दोस्तों मैंने बहुत सारी कहानिया यहाँ पर पढ़ी तो लगा कि ये तो सब के साथ होता है और इसे सबके साथ बाटने में कोई बुराई नहीं है, सो मैं अपनी कॉलेज लाइफ की एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।
मैं ऍम बी ए का स्टुडेंट हूँ। मैं जिस कॉलेज में हूँ, वो इस शहर का सबसे मशहूर कॉलेज है। हमारे कॉलेज के बगल में ही हमारे कॉलेज ग्रुप का ही इंजीनियरिंग का भी कॉलेज है। मैंने आपको अपना नाम नहीं बताया मेरा नाम है अभिषेक। इंजीनियरिंग की एक मैडम है जिनका नाम निशा है, जो कि बहुत ही खूबसूरत है।
जब से मैंने यहाँ प्रवेश लिया है और उनको देखा है हमेशा उनको कहीं न कहीं देखता रहता हूँ, कभी कभी वो भी देखती है तो मेरी आँखे उनसे टकराती हैं तो वो मुस्कुरा देती हैं, जिससे मेरी हिम्मत बढ़ जाती है। उनका फिगर 36-28-34 है जो कि बहुत ही सेक्सी है। वो गोरी तो है ही।
मैं हमेशा उनके लंच टाइम पर कैंटीन पहुच जाता और उनको देखने लगता। मुझे ऐसा लगने लगा था कि वो भी मुझे समझ रही है कि मैं उन्हें पसंद करने लगा हूँ, उनकी उम्र भी तो मेरे बराबर ही थी, वो अभी 24 की है, बी.ई ख़त्म करके ही पढ़ाना शुरू कर दिया है।
हमेशा वो बहुत कसा हुआ ड्रेस पहनती है जिससे उनके पूरे उभार दीखते हैं। जिन्हें देख कर कैंटीन में ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है। अब मैं हमेशा उनके पास जाने की सोचने लगा, मुझे जल्दी ही उनके पास जाने का मौका मिल गया।
एक दिन कॉलेज छूटने के बाद मैं अपनी बस में बैठ गया। आज बहुत भीड़ थी बस में। मैं डबल सीट पे बैठा था, मेरे साथ मेरा एक जूनियर बैठा था। तभी मुझे निशा मैडम दिखी वो आकर खड़ी हो गई। जगह नहीं थी तो मैंने अपने जूनियर को उठाया और बोला- मैडम यहाँ बैठ जाइये!
तो वो तुंरत आकर बैठ गई और बोली- थैंक यू!
मैं सिर्फ़ मुस्कुरा दिया।
हम लोग बीच में थे और चारो तरफ़ स्टुडेंट खड़े भी थे, सो हम लोग दिखाई नहीं दे रहे थे। पर वो बाहर साइड थी तो उन प्रॉब्लम हो रही थी। बार बार उन्हें किसी से धक्का लगता तो उन्होंने बोला- प्लीज़ आप बाहर साइड आ जाइये, मुझे प्रॉब्लम हो रही है।
तो मैंने बोला- ठीक है आप अन्दर आ जाइये।
फिर वो अन्दर होके बैठ गई। बस जब भी मुड़ती तो मैं उनके ऊपर या वो मेरे ऊपर आती और हम लोग सॉरी बोलते।
अब मैंने अपना एक हाथ ऐसे कर लिया कि जब भी बस मुड़ती तो मेरी 2-4 ऊँगलियाँ उनकी चुचियों से टकरा जाती तो मैं उनको देखता वो मुस्कुरा देती। मैं समझ गया लाइन साफ़ है, बस मौका ढूंढो और चोदो। अब मैंने अपना एक हाथ उनकी जांघों पर रखा और थोड़ा सहलाया तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ के दबा दिया और मुझे रोक लिया, तभी बस रुकी उनका स्टाप आ गया तो उन्होंने बोला- उठो मुझे जाना है।
मैंने बोला- मुझे भी तो उतरना है।
फिर दोनों उतर गए तो वो मुझसे बोली- तुम क्यों उतरे? वैसे तुम्हारा नाम क्या है?
मैंने बोला- मेरा नाम अभिषेक है और मुझे आज तो आपसे कुछ लेना है सो मैं भी उतर गया।
तो वो गहरी मुस्कराहट से हुए बोली- क्या लेना है?
मैंने बोला- आपका नम्बर चाहिए, मुझे आपसे बात करनी है, बहुत जरूरी है, अब तो रहा ही नहीं जाता।
वो बोली- तो बोलो क्या बात है, अभी बोल दो।
मैं बोला- नहीं आप नम्बर दीजिये मैं आपको फ़ोन करूँगा।
तो उन्होंने अपना नम्बर दे दिया। मैंने उसी रात उन्हें कॉल किया और रात के 11 से लेकर 1 बजे तक बात करता रहा। उस रात मैंने उन्हें प्रोपोज़ भी कर दिया और दोस्तों मेरी तो किस्मत चमक गई उन्होंने स्वीकार भी कर लिया।
अब तो मैं रात दिन सिर्फ़ उन्हें चोदने के बारे में सोचने लगा। वैसे बस में अब डेली मैं उन्हें कहीं न कहीं जरूर हाथ लगाता तो वो भी बुरा नहीं मानती, जिससे मेरी हिम्मत बढ़ती।
एक दिन तो मैंने अपना हाथ उनकी चूत पर रख दिया जिससे वो झन्ना गई और तेज़ी से सांस लेने लगी पर कुछ बोली नहीं, इसी तरह दिन निकलते रहे। मैं मौका ही तलाशता रहा।
किस्मत ने भी जल्दी ही मेरा साथ दिया और वो एक दिन मुझे स्टाप पर खड़ी हुई मिल गई उस टाइम बहुत तेज़ बरसात हो रही थी और वो कॉलेज से आई थी। वो पूरी तरह से भीग चुकी थी। मैंने उनसे बोला- मेरा रूम पास में ही है, चलिए, आप यहाँ कब तक खड़ी रहेंगी, पानी भी बंद नहीं होने वाला, पहले तो वो मना करती रही फिर मान गई। मैंने उन्हें अपनी बाईक पे बैठाया और चल दिया। फिर मेरे रूम पहुंचे।
मेरा एक सिंगल रूम है और मैं अकेला ही रहता हूँ, ये उनको भी मालूम था, मैंने उन्हें बैठाया और बोला- आप कपड़े चेंज कर लीजिये। जब तक मैं नीचे से आता हूँ।
फिर मैं उन्हें एक तौलिया देकर चला गया। मैंने दूध लिया फिर अचानक मैं मेडिकल में गया और वहाँ से कंडोम ले लिया सोचा-आज तो मौका नहीं जाने दूंगा चोद के ही रहूँगा।
मैं रूम में पंहुचा तो देखा कि वो अपने बालों को पौंछ रही है, क्या सेक्सी लग रही है। मैं उन्हें पलंग पर बैठा कर दरवाजा बंद करके चाय बनने लगा और वो मुझे ही देख रही थी। मैं चाय बनाकर लाया और पलंग पर बैठ गया। पलंग ज्यादा बड़ा नहीं है सो अच्छे से नहीं बैठ सकते थे।
उन्हें अच्छे से बैठना था तो मैंने बोला- आप आराम से पैरों को फैला कर बैठ जाइए।
तो वो बैठ गई, चाय पीने लगे, मैं उनकी आँखों में देखने लगा तो वो बोली- क्या देख रहे हो?
मैं बोला- देख रहा हूँ आप कितनी खूबसूरत हैं और आज कितनी सेक्सी लग रही है, प्लीज़ आज मुझे कुछ करने दीजिये!
निशा बोली- तुम्हारा मतलब क्या है?
मैं बोला- वही जो आप समझ रही हैं, मैं कब से ऐसे मौके की तलाश में था जब आप मेरे साथ अकेली हो और फिर मैं आपको अच्छे से प्यार कर सकूं, आप भी आज मुझे प्यार करिए।
इतना बोलकर मैं उनके गालो को सहलाने लगा तो उन्होंने मुझे रोका तो नहीं पर बोली- नहीं ये ठीक नहीं है।
मैंने बोला- जिसमे आपको और मुझे मजा आए वही ठीक है।
फिर मैं अपने होंठ उनके होंठों के पास ले गया और पास और फिर मेरे और उनके होंठ जो चिपके की चिपकते गए,बहुत ही जोरदार किस्सिंग चालू हो गई, जबान से जबान टकराने लगी, मैं उनकी पूरी जीभ को चबा जाना चाहता था। वो भी मेरी पूरी हेल्प कर रही थी,
मैंने उन्हें किस करते करते ऊपर से नंगी कर दिया, चूँकि उन्होंने मेरा रात का सूट पहन लिया था सो ब्रा तो थी नहीं। सो चुचियाँ तुंरत नंगी हो गई, जिन्हें देखकर मैं पगला गया और पागलों की तरह चुचियों को मसलने लगा, जिससे वो भी जल्दी ही उत्तेजित होने लगी।
फिर मैं रुका और उनसे बोला- आज पूरा दिन मैं और आप मिलकर चुदम-चुदाई का खेल खेलते हैं।
निशा बोली- अब तुमने मुझे गर्म कर दिया है तो पूरी प्यास तो बुझा ही देना!
मैंने पहले उसे और ख़ुद को पूरी तरह से नंगा कर दिया। उसके दूध जैसे गोरे बदन को देखकर मेरा लंड तुंरत फ़नफ़नाने लगा। मैंने उसकी चूत को देखा जो बालों से ढकी थी।
मैंने एक हाथ से उसके होंठो और एक हाथ से उसकी चूत को मसलना शुरू किया जिससे निशा स्स्स्स्स् स्स्स्स स्स्सस्श्ह्ह्ह् आआअ ह्हह्ह्ह्ह् की आवाजे निकलने लगी। उसे अब मजा आने लगा। वो मेरे अंगूठे को चूसने लगी। नीचे मेरा हाथ चिपचिपाने लगा, यानि की वो पूरी तरह से गर्म हो गई, तो बोली–अभिषेकप्लीज़ अब मुझसे नहीं रहा जाता, अपना लंड मेरी चूत में डालो वैसे ही बहुत खुजली हो रही है।
उसके इतना बोलते ही मैंने अपना लंड लिया और उसकी चूत का निशाना लगाया और जोर से धक्का मारा, वो आआअह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह करके चिल्ला उठी, लंड भी फिसल गया, उसकी चूत बहुत तंग थी, वो पहली बार चुदवा रही थी। मैंने फिर से निशाना लगाया और जोर से धक्का मारा इस बार लंड बुर में फस गया वो फिर चिल्ला उठी, अब तो मैंने जोर जोर से धक्के मार मार कर उसके अन्दर पहुंचने लगा, वो चिल्लाती रही, अब तो उनके मुँह से केवल आआ आअह्ह्ह्ह ऊऊह्ह म्म्म्ममा आआअर्र ग्ग्ग्गाआ आऐईईइ ,
अभिषेक मुझे बहुत दर्द हो रहा है, प्लिज्जज्ज बहार निकालो नहीं तो मैं मर जाऊँगी।
मैंने बोला- निशा कुछ नहीं होगा बस थोड़ा सा और दर्द फिर मजा ही मजा आएगा।
फिर से मैं धक्के मारने लगा और साथ ही उसके होंठो को अपने होंठो से चूसने लगा जिससे वो ज्यादा चिल्ला न पाए। अब मेरे लंड का सबसे मोटा हिस्सा घुसना शुरू हुआ तो वो मेरे होंठो को बहुत जोर से चबाने लगी। अब लंड पूरी तरह से उसकी चूत की जड़ो में
घुस गया तो निशा बोली-पूरा घुस गया?
मैं बोला- हाँ पूरा घुसेड दिया मैंने। अब शुरू करूँ?
निशा बोली- हाँ अब मारो धक्के!
फिर मैंने उसे लगातार धक्के मारना शुरू किया। वो फिर से चिल्लाने लगी- आआह्ह्ह्ह ह्ह्ह आआह्ह्ह
इतने में वो एक बार झड़ गई, जिससे उसकी चूत गीली हो गई और लंड थोड़ा अच्छे से अन्दर बाहर होने लगा। अब मेरे छोटे से रूम में केवल खचाखच फचफच आह्ह्ह्ह्छ ऊउउह्ह्छ की आवाजें आने लगी।
अब निशा भी पूरे जोश में आ गई। अपनी गांड उछाल उछाल के चुदवाने लगी, बोली- और जोर से डाल अभिषेक, आज मेरी चूत को पूरे बी ई का मजा दे दे, मैंने पूरे बी.ई. में नहीं चुदाया, मुझे नहीं मालूम था इतना मजा आता है। अब तो मैं डेली तुमसे चुदवाऊँगी और जोर से आआअह्ह ह्ह्ह्ह्ह!
उसकी बातों से मैं और जोश में आ गया और जोर से धक्के मारने लगा। करीब 50-55 धक्के मारने के बाद मैं उसके ऊपर गिर गया, मेरा पूरा वीर्य कंडोम में गिर गया, उसकी पूरी चूत खून से लाल हो गई। हम लोग थोड़ी देर ऐसे ही रहे। एक घंटे बाद मैं फिर तैयार हो गया और उसे चोदना शुरू किया।
मैंने उसकी गांड भी मारी, लेकिन वो कहानी बाद में, उस दिन मैं 5 कंडोम लेकर आया था और सभी मैं उपयोग में लाया, जमकर चुदाई की।