दोस्तों मेरा नाम ईशा हैं मैं कॉलेज में पढ़ती हूँ और इंजीनिरिंग की पढाई कर रही हूँ।
मेरी दीदी का नाम शीना हैं और अब उनकी शादी हो चुकी हैं और वो पूना में रहती हैं।
जीजू जो हैं उनका अपना बिज़नेस हैं वो एक हफ्ते के लिए टूर पर गए हैं बंगलोर।
इसलिए दीदी घर पर अकेली न रहे इसलिए शीना दीदी ने मुझे अपने घर पर बुला लिया अभी मेरे पास भी वक़्त हैं क्योंकि मेरे कॉलेज की क्लासेज शुरू नहीं हुई हैं इसलिए मैं कुछ दिन के लिए दीदी के पास रहने गई।
शीना दीदी को शुरू से ही टीवी देखने का बहुत शौक हैं खासकर नई नई मूवी देखने का।
शादी से पहले भी दीदी मूवी देखा करती थी और अब शादी के बाद भी दीदी को मूवी देखना अच्छा लगता हैं।
उनके साथ मेरी भी टीवी देखने की आदत हो गई हैं आजकल मैं शीना दीदी के साथ जो रहने लगी हूँ आखिर संगत का असर तो आता ही हैं।
खाना खाने के बाद अब शीना दीदी और मैं रोज रात को टीवी देखा करते हैं।
रोज की तरह उस रात भी मैं और दीदी खाना खाकर बेडरूम में टेलिविज़न देख रही थीं। मैंने देखा कि दीदी मेरे साथ कुछ ज्यादा ही चिपक रही थी। कभी मेरे गालों को सहलाती, कभी चूम लेती, मेरे मम्मों को हल्के हाथों से सहला रही थी।
“दीदी आज क्या बात है? क्या आज जीजू की याद आ रही है?” मैंने पूछा।
“नहीं ! कुछ नहीं, बस ऐसे ही तुझे प्यार करने का दिल कर रहा है !!” दीदी मुझे चूमती हुई बोली।
मैंने टेलीविजन और बत्ती बंद कर दी और दीदी को अपने साथ चिपका कर उसकी पीठ सहलाने लगी।
मेरे साथ लेटे लेटे मुझे चूमते चाटते हुए दीदी मेरी नाईटी ऊपर करने लगी। मैंने अपनी नाईटी उतार कर फ़ेंक दी और अपने उन्नत मम्मे दबा कर दीदी को कहा,”अब जहाँ पर प्यार करना है कर लो !!”
दीदी मेरे मम्मे चूसती हुई मेरी चूत को सहलाने लगी। कुछ देर के बाद दीदी अपनी एक उंगली मेरी चूत में डालने लगी और फिर नीचे की ओर जाकर मेरी चूत चाटने लगी।
मैं भी धीरे धीरे उत्तेजित हो रही थी, मैंने दीदी की नाईटी खींच कर उतारने की कोशिश की तो दीदी बोली,”एक मिनट ! मैं जरा बाथरूम हो कर आती हूँ।”
जब दीदी वापिस आई तो फिर से मेरी चूत को चाटने लगी और अपनी उँगली डालने लगी।
मेरी आँखें उत्साह से बंद थीं, तभी मुझे लगा कि मेरी चूत में दीदी की उँगलियों की जगह कुछ और ठण्डा ठण्डा सा घुसने की कोशिश कर रहा है।
“यह क्या डाल रही हो दीदी?” मैंने पूछा।
“कुछ नहीं बस चुपचाप मज़ा लेती रह !” दीदी ने अपनी नाईटी उतारते हुए जवाब दिया।
परंतु जब वो डंडा सा कुछ और अंदर जाने लगा तो मैंने हाथ बढ़ा कर उसको पकड़ा और देखा कि दीदी ने अपनी कमर पर एक डिल्डो बांधा हुआ था और उसे ही मेरी चूत में डाल रही थी।
मैंने उसे पूछा,”यह डिल्डो कहाँ से ले कर आई है?”
“तेरे जीजू ने ऑनलाइन मंगवाया हैं मेरे लिए कभी कभी बहुत मन करता हैं जब तेरे जीजू का लंड मेरी चूत को नहीं मिलता तो अपनी चूत की प्यास इससे ही बुझा कर शांत करती हूँ।
दीदी ने कहा – कैसा लगा देखकर।
मैंने दीदी से कहा वाह दीदी ये तो बहुत काम का हैं मुझे भी लेना हैं मेरी भी चूत बहुत खुजलाती हैं।
लेना तो ले देर किस बात की ले मिटा ले अपनी चूत की खुजली को इस डिलडो से पूरा आठ इंच लंबा और रंग भी तेरी पसंद का है हल्का भूरा बिल्कुल असली लण्ड जैसा !
और आज तू सोच ले कि तुझे असली लण्ड ही चोद रहा है और यह लण्ड ना तो झड़ेगा और ना ही ढीला पड़ेगा और हमेशा खड़ा रहेगा। दीदी उसे मेरी चूत के मुँह पर रख कर धक्का लगाते हुए बोली।
जैसे ही उसने धक्का मारा, डिल्डो का सिरा मेरी चूत के अंदर घुस गया कुछ देर रुक कर दीदी ने थोड़ा और जोर लगाया तो मेरे मुँह से एक हल्की सी चीख निकली और मैंने उसे कहा,”बस दीदी! इसको बाहर निकाल ले ! बहुत दर्द हो रहा है।”
जब मैंने उसे जोर देकर बाहर निकालने की कोशिश की तो दीदी बोलने लगी,”आज तो मैं तुझे चोद कर ही रहूंगी।
अगर अभी प्यार से नहीं चोदने देगी तो रात को जब तू सो जायेगी तो तेरी गांड में घुसेड़ दूँगी !!!”
“नहीं गांड नहीं!!! तू मेरी चूत चोद ले, पर आराम से धीरे धीरे चोदना !” मेरे मुँह से निकला।
“हाँ ! अब तू मेरी प्यारी बहन की तरह बात कर रही है ! अब तू देखना, मैं तुझे कैसे प्यार से चोदती हूँ!!!” कहते हुए दीदी मेरे ऊपर लेट कर मेरे होंठों को चूसने लगी।
अपने दोनों हाथों से मेरे मोम्मे दबाती हुए मुझे चूमने-चाटने लगी। मैं जानती थी कि आज हर हालत में मेरी चूत की धुनाई होनी है इसलिए मैं भी अब चुदाई का आनन्द लेने लगी।
मैंने अपनी टांगों को पूरा खोल लिया और दीदी की पीठ पर अपनी बाहें लपेट कर उसको अपने साथ चिपका लिया और उसको चूमने-चाटने लगी।
अब दीदी ने धीरे धीरे अपना डिल्डो मेरी चूत के अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। कुछ ही धक्कों के बाद दीदी ने डिल्डो बाहर निकाल लिया और फिर से मेरी चूत पर रगड़ कर मुझे छेड़ने लगी।
“आह्हह्ह ! दीदी प्लीज़, ऐसे मत कर !!! अपना लण्ड बाहर मत निकाल !!! अंदर डाल कर पूरा चोद दे मुझे !”
“चोदती हूँ ! पहले मेरा लण्ड तो चूस मेरी जान!!!” दीदी मेरे चेहरे पर अपना डिल्डो मारते हुए बोली।
“डाल दे ! अपना लण्ड मेरे मुँह में डाल कर पहले मेरा मुँह चोद दे !!!” मैं अपना मुँह खोलते हुए बोली।
फिर मैंने दीदी का डिल्डो पकड़ कर चूसना शुरू कर दिया। मैं उसके डिल्डो को ऐसे ही चूस चाट रही थी जैसे जीजू के बड़े से लण्ड को चूस रही हूँ।
दीदी अपनी हथेली से मेरी चूत को रगड़ने लगी। कुछ देर बाद दीदी मेरे नीचे की ओर आ गई और उसने मेरी टाँगें खोल कर एक बार दोबारा अपना डिल्डो मेरी चूत में डाल दिया।
दीदी मेरे ऊपर लेट कर मेरे मोम्मों को जोर जोर से मसल मसल कर मुझे चोद रही थी।
“दीदी ! और जोर से चोद !! अपने लण्ड से मेरी चूत को भर दे !!! और जोर जोर से धक्के मार !!!” मैं उन्माद में भरी हुई बोल रही थी।
दीदी के जोरदार धक्कों से मैं कुछ ही देर में झड़ गई और दीदी को अपने पूरे जोर से अपने साथ दबाने लगी।
दीदी ने मुझे घोड़ी की तरह होने को कहा। मैं बाँहों और घुटनों के बल घोड़ी बन गई तो दीदी ने मेरी टाँगें थोड़ी सी खोल दीं और मेरी बाहर निकली हुई चूत के मुँह पर डिल्डो रगड़ने लगी।
फिर उसने अपना डिल्डो धीरे धीरे मेरी चूत में डाल दिया और मेरी कमर पकड़ कर मुझे चोदने लगी। दीदी कभी मेरे मम्मे दबाती, कभी मेरी गाण्ड सहलाती, कभी गाण्ड पर चपत मारती हुई मुझे चोद रही थी।
कभी जोर जोर से धक्के मारती तो कभी धीरे धीरे डिल्डो मेरी चूत के अंदर बाहर करती। दीदी रुक-रुक कर मुझे चोदती रही और कुछ ही मिनटों में मैं फिर से झड़ गई।
मैं जोर जोर से सिसकारियाँ भर रही थी।
“मज़ा आया या और चोदूँ?” दीदी ने डिल्डो हिलाते हुए पूछा।
“नहीं, अब और ताकत नहीं है मेरे अन्दर ! मैंने कहा।
दीदी ने डिल्डो बाहर निकाला तो मुझे ऐसा लगा जैसे जान में जान आ गई हो, मैं पेट के बल बिस्तर पर गिर गई और जोर जोर से साँसे भरने लगी।
मैंने देखा दीदी मेरे साथ चित्त लेटी हुई थी और उसके डिल्डो का मुँह छत की ओर था।
मैं डिल्डो पकड़ कर हिलाने लगी तो दीदी ने मुझे देखा और मुझे चूम लिया। मैंने भी हाथ बढ़ा कर उसको अपने साथ खींच लिया और उसको चूमने लगी।
तभी दीदी एक बार फिर मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरी गर्दन के पीछे और मेरे कानों को चूमने चाटने लगी दीदी की जीभ मेरी पीठ से होते हुए मेरी गाण्ड को चाट रही थी।
मुझे लगा कि मेरा शरीर एक बार फिर से वासना से गर्म हो गया है। कुछ देर तक मुझे चूमने चाटने के बाद दीदी ने अपना डिल्डो मेरी गाण्ड के छेद पर लगा कर दबाना शुरू कर दिया।
“दीदी , प्लीज़ गाण्ड में मत डाल ! बहुत दर्द होगा !!” मैंने दीदी को कहा।
“मैं बिल्कुल धीरे धीरे और रुक रुक कर डालूंगी !! और जब तू कहेगी बाहर निकाल लूँगी !!!” दीदी ने डिल्डो को और दबाते हुए कहा।
“ठीक है, पर प्लीज़ मेरी गाण्ड धीरे धीरे मारना !!” मैंने अनुरोध किया।
दीदी ने धीरे धीरे और रुक रुक कर दबाते हुए अपना डिल्डो मेरी गाण्ड में पूरा डाल दिया और अंदर बाहर करने लगी।
“तू ठीक है ना? दर्द तो नहीं हो रहा? देख मैं कितने प्यार से और धीरे धीरे तेरी गाण्ड मार रही हूँ !” दीदी कहने लगी।
मैं सिर्फ हाँ-हूँ की आवाजें कर रही थी। दीदी ने अपने हाथ मेरे कंधों पर रखे हुए थे और मेरी गाण्ड मार रही थी।
कुछ देर के बाद उसने अपने हाथ मेरे दोनों ओर से नीचे किए और मेरे मोम्मे दबाते हुए मेरी पीठ को चूमने चाटने लगी।
मेरी जोर जोर से सिसकारियाँ निकल रहीं थीं।
“ ईशा थोड़ी सी अपनी गाण्ड ऊपर उठा, मैं तेरी चूत में उंगली डालना चाहती हूँ !!” दीदी मेरे कान को चूमते हुए बोली।
मैंने अपनी गाण्ड थोड़ी सी ऊपर की तो दीदी का डिल्डो पूरा जड़ तक मेरी गाण्ड में घुस गया और दीदी मेरा एक मम्मा छोड़ कर अपनी उंगली मेरी चूत में डालने लगी।
एक ओर से चूत में उंगली और पीछे से गाण्ड में दीदी का डिल्डो ! मैं दोनों ओर से चुदाई का मज़ा लेते हुए धीरे धीरे अपनी गाण्ड को आगे-पीछे करने लगी।
कुछ ही देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरा पानी दीदी की हथेली को भिगोने लगा। जब मैं झड़ गई तो दीदी ने अपना हाथ मेरे नीचे से निकाल लिया और एक बार दोबारा मेरे मम्मे को दबाने लगी।
“दीदी अब तो तूने मेरी गाण्ड भी मार ली, अब तो अपना लण्ड बाहर निकाल ले !” मैंने दीदी को कहा।
“हाँ बस अभी निकाल रही हूँ !” कहते हुए दीदी ने अपनी गति बढ़ा दी और अब जोर जोर से डिल्डो मेरी गाण्ड के अंदर-बाहर करने लगी।
दो-तीन मिनट के बाद दीदी ने अपना डिल्डो बाहर निकाला और मेरे साथ ही बिस्तर पर निढाल हो कर गिर गई।
“दीदी तू क्यों निढाल हो गई, गाण्ड तो मेरी चुदी है और पानी भी मेरी चूत से निकला है!!!” मैंने दीदी को चूमते हुए कहा।
कहानी अभी अगले भाग में भी जारी रहेगी।