“दीदी अब तो तूने मेरी गाण्ड भी मार ली, अब तो अपना लण्ड बाहर निकाल ले !” मैंने दीदी को कहा।
“हाँ बस अभी निकाल रही हूँ !” कहते हुए दीदी ने अपनी गति बढ़ा दी और अब जोर जोर से डिल्डो मेरी गाण्ड के अंदर-बाहर करने लगी।
दो-तीन मिनट के बाद दीदी ने अपना डिल्डो बाहर निकाला और मेरे साथ ही बिस्तर पर निढाल हो कर गिर गई।
“दीदी, तू क्यों निढाल हो गई, गाण्ड तो मेरी चुदी है और पानी भी मेरी चूत से निकला है!!!” मैंने दीदी को चूमते हुए कहा।
हम दोनों कुछ देर तक ऐसे ही लेट कर सुस्ताते रहे फिर दीदी ने धीरे से पूछा,”ईशा क्या तू क्या मुझे चोदेगी?”
“हाँ चोदूँगी ! ला मुझे यह डिल्डो उतार कर दे फिर देख कैसे मैं तेरी चूत और गांड का भर्ता बनाती हूँ।” मैंने कहा।
“यह वाला तो सिर्फ तुझे चोदने के लिये है. मुझे चोदना है तो मेरे बैग में से दूसरा निकाल ले !” दीदी बोली और उठ कर बाथरूम में चली गई।
मैं उठी और उसके बैग में देखा तो कोई आठ इंच लंबा और दो इंच मोटा काले रंग का एक डिल्डो उसमें पड़ा था, मैंने उसे निकाला और दीदी के बाथरूम से निकलने का इंतज़ार करने लगी।
फिर मैं बाथरूम होकर आई और उस काले डिल्डो को अपनी कमर पर बांध कर दीदी के साथ लेट गई। मैंने दीदी को चूमना-चाटना शुरू कर दिया।
दीदी धीरे धीरे सिसकारियाँ भर रही थी, मैंने कहा- आज मैं तेरे साथ वैसा ही करूँगी जैसे जीजू चोदने से पहले तुम्हें चूमते चाटते हैं।
“ठीक है और मैं भी तेरा लण्ड ऐसे चूसूँगी जैसे तेरे जीजू लण्ड चूसती हूँ !” दीदी बोली।
“ले फिर पहले मेरा लण्ड चूस कर खड़ा कर !” कहते हुए मैं उसके साथ लेट गई।
दीदी ने मेरे डिल्डो के सिरे को चाटना शुरू कर दिया, फिर उसे हाथ में पकड़ कर ऊपर से नीचे तक चाटते हुए मेरी जांघों को चाटने लगी।
अब दीदी डिल्डो को अपने मुँह में लेकर अपने सिर को जोर जोर से ऊपर नीचे करती हुई चूस रही थी, अपने हाथों में थूक लगा कर कभी मेरी जांघों पर मलती और कभी मेरे मम्मों पर मलती हुई उन्हें मसल रही थी।
मेरी जोर जोर से सिसकारियाँ निकल रहीं थीं। थोड़ी देर के बाद दीदी मेरे ऊपर लेट गई और मेरे होठों को काटती हुई चूसने लगी।
कुछ देर के बाद मैं दीदी के ऊपर चढ़ गई और उसके होठों को चूसते हुए उसके मम्मे मसलने लगी।
मैंने दीदी को ऊपर से लेकर नीचे तक चाटना और चूमना शुरू कर दिया, उसके मम्मे चूस चूस कर लाल कर दिये, उसके होठों को अपने होठों में दबा कर चूसने लगी।
मैंने उसको उल्टा लिटा कर उसकी पीठ को चाट चाट कर अपनी थूक से गीला कर दिया
उसकी गांड को चाट चाट कर जोर जोर चपत मार मार कर लाल कर दिया। मैंने उसे सीधा लिटाया और उसे चूमते हुए नीचे उसकी चूत पर पहुँच गई, उसकी जांघें खोल कर उसकी चूत के ऊपर चाटने लगी।
दीदी की चूत से पानी निकल रहा था, वह सिसकारते हुए कहने लगी, “ओह्ह्ह ईशा मेरी जान !!! चोद दे मुझे !!”
मैं अपने डिल्डो को उसकी चूत के मुँह पर रगड़ने लगी और फिर उसे दीदी की चूत के मुँह पर लगा कर मैंने धक्का मारा जिससे आधा डिल्डो दीदी की चूत में घुस गया।
“आह्हह्ह!!! ओह्ह्ह्ह!!! ईशा तेरा लण्ड घुस गया मेरी चूत में!!!” दीदी की जोरदार आह निकली।
मैंने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू कर दिये और पूरा डिल्डो दीदी की चूत में डाल दिया। एक बार पूरा डिल्डो दीदी की चूत में डालने के बाद मैं कुछ सेकंड के लिये रुकी और फिर उसकी चूत में डिल्डो अंदर-बाहर करने लगी।
“दीदी अब बता, तुझे कैसे चोदूँ !! धीरे धीरे या जोर जोर से !!” मैंने दीदी की टाँगें पकड़ कर चौड़ी कर लीं।
“मेरे ऊपर लेट कर चोद !!” दीदी बोली।
मैंने उसकी टाँगें छोड़ दीं और दीदी के ऊपर लेट कर उसके मोम्मे अपने हाथों में दबा लिये और उसके होठों को चूसते हुए उसे चोदने लगी।
कोई दस मिनट के बाद दीदी ने अपनी दोनों टाँगें मेरी कमर पर लपेट लीं और मेरी गाण्ड को जोर जोर से दबाते हुए झड़ गई।
कुछ देर तक दीदी के ऊपर लेटे रहने के बाद मैं दोबारा उठी और उसकी टाँगें खोल कर उसको जोर जोर से धक्के मार कर चोदने लगी।
थोड़ी देर में दीदी फिर से झड़ गई,”अग्ग्ग्ग!!! आह्हह्ह!!! मैं गई!!!”
मैंने उसकी टाँगें अपने कंधों पर रखीं और अपने पूरे जोर से उसे धक्के मारने लगी। दीदी की चूत से पानी बह कर बाहर निकल रहा था और उसकी गाण्ड के छेद को भी भिगो रहा था।
मैंने उस पानी को अपनी उँगलियों पर लगाया और दीदी की गाण्ड के छेद पर लगाते हुए अपनी एक उंगली उसकी गाण्ड में डालने लगी।
“ओह्ह्ह्ह ! ईशा नहीं प्लीज़ मत कर !!” दीदी जोर से कराही।
“जब तक लड़की की गाण्ड ना मारी जाये, चुदाई पूरी नहीं होती !!” मैं उसकी गांड में उंगली अंदर-बाहर करते हुए बोली।
मैंने अपना डिल्डो बाहर निकाला और उसकी गाण्ड के छेद पर लगा कर दबाने लगी।
जैसे ही डिल्डो का सिरा अंदर गया दीदी चिल्लाई,”ओह्ह्ह्ह !! प्लीज़ धीरे धीरे डाल !!!”
“जब तूने मेरी गाण्ड मारी थी तो तुझे बहुत मज़ा आया था अब मेरी बारी है तो प्लीज़ धीरे धीरे डाल? आज मैं तेरी गांड फाड़ दूँगी !!” मैंने जोर से एक धक्का मार कर डिल्डो दीदी की गांड में घुसेड़ते हुए कहा।
मैंने दीदी की गाण्ड के नीचे हाथ डाल कर उसकी गाण्ड और थोड़ी सी ऊपर की ओर उठा ली ताकि मुझे आसानी हो जाए और दनादन उसकी गाण्ड मारने लगी।
दीदी की आहें भी अब कम हो गईं थी। कोई पन्द्रह मिनट तक दीदी की गाण्ड मारने के बाद मैंने अपना डिल्डो बाहर निकाल लिया और दीदी की चूत में डाल दिया और दोबारा उसकी चूत चोदने लगी।
दीदी मेरे मम्मे दबाने लगी जैसे ही दीदी के हाथों का दबाव मेरे मम्मों पर बढ़ता, मैं उसे चोदने की गति बढ़ा देती।
तभी दीदी ने अपनी पूरी शक्ति से मेरे मोम्मे दबा दिये।
“ओहहह!!! आह्हह्ह!!! आह्हह्ह!!! दीदी मेरे मोम्मे छोड़!!!” कहते हुए मैं उसके हाथ हटाते हुए उसके ऊपर गिर गई और अब दीदी ने अपनी उँगलियाँ मेरी पीठ में गड़ा दीं और झड़ने लगी। हम दोनों साथ साथ नंगी ही चिपक कर सो गईं।