नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम कुश है, आज से पांच साल पहले मैं और मेरे दोस्त का परिवार एक यात्रा गए थे, तब तक मेरी शादी नहीं हुई थी।
मेरे दोस्त के साथ उसका पूरा परिवार था और उसके साथ उनकी भांजी और उनकी साली भी थी. दोस्त की साली का नाम नलिनी और भांजी का पिंकी था नलिनी की उम्र 23 साल थी और पिंकी 17 साल की थी।
आरम्भ में मुझे बिल्कुल नहीं पता था कि वे दोनों हमारे साथ यात्रा में होंगे. हमारी यात्रा रेल से शुरू हुई. शुरू में सब कुछ सामान्य था. हमें जहां जाना था, वहां पहुंचे, रात को रूम लेकर सो गए।
सुबह उठ कर भगवान के दर्शन किए और वापस अपने रुकने की जगह आ गए. दोपहर को खाना खाने के बाद थोड़ा आराम किया, बाद में हम सब लोग घूमने निकले.
हमें घूमने के लिए आस पास के एरिया में ही जाना था और दो दिन वहीं घूमना था. इसलिए हम सभी ने तय किया और एक बस ले ली
बस की यात्रा शुरू हुई. मैं सबसे लास्ट वाली सीट पर बैठा था. नलिनी को जगह न मिलने के कारण वह खड़ी थी. कुछ देर बाद वह आकर मेरे घुटनों पर बैठ गई. तब तक मेरे मन में कोई भी गलत विचार नहीं था।
बस चलती रही, वो हिलती रही. उसके स्पर्श ने मेरी भावना बदल दी. इसी बीच मेरा लंड अपने आप ही खड़ा हो गया और उसे टच करने लगा. इस बात को नलिनी भी जान चुकी थी।
मैंने उसको उठने को कहा, लेकिन वह न उठी, शायद वो भी लंड के मजे ले रही थी. हम दोनों बिना कुछ बोले मजा लेने लगे. स्टॉप आता, तो उतर कर घूमने लगते और वापस अपनी जगह आकर बैठ जाते. जब भी बैठते, तो वो और भी ज्यादा चिपक कर लंड का स्पर्श पाने की पोजीशन में खुद को बैठा लेती।
ऐसे ही दो दिन की यात्रा समाप्त हुई नलिनी के परिवार के लोग होने के कारण वहां कुछ नहीं हो सकता था और ना ही कुछ आगे हो सका. बस इतना ही हुआ कि उसने और मैंने एक दूसरे का साथ पाने की लालसा एक दूसरे तक बिना बोले ही पहुंचा दी थी।
फिर हम वापस घर की ओर निकलने लगे. उधर से रात की ट्रेन थी. हमारी कोई भी सीट कन्फर्म नहीं थी. फिर हम लोग ऐसे ही बिना आरक्षण के ट्रेन में बैठ गए।
हम सब ये सोच कर बैठ गए थे कि रास्ते टीटी से मिलकर कुछ जुगाड़ कर लेंगे लेकिन हमारा नसीब खराब था या फिर मेरा ही अच्छा था ये मुझे बाद में पता चला था।
हुआ यूं कि ट्रेन में सब लोग अलग अलग जगह एडजस्ट हो गए बाद में टीटी से मिलकर मैंने एक सीट कन्फर्म करवा ली इस बात को लगभग 2 घंटे निकल गए थे. सब सामान उस सीट के पास रखकर सब फैल गए. उस सीट पर सिर्फ दोस्त की बीवी, मेरी भाभी और उसकी बहन नलिनी बैठ गई।
इस सब में रात के 12 कब बजे, मुझे पता ही नहीं चला. फिर सबको जुगाड़ करके और सबको सुला देने के बाद मैंने सामान के पास जाने का सोचा और उधर की तरफ निकल पड़ा।
वहां पहुंचने के बाद देखा कि भाभी नीचे सो गई थीं और नलिनी ऊपर अकेली पैर मोड़ कर बैठी थी, क्योंकि लास्ट वाली सीट थी और ऊपर के दोनों लोग सो गए थे फिर मैं वहीं जगह बना कर बैठ गया।
अब तक नलिनी और मेरी अच्छी दोस्ती हो गई थी, तो उसने मुझे बैठने के लिए रोका नहीं. फिर हमारी कुछ इधर उधर की बातें शुरू हो गईं. कॉलेज से लेकर पर्सनल बातें तक हुईं।
अब तक मेरे दिल में कुछ भी गलत बात नहीं थी, पर एक झटका ऐसा लगा कि कुछ हुआ हुआ यूं कि उसका हाथ मेरे हाथों से जा टकराया. फिर हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा, तो वो शरमा गई मैंने उसके हाथ को अब तक छोड़ा नहीं था. मैं उसके हाथ को सहलाने लगा. वो कुछ नहीं बोली. बस फिर क्या था।
अब तक रात के करीब 2 बज चुके थे. किसी के देखने का सवाल ही नहीं था. फिर भी मैं सावधानी पूर्वक आगे बढ़ा और उसके पैर को सहलाया. वो कुछ नहीं बोली. इससे मेरी हिम्मत बढ़ी. मैं उसके पाँव को सहलाता रहा फिर उसी ने पहल की- आपकी कोई गर्लफ्रेंड है? मैंने तुरंत ना कहा, जो कि सच था।
फिर ऐसे ही सहलाते हुए गर्मा-गर्मी में सफर चल रहा था. अब मैंने हिम्मत करके उसकी छाती पर हाथ लगाया, तो उसके मुँह से ‘ऊंह … आह..’ की आवाज आई। मैंने उसकी तरफ देखा, तो वो मुस्कुरा दी. मैंने बेहिचक उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया. वो मेरे लंड को सहलाने लगी।
ऐसे ही 10 मिनट तक लंड सहलाने के बाद मैंने उसको इशारा किया कि टॉयलेट में चलो।
मैं उसे इशारा करके आगे बढ़ गया और वो भी 2-3 मिनट बाद आ गई. उसके अन्दर आते ही मैंने टॉयलेट का दरवाजा बंद किया और उस पर टूट पड़ा. जहां जी चाहा, वहां सहलाने लगा।
उसने नाईट पैंट और टी-शर्ट पहनी थी. मैंने उसकी टी-शर्ट के अन्दर हाथ डालकर मम्मों को मसलने लगा. वो चुदासी तो थी ही, एकदम से बहुत गर्म हो गई।
फिर मैंने उसकी पैंट में हाथ डाल कर उसकी चूत में फिंगरिंग की. उसने भी अपनी टांगें फैला दीं … ताकि उसकी चूत में मेरी उंगलियां ठीक से चल सकें. उसकी चूत एकदम से गीली थी।
उसके बाद मैंने उसकी पैंटी नीचे कर दी और नीचे बैठ कर उसकी चूत में अपना मुँह लगा दिया. मेरी जीभ के स्पर्श ने उसे मजा दे दिया. मैं अपनी जीभ उसकी चूत के अन्दर डाल कर उसे मजा देने लगा।
वो ऊपर उसका मुँह अपने हाथों से दबा कर ‘उह … ओह …’ कर रही थी. मैं उसकी चूत चाटने के साथ ही अपने हाथ ऊपर करके उसके रसीले मम्मों को अपने हाथों से मसल रहा था।
कुछ ही मिनटों में वो गांड उठाते हुए झड़ गई. फिर मैंने उसको नीचे बिठा दिया और मैं खड़ा हो गया. मैंने अपना 7 इंच का लंड हवा में लहरा दिया. उसने लंड हाथ में ले लिया और उसे सहलाने लगी।
मैंने जोर देकर कहा- मुँह में ले लो तो वो सर हिलाते ना बोलने लगी फिर मैंने थोड़ा जोर देकर कहा- टेस्ट तो करो … मजा आएगा।
इस बार वो मान गई. उसने मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया और मुझे मजा देने लगी. कुछ एक मिनट तक चूसने के बाद उसने छोड़ दिया, मैंने भी उससे कुछ नहीं कहा।
फिर वो अपने हाथों से लंड सहलाने लगी. कुछ ही सेकंडों में मेरा रस निकल गया फिर हम चुपचाप नजर बचाते हुए बाहर आ गए और अपनी जगह पर बैठ गए इसके आगे ट्रेन में कुछ ना हो सका हम 2 दिन की यात्रा करके वापस अपने शहर आ गए।
वापस आकर मैं अपने काम में लग गया. एक हफ्ते बाद पिंकी का मुझे कॉल आया. उसने मुझपे एक बम गिराया कि वो नलिनी और मेरे साथ हुए सब खेल को जान चुकी है।
उसकी बात सुनकर मैं डर गया उसके दूसरे दिन पिंकी का फिर से कॉल आया. पहले तो मैंने नहीं उठाया, फिर डरते डरते कॉल उठाया, तो सामने नलिनी थी।
उसने मुझे बताया कि उसने ही पिंकी को सब बताया है और वो किसी को भी कुछ नहीं बताएगी. तब जाकर मेरी जान में जान आ गई. फिर कुछ सामान्य बात करके उसने कॉल बंद कर दिया।
उसी दिन करीब 4 बजे फिर कॉल आया तो नलिनी बोली- मेरा आपसे मिलने का मन हो रहा है, क्या आप मिल सकते हो? मैंने उसकी अन्तर्वासना को पहचाना और तुरन्त हां बोला फिर हम दोनों ने एक मॉल में शाम के 6 बजे मिलने का तय किया।
मैं समय से पहले ही मॉल के गेट के पास उसकी राह देखने लगा वो तय समय से दो मिनट बाद सामने से आती हुई दिखी. वो गुलाबी वनपीस ड्रेस में क्या मस्त माल लग रही थी. मैं उसको देखते ही उसी में खो गया वो मेरे नजदीक आ गई मुझे इस हालत को देख कर वो पहले तो खूब हंसी मैं भी थोड़ा शरमाते हुए हंस गया।
एक दो मिनट यूं ही बात करने के बाद हम दोनों अन्दर आ गए. एक कॉफी स्टाल पर बैठ कर मैंने कॉफी आर्डर की. फिर एक दूसरे के सामने बैठकर बातें करने लगे. अभी सब सामान्य बातें हो रही थीं।
मैंने ही उस रात का जिक्र किया, तो वो क्या शरमाई थी … आह … मुझे आज भी याद है तब तक कॉफी आ गई, कॉफी पीते हुए मैंने उससे बोला- आगे क्या?
वो समझ गई, पर कुछ नहीं बोली मैंने ही फिर बोला- चलो कुछ मजे करने चलते हैं वो कुछ नहीं बोली, मैं समझ गया कि ये राजी है … आज मजा नहीं लिया, तो कभी नहीं मिलेगा।
मैंने कॉफी के पैसे दिए और उसका हाथ पकड़ कर आने का इशारा किया. वो उठी तो मैंने उसका हाथ छोड़ दिया. मैं आगे चल दिया, वो मेरे पीछे आने लगी. हम दोनों अपनी मंज़िल पर निकल पड़े वो थोड़ा नाटक कर रही थी कि कोई देख लेगा मैं बोला- कोई नहीं देखेगा, तुम चलो तो सही।
मैंने अपनी कार निकाली और उसको अन्दर बिठा लिया तभी वो बोली- इधर मेरी एक्टिवा रखी है मैं बोला- कोई चिंता की बात नहीं है. हम 2 घंटे में वापस आ जाएंगे।
वो मान गई. हम हाईवे के तरफ निकल पड़े. कोई 20 मिनट के दौरान मैंने उसको खूब सहलाया. वो बहुत ही गर्म हो चुकी थी. हम एक होटल में आ पहुंचे. पहले मैंने अकेले जाकर एक रूम बुक किया और उसको फोन करके अन्दर बुला लिया.
कमरे में अन्दर जाते ही मैंने उसको कसके पकड़ लिया. वो तो पहले से ही बहुत चुदासी थी. इसी वजह से उसने भी मुझे कसके पकड़ लिया. इसी हड़बड़ी में हम दोनों पास के पलंग पर गिर पड़े।
मैंने उसे अपने नीचे दबा कर खूब चूसा वो बोली- कपड़े खराब हो जाएंगे मैं समझ गया. हमने एक दूसरे के कपड़े निकाले. पहले मैंने उसकी ब्रा का हुक खोलकर उसके निप्पलों को अपने होंठों में दबा लिया और मम्मे मसलते हुए निप्पल चूसने लगा।
वो बेकाबू होकर मुझे जकड़ते हुए मेरे सर को अपने दूध पर दबा रही थी कुछ देर बाद मैंने अपना मोर्चा नीचे सैट कर लिया. उसकी चूत को खूब चूसा थोड़ी ही देर में वो ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’ करती हुई स्खलित हो गई।
फिर मैंने अपना 7 इंच का लंड उसके मुँह में देना चाहा, तो साली ना करने लगी. मैंने थोड़ा जोर दिया, तो मान गई और मेरा लौड़ा चूसने लगी. हम दोनों जल्दी ही 69 में हो गए।
उसने चूसना बंद किया और बोली- जल्दी करो … मुझसे अब कन्ट्रोल नहीं हो रहा मैंने भी सोचा कि वक्त कम है, निपट ही लो।
मैंने उसको सीधा किया और चुदाई की पोजीशन बनाई. सुपारा सैट करके धक्का मारा, तो मेरा फिसल गया. मैंने लंड को वापस चूत की फांकों में सैट किया और जोर का झटका लगा दिया।
वो जोर से चिल्ला दी. मैंने हाथों से उसका मुँह दबाया और शांत रहा. अब वो थोड़ी शांत हुई, तो मैंने अपना काम शुरू किया. हालांकि उसकी सील पहले से टूट चुकी थी, पर ज्यादा वक्त गुजर जाने की वजह से चूत अभी बड़ी टाइट थी. उसकी सील टूटने की बात उसने मुझे बताई थी, पर वो कहानी मैं बाद में बताऊंगा।
मैंने अपना काम जारी रखते हुए उसे धीरे धीरे ढीला किया. वो दो मिनट बाद ही मेरे लंड से मजे लेने लगी थी. हम दोनों के बीच धकापेल चुदाई होने लगी। मैं उसकी चूचियों को चूसते हुए उसकी चूत को रगड़ने में लगा था. उसकी अकड़न मुझे बता रही थी कि लौंडिया अब झड़ने की कगार पर आ गई है।
उसने इस वक्त मुझे कसके पकड़ा हुआ था. मैं जोर जोर से उसकी चुदाई कर रहा था इसी बीच वो निकल गई और निढाल हो गई मैं अभी भी पूरे जोरों से चुदाई कर रहा था।
उसकी गर्मी ने मेरे लंड को चिकनाई दे दी थी, जिससे मेरे झटके और भी स्पीड से लगने लगे थे इसी बीच वो फिर से चार्ज हो गई और गांड उठा उठा कर लंड के मजे लेने लगी।
करीब दस मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने के कगार पर आ गया था वो भी दूसरी बार होने को थी. मैंने उससे पूछा- कहां निकालूं? तो वो बोली- अन्दर ही निकालो … मैं दवा ले लूँगी उसके ऐसा बोलते ही मैं 10-15 करारे झटकों के साथ ही उसके अन्दर ही झड़ गया।
चुदाई के बाद 10 मिनट तक हम दोनों ने आराम किया. फिर हम दोनों ने बाथरूम में जाकर आपने आपको साफ किया फिर अपने अपने कपड़े पहने और होटल से बाहर निकल आए।