दोस्त के गांव में चूत चुदाई का मजा

दोस्तो नमस्कार, मैं विजय आज अपनी सेक्स कहानी लेकर आया हूँ मैं अपने दोस्त के साथ उसके गाँव गया तो वह मुझे चूत दिलवाने ले गया. उसकी बीवी ने मेरे करीब आकर मेरी तारीफ की और शुक्रिया भी अदा किया

फिर कुछ देर बाद मेरा दोस्त भी आ गया.
मैंने उससे कहा- क्या दोस्त है तू, मुझे अकेले छोड़ कर कहां गायब हो गया था? मैं बोर हो गया.
तो वो बोला- यार मैं अपनी जानेमन को पेलने गया था.

मैं बोला- वो कौन है?
वो बोला- यहां के मुखिया की बहू है … वो साली एक नंबर की माल है.

मैं बोला- और साले मेरा क्या?

वो बोला- अबे तुझे ही लेने तो आया हूँ. चल, तुझे गांव की गोरी की चूत चखाता हूँ.

मैं बोला- मुझे भी मुखिया के घर की कोई चाहिए.

वो बोला- अबे चल तो … उसकी भी दिलवा देता हूँ.

हम दोनों निकल कर खेत तक पहुंचे.

खेत के बाहर हम दोनों बातें करते हुए चल रहे थे कि अचानक मुझे खेतों में कुछ हिलता हुआ दिखाई दिया.

मैं बोला- उधर कोई है?

मेरा दोस्त बोला- चल देखते हैं … कौन है?

हम दोनों वहां पहुंचे, जहां खेत की फसल हिल रही थे. वहां पहुंच कर मेरी नजरें चौड़ी हो गईं.

मेरे दोस्त ने मुझे चुप रहने का इशारा किया.

एक काला सांड एक कमसिन लड़की को पेल रहा था.

मैंने उससे पूछा- ये कौन है?

मेरा दोस्त हेमंत बोला- ये मुखिया का लठैत है राजू .

मैं बोला- और ये लड़की?
तो दबी हुई आवाज में बोला- ये लड़की नहीं, औरत है. हमारे बगल में 3 घर छोड़ कर इसका घर है. इसका पति खेती बाड़ी का काम करता है. इसके पति ने मुखिया का कर्जा लिया है.

मैं समझ गया कि ये राजू कर्जे का सूद वसूल कर रहा है.

मैं बोला- यार, ये कमसिन जवान औरत और ये सांड तो इसे मार ही डालेगा!
वो बोला- अरे चुदने से कोई नहीं मरती है. देख वो भी मजे लेकर चुद रही है.

मैंने देखा, तो सच में वो मजे ले रही थी और मस्ती से अपनी गांड हिलाती हुई उस गैंडे का साथ दे रही थी.

क्या बला की खूबसूरत परी थी.
अब मेरा भी मन डोल गया और लगा कि राजू को भगा कर मैं उसको चोद दूँ.

कुछ देर बाद राजू का पानी गिर गया और वो उस औरत के ऊपर से उठ खड़ा हुआ.
वो औरत भी उठ कर अपनी साड़ी ठीक करने लगी और उससे बतियाने लगी.

“तू करीब 6 महीना ता मने पेल रह्यो है. अब तक पर बच्चो नै कूणो दे सक्यो. मेरो पती भी वैसो ही है और तू भी … तू बस ठोकता है. तेरे पानी में ताकत ही नहीं है.” ऐसा बोलके वो मुँह बनाती हुई चली गई.

राजू भी अपना मुँह और लंड लटका कर चला गया.
अब हम लोग आगे बढ़े.

मैं बोला- बहन की लवड़ी साली … क्या गदर माल थी और वो काला सांड उसे मसल कर पेल रहा था. तू क्यों नहीं उसे बच्चा दे देता … या तू कहे तो मैं उसे बच्चा दे देता हूँ! मेरे मन को भी भा गयी है ये … यार जाने से पहले एक बार इसकी दिला दे.

हेमंत बोला- चल तेरी यह मुराद भी पूरी करता हूँ.

अब हम दोनों एक खेत में घुसे.

वहां दो सुंदर सी औरत हमारा इंतजार कर रही थीं.
हेमंत ने मेरा परिचय कराया- यह है नंदिनी मुखिया की बहू!

वह मेरी ओर देख कर आंखें बड़ी करके देखने लगी.

तभी हेमंत ने कहा- देख ना कितनी खूबसूरत है!
नंदिनी ने मुझसे नमस्ते की.

मैंने भी जवाब में नमस्ते की.
फिर दूसरी की ओर हाथ करते हुए हेमंत ने कहा- यह कोमल है, मुखिया की बड़ी बेटी. अभी दो महीने बाद इसकी शादी है.

वह मुस्कुराई.
मैंने उसे भी हैलो कहा.

फिर हम लोग बैठ गए.
उन दोनों में खुसुर फुसुर शुरू हो गयी.

हेमंत बोला- यार, यह मेरा दोस्त विजय है. हम एक दूसरे से कुछ नहीं छुपाते. विजय ये है मेरी गर्लफ्रेंड नंदिनी. हम एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं … और नंदिनी जब से मैंने इसे तेरी कोमल के साथ वाली फोटो दिखाई है, तब से ये कोमल से मिलने की जिद कर रहा है. आज मैं इसे ले मिलवाने ले आया.

नंदिनी ने उसे इशारा किया.
वो हंस दी.

मैं खुश हो गया और मैं भी हंस दिया.
अब हम सब बातें कर रहे थे.

तभी हेमंत बोला- विजय तुम दोनों बातें करो, हम दोनों अभी आते हैं.

वह से भी बोला- देख कोमल , इसे नाराज मत करना. कोमल  शरमा दी.

वे दोनों दूसरी ओर को चले गए. अब मैं और कोमल अकेले थे.

मैंने एक नजर कोमल को देखा, कमाल का हुस्न था उसका! क्या आंखें थीं और क्या खूबसूरत गदराया हुआ जिस्म था.

उसके चूचों के खासे उभार थे और एकदम नुकीले मम्मे थे.सामने का नुकीला हिस्सा मुझे ललचा रहा था.

मैं उसको खा जाने वाली नजरों से देख रहा हूँ, ये उसने भी देख लिया था.वो बोली- आपको कुछ चाहिये है क्या? मैं बोला- हां.

वो बोली- क्या चाहिए! मैं बोला- मैं इन कजरारी आंख्यां रो सपना बनणो चावूं हूँ। इस धड़कता दिल री धड़कन बनणो चावूं हूँ। इन नाजुक रसीला होठां री मुस्कान बनणो चावूं हूँ … बोलो बन्ने देवोगी?

वो शर्मा रही थी.
उसने हां में गर्दन हिला दी.

मैं जानबूझ कर बोला- नहीं दोगी क्या?
तो वो झट से बोली- मैं तो हाँ बोली ही ना!

बस मेरा काम बन गया और मैंने उसे खींच कर अपनी बांहों में भर लिया.
वो भी मेरी बांहों में समा गयी.

फिर वो बोली- हम कंही और चालां हां. नहीं तो भाभी हमें देख लेसी.

मैं बोला- तो चलो, हम तुम्हारी भाभी को ही देख लेते हैं. फिर कोई डर ही नहीं रहेगा.

बस फिर क्या था. हम दोनों उन दोनों को खोजने लगे.
एक जगह खेत में फसल हिलती दिखी, तो हम वहां पहुंच गए.

सीन देखा कि नंदिनी पूरी तरह नंगी पड़ी थी और हेमंत उसकी चूत चाट रहा था. वो भी पूरा नंगा था.

ये नजारा देख कर हमारी नसें टाईट हो गईं.
हेमंत नंदिनी को चाटे जा रहा था और नंदिनी ने आंखें बंद कर रखी थीं.

हेमंत उसकी चूत के दाने को अपनी जुबान से सहला रहा था.
नंदिनी ‘उम्म उम्म नहींईई …’ करती हुई कामुक आवाज निकाल रही थी.

मैंने कोमल का हाथ पकड़ा और बोला- हम भी उनके साथ यहीं जुड़ जाते हैं.
उसने मना कर दिया और बोली- मुझे शर्म आएगी.

फिर वो धीरे से बोली- कहीं और चलते हैं ना!
मैं नहीं माना.

मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
मेरा हाथ अपने आप उसकी कमर से होते हुए उसके चूचों तक आ गया.

धीरे धीरे मैं उसके चूचों को सहलाने लगा. वो भी मजे लेने लगी.

मैंने अपना दूसरा हाथ उसके ब्लाउज के ऊपर से ही उसके बूब्स को सहलाने लगा.

अब उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया. बस मुझे भी इसी बात का इंतजार था.
मैंने भी उसकी साड़ी अहिस्ता अहिस्ता करके निकाल दी.

वो किस करने में लगी थी और मैं किस की आड़ में उसको नंगी करने में लगा था.
फिर उसके घाघरे का नाड़ा भी खुल गया.
अब कोमल नीचे से नंगी हो चुकी थी, मेरा आधा काम हो गया था.

मैंने उसकी चूत पर अपने हाथ से कब्जा कर लिया और एक उंगली से उसकी चूत को सहलाने लगा.

उसने कमर हिला कर अपनी सहमति दी. उस पर भी लौड़े का नशा छाने लगा था.

मैंने धीरे से उसकी चूत में एक उंगली सरका दी.
वो चिहुँक उठी और आह बोल कर नशीली आंखों से मेरी और देखने लगी.

मैंने उसकी चोली के हुक खोल दिए, अन्दर ब्रा को भी खोल दिया.

अब उसके नुकीले स्तन मेरे सामने थे. मिसाईल की तरह हमला करने के लिए तैयार.

मैंने उसकी चूचियों में से एक को धर दबोचा और एक को मुँह में भर लिया.
मैं कोमल के मम्मों का रस पान करने लगा.

वह भी मजा लेने लगी, खुल कर रसपान कराने लगी. वह अपने हाथ से अपने दूध की नोक मेरे मुँह में देती हुई आह आह कर रही थी.

मैं एक दूध चूसने के बाद दूसरे दूध को चुसने लगा. मैं तो जैसे उसके मम्मों पर टूट ही पड़ा था, उसकी चूची को कभी खींचता तो कभी दबाता.

उसके दोनों चूचे मैंने चूस चूस कर लाल कर दिए. उसके निप्पल एकदम कड़क हो गए थे.

अब चूची को छोड़ कर मैं नीचे की तरफ बढ़ा, उसके पेट पर जाकर जुबान से उसकी नाभि में खुदाई करने लगा.
वह छटपटाने लगी … पैर पटकने लगी.

मैंने नाभि को गीला करके जुबान बाहर निकाली और जुबान खिसकाते हुए उसकी मखमली चूत पर ले गया.
अब तक उसकी चूत अच्छा खासा रस छोड़ चुकी थी, पूरी तरह गीली थी.

हम दोनों दोस्त ननद भौजाई को एक साथ पेल रहे थे.
हेमंत नंदिनी को और मैं नंदिनी की ननद कोमल को.

मैंने कोमल की रस से भरी चूत में जैसे ही अपनी जुबान घुसाई, वैसे ही कोमल ने ‘इस्स्स …’ करती हुई अपना बदन खींच कर अकड़ा लिया.

मैंने जुबान और अन्दर घुसा दी और उसकी चूत का रस चूसने लगा.
कोमल मेरे बालों को पकड़ कर मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगी.

मैं उसकी चूत में जुबान को नचाने लगा.
उसकी चूत थरथराने लगी और उसने पूरी ताकत मेरे सर को चूत पर दबाने में लगा दी.

मैं समझ गया कि अब ये झड़ने वाली है.
उसी वक्त एक लंबी आह की गूंज से वो बहने लगी.
मैं उसकी चूत का रस पीता रहा.

फिर मैं उठ गया और अपना लंड उसके मुँह के सामने कर दिया.
पहले तो वो डर गयी और बोली- उई मां इतनो बड़ो … मैं कैसे ले पाउँगी?

उसके इतना बोलते ही मैंने उसके बाल पकड़कर अपना औजार उसके मुँह में ठूंस दिया.
‘उम्म्म उम्म्म् …’ करती हुई वो मुँह आगे पीछे करने लगी.

करीब 5 मिनट के बाद मैंने उसके मुँह से लंड निकाल लिया और उसे नीचे लिटा दिया.
उसके दोनों पैरों को अपने कंधे पर ले लिया.
उसकी चूत को थोड़ा सा खोला और अपना लंड उसकी चूत पर सैट कर दिया.

अब बारी थी जोरदार झटके की.

उस समय नजारा कुछ ऐसा था कि वह चित पड़ी थी, उसके पैर ऊपर मेरे कंधों पर थे.
मैं उसके ऊपर लेटा हुआ था और लंड का सुपारा उसकी चूत के मुँह पर अन्दर जाने के लिए तैनात था.

बस अपनी पूरी ताकत लगा कर मैंने एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत की सारी रुकावटों को फाड़ता हुआ हर एक नस को चीरता हुआ आखिरी छोर तक जा पहुंचा.

‘उई मां मर गयी …’ करती हुई कोमल छटपटाने लगी.
‘निकालो … मेरी फट गयौ …’…’…’ करती हुई कोमल छटपटाने लगी.

ऐसा बोलती हुई वो मुझे अपने ऊपर से हटाने की नाकाम कोशिश करने लगी.
पर मेरी पकड़ काफी मजबूत थी. उसकी चूत की चौड़ाई मैंने जुबान से नापी थी.

उसे इतनी जोर से चिल्लाना तो नहीं चाहिए था.
मगर वो चिल्लाई तो ऐसे थी साली कि उसकी सील फट गई हो.

इसी हालत में मैं कुछ पल रुका रहा.
वह जैसे ही थोड़ी नॉर्मल हुई, तब मैंने उसको चोदना चालू किया.

अब वह भी मुझे साथ देने लगी.
अहिस्ता अहिस्ता उसको मजा आने लगा.

मैं उस पेल रहा था, पर मेरा दिमाग कहीं और था.
मेरे दिमाग में एक ही बात चल रही थी कि कोमल की चूत की सील टूटी हुई थी.

भले ही वो लंड अन्दर लेते ही रोने लगी थी … पर मेरा अनुभव बता रहा था कि उसकी सील टूट चुकी थी.
पर मैं अभी उस पचड़े में नहीं पड़ने वाला था.
मेरा पेलना जारी था.

कोई 15 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद कोमल फिर से थरथराने लगी.
वह अपने नाखून मेरी पीठ में घुसाने लगी.
उसकी आधी आंखें बंद और आधी खुली हुई थीं और वो आसमान की सैर के लिए तैयार थी.

उसी पल मेरे लंड पर उसकी चूत से गर्म फव्वारा छूटा और कोमल झड़ने लगी.
मैं कुछ देर रुक गया.

मेरी नजर ऊपर को उठी तो देखा हेमंत और नंदिनी दोनों हमें देख रहे थे.
वे दोनों नंगे थे.
दोनों नीचे बैठ गए.
मैं भी देखता रहा कि क्या नजारा था.
एक कली मेरे लौड़े के नीचे कुचल रही थी और दूसरी कली मेरे सामने मेरे लौड़े को चूत फाड़ती हुई देख रही थी.

दोनों नंगी थीं.
क्या नजारा था.
कोमल की आंखें बंद थीं और उसकी भाभी की आंखें मेरे मोटे लंड से अपनी ननद की चूत में खुदाई करती हुई देख रही थीं.

मैंने धीरे से कोमल का हाथ हटा दिया. उसकी नजरें अपनी भाभी नंदिनी से जा मिलीं.

वह इस तरह शर्माई कि उसने जल्दी से अपने हाथों से अपना मुँह छुपा लिया.

पर वह ये भूल गई कि वो पूरी तरह से नंगी थी और मेरे लौड़े के नीचे लेटी है. मेरा लंड उसकी चूत में फंसा है.

मैं भी अब थोड़ा फ्री हो गया था तो बोला- तुम लोग कब से हमें देख रहे हो? अपना प्रोग्राम बड़ी जल्दी खत्म कर लिया?
हेमंत बोला- साले, तू उसकी चीख निकालेगा, तो हमें सुनाई नहीं देगी क्या?

मैं बोला- सॉरी, तुम्हें डिस्टर्ब किया.
वो बोला- नहीं बे, हमने तो तुम्हारा शो इंजॉय किया.

मैं बोला- तुम्हारा शो देख कर हमें नशा आ गया था और हम दोनों शुरू हो गए.
ये सुनकर नंदिनी हंस दी.

मैं उससे बोला- देख क्या रहे हो … आओ शुरू हो जाओ. लेटो मेरे बाजू में!

फिर क्या था … हेमंत ने नंदिनी को बाजू में लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गया.

करीब 10 मिनट बाद मैं बोला- हेमंत, चल गाड़ी बदल लेते हैं.
वे दोनों चूतें ये सुनते ही एक दूसरे को देखने लगीं और ना में सर हिलाने लगीं.

पर मुझे नंदिनी को चोदना था.
बस मैं उठ खड़ा हुआ.

तब हेमंत बोला- यार ये और मेरी बीवी … इन दोनों को छोड़ कर तू जिसे बोले, उसको तेरे साथ शेयर कर सकता हूँ.
मैं बोला- ठीक है.

मैंने अब आसन बदला और कोमल को लिटा दिया.
मैं बोला- कोमल अब तू नंदिनी के चूचे चूस और मैं तेरे छेद को देखता हूँ.

और मैं कोमल को पीछे से ठोकने लगा.

कुछ मिनट पेलने के बाद मैं बोला- मेरा होने को है!
हेमंत भी बोला- मेरा भी.
वो दोनों बोलीं- हम भी.

तब एक साथ सब झड़ने लगे.
माहौल चिपचिपा हो गया.

हम सब करीब 5 मिनट ऐसे ही रहे.
फिर उठकर कपड़े पहने.

कोमल  चुदवा कर खुश थी.
मैंने उससे पूछा- मजा आया?
तो उसने हां में सर हिला दिया.

गाँव की चूत फक़ के बाद हम वहां से निकल गए.

हेमंत और नंदिनी आगे चले गए, मैं और कोमल पीछे से जाने लगे.

मैंने अपने दिल की बात कोमल से पूछी- कोमल, हम दोनों अब एक जान हो ग्या। हम दोनों में कुछ भी छिपा नै है। तूं बहोत खूबसूरत है, नंदिनी भी थारे सामणै कुछ नै।

वो शर्मायी और सातवें असमान में उड़ने लगी तभी मैं बोला- एक बात सच सच बताना, मेरे से पहले तुमने किस के साथ सेक्स किया था!

वह डर गयी कि क्या बोले, उसको समझ नहीं आ रहा था.

मैं बोला- तू अब मेरी है, बेझिझक बोल दे.

वो बताने लगी- एक दिन मैं भाभी रो पीछो करतो हुवो इसी खेत में आयी थी. ये देखणो कि भाभी क्यूं जावे है? फेर मैंने उनने देख्यो कि वो हेमंत के संग सेक्स कर री है. मैं भाभी पर भड़क गी और बोल्यो कि भाभी ये सब के हो रहो है. मैं ये सब में घर जाकै सबने बता दूँगी.
‘फिर?’

‘ये कह कर मैं जाने लगी. तभी भाभी हेमंत से बोली कि हेमंत इसे पकड़ो और चोद दो, नहीं तो ये सबने बता देगी.’
‘ओके फिर?’

फेर मैंनें पाछे स देख्यो, तब तक हेमंत मने धर दबोच्यो अर खेत में लिटा दियो. भाभी मरे हाथ पकड़्या अर हेमंत मरी साड़ी ऊपर क रकै अपनो मूसा मरे अंदर घुसा दियो. मने घणी दर्द होय, मैं बेहोश हो गी थी… पण वो रुको ही नहीं. कुछ देर पाछे जद मने होश आयो, पर तब तक मने मजा आवण लाग्यो. तभी भाभी बोली कि मजा आयो ना मरी प्यारी ननद को!

मैं मजे में बोल पड़ी कि हां घणी मजा आ रयो है. बस तब मैं पहली बार चुद गी थी. उस दिन घणा खून निकल्यो. मुझसे सही से चालण भी नहीं हो पायो. उसके पाछे मैं कदी भाभी के संग या उसके पाछे नहीं गी. उसके पाछे आज तुमरे संग कियो, पर आज मने असली सुख मिल्यो. मैंने पहली बार अपनी मर्जी से तुमने अपना यौवन दियो है.

“मैं बोला- कोई बात नहीं कोमल … थारो बदला मैं लूँगा मेरी  डार्लिंग. काल इसी खेत में तू नंदिनी ने लियाणा, मैं उसनै चोद दूँगा. थारो बदला पूरा हो जावेगो. वो किसी और सै नहीं चुदाती है ना… तू भी थारे यार सै चुदवा दे उसनै. हिसाब बराबर हो जावैगो ना थारो! मेरी जानेमन ने चुदवायो थो ना… मैं उसनै छोडूंगा नहीं!

वो भी बोली- हां मेरो बदलो तुम ले लो.. बस फिर क्या था मेरा काम बन गया

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