नमस्ते दोस्तों मेरा नाम रोमा है, मैं घूमने फिरने के साथ साथ चुदाई की भी शौक़ीन हूँ, मैं आपको मेरी चुदाई की कहानी के बारे मैं बताती हूँ।
यह बात दिसंबर की है, मेरे कॉलेज के सभी दोस्तों ने कहीं घूमने जाने का प्लान बनाया, तब सबने तय किया कि हम ऊटी घूमने जायेंगे, ऊटी एक छोटा सा हिल स्टेशन है जो तमिलनाडु में हैं।
हम सबने जाने का दिन डिसाइड किया और ऊटी पहुँच गए। हम वहां रात में करीब 3 बजे पहुँचे, यह टूर 3 दिन का था, वहाँ हमने एक अच्छे होटल में पहले से ही रूम बुक किये हुए थे।
होटल पहुँच कर हम सभी जने रूम्स में जाकर सो गए, सुबह करीब 11 बजे सभी तैयार होकर घूमने के लिए निकल गए, दिन भर हम सभी घूमते रहे, शाम को हम सब वहाँ से वापस आ रहे थे कि वहां मेरी मुलाकात अनुराग से हुई। अनुराग मेरा स्कूल फ्रेंड था, मैं उसे देख कर थोड़ा चोंक गई थी, में उसे स्कूल के समय से ही पसन्द करती थी और वो भी मुझे बहोत पसन्द करता था।
अनुराग मेरे पास आया और उसने मुझसे पूछा- तुम यहाँ कैसे? वो मेरे बूब्स को घूर रहा था और मेने उसे एसा करते हुए नोटिस कर लिया था, मैंने उसे बताया कि मैं अपने कॉलेज फ्रेंड्स के साथ यहाँ घूमने आई हूँ।
तब उसने मुझे कहा- मैं भी यहाँ अपने एक दोस्त के साथ आया हूँ। उसने मुझसे पूछा कि मैं किस होटल में रुकी हूँ, तो मैंने उसे अपने होटल का नाम बताया तो उसने कहा- मैं भी उसी होटल में रुका हूँ, क्यू ना तुम मेरे ही रूम में आ जाना, हम दोनों मिलकर बहोत साडी मस्ती करेंगे।
मैंने अनुराग से कहा- अभी मुझे जाना है, मेरा कॉलेज ग्रुप होटल वापस जा रहा है, होटल में ही मिलते हैं अनुराग…
मैं बाय बोल कर वहाँ से चली आई। होटल पहुँचने में हमें करीब 7 बज गए थे, हम सभी ने होटल के रेस्टोरेंट में रात का खाना खाया और हम अपने रूम में वापस आ रहे थे कि होटल की लॉबी में मुझे फिर अनुराग मिल गया।
अनुराग मुझसे कहने लगा- क्या हुआ ? तुमने मेरी बात का जवाब ही नहीं दिया? चलो न मेरे रूम में… मुझे तुम को चोदने का बहुत मन कर रहा है, तुम जैसी हसीन लड़की मुझे आज तक नहीं मिली। रोमा क्या तुम्हारा मन नहीं कर रहा है चुदने का? प्लीज़ चलो न, आज रात मस्ती करते हैं।
तब मैंने अनुराग से कहा- वो तुम्हारा दोस्त भी तो है रूम में तो फिर हम कैसे मस्ती करेंगे? तो अनुराग कहने लगा- तो क्या हुआ , तुम उससे भी चुद लेना, वो भी एक नंबर का चोदू है।
मैंने अनुराग को साफ मना कर दिया- मैं तुम्हारे दोस्त से नहीं चुद सकती। अनुराग ने कहा- अच्छा ठीक है, मैं उसे कहीं बाहर भेज देता हूँ, रूम में हम दोनों ही रहेंगे, ठीक है?
तब मैंने भी कहा- हाँ, ठीक है। अनुराग ने अपने दोस्त से बात की और उसे बाहर भेज दिया। अब रूम में अनुराग और मैं ही थे।
अनुराग का दोस्त जैसे ही बाहर गया, अनुराग मेरे पास आया और मुझे चूमने लगा, मेरी साँसें तेज हो गई और अनुराग मुझे बुरी तरह से चूमने लगा।
मैं भी उसे ज़ोर से गले लगा कर उसे चूमने लगी। फिर अनुराग ने मेरा टॉप और जींस उतार दी, अब मैं ब्रा और पेंटी में थी, मैं भाग कर सामने रखे टेबल पर जा बैठी और अपनी टांगें फैला कर उसे अपने पास बुलाने लगी।
उसका लण्ड भी खड़ा हो चुका था और अनुराग की नजर मेरे ऊपर नीचे होते बूब्स पे और नेट वाली पेंटी से झांकती मेरी चूत पे थी, वो अपने कपड़े उतारने लगा।
तब मैंने टेबल से उतर कर अनुराग के पास जाकर उसे ज़ोर से गले लगाया और उसे जमीन पर धकेल दिया, वो लेट गया और मैं उस पर चढ़ गई।
फिर मैं उसके पूरे बदन को चूमने लगी, फिर धीरे से जब उसके लण्ड की बारी आई तो मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने उसके लण्ड को मुँह में भर लिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी।
वो चिल्लाता रहा- उउफ्फ हम्फ़ उउउफ्फ फ्फ्फ़ रोमा, तुम बहुत हॉट हो… आआअह्ह्ह्ह! यह सुनकर मैं और ज़ोर से चूसने लगी।
फिर वो अपने फ़ोन से किसी को मैसेज कर रहा था और मैं उसका लण्ड चूसती रही। कुछ देर बाद हम 69 की पोजीशन में गये, अनुराग मेरी पेंटी को थोड़ा सा सरका कर मेरी चूत चूसने लगा और मैं उसका लण्ड चूस रही थी।
लण्ड और चूत चुसाई के बाद अनुराग ने मुझसे कहा- चलो रोमा, एक गेम खेलते हैं। मैंने पूछा- क्या गेम खेलना है?
तो अनुराग ने कहा- आँख मिचोली… मैं तुम्हारी आँखों पर एक पट्टी बांधूगा, फिर तुम्हें मेरे लण्ड को ढूँढना है और उसे चूसना है और अगर तुम मेरा लण्ड ढूंढ कर उसे चूसोगी तो फिर तुम जो कहोगी, मैं तुम्हें दूंगा।
मैंने कहा- ठीक है, मैं यह गेम खेलने के लिए तैयार हूँ।
फिर अनुराग ने अपने रुमाल को मेरी आँखों पर बांध दिया, उसने रुमाल इतनी कस कर मेरी आँखों पर बांधा कि मुझे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।
फिर हमारा यह आँख मिचोली का गेम चालू हो गया, मैं अनुराग को पूरे कमरे में ढूंढ रही थी और अनुराग मुझे आवाज दे दे कर बोल रहा था- मैं यहाँ हूँ… पकड़ो मुझे!
तभी मुझे रूम का दरवाजा खुलने की आवाज आई तो मैंने अनुराग से कहा- अनुराग, तुम चीटिंग कर रहे हो, तुम रूम के बाहर क्यों जा रहे हो? वो भी इस हालत में, जब तुम नंगे हो?
तब अनुराग ने कहा- नहीं डार्लिंग, मैं कहीं नहीं गया, यही हूँ मैं, तुम पकड़ो मुझे!
मैं फिर अनुराग को ढूंढने लगी कि तभी उसका लण्ड मेरे हाथों में आया और मैं उसके लण्ड को अपने मुँह में भर कर लण्ड को चूसने लगी।
तभी मुझे लण्ड में कुछ फर्क महसूस हुआ तो मैंने कहा- अनुराग तुम्हारा लण्ड कुछ बदला बदला लग रहा है।
तो अनुराग ने कहा- नहीं तो डार्लिंग, चूसो लण्ड।
तो फिर मैंने कहा- तुम्हारी आवाज भी दूर से क्यूँ आ रही है?
तब मैंने अपने आँखों पर से रुमाल को खोल दिया। एक मिनट के लिए तो मुझे कुछ साफ साफ दिखाई ही नहीं दिया और जब दिखाई दिया तो मेरे सामने अनुराग नहीं था, मैं जिसका लण्ड चूस रही थी वो अनुराग का दोस्त अजय था।
कहानी अगले भाग में भी जारी रहेगी।