खेत में की चुदाई

मेरा नाम नितिन है और मेरी उम्र 22 है। मैं लखनऊ का रहने वाला हूँ। मेरी किराने की दुकान है।

ये बात कुछ महीने पुरानी है। मेरे पड़ोस में एक लड़की रहती थी। उसका नाम कविता था। उसकी उम्र 28 साल की थी वो दूर के रिश्ते में मेरी बुआ लगती थी। वो मुझसे बहुत मजाक करती थी।

एक दिन मैं अपनी पढ़ाई कर रहा था। वो मेरे घर पर आई और मेरे सामने वाली दीवार के पास आकर खड़ी हो गई। कविता दीवार के पास से मुझे देखने लगी।

दूसरे दिन वो मेरी दुकान पर आई और उसने मुझसे नमकीन मांगी मैं उसे नमकीन देने लगा, तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मजाक करने लगी।

मैंने सोचा कि इसके दिमाग में कुछ तो चल रहा है। मैं दुकान पर बैठ गया और सोचने लगा कि कहीं ये मुझसे चुदवाना तो नहीं चाहती है।  ये सोचते ही मेरी सोच बदल गई और मेरा लंड खड़ा हो गया।

कुछ दिन तक उससे होने वाले हंसी-मजाक को मैं अब दूसरे नजरिए से देखने लगा और जब मुझे लगा कि हां इसके दिमाग में कुछ चल रहा है, तब मैंने उसे एक लव लेटर लिख कर दे दिया।

जिस समय मैंने उसे लव लेटर दिया, उस समय वो मुस्कुराई। मुझे लगा कि ये राजी है, पर पता नहीं क्यों उसने उसका जवाब नहीं दिया और ना ही मुझसे दो तीन दिन तक मिली।

इससे मुझे कुछ घबराहट होने लगी कि कहीं मैंने गलत समझ कर तो उसे लव लेटर दे दिया। उस दिन काफी देर तक मुझे नींद ही नहीं आई। मैं उसके साथ हुए हर हंसी मजाक को फिर से अपने दिमाग में ध्यान करते हुए सोचने लगा।

उसका हाथ से स्पर्श करना और कभी धीरे से अपने अंगूठे से मेरी हथेली को कुरेद देना।  ये सब ऐसी बाते थीं जिससे मुझे उसकी चाहत समझ आ रही थी और उसी वजह से मैंने उसे चिट्ठी लिखी थी। फिर जैसे तैसे मैं सो गया।

दूसरे दिन मैं अपनी दुकान पर बैठा था कि उसके चाचा की बेटी शालू दुकान में आई। शालू  और कविता दोनों की ही उम्र बराबर सी ही थी।

शालू ने मेरी दुकान में आकर मुझे एक कागज दिया और कहा- ये सब क्या है? तुमने कविता को लेटर कैसे दिया? मैं उसके पापा से तुम्हारी शिकायत करूंगी।

उसकी बात सुनकर मेरी तो गांड फट कर हाथ में आ गई। मैं एकदम से बुत बना उसकी डांट सुनता रहा। कुछ देर बाद वो मुझसे गुस्सा होकर चली गई।

फिर तीन दिन बाद की बात है, मैं अपने घर के पास खड़ा था कि एक लड़की मेरे पास आई और उसने मुझे एक लेटर दिया मैंने उससे पूछा- ये क्या है?

उसने कहा- जो तुमने कविता को दिया था मैंने उससे वो लेने से मना कर दिया, पर वो मुझे जबरदस्ती दे कर चली गई।

एक मिनट के लिए तो मैं फिर से डर गया था, मगर बाद में मेरा दिल नहीं माना, तो मैंने उसे खोल कर देखा। उसे पढ़ कर मेरा दिमाग घूम गया वो लेटर मुझे शालू ने लिखा था कि मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ।

मैंने शालू का लेटर देखा, तो मेरी खोपड़ी घूम गई, वैसे तो एक लड़की की चिट्ठी देख कर किसी भी लड़के का दिल पिघल जाना साधारण सी बात है, मगर उस दिन वाले शालू के गुस्से से मन ख़राब था इसलिए मैंने गुस्से में रीमा का वो लेटर को फाड़ दिया।

बाद में मैंने सोचा कि चलो कविता ना सही, शालू की तो चुत चोदने को मिलेगी।

शाम को मैं अपनी दुकान में बैठा पढ़ रहा था क्योंकि मेरे बोर्ड के एग्जाम चल रहे थे तभी सामने से शालू आई और उसने मुझसे घर की जरूरत का कुछ सामान मांगा।

मैंने उसे देखते हुए उसे सामान दे दिया। मैंने उससे कुछ कहा नहीं क्योंकि मुझे अभी भी कुछ शक था।

वो मुस्कुराते हुए सामान लेने के लिए झुकी और मुझे अपने मम्मों दिखाते हुई बोली- क्या बात है … आजकल दिख नहीं रहे हो।

मैंने भी अपने लंड पर हाथ फेर कर कहा- तुम भी तो मिलने नहीं आ रही हो।इस पर वो हंसने लगी … और चली गई।

उसके जाने के बाद मैं फिर से पढ़ने लगा थोड़ी देर बाद वो लेटर वाली लड़की आयी और कहने लगी कि शालू ने तुम्हें पीछे खेत में बुलाया है।

मैं खुश हो गया… मैंने अपनी बहन से ओके बोल दिया तभी मेरा दोस्त ललित आ गया, तो मैंने उससे ये बात बताई. पर मैंने उसको शालू का नाम नहीं बताया।

ललित ने कहा- साले अकेले अकेले मलाई खा रहा है मैं हंसने लगा।

उसने कहा- चल जा … पर जाते समय अपनी दुकान से कंडोम लेकर जाना मैंने कहा- अबे पहली बार है … ऐसे ही डालूंगा।

ये कह कर मैं खेत तरफ चला गया और मैं वहां उसका इंतजार करने लगा। मैं काफी देर तक खड़ा रहा मगर वो साली आई ही नहीं। इससे मुझे बड़ा गुस्सा आया और मैं जाने लगा।

तभी मैंने देखा कि अपने घर के पास वो खड़ी हंस रही थीं और मेरे पास खड़ी हो गई मेरा पहली बार का आमना सामना था, तो मुझे झिझक लग रही थी।

पर मैंने हिम्मत करके  कहा कि मेरे साथ चल … वो कहने लगी- कहा चलूँ? मैंने दीवार की तरफ इशारा करके कहा कि उस तरफ इस पर वो समझ गई और हंसने लगी फिर उसने कहा कि चलो।

मैंने उसकी कमर पकड़ी और उसे उठाने लगा इस कोशिश में मेरा लंड उसकी गांड में टच होने लगा।  उसने जैसे ही मेरे लंड को महसूस किया, तो उसकी सिसकारियां निकलने लगीं।

मैंने उससे पूछा- क्या हुआ? वो बोली- तुम्हारा वो गड़ रहा था।

मैंने पूछा- क्या?

वो हंस दी और बोली- अब इतने भी भोले न बनो.

मैं उसे दीवार के उस पार किया और मैं भी जल्दी से उसी तरफ कूद गया।

मैंने उसे अपनी बांहों में भरा और चूमने लगा वो भी गर्म थी और चुदने के मूड में ही दिख रही थी।

मैंने सलवार की तरफ हाथ बढ़ाया और कहा कि नाड़ा खोलो वो बोली- बड़ी तेज लगी है क्या?

मैंने कहा- तुझे न लगी हो, तो मत खोल।

वो हंस दी और मुझे आंख मारते हुए सलवार खोलने लगी। तब तक मैं उसके मम्मों को दबाने लगा।  उसको मज़ा आने लगा था क्योंकि वो कामुक सिसकारियां लेने लगी थी। अब तक उसने अपना नाड़ा खोल दिया था और सलवार पकड़ खड़ी थी।

वो मुझसे कहने लगी- मेरा तो नाड़ा खुलवा दिया … अपना कब खोलोगे?

मैंने कहा- मैं क्या खोल दूँ?

वो कहने लगी- अपना वो दिखाओ।

मैं- क्या दिखाऊं?

मैं उसके मुँह से सुनना चाहता था … तो वो अपनी आंखों में वासना भरते हुए धीरे से बोली- अपना लंड निकालो।

मैंने भी उसकी चुत में हाथ लगाते हुए कहा- क्या करोगी मेरे लंड से?

वो बोली- साले जिधर हाथ लगा रहा है, उधर घुसवाना है।

मैंने कहा- मैं किधर हाथ लगा रहा हूँ. साफ़ साफ़ बोल न!

वो बोली- साले सता मत, अब जल्दी से मेरी चुत में अपना लंड पेल दे।

मैंने हंस कर उसको चूमा और मैं अपना लंड निकालने लगा। उसने भी अपनी सलवार उतार कर एक तरफ रख दी थी।

मैं वहीं नीचे बैठ गया और उससे कहा- चल आ जा … लंड चूस दे मेरा।

वो लंड चूसने से मना करने लगी।

मैंने फिर से कहा- लंड चूसने में मजा आ जाएगा … चूस कर तो देख।

इस बार वो मान गई और मेरा लंड चूसने लगी। वो मेरे लंड को ऐसे चूस रही थी कि मुझे इससे ज्यादा आनन्द तो कभी मिला ही नहीं था।

मैंने उससे कहा- अब चित लेट जाओ।

वो घास पर ही लेटने लगी। मैं उसके मम्मों को दबाने लगा और साथ में उसके होंठ चूसने लगा।  मैं उसके कुरते को उतारने लगा, वो मेरी टी-शर्ट उतारने लगी।

कपड़े उतारते समय हम दोनों किस भी कर रहे थे. मैं धीरे धीरे अपने हाथ को उसके मम्मों से नीचे ले जा रहा था। मेरा हाथ जब उसकी चुत पर पहुंच गया, तो उसकी सीत्कार निकल गई।

मैंने अपनी दो उंगलियां उसकी चुत में डाल दीं, तो उसने कसमसा कर मेरा लंड पकड़ लिया और उसे दबाने लगी। उसकी चुत बड़ी गीली थी। फिर मैंने चुदाई की पोजीशन बनाई और उसकी टांगों के बीच में बैठ गया।

मैंने अपना लंड पकड़ा और उसकी चुत में डालने लगा. मेरा लंड आराम से जाने लगा, तो मैं समझ गया कि ये मादरचोद खेली खाई लड़की है।

अब साली चुदी चुदाई हो या कुंवारी चुत हो … अपने को क्या करना था. अपने को तो सिर्फ चुत मारने से मतलब था।

मैं चुत में लंड से धक्का लगाने लगा, तो उसने कहा- आराम से कर … जल्दी क्या है?

मैंने कहा- ठीक है … ले साली मजा ले. सोचा तो था कविता को चोदूंगा, पर तू मिल गई। वो मुझसे बोली- साले पहले मुझे तो ठंडा कर दे … कविता को बाद में खोल दियो।

मैंने कहा- हां तू तो साली खुली खुलाई मिली …

मैंने उससे पूछा- पहले तेरी चूत को किसने खोला था?

वो हंस दी और बोली- तेरे दोस्त ललित ने!

उसका नाम सुनकर मैं हैरान रह गया अभी साला खुद ही मुझसे अकेले अकेले मलाई खाने की बात कह रहा था वो तो, अच्छा हुआ कि मैंने उसके सामने शालू का नाम नहीं लिया था।

शालू अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी पांच मिनट बाद ही वो कहने लगी- आह  … तेज कर … और तेज चोद..

मैं तेज रफ्तार से धक्के मारने लगा। थोड़ी ही देर में वो अकड़ने लगी और मुझे अपने लंड पर कुछ गीला गीला सा लगने लगा।  मैं समझ गया कि इसकी मोमबत्ती पिघल गई है।

मैं उसकी चुत में धक्के देता रहा मैंने कम से कम 20 मिनट तक उसको हचक कर चोदा हमारी चुदाई ताबड़तोड़ चली थी।  इस दौरान वो दो बार झड़ चुकी थी।

अब मेरा भी काम होने वाला था. मैंने धक्के थोड़े तेज लगाने चालू कर दिए वो समझ गई और खुद भी गांड उठा कर मजे लेने लगी।

मैंने उससे कहा- मैं भी आने वाला हूँ.

उसने मेरी कमर को अपनी टांगों से कसते हुए कहा- हां … आजा … मेरे अन्दर ही बारिश कर दे.

मैंने चोट देते हुए कहा- अगर तुम्हें कुछ हो गया तो?

उसने कहा- तुम दवा मंगवा देना मैंने हंस कर कहा कि ठीक है।

मैं आठ दस तेज धक्के मारता हुआ उसकी चुत के अन्दर ही झड़ गया। झड़ने के बाद मैं थोड़ी देर उसके ऊपर पड़ा रहा।

फिर मैंने उठते हुए उससे कहा- अब तुम जाओ … नहीं तो तुम्हारी मम्मी डांटेगी कि इतनी देर से कहां थी।

वह उठ चुकी थी. अपने कपड़े पहनते हुए कहने लगी- ठीक है. मैं जा रही हूं … तुम कल फिर से मिलना।

मैंने कहा- क्यों आज मुझसे ज्यादा मज़ा आ गया क्या … ललित का कमजोर था क्या?

उसने मेरी बात समझते हुए कहा कि हां … मैंने ललित से बहुत बार चुदवाया है … पर उसके साथ तुम्हारे जितना मज़ा कभी नहीं आया … आज से मैं तुम्हारी और तुम्हारे लंड की हो गई। जब चाहे चोदने को बुला लेना … जब चाहे चोद लेना … दौड़ती हुई आ जाउंगी।

उसकी इस बात से मुझे बहुत ज्यादा खुशी हुई। मैंने कहा कि ठीक है … अब जाओ जल्दी।  साथ ही कविता की भी दिलाने की बात याद रखना।
उसने हंस कर हामी भर दी उसके बाद मैंने बहुत बार शालू की चुदाई की।

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