पड़ोसन आंटी की चूत चुदाई -2

वो मेरे गले में दोनों हाथ डाल करके बोलीं- कितनी फिकर है तुझे मेरी.. मुझे बहुत पसंद करते हो तुम..

कुछ देर हम दोनों चुप रहे और वो मेरी आँखों में यूँ ही कामुकता से देखती रहीं। उनकी निगाहें मुझे चूत चुदाई के लिए बुला रही थी..

मुझे उनकी और अपनी साँस तेज़ चलने की आवाज़ आ रही थी.. वो मुझे अब वो आंटी नहीं लग रही थीं.. जिनसे मैं रोज़ मिलता था.. वो मुझे हवस की प्यासी लग रही थीं।

अचानक ही वो मुझसे लिपट गईं और मुझे अपनी बाँहों में कस कर पकड़ लिया और अपना सिर मेरे सीने में रख दिया और मुझसे कहने लगीं- मुझे कभी भी छोड़ कर मत जाना.. मैं बहुत अकेली हूँ।

मैं तो हक्का-बक्का रह गया था.. मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था.. यह कैसा लाड़ है, मैंने कहा- नहीं जाऊँगा..

उनके जिस्म की मादक खुश्बू मुझे आ रही थी.. मैंने भी उन्हें पकड़ लिया।

वो मेरे होंठों के पास अपने होंठ ले आईं और मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर ही दिया था, वो मुझे बेतहाशा चूमने लगीं और मैं भी होश खो बैठा, अब हम दोनों को एक-दूसरे को चूमे जा रहे थे।
मैंने उनको गर्दन.. गालों.. होंठों.. हर जगह चूमा।

वो मेरी शर्ट उतारने लगीं और फिर उन्होंने अपनी साड़ी उतार दी, वो बहुत ही कामुक लग रही थीं।

हम एक-दूसरे को चूमते रहे.. मैंने उनको उनके भरे हुए सीने पर खूब चूमा और उनके चिकने मुलायम पेट पर भी खूब चूमा..

उनकी नाभि में मैंने अपनी जीभ से खूब खेला और खूब चूमा और उनके चूतड़ों को अपने हाथों से दबाता रहा। उनके चूतड़ मेरे हाथ में नहीं आ रहे थे.. बहुत ही बड़े और मुलायम थे।

उन्होंने अपना पेटीकोट और ब्लाउज भी उतार दिया, अब वो ब्रा और पैन्टी में ग़ज़ब की खूबसूरत लग रही थीं.. मैं भी चड्डी में आ गया था और मेरा लण्ड एकदम खड़ा था।

मैंने उनको बिस्तर पर लिटा कर उनके ऊपर जा कर खूब चूमा और फिर उनकी जाँघों को चूमने लगा, वो मस्त हो चुकी थीं और मेरे बालों में हाथ फेर रही थीं, काफ़ी देर तक मैं उन्हें जाँघों के इर्द-गिर्द उनके नंगे जिस्म को चूमता रहा। वो सिसकियाँ भर रही थीं।

अब मैंने उनकी ब्रा को उतार दिया और उनके बड़े मुलायम मम्मों को चूमने-चूसने लगा, वो मेरे सर को पकड़ कर अपने मम्मों में दबा रही थीं। मैं उनके चूचुकों को खूब चूस रहा था और उनके चूचुक एकदम खड़े हो गए थे।

मैंने अपनी उंगलियों से उनकी चूत को पैन्टी के ऊपर से धीमे-धीमे रगड़ना चालू कर दिया था तो अब वो एकदम गरम हो कर कामातुर चुकी थीं और मैं भी चुदास की आग में भड़क उठा था, वो अपने मुँह से धीमी-धीमी मादक आवाजें निकाल रही थीं ‘आह.. ऊई..सीसी..’

फिर मैं अपना मुँह नीचे ले गया और पैन्टी को एक तरफ पकड़ कर ऊपर की ओर खींचा.. जिससे उनकी पैन्टी चूत पर एकदम कस गई और पैन्टी के ऊपर से ही बुर का उभार दिखने लगा।

इसके साथ ही उनकी चूत का पानी भी पैन्टी के ऊपर से नज़र आ रहा था।

मैंने टाइट की हुई पैन्टी के ऊपर से चूत को ऊँगलियों से सहलाना और चाटना शुरू कर दिया दस मिनट तक मैंने उसे खूब चाटा, उनकी पैन्टी चूत के पानी से भीग गई..

इस बीच वो मेरे लण्ड को चूसती रही .. वो मेरे सुपारे को खूब चूस रही थी और अपने हाथ से मेरी गोटियों को दबा और मसल रही थीं, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.. करीब 10 मिनट तक मैं उनकी चूत को और वो मेरे लण्ड को चूसती रहीं। उसके बाद मैंने उनके मुँह मे अपना पानी डाल दिया और सारा पानी पी गईं।

उनकी चूत से भी काफ़ी पानी आने लगा था.. मैंने भी सारा पानी पी लिया, उनकी चूत की खुश्बू ने मेरी चुदाई की भूख और बढ़ा दी।

अब मैंने उनको घुमाया और उनके ऊपर लेट कर उनके मम्मों और चूचुकों को चूमने लगा.. मैंने उनका एक चूचुक अपने होंठों के दबा लिया और किसी बच्चे के जैसे उसमें से दूध निचोड़ने की कोशिश करने लगा.. साथ ही जब दूध नहीं निकलता तो मैं उनके चूचे को होंठों से पकड़ कर अपनी तरफ खींचता तो उनकी एक मादक सिसकारी निकल जाती।

इस क्रिया में हमारे जिस्म एक-दूसरे से रगड़ रहे थे और हम एकदम मस्त हो चुके थे। मैं उनके ऊपर लेटा था और मेरा लण्ड उनकी चूत पर रखा था।

फिर उन्होंने मुझे 69 की अवस्था में किया और मेरे लण्ड को चूस कर एकदम खड़ा कर दिया..

अब मैंने सीधा होते हुए.. उनकी चूत की लाइन पर लण्ड के सुपारे को खूब रगड़ा.. चूंकि मेरा लण्ड एकदम टाईट था.. लौड़े की रगड़ से.. वो एकदम मस्ती में आ गईं, वो सीत्कार करते हुए बोलीं- आआआ.. अ…हह…. अब नहीं सहा जाता.. अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दो..

मैंने एक झटके में ही अपना लण्ड उनकी चूत में डाल दिया.. उनकी तो चीख ही निकल पड़ी और आखों में हल्के आंसू आ गए। वो मेरे लण्ड की ठोकर से एकदम से उछल पड़ी थीं, फिर एक-दो पलों बाद वो बोलीं- धीरे-धीरे छूट चूत चुदाई की रफ़्तार बढ़ाना..

‘ठीक है..’ शुरू में मैंने आराम से चोदना शुरू किया.. फिर ज्यों ही उनके चूतड़ों ने लौड़े को ढंग से लेने का इशारा दिया.. मैंने अपने लण्ड को खूब तेजी से चूत में आगे-पीछे किया।

अब वो मस्ती में हिल रही थीं.. उनके बड़े-बड़े मम्मे उछल रहे थे और वो भी आगे-पीछे होकर चुद रही थीं और अपनी गाण्ड और कमर उठा-उठा कर मज़ा लेने लगीं।

फिर 10 मिनट के बाद मैंने चूत में लण्ड हिलाते हुए उन्हें उठाया और अपनी बाँहों में भर कर अपने सीने से उनके मम्मों चिपका लिया। वो भी मुझे अपनी बाँहों से कस कर पकड़ी हुए थीं और अपनी जाँघों से मेरी कमर को जकड़ रखा था।

अब मुझे ग़ज़ब का अहसास हो रहा था.. वो मेरे लण्ड पर ऊपर-नीचे कर रही थीं और उनको मैंने पीठ से दोनों हाथों से पकड़ रखा था, उनके कोमल चूचियाँ मेरे सीने पर रगड़ रही थीं और में उन्हें चूम भी रहा था।

वो तेज़-तेज़ ‘आआआह्ह..’ की आवाजें निकालने लगी थीं.. और कुछ ही देर बाद वो ढीली पड़ने लगीं.. उनकी पकड़ भी कमजोर पड़ गई.. उनकी चूत रो पड़ी थी।

अब कभी वो मुझे चूमतीं.. कभी मैं उनके सीने पर चूमता.. कभी चूचियों को चूसता..

कुछ देर बाद वो आआह्ह.. करते हुए झड़ गईं और उनकी चूत में पानी भर गया.. वो ढीली पड़ चुकी थीं। मेरा लौड़ा अभी तना हुआ था.. सो मैंने उन्हें लिटा दिया और ऊपर चढ़ कर उनकी चुदाई करने लगा।

चूत में रस का सैलाब होने के कारण.. अब बार-बार ‘फच्च-फच्च’ की आवाज़ आ रही थी और वो अपनी आँखें बंद करे हुए.. अपने होंठ दबा कर.. मेरे लवड़े की चोटों का मज़ा ले रही थीं।

कुछ देर बाद मैंने अपना पानी उनकी चूत में छोड़ दिया और मैं ‘आअहह’ की आवाज के साथ उनके ऊपर ही ढेर हो गया। मेरा लण्ड उनकी चूत में ही पड़ा रहा.. हम दोनों एक-दूसरे चिपके हुए पड़े रहे और चुम्बन करते रहे।

हम दोनों की चुदाई की आग बुझ चुकी थी.. और अब आंटी मुझसे खुल चुकी थीं.. उस पूरी रात मैंने और आंटी ने चुदाई के बहुत से आसन लगाए।

इसके बाद तो आंटी की चूत को मेरे लौड़े का सहारा मिल गया था और मुझे उनकी चूत चुदाई में मजा आने लगा था।

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