पति से नाखुश भाभी मुझसे चुद गयी

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम धीरज है और मैं लखनऊ में रहता हूँ मेरी उम्र 23 साल की है और कद 5 फुट 8 इंच का है अपने लंड का साइज मैंने कभी नापा नहीं है।

कुछ वक्त पहले मेरे पड़ोस में एक भैया भाभी रहने आये थे भैया का नाम कमल था और भाभी का नाम कविता था भैया की उम्र 30 साल और भाभी 25 साल की रही होंगी।

भाभी का फिगर ठीक-ठाक था उनकी ब्रा का साइज 30 या 32 इंच का रहा होगा, कमर 28 और गांड की चौड़ाई 34 या उससे थोड़ी ज्यादा रही होगी।

जब राजू भैया और शिवानी भाभी ने पड़ोस में रहना शुरू किया तो शुरू में मेरी उनसे ज्यादा बातचीत नहीं होती थी।

मगर कुछ टाइम बाद मैंने एक अजीब सा नजारा देखा हुआ यूं कि उन दोनों में किसी बात को लेकर लड़ाई हो गयी थी।

शायद इस लड़ाई की वजह उनके बीच की नाकामयाब चुदाई थी। मुझे यह अंदाजा कुछ उनकी लड़ाई में होने वाले अल्फ़ाजों से हुआ था।

भैया ने भाभी से रंडी कहा था और ये भी कहा था कि तुझे कभी संतुष्टि नहीं है. अब क्या आदमी हूँ … क्या हौव्वा बन जाऊं! भाभी ने भी इस पर कह दिया था- जब नहीं बनता है, तो मुझे तंग मत किया करो।

ये बातें इतनी साफ थीं, जिससे एकदम क्लियर था कि इन दोनों में चुदाई को लेकर बहस और लड़ाई जैसी हालत बन रही है।

उसी दिन शाम को मैं जब अपनी जॉब से वापस अपने घर आया, तब भाभी अपने घर के बाहर ही खड़ी थीं।

मैंने उनसे पूछ लिया- भाभी, क्या बात हो गयी, जो आप यहां बाहर खड़ी हैं?

तब भाभी ने मुझे बताया कि इनसे लड़ाई हो गयी है मैंने उनसे लड़ाई की वजह पूछी … तो उन्होंने कुछ नहीं बोला। मैं भी अपने घर चला आया।

जब मैं खाना खाकर उठा तो मैंने देखा कि भाभी अभी भी वहीं खड़ी थीं। मैं फिर से भाभी के पास गया और उनसे पूछा।

भाभी ने इस बार भी कुछ नहीं कहा.

जब मैं वापस अपने घर जाने लगा तो उन्होंने मुझे रोक लिया और वे बोलीं- थोड़ी देर मेरे साथ बैठ सकते हो क्या? मैंने भाभी को हां बोल दिया और वहीं बैठ गया।

अब भाभी मुझसे बात करने लगीं बातों ही बातों में मैं समझ गया कि लड़ाई की वजह सेक्स ही है।

हम दोनों काफी देर तक ऐसे ही बात करते रहे बातों में टाइम का कुछ पता ही नहीं चला
मैंने जब टाइम देखा तो काफी वक्त हो गया था।

भाभी बोलीं- चलो, घर के अन्दर चलते हैं मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि भाभी ने अन्दर चलने के लिए क्यों कहा।

हम दोनों अन्दर गए तो मैंने उनसे पूछा- आपके हसबैंड कहां गए?
तब पता चला कि उनके पति अपनी जॉब की वजह से शहर से बाहर गए हुए हैं।

फिर थोड़ी देर बाद भाभी मुझसे बोलीं कि क्या तुम मेरा एक काम कर सकते हो?
मैंने कहा- हां क्यों नहीं भाभी, आप बोलो तो सही!

उन्होंने मुझसे पूछा- क्या तुम मेरे साथ सेक्स कर सकते हो? उनके मुँह से यह बात सुन कर मैं हैरान हो गया।

तभी भाभी ने अपना हाथ मेरे लोअर पर रख दिया और मेरे लंड को अपने हाथ से दबाने लगीं।

मेरा लंड भी टाइट होने लगा था और मैं भाभी की तरफ देखने लगा उनकी आंखों में गजब की वासना दिखाई दे रही थी।

मुझे उन्हें देखते हुए अभि एक दो पल ही हुए थे कि भाभी ने आगे बढ़ कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मैंने भी भाभी के होंठों को चूमना शुरू कर दिया।

भाभी मेरा खुल कर साथ दे रही थीं उनके मुँह में मेरी जीभ अन्दर जाकर उनकी जीभ से लड़ने लगी थी।

मेरे हाथ अब अपने आप भाभी के मम्मों पर जाने लगे वे भी मना नहीं कर रही थीं. वे भला क्यों मना करने वाली थीं, उन्हें तो खुद ही अपनी चूत के लिए मेरे लौड़े की जरूरत थी।

भाभी के बूब ज्यादा बड़े नहीं थे, फिर भी मुझे मजा आने लगा था।

मैं भाभी को कभी गले पर चूमता, तो कभी उनके होंठों पर तो कभी बूब पर!

हमारे बीच वासना का दरिया उफान ले रहा था तो एक दूसरे के कपड़े उतारने की कोशिशें होने लगी और कुछ ही देर में भाभी और मेरे कपड़े उतर चुके थे भाभी अभी भी ब्रा और पैंटी में थीं।

मैंने उन्हें अपने लौड़े के दीदार कराते हुए लंड को हिलाया, तो भाभी की आंखों में चमक आ गई।
उस वक्त उनकी आंखों की चमक बता रही थी कि उन्हें अपने पति से बड़ा लौड़ा दिख गया था।

अब भाभी झट से नीचे बैठ गईं और उन्होंने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया वे लौड़े को चूसने लगीं।

मुझे लंड चुसवाने का मजा पहली बार मिल रहा था तो बेहद सनसनी होने लगी।

मैंने भाभी का सर पकड़ लिया और अपने लंड को उनके मुँह को चूत समझ कर अन्दर बाहर करने लगा।

ऐसे ही कुछ मिनट तक मुँह की चुदाई करने के बाद मैंने भाभी को उठा कर खड़ा कर दिया; उनकी ब्रा और पैंटी निकाल कर उनको बेड पर चित लिटा दिया।

वे अपनी दोनों टांगों को घुटनों से मोड़ कर फैलाती हुई लेट गई थीं।

उनकी इस पोजीशन से उनकी चूत का दरवाजा खुल बंद हो रहा था और चूत बड़ी ही मनमोहक लग रही थी।

चूत की अंदरूनी लालिमा और बाहरी गुलाबी रंगत, गजब का दृश्य प्रस्तुत कर रही थी।

मैं एक पल को तो ठगा सा रह गया और भाभी की रंगीन चूत की रंगीनी में खोने लगा।

उस समय मैं भाभी के पैरों की तरफ खड़ा था और मेरा लवड़ा छत की तरफ मुँह उठाए भनभना रहा था।

तभी भाभी ने अपने एक पैर से मेरे लंड को टच किया मैं उनकी तरफ देखने लगा तो भाभी ने अपने होंठों पर कामुकता से जीभ फिराई और हाथ से चूत को सहलाया।

मुझे समझ आ गया कि मेरा अगला कदम क्या होना चाहिए मैंने पोजीशन बनाई और भाभी की चूत पर मुँह लगा दिया।

उनकी बेहद गर्म आह निकल गई और वे मेरे सर को अपने हाथ से सहलाती हुई उसे अपनी चूत पर दबाने लगीं मैं भी भाभी की चूत को सूंघते हुए चूसने लगा।

थोड़ी ही देर में भाभी बहुत गर्म हो गयी थीं और उनके मुँह से कामुक आवाजें निकलने लगी थीं.
फिर मैंने भाभी की चूत चूसना छोड़ कर अपने लंड को उनकी चूत पर सैट कर दिया।

मेरे लौड़े को चूत की तपिश का अहसास हुआ तो लंड से रहा नहीं गया और उसने मुझे धक्का मारने को विवश कर दिया।

अभी मैंने हल्का सा जोर ही दिया था कि मेरा लंड चूत की फांकों से फिसल गया मैंने दुबारा उनकी चूत में अपना लंड सैट किया। इस बार मेरे लंड का टोपा उनकी चूत में घुस गया।

भाभी की तो मईया चुद गई थी और उनकी तेज आवाज से मेरी गांड फट गई कि साला ये क्या बवाल हो गया दरअसल भाभी मोटे लौड़े के अन्दर जाने से चिल्लाने लगी थीं।

मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि उनके पति का लंड बहुत पतला सा है और मेरा बहुत मोटा.
मैंने मामला समझ लिया था कि भाभी को धीरे धीरे चोदना पड़ेगा।

फिर मैंने अपनी उत्तेजना पर काबू रखते हुए अपना पूरा लंड धीरे धीरे से उनकी चूत में जड़ तक उतार दिया और लौड़े को वहीं आराम करवाने लगा।

भाभी ने अपने होंठ भींचे हुए थे और उनकी मुट्ठियां बंधी हुई थीं।

उसके कुछ देर बाद भाभी के चेहरे के भाव सही हुए तो मैंने धकापेल शुरू की कुछ 15 मिनट के बाद मैं उनकी चूत में ही झड़ गया।

भाभी उस बीच एक बार झड़ चुकी थीं और मेरे स्खलन के समय वे दुबारा से झड़ गईं। चुदाई के बाद हम दोनों यूं ही एक दूसरे ने नंगे चिपके पड़े रहे।

उस रात हमारा ये चुदाई का खेल 5 बार चला उसके बाद मैंने भाभी से उनकी गांड मारने की अपनी चाहत बतायी।

उन्होंने मना कर दिया मैंने उन्हें मनाया और जैसे तैसे भाभी मान गईं।

तब मैंने उनकी गांड को सहलाते हुए पूछा- आप मना क्यों कर रही थीं?

उन्होंने मुझसे कहा कि आज तक उनके पति ने उनकी चूत तो सही से नहीं चोदी तो गांड क्या ही मारते?

मैंने भी कह दिया- अरे कोई बात नहीं भाभी. मैं बड़े आराम से आपकी गांड को खोलूँगा. कोई जल्दी थोड़ी न है! वे बोलीं- हां, जल्दी की कोई बात नहीं है।

मैंने 69 में आकर भाभी की गांड को चाट कर अच्छे से गीला कर लिया और उन्होंने मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर गीला कर दिया।

मैं उनकी गांड चाटने के साथ साथ उसमें उंगली भी कर रहा था बड़ा ही मस्त टेस्ट आ रहा था।

थोड़ी देर के बाद मैंने सीधे होकर उनकी गांड में अपना लंड सैट किया और कहा- अब बेसन की भजिया स्वाद आप भी चख लो।

ये कहते हुए मैंने एक ही बार में अपने लंड का टोपा उनकी गांड के पहले छल्ले को फैलाते हुए अन्दर पेल दिया।

भाभी की मां चुद गई और वे बहुत जोर से चिल्लाने लगीं- मर गई रे आह मम्मी रे फट गई मेरी … आह निकालो बाहर … मुझे नहीं मरवाना है अपनी गांड।

मगर मैंने अपने दोनों हाथों से उनके मुँह को जल्दी से बंद कर दिया था … इसलिए उनकी आवाज ज्यादा देर तक ना आ सकी।

फिर मैं लौड़े को पेल कर वैसे ही रुक गया थोड़ी देर बाद मैंने उनकी गांड के छेद और लौड़े के बीच में थूका और लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा।

कुछ ही मिनट में मैंने अपना मोटा लंड उनकी कुंवारी गांड में उतार दिया था।

थोड़ी देर के बाद भाभी को मजा आने लगा और वे भी अपनी गांड हिलाने लगीं।

मैं उनकी गांड में ज्यादा देर तक नहीं रुक पाया क्योंकि गांड की कसावट ने मेरे लंड का गला घोंट दिया था।

दस मिनट के बाद मैं उनकी गांड में झड़ गया मगर भाभी को और मजा चाहिए था इसलिए उन्होंने तुरंत मेरे लौड़े को पौंछा और उसे चूसने लगीं।

थोड़ी ही देर में मेरा लंड वापस खड़ा हो गया और मैं फिर से उनकी गांड मारने लगा.

इस बार ये खेल 20 मिनट से भी ज्यादा देर तक चला फिर मैं झड़ गया।

उसके बाद हम दोनों थोड़ी देर तक ऐसे ही लेटे रहे आधा घंटा के बाद मैं अपने घर आ गया।

अब हमारा ये खेल रोज का हो गया था मैं रोज भाभी की चुदाई करने चला जाता था।

एक साल बाद मेरी ड्यूटी की वजह से मेरा आना जाना कम हो गया है मगर मैं भाभी की वीडियो कॉल पर सेक्स चैट का मजा ले लेता हूँ।

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