। कुर्ता उतारने के बाद मैंने खूटी पर टांग दिया और चोली पहेनने लगी। मैंने देखा की चोली छोटी सी थी और मेरा पेट नाभि के नीचे तक खुला था। शीशे मे देखा तो पाया की मेरे leggings मेरे बदन पर चिपकी हुई थी और मेरी पतली कमर और चौड़ी गांड मस्त लग रही थी। चोली मे मेरी cleavage भी मस्त दिख रही थी। मै अभी देख ही रही थी की टेलर बाहर से बोला,
“मैडम पहन लिया, मै आऊ, fitting देखने।”
मै एकदम से हकबका गयी, “ये साला अंदर आ के मेरे साथ मजे लेना चाहता है।” मेरे को अंदर ही अंदर गुदगुदी होने लगी। बाहर दूर दूर तक कोई नहीं था तो मुझे भी मस्ती सूझने लगी। साला ठरकी बूढ़ा देखेगा तो लार ही टपकायगा और क्या करेगा, मै ये सोच कर कुंडी खोल दी। पर मुझे उसके हरमीपन का पता नहीं था, या ये कहिए की मुझे अपने बारे मे पता नहीं था की मै कितनी जल्दी मर्द के सामने टांगे फैला दूँगी।
“वाह,” वो मुझे देखते ही बोला, “कितनी अच्छी लग रही है आप पे।” वो मेरे को ऊपर से नीचे तक निहारने लगा और बात करते करते वो छोटे से रूम मे अंदर ही आ गया। उसके घूरने से मेरे बदन मे सनसनी होने लगी।
“मैडम एक बार पीछे से दिखाओ,” वो बोला तो मै निशब्द घूम गयी।
“बढ़िया,” वो बोला तो मै वापस घूमने लगी पर वो मेरे कंधे पर हाथ रख के मुझे रोक दिया, “एक मिनट मैडम।”
मेरी दिल की धड़कने अचानक से बढ़ गयी। वो दोनों हाथो से मेरे कंधे पकड़े रहा और मुझे सीधा खड़ा कर दिया।
“मैडम आपकी कमर पतली है और नितांब उठे हुए है, आप जब लहंगा यहा बांधेगी तो बहुत बढ़िया लगेगा,” वो मेरी कमर पर नीचे की तरफ हाथ रख के बोला। मेरी धड़कने और बढ़ गयी और मै वापस घूमने लगी पर वो एक हाथ मेरे कंधे पर और एक हाथ मेरी कमर पर रख कर मुझे रोके रहा।
“एक मिनट मैडम।”
“आप लहंगा यही बंधेगी या और नीचे,” कहकर वो अपना हाथ और नीचे मेरी leggings की इलास्टिक पर ले आया।
“बस बस, यही पे,” मै अब झनझनाने लगी थी, मै जल्दी से वापस घूम गयी पर मेरे घूमने से पहले वो मेरी गांड पर अपनी हथेली फिरा दिया,
“मैडम यहाँ बाँधिए तो और अच्छा लगेगा,” वो बोला।
“क्या कर रहे हो,” मै तेवर दिखती हुई बोली, “अब क्या नीचे ही गिरा दू।”
“अरे नहीं आपके नितम्ब तो उठे हुए है नीचे थोड़े ही गिरेगी,” वो खीसे निपोरता हुआ बोला तो मै चिढ गयी।
“इधर उधर क्या हाथ लगा रहे हो,” मै गुस्सा दिखाते हुए बोली।
“अरे मैडम, नाप भी तो लेना है,” वो पूरी बेशर्मी से बोला।
“तो क्या नाप हाथ से लोगे,” मै उसकी बेशर्मी पर और चिढ़ गयी पर वो खीसे निपोरता रहा।
मै शीशे मे चोली की फिटिंग देखने लगी और देखा की वो भी मुझे ताड़ रहा था।
“मैडम, अगर नाराज़ न हो तो मै भी चोली की फिटिंग चेक कर लू,” वो बोला।
“कर लो, फिटिंग चेक करने ही तो आए हो अंदर,” मै बोली।
“तो फिर हाथ लगा तो नाराज़ नहीं होना,” वो पूरे हरमीपन से बोला और इससे पहले की मै कुछ बोलू वो मेरे कंधे पर एक हाथ रख दिया और दूसरे हाथ से चोली के किनारे को पकड़ के इधर उधर खीच के देखने लगा।
वो पूरा खेला खाया था, वो कभी एक हाथ से मेरे कंधे और गर्दन को सहला देता था और कभी दूसरे हाथ से मेरे पेट को। मै बीच बीच मे चिहुक जाती जब वो जानबूझ कर नाभि के ऊपर सहला देता, मेरी साँसे उसकी हरकतों से भारी होने लगी थी,
“बस हो गया क्या,” मै बोली।
“कहा मैडम, आपने तो हार्ड कप वाली ब्रा पहनी है और कप भी बड़ा है, तो इसमे फिटिंग सही कहा पता चलेगी,” वो बोला।
“नहीं कप बड़ा नहीं है,” मै हकबका गयी, मेरे को याद ही नहीं था की मै हार्ड कप ब्रा पहने थी।
“और मैडम आपको हार्ड कप ब्रा की क्या जरूरत है आपके तो अपने कप ही अभी हार्ड है,” वो पूरी ढीठाई से बोला तो मै कोई जवाब नहीं दे पायी। वो एक हाथ मेरे मोमो के ऊपर लेजा कर ब्रा के कप को पकड़ लिया।
“ठीक है, ठीक है, मै अगली बार नॉर्मल कप वाली ब्रा पहन लूँगी,” मै कसमसाते हुए बोली।
“अभी इस ब्रा को उतार दो तभी सही नाप हो पाएगा,” वो अभी भी ब्रा को पकड़े हुए था।
“नहीं नहीं, मै कल नॉर्मल ब्रा पहन कर आऊँगी,”
“अरे दो मिनट का तो काम है उसके लिए कल क्या आना,” वो बोलते बोलते चोली के हुक खोल दिया।
“अहह,” मै एकदम से सनसना गयी और उसका हाथ पकड़ ली, “क्या कर रहे हो,”
“नाप ले रहा हू मैडम,” वो धीरे से बोला, “और शर्म करने की कोई जरूरत नहीं है, यहा कोई नहीं आयेगा, ब्रा उतार के सही से नाप लेता हूँ।”
मुझे पता ही नहीं चला पर वो मुझे अब तक कोने मे धकेल चुका था, उसका एक हाथ मेरी पीठ के पीछे ब्रा का हुक खोल रहा था और दूसरे हाथ से वो चोली उतारने लगा। मै कोने मे फंस सी गयी थी, न आगे जाने की जगह थी और न पीछे।
“छोड़ो छोड़ो, मुझे नहीं नाप देना,” मै उसका हाथ पकड़ने की कोशिश करने लगी।
“मैडम छीना झपटी नहीं, ये चोली बड़ी महंगी है फट जाएगी,” वो इस बार एसी सख्ती से बोला की मै एकदम से भोचक रह गयी। मै स्तभ खड़ी रह गयी और वो चोली मेरे कंधो से उतार के नीचे फेक दिया। मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा, मेरी ब्रा का हुक भी वो खोल चुका था।
“छोड़ो,” मै कसमसाई।
“मैडम, शर्माने की जरूरत नहीं है, मै बहुत लड़कियो की छाती का नाप नंगा करके ही लिया हूँ,” वो फुसफुसाया। वो झटका दे कर ब्रा मेरे हाथ से खीच लिया और वो भी मेरे कदमो मे जा गिरी। मै अपनी नंग्न छातियो को छुपाने के कोशिश करने लगी पर वो मुझे बांहों मे दबोच के धीरे धीरे मेरे हाथो को हटाने लगा। मैंने कभी सोचा भी नहीं था की मै अर्धनग्न अवस्था मे एसे उसकी बांहों मे फंस जाऊँगी।
उसकी गरम गरम साँसे मेरे गालो पर पड़ने लगी, “मैडम, हाथ हटाओ,” वो फुसफुसाते हुए बोला और मेरे हाथो को पकड़ के हटाने की कोशिश करने लगा, “हटाओ वरना नाप कैसे लूँगा।”
मेरे को कुछ समझ नहीं आ रहा था, मै शर्म से गडी भी जा रही थी और एक अजीब तरह की उत्तेजना मे भी डूबती जा रही थी। मेरे हाथो से जैसे जान ही निकली जा रही थी और मेरा विरोध धीरे धीरे कम होता गया, अभी भी मै से सोच के अपने आप को सांत्वना दे रही थी की ये मेरे को यहाँ स्टोर रूम मे चोद थोड़े ही देगा, थोड़ा बहुत हाथ लगा लेगा, बस।
जैसे ही मेरे हाथ उसको थोड़ा मौका दिये, तुरंत उसकी सख्त हथेली मेरे मोमो को जकड़ ली।
“पूछ रही थी न की हाथ से नाप लेगा क्या, अब मै हाथो से ही तुम्हें पूरा नाप दूँगा,” वो मेरे कानो के पास फुसफुसाया। मै उसके बोलने के लहजे से अवाक रह गयी, अब वो पहले की तरह मैडम मैडम करके बात नहीं कर रहा था।
मेरा अर्धनंग्न शरीर उसने अपनी मजबूत बांहों मे भर लिया और मेरे कोमल स्तनो को कस कस कर भीचने लगा।
“अहह, अहह,” मै स्तब्ध अवस्था के खड़ी थी, मेरी समझ मे नहीं आ रहा था की वो मेरे साथ इतना आगे कैसे बढ़ गया था। अभी एक मिनट पहले तक तो मै चोली ट्राइ कर रही थी और इस टेलर के साथ मज़ाक कर रही थी और अब वो मुझे अपनी बांहों मे दबोच के मेरे स्तन रगड़ रहा है।
“छोड़ो, छोड़ो,” मै कसमसने लगी, पर उसकी हरकतों की वजह से मेरे पूरे शरीर मे सनसनाहट हो रही थी और मुह से न चाहते हुए भी कराहे निकाल रही थी। मेरे दोनों हाथ उसके हाथो के ऊपर शीथल पड़े थे और उसे अपने मोमो को मसलने से बिलकुल भी नहीं रोक पा रहे थे।
“देखा तुम्हारे मोमे कितने तने हुए है,” वो बोला तो उसकी साँसे मेरी गर्दन पर पड़ने लगी, “हार्ड कप ब्रा की कोई जरूरत नहीं है।”
मै चुपचाप गर्दन हिला दी।
“क्या नाम है तुम्हारा।”
“बबली,”
“कितनी उम्र है”
“19”
“हुम्म, बबली अपना सर पीछे करके मेरे सीने पर रख दो,” वो बोला तो मै बिना हुज्जत किए अपना सर उसके सीने पर टिका दी। उस स्थिति मे मै सीधा उसकी आंखो मे देख पा रही थी और वो मेरी आंखो मे, उसकी ढाढ़ी मेरे गालो पे लगने लगी।
“अब बस करो, अब जाने दो,” मै उसको बोल तो रही थी पर अब मेरी समझ मे आ रहा था की ये मुझ पर पूरी तरह से हावी हो गया है और ये मेरे साथ अपनी मनमर्ज़ी करेगा और मै कुछ भी नहीं कर पाऊँगी। मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धडक रहा था मै आज तक केवल एक अपने हमउम्र लड़के के साथ ही सेक्स किया था। पर ये खयाल भी मन मे आ रहा था की दिन दहाड़े कपड़ो के स्टोर मे ये मेरे साथ सेक्स तो नहीं कर पाएगा, सिर्फ छेड़छाड़ ही कर पाएगा। मेरी इसी ऊहापोह की स्थिति का वो पूरा फायदाह उठा रहा था।
मैंने देखा की उसके मुख पर कुत्तसित मुस्कान तैर रही थी जैसे की वो मेरे मन की बात पढ़ पा रहा हो फिर उसके होंट मेरे गालो से फिसलते हुए मेरे होंटो पर आने लगे। मेरी आंखे स्वत मूँद गयी।
“गुड गर्ल,” मुझे उसकी आवाज सुनाई दी। मै गहरी गहरी साँसे लेने लगी और उसके होंट मेरे होंटो के ऊपर चिपक गए और वो मेरे होंटो को चूमने और चूसने लगा। उसकी जीभ मेरे होंटो के ऊपर फिसलती हुई मुह के अंदर घुस गयी। न चाहते हुए भी मेरा मुह खुल गया और मेरी जीभ उसकी जीभ से रगड़ने लगी।
मै शर्म और उत्तेजना मे डूबी जा रही थी, उससे दबने मे अब मज़ा आने लगा था। छाती मे मीठा मीठा दर्द हो रहा था और मन कर रहा था की वो एसे ही दबाता रहे। तभी वो मेरे निप्पल और उसके घेरे को अपने अंगूठे और उंगली के बीच दबा लिया, मेरे पूरे बदन मे तीखा दर्द सा फैल गया जब वो उसे मसलने लगा। मेरा बदन उसकी हरकतों से धीमे धीमे काँप रहा था और वो मुझे दबोच के अपनी मनमरज़ी करता जा रहा था।
“बबली,” थोड़ी देर बाद वो बोला।
“हूँ,”
“स्कूल मे पढ़ती हो,”
“नहीं कॉलेज मे,”
“बॉयफ्रेंड है,”
मैने हाँ मे गर्दन हिला दी, “अब जाने दो,” मै बोली।
“बहुत गोरी गोरी और साफ सुथरी चुचिया है तुम्हारी, बॉयफ्रेंड ने कभी मसली नहीं है क्या।”
मै शर्म से लाल होने लगी और वो ज़ोर ज़ोर से निप्प्ल्स को मसलने लगा।
“अहह, अहह, नहीं, अहह, आई, आई,” मै कसमसाती रही और वो रगड़ता रहा। मै धीरे धीरे गरम होने लगी और जब भी वो अपने होंट मेरे होंटो के ऊपर रखता तो उसके कहे बिना भी मै उसे किस करने लगती। जब भी वो कस कर मसलता तो मै कसमसा जाती।
मै फिर से कसमसाई तो वो मुझे कस कर जकड़ता हुआ बोला, “बबली ये leggings इलास्टिक वाली है या नाड़े वाली।”
“इलास्टिक,” मै काँपते स्वर मे बोली।
“इसे मै उतारू या तुम खुद ही उतारोगी।”
“नहीं नहीं प्लीज,” मै मिमयाई।
“श्श्श, पुच, पुच, क्यू इतना मचल रही हो, मै बहुत प्यार करूंगा तेरे को,”
“यहाँ तुम्हें और मुझे कोई डिस्टर्ब करने वाला नहीं है, दरवाजा भी अंदर से बंद है,” वो फुसफुसाया और मेरे सभी विरोध को खत्म कर दिया।
उसका एक हाथ मेरी चूत को टटोलने लगा, “टांगे क्यो चिपका रही है, चुत तो तेरी गीली हो चुकी है,” वो फुसफुसाया, “चल टाँगे फैला, पुच, पुच, नखरा नहीं करते।”
धीरे धीरे करके वो मेरे को पूरा नंगा कर दिया और फिर अपने कपड़े उतारने लगा तो मेरी साँसे भारी होने लगी ये समझ के की अब ये मेरे को चोदेगा। ये मेरे बॉयफ्रेंड जैसा लड़का नहीं है बल्कि पूरा मर्द है और मै ये सोच सोच के उत्तेजना मे काँपने लगी। जब वो अपना अंडरवियर उतारा तो उसका काला मोटा लाँड़ देख के मेरी सिसकारी निकाल गयी।
वो मुझे वही पड़े एक कपड़ो के ढेर के ऊपर लिटा के मेरे ऊपर चढ़ गया। उसका मोटा लाँड़ मेरी जांघों पे चुभने लगा। जब उसका पूरा वजन मेरे ऊपर पड़ा तो मेरे मुह से कराह निकल गयी।
मेरे बदन मे भी आग लग चुकी थी और मै सब कुछ भूल के मज़े मे डूबने लगी थी।
“देख तू साथ देगी तो तेरे को भी मज़ा आयेगा,” वो मेरे एक मोमे को जकड़ता हुआ बोला। उसका हाथ शिकंजे की तरह मेरी छाती पर जम गया।
“अहह,” मै करहा पड़ी, “कैसे अंकल।”
“अच्छी बच्ची,” वो खुश होता हुआ बोला, “पहले तो टांगे खोल ले और मेरे लौड़े को एक हाथ से सहला।”
मुझे बहुत शर्म आई पर फिर भी मै टांगे फैलाने लगी, मेरे अंदर अजीब सी सनसनी होने लगी। मै हाथ बढ़ा के उसका मूसल जैसा लाँड़ पकड़ ली।
“अहह, से तो बहुत मोटा है,” मै आह भर कर बोली। मै उसके लाँड़ पे ऊपर से नीचे हाथ फेरने लगी।
“पुच पुच, बहुत अच्छे, एसे ही सहलाती रहो” वो भराई हुई आवाज मे बोला और मेरे शरीर को जगहे जगहे से मसलने रगड़ने लगा। वो मेरी पावरोटी की तरह फूली हुई चूत को मसलने लगा।
“चूत तो तेरी मस्त है, काम लगा है न तेरा,” वो बोला तो मेरी समझ मे नहीं आया और मै उसका मुंह देखने लगी।
“अरे मतलब लौडा लिए है न चूत मे, या आज पहली बार है।”
मै शर्म से लाल हो गयी उसकी बात सुन के, “धत।”
“अरे अब शर्म क्यो कर रही हो, सच सच बता,” वो मेरे गालो को किस करता हुआ बोला, तो मै हाँ मे गर्दन हिला दी।
वो अपनी एक उंगली मेरी चूत मे घिसने लगा, “लगती तो सीलबंद है, मज़ा देगी तू मस्त।”
उसके बाद वो मेरे ऊपर पिल पड़ा और मेरे सारे शरीर को आटे की तरह गूंधना शुरू कर दिया। मै पूरी तरह फैल के पड़ी हुई थी और मन कर रहा था की वो करता रहे।
“अंकल अब कर दो न,” मेरे मुह से अपने आप निकाल गया, मै अब कंट्रोल नहीं कर पा रही थी।
‘अहह करो न,” मै कराह पड़ी।
“बबली मज़ा आ रहा है,” वो फुसफुसाया।
“हाँ अंकल,” मै आह भर्ती हुई बोली।
“तो मुझे भी मज़ा लेने दे, अभी तो मै शुरू हुआ हूँ।”
“उह उह अंकल, अह अह, तो मज़े लो न,” मै बदन को एठते हुए बोली, “कर दो।” पर वो अपनी रफ्तार से अपने काम पर लगा रहा।
“बबली,” वो फुसफुसाया।
“अह,” मेरी आंखे मुँदी जा रही थी।
“अब तू तैयार है।”
“अहह, अंकल।”
वो मेरी छातियो को छोड़ के मेरे दोनों तरफ पैर डाल के चढ़ गया। मेरे सीने मे अभी भी टीस मार रही थी। वो अपना मोटा लंबा लाँड़ मेरे गालो पर थपथपाने लगे जैसे मुह का दरवाजा खोलने को कह रहा हो।
“अंकल, अब ये मत करो न, उह, अब नीचे घुसा दो,” मै वासना मे तड्फड़ा रही थी।
“पर मेरा मन तो तेरे मुह मे गिराने का है,” उनके चेहरे पर कुटिल मुस्कान थी।
“नहीं न, अंकल,” मै कसमसाई। मै उसके हाथ पर एक घूसा भी मार दी। वो मेरे बालो को पकड़ मे मेरा मुह सीधा कर दिया।
“पहले मुह मे ले,”
“अह, अह, उह, अह, नहीं न, अंकल,” मै कसमसाती रही।
“थोड़ी देर चूस ले, फिर चूत मारता हूँ तेरी।”
उस समय मै इतनी गरम हो चुकी थी की मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था, मै उसका लौंडा पकड़ के अपने होंटो पर रख दी,
“घुसा दो,” मै कराही, और मुह पूरा चौड़ा खोल के उसका मोटा लाँड़ अंदर लेने लगी।
“गुड गर्ल,” वो खुश होता हुआ बोला और उसका लाँड़ मेरी जीभ पर फिसलने लगा।
“ग्ग, अग्ग, ग्ग, ग्ग, अग्ग्र्ल,” मै अपना पूरा मुह खोल के उसके मोटे लाँड़ को पीने लगी।
“शाबाश, अंदर तक ले, पूरा उतार ले,” वो धीरे धीरे 3/4 लाँड़ अंदर पेल दिया।
“औकऔक,” मै ज़ोर से फड़फड़ाई जैसे ही उसका लाँड़ मेरे हलक मे जाके लगा। पर वो तुरंत पीछे खीच लिया।
“ले, ले, धीरे धीरे उतार ले,” वो मेरे चेहरे को सहलाता हुआ बोला। उसके वासना मे डूबे चेहरे को देख के मुझे नशा सा चढ़ रहा था। वो मेरे बालो को पकड़ के लाँड़ मेरे मुह के अंदर पेलने लगा।
“औक, आ, आक, औक,” मै छटपटाते हुए अपने गले मे उतरते लाँड़ को बरदास्त करने लगी।
“शाबाश शाबाश, थोड़ा और, थोड़ा और,” वो फुसफुसाया और फिर एक और धक्के मे वो जड़ तक पेल दिया।
“औ… औ…” मेरा मुह लाँड़ की जड़ मे जा लगा। मै एकदम स्थिर लेटी रही और किसी तरह नाक से सांस लेती रही।
“अहह, शाबाश, पीती रह,” वो भर्राई आवाज मे बड़बड़ाने लगा, “चूसती रह।”
मेरी छटपटाहट धीरे धीरे कम होने लगी और वो मेरे बालो को पकड़ के मेरे मुह आगे पीछे करने लगा। वो अब आराम से मेरे मुह को चोदने लगा और उसका लाँड़ मेरे मुह मे हलक तक अंदर बाहर होने लगा।
“अहह, मस्त लौंडिया है,” वो बड़बड़ाया, “थोड़ी देर और चूसेगी तो तेरे मुह मे ही गिरा दूँगा।”
वो मेरे चूत भी मारना चाहता था तो कुछ देर बाद वो लाँड़ बाहर खीच लिया, जैसे ही वो लाँड़ बाहर निकाला मै ज़ोर ज़ोर से हाफने लगी।
“अंकल,” मै शिकायती लहजे मे बोली पर उसको कोई फर्क नहीं पड़ा और वो मेरे टांगे ऊपर उठा दिया।
“चूत तो तेरी पावरोटी की तरह फूली हुई है,” वो मेरी चूत को थपथपाता हुआ बोला और अपना मोटा लाँड़ चूत की फाँको के बीच घिसने लगा।
“अहह अंकल,” मै सिसकारी भरने लगी और वो धीरे धीरे लाँड़ को अंदर ठेलने लगा।
“आह, आह आई अहह,” मै कसमसाती रही उसका लाँड़ फिसलता हुआ अंदर समा गया और मै उसको कस कर चिपट गयी।
“अंकल कर दो, चोद दो,” मै बड़बड़ाने लगी। वो पूरा मेरे ऊपर पसर गया और धक्के मारने लगा।
“उह उह अंकल, अह अह,आह, आह आई अहह,” हर धक्के पे मै जैसे स्वर्ग पहुच जाती। वो हुमच हुमच के धक्के मरने लगा और मै उससे चिपक के झड़ने लगी। मै इससे पहले कभी भी ऐसा ज़ोर से नहीं झड़ी थी, मै करीब एक मिनट तक कापती रही और झड़ती रही। पर मेरे झड़ने के बाद भी अंकल मुझे पेलते रहे और मेरे सारे कस बल निकाल दिये।
“अहह, तेरी चूत भर दूँगा मै अपने माल से,” वो बड़बड़ाते हुए थोड़ी देर बाद मेरे अंदर ही झड़ गए।
हम दोनों ही थोड़ी देर तक उठ नहीं पाये। उसके बाद धीरे धीरे मेरा जोश ठंडा पड़ने लगा तो एहसास हुआ की ये क्या हो गया, मै कैसे एक चालू लड़की की तरह इस अजनबी से चुद गयी। दर्जी उठ के बाहर चला गया था तो मै भी उठ गयी, मेरा शर शरीर दर्द के मारे टूट रहा था।
मै किसी तरह कपड़े पहन के बाहर आई तो देखा की करीब एक घंटा बीत चुका था, ये दर्जी मेरे को एक घंटे से रगड़ रहा था। बाहर अभी भी सन्नाटा था तो थोड़ा चैन आया की किसी को पता नहीं चला।