दीदी का देवर बना मेरी चूत का दीवाना

हैलो दोस्तों, कैसे हैं आप सब, मेरा नाम दीपिका है। आज मैं आप सबके मजे के लिए एक रियल चुदाई स्टोरी लेकर आई हूँ। मुझे कभी कभी चुदाई करने में डर लगता है क्योंकि अगर यह बात किसी को पता चल गयी तो फिर क्या होगा।

मैं इन सब बातों से बहुत डरती हूँ लेकिन मैं क्या करूँ… चुदाई के बिना रहा भी नहीं जाता है और मेरा मन चुदाई को मचल उठता हैं मुझे डर लगता रहता है कि किसी को ये बात पता न चल जाए कि मैं चुदवाती हूँ, लेकिन फिर भी मैं किसी न किसी से चुदवाती रहती हूँ।

चुदाई का भूत, मुझे लंड की फिराक में परेशान तो करता है, लेकिन मुझे इस बात डर भी लगा रहता है कि मैं कहीं चुदाई के चक्कर में किसी गलत आदमी से अपने आपको ना चुदवा बैठूं।

मेरी दीदी का देवर बहुत अच्छा है और वो मेरी फ़िक्र भी करता है। मेरी दीदी के देवर का उस समय कभी कभी मेरे घर आना होता था जब भी मेरी दीदी मुझसे मिलने आती थीं।

वैसे मेरे और मेरी दीदी के देवर के बीच में कुछ नहीं था, लेकिन हम दोनों एक दूसरे से मिलने से थोड़ा बहुत बातें करने लगे थे। मेरी दीदी का ससुराल हमारे घर से थोड़ी ही दूरी पर है इसलिए मेरी दीदी का जब भी मन करता है, वे जल्दी से अपने देवर के साथ मायके आ जाती हैं।

इस वजह से मेरी जान पहचान दीदी के देवर के साथ कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी थी। दीदी का देवर तो कभी कभी अकेले भी मुझसे मिलने आ जाता था। मैं थोड़ी खुल कर बात करने वाली लड़की हूँ, मतलब कि मैं बातूनी हूँ।

मैं अपनी दीदी के देवर के साथ बहुत बात करती थी। वो भी मुझसे खूब बात करता था। हम दोनों बात करते करते ही एक दूसरे से बहुत ज्यादा खुल गए थे।

वो भी मेरी तरफ आकर्षित हो गया था और मैं भी उसको बहुत पसंद करने लगी थी। शायद हम दोनों लोग एक दूसरे से प्यार करने लगे थे। वो मेरी बहुत फ़िक्र करता था और मेरा कोई भी काम जल्दी से कर देता था।

एक बार मैं अपनी दीदी के देवर के साथ घर में किसी को बिना बताए घूमने चली गयी थी। हम लोग बहुत घूमे और उसी दौरान हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे के करीब आ गए। यह हम दोनों के लिए अलग ही एहसास था।

इस तरह अब हम दोनों को जब भी टाइम मिलता था, तो हम लोग घूमने निकल जाते थे। काफी समय तक हम दोनों अकेले बैठ कर एक दूसरे से अपनी दिल की बातें करते रहते थे। अब हम दोनों लोग एक दूसरे से अपनी सभी तरह की बातें शेयर करने लगे थे। हम दोनों कोई भी बात एक दूसरे से नहीं छुपाते थे।

हमारे बीच गिफ्ट देने का सिलसिला भी शुरू हो गया, वो मुझे कभी कभी ड्रेस भी लाकर देता था और मैं वो ड्रेस पहनकर उसके साथ घूमने जाती थी।

हम दोनों कभी कभी रात भर एक दूसरे से फ़ोन पर बातें करते रहते थे और कभी कभी तो हम लोग एक दूसरे से मिले बिना बेचैन हो जाते थे। हम दोनों के बीच अब बहुत गंदे मजाक भी होने लगे थे।

दीदी का देवर मुझे सेक्सी जोक्स सुनाता था और हम दोनों लोग खूब हँसते थे। ऐसा बहुत दिन तक चलता रहा। अब तो हालात यह बन गए थे कि हम दोनों अब एक दूसरे के बिना रह नहीं पाते थे।

कई बार हम दोनों पार्क में जाकर एक दूसरे से प्यार भरी बातें करते थे। मैं कभी कभी उसकी बांहों में सो जाती थी। इसी दौरान कभी कभी मेरे बूब्स को बहुत ध्यान से देखता था और मेरे बूब्स को देखकर बोलता था कि तुम बहुत सेक्सी हो।

मैं भी उसको देख कर मुस्कुरा देती थी। वैसे मैं सच में बहुत सेक्सी हूँ। वो मेरे मम्मों को ऐसे देखता था, जैसे उसका मन करे, तो वो मेरी चूची को अपने मुँह में लेकर अभी चूसने लगे।

वो बहुत बार मेरी चूची को मुझसे बातें करते करते देखता था। हम दोनों को एक सेक्स करने का मन होने लगा था, लेकिन कोई भी शुरुआत नहीं कर रहा था। शायद हम दोनों डर रहे थे।

मैं वैसे तो बहुत बार चुदवा चुकी थी, लेकिन मुझे अपने दीदी के देवर से चुदवाने में थोड़ा अजीब लग रहा था। वो मेरी बहुत केयर करता था, इसलिए मैं उससे चुदवाना चाहती थी।

वैसे भी मुझे अच्छे लड़कों से चुदवाने में कोई डर नहीं लगता है। मेरे बहुत आशिक रह चुके हैं और मैं उनसे खुल कर चुदवा भी चुकी हूँ।

मेरी सोच रहती है कि तेरा लंड और मेरी चुत.. बस चुदाई कर.. और आगे बढ़। इसके बाद हम लोग एक दूसरे को देखते भी हैं, तो एक दूसरे को देख कर स्माइल कर देते है। इससे ज्यादा हमारे बीच में कुछ नहीं होता है.. हां यदि मेरा मन होता है तो दुबारा चुदाई करवा लेती हूँ।

लेकिन इस वक्त मैं अपनी दीदी के देवर के साथ अफेयर में थी, तो मैं सोच रही थी कि मैं अपनी दीदी के देवर के साथ ही सेक्स करूँगी। दीदी के देवर के साथ सेक्स करने में दूसरा ही मजा था। क्योंकि एक तो वो मेरे घर का ही था और कोई गलती होती तो बाते संभल जाती।

इसलिए मुझे दीदी के देवर से सेक्स करने में कोई डर नहीं था। मुझे भी पता चल गया था कि वो मेरे साथ सेक्स करना चाहता है, लेकिन चुदाई की शुरुआत दोनों तरफ से नहीं हो रही थी।

फिर ऐसे ही एक दिन दीदी का देवर मुझसे मिलने आया और हम लोग उसी मूड में घूमने चले गए.. जैसे कि हम लोग हमेशा बिना घर वालों को बताए घूमने जाते थे। चूंकि मैं हमेशा ही उसके साथ घूमने जाती थी.. इसलिए घर वालों को भी कोई आपत्ति नहीं थी।

हम दोनों एक दिन पार्क में बैठ कर एक दूसरे से बातें कर रहे थे। तभी उसने मेरी चूची को देखते हुए दबा दिया। मैं उससे कहने लगी ये क्या कर रहे हो वो मुझसे सॉरी बोलने लगा… मैं उससे बोली- कोई बात नहीं.. मुझे अन्दर ही अन्दर मेरी चूचियों को छूना मदहोश कर रहा था।

मैं उसको देख कर स्माइल देने लगी और वो भी मुझे देख कर स्माइल दे रहा था, फिर से अब वो मेरी चूची को अपनी हाथों में लेकर दबाने लगा। हम दोनों के अलावा पार्क में थोड़े और लोग थे, लेकिन किसी का ध्यान हमारी तरफ नहीं था।

मेरी दीदी का देवर मेरे कपड़ों के ऊपर से मेरी चूची को दबा रहा था और कुछ देर के बाद वो मुझे किस करने लगा। उसके चूची दबाने से और किस करने से मुझे भी सेक्स का नशा होने लगा और मैं भी अपनी दीदी के देवर को किस करने लगी।

हम दोनों सब कुछ भूल गए थे कि हम लोग पार्क में हैं और एक दूसरे को चूम रहे हैं। वो मुझे इतने अच्छे से किस कर रहा था कि मैं भी उसको किस करते करते भूल गयी थी कि मैं ये सब उसके साथ कहाँ कर रही हूँ और मुझे भी इस बात का ख्याल नहीं आया कि हम दोनों सार्वजनिक स्थान पर बैठे हैं।

अचानक मुझे इस बात का ख्याल आया और मैंने जल्दी से उसको चूमना छोड़ कर आगे बढ़ने से मना किया। मैं उससे कहने लगी कि हम लोग ये सब पार्क में खुलेआम नहीं कर सकते हैं, कोई फोटो वगैरह खींच लेगा तो मुसीबत हो जाएगी।

वो भी मेरी बात से सहमत हो गया था और हम दोनों एक दूसरे को हल्का सा किस करके अलग हो गए। इसके बाद उसने मुझे मेरे घर छोड़ दिया और अपने घर चला गया।

अब हम दोनों का एक दूसरे से मिलना जुलना चलता रहा। हम दोनों अब चुदाई करना चाहते थे, लेकिन चुदाई करने का मौका नहीं मिल रहा था।

एक दिन मैं अपने घर में अकेली थी और मैंने तुरंत फ़ोन करके अपने दीदी के देवर को बताया कि मैं आज अपने घर में अकेली हूँ वो यह बात सुनकर मेरे घर आ गया और मुझसे चिपक कर मुझे चूमने लगा।

इसके बाद मैं जल्दी से उसको अपने बेडरूम में ले गयी। मैंने पहले पूरे घर में घूम कर देखा कि सभी दरवाजे तो बंद है ना मेरी मम्मी अपनी सहेली के साथ बाहर गयी थीं, इसलिए मैं अब आराम से अपने दीदी के देवर के साथ अपने बेडरूम में जाकर बातें करने लगी।

मैं अपनी दीदी के देवर के लिए किचन से एक गिलास पानी और कुछ खाने के चीजें लायी। वो पानी पीने लगा और उसके बाद हम दोनों थोड़ी देर एक दूसरे से गर्मागर्म बातें करने लगे। इन्हीं बातों से उत्तेजित होकर वो मुझे चूमने लगा।

उसने मेरी गर्दन को अपने हाथों से पकड़ लिया था और मेरे बालों को थोड़ा खींचते हुए मेरे होंठों को चूसने लगा था मैं भी उसका साथ दे रही थी और मैं भी उसके होंठों को चूस रही थी।

हम दोनों की जीभें एक दूसरे से मिल ही थीं और लड़ रही थीं। एक दूसरे को इस तरह से किस करने में हम दोनों को बहुत मज़ा आ रहा था। इस तरह से चुसाई करने में ऐसे लगता है, जैसे दोनों लोग कोई रसीली चीज को चूस रहे हैं।

इसके बाद वो मेरे होंठों को चूसने लगा। फिर उसने मेरे कपड़ों को एक एक करके आराम से निकालना शुरू कर दिया। उसने जल्द ही मेरा सलवार सूट निकाल दिया, मैं अब उसके सामने ब्रा और पेंटी में आ गयी थी।

मेरी चूची मेरे ब्रा में से बाहर आना चाहती थी। उसे मेरी ब्रा को निकाल दिया और मेरी चूची को चूसने लगा।

वो मेरी चूची को ऐसे चूस रहा था, जैसे उसको आज ही कच्चा चबा जायेगा।

मेरी चूची चूसते चुसवाते और मसलवाने की वजह से थोड़ी बड़ी हो गई थी इसलिए मेरी चूची उसके हाथ में अच्छे से नहीं आ रही थीं, उसने मेरी चूची को चूसने के बाद मेरी पेंटी को भी निकाल दिया।

मेरी चूत एकदम साफ़ थी क्योंकि मैंने आज ही अपने चूत को बाथरूम में जाकर साफ़ किया था. आज मेरा मन पहले से ही चुत चुदाई करवाने का था तो मैंने सोचा कि आज अपनी दीदी के देवर से क्यों न अपनी चुत को चटवाने का मजा भी ले लिया जाए।

मैंने चुत खोली तो मेरी दीदी का देवर मेरी चूत चाटने लगा। मैं भी मस्त हो गई और थोड़ा सा खुलते हुए उसको गाली देने लगी ‘चल साले कुत्ते.. मेरी चूत चाट… वो भी कुत्ते की तरह मेरी चूत चाट रहा था।

हम लोग कभी कभी मजाक में एक दूसरे को गाली भी देते थे। वो भी बोल रहा था- हां मेरी कुतिया तेरी चूत को आज आज बहुत अच्छे से चाट चाट कर चोदूँगा। कुछ देर बाद मेरी चुत की खुजली बढ़ गई, तो मैंने उससे कहा कि अब चोद भी दे यार.. बहुत आग लग रही है।

वो मेरी दोनों टांगों के बीच में आ गया और मेरी चूत में उंगली करने लगा। उसके बाद उसने अपना लंड मेरी चूत पर रख दिया, उसने अपना खड़ा लंड मेरी चूत में एक बार में ही पूरा डाल दिया। मेरी तो चीख निकल गयी, वो बिना मेरी परवाह किये मेरी चूत को चोदने लगा।

अब हम दोनों लोग चुदाई का मजा ले रहे थे, वो मुझे किस कर रहा था और मेरी चूत में अपना मोटा लंड डाल कर मुझे आराम से चोद रहा था, बीच-बीच में वो लंड निकाल कर मेरी चूत को बड़े मज़े से चाट कर मुझे चोदे जा रहा था।

मैं भी उसका साथ दे रही थी और कभी कभी उसको मना भी कर रही थी क्योंकि वो जब चोद रहा था, तो मुझे दर्द भी हो रहा था। जब मुझे दर्द होता था तो वो बार बार मेरी चूत में से लंड निकाल कर मेरी चूत को चाटने लगता।

उसके बाद जब मेरा दर्द कम हो होता था तो वो मेरी चूत में अपना एकदम से पूरा लंड डाल मुझे चोदने लगता, हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर चुदाई का मज़ा ले रहे थे।

चुदाई करने के बाद हम दोनों का माल निकल गया। मैंने उसके लंड को चाट कर साफ़ किया और उसने मेरी चूत को चाट कर साफ़ कर दिया।

मुझे अपने दीदी के देवर से चुदवाकर बहुत अच्छा लग रहा था। हम दोनों लोग कुछ देर के बाद एक दूसरे को किस करने लगे थोड़ी देर के बाद हम दोनों लोग एक बार फिर से गरम हो गए और फिर से चुदाई का खेल शुरू किया।

काफी देर तक मजा करने के बाद हम दोनों तृप्त हो गए और अपने अपने कपड़े पहन कर तैयार हो गए, क्योंकि मेरी मम्मी के आने का समय हो गया था, वो मुझे चूम कर चला गया और मैं बैठ कर टीवी देखने लगी। कुछ देर बाद मम्मी आ गईं।

इसके बाद हम दोनों को जब भी मौका मिलता और मन होता था, तो हम दोनों एक दूसरे की कामवासना को शांत कर लेते थे और किसी को पता भी नहीं चलता था।