मेरा नाम निशा है और मैं बैंगलोर से हूँ। मेरी उम्र 22 साल है आज मैं भी आप लोगों को अपनी आपबीती बताना चाहती हूँ यह कहानी ट्रेन में मेरे सफर की है एक बार लास्ट ईयर मैं अपने परिवार के साथ दिल्ली में एक शादी में गयी थी।
मम्मी-पापा शादी का फंक्शन अटेंड करने के बाद ही बैंगलोर वापस आ गये थे लेकिन मैं और मेरी बहन वहीं पर रुक गए क्योंकि मेरे चाचा भी बाद में आने वाले थे। मेरे माता-पिता ने मुझे चाचा के साथ आने के लिए परमिशन दे दी थी।
मेरी बहन का नाम रिया है और उसकी उम्र 20 साल है। वह मुझसे दो साल छोटी है मेरे चाचा मेरे घर के पास ही रहते थे इसलिए हम दोनों परिवारों का आपस में अच्छा ताल-मेल था।
मगर दो दिन बाद ही चाचा को अचानक इमरजेंसी में एक मीटिंग के लिए जाना पड़ गया। चाचा दिल्ली से ही मुंबई के लिए निकल गये अब हम लोगों को एक रिश्तेदार के साथ वापस घर आना था। मगर वो रिश्तेदार हमारे साथ बैंगलोर नहीं आना चाहता था उसने हमें स्टेशन तक छोड़ दिया।
ट्रेन में दो फैमिली और थी रिश्तेदार ने कहा कि तुम लोगों को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है तुम दोनों इन सब के साथ ही रहना और कल तक आराम से अपने घर पहुंच जाओगी रात के दस बजे ट्रेन दिल्ली से चल पड़ी।
जिस बोगी हम दोनों बहनें बैठी थीं उसमें केवल वे दो ही फैमिली थीं एक घंटे के बाद उनमें से एक फैमिली उतर गई उस रिश्तेदार ने ट्रेन में बैठाने से पहले उनसे ये भी नहीं पूछा था कि वो लोग कहाँ पर उतरने वाले हैं।
उस फैमिली के उतरने के बाद बोगी में एक परिवार और रह गया था हमारे सामने वाली सीट खाली हो गई थी और जो परिवार उतर गया था उसकी जगह दो लड़के आकर बैठ गये।
थोड़ी देर के बाद चार और लड़के आ गये, वो सब उन दोनों लड़कों के ही दोस्त थे, कुछ देर के बाद वो सब उठ कर कहीं चले गये। मगर अगले कुछ मिनट बीत जाने के बाद वो सब के सब फिर से हमारे सामने आकर बैठ गये उनमें से दो लड़के उठे और हम दोनों बहनों की बगल वाली सीट पर आकर बैठ गये।
एक ने पहले वाले से कहा- यार सनी , तेरे केबिन में तो रौनक ही रौनक है। हम दोनों बहनें चुपचाप बैठी थीं क्योंकि हमें उनसे डर लगने लगा था उनके इरादे कुछ ठीक नहीं लग रहे थे।
एक ने पहले वाले से कहा- यार सनी , तेरे केबिन में तो रौनक ही रौनक है।
हम दोनों बहनें चुपचाप बैठी थीं क्योंकि हमें उनसे डर लगने लगा था उनके इरादे कुछ ठीक नहीं लग रहे थे। फिर उनमें से एक ने मेरे कंधे पर हाथ रख कर कहा- क्यों बेबी! कहां जाना है? मैंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया।
वो बोला- लगता है ये बेचारी तो गूंगी है चलो अच्छी बात है, जब इसको पकड़ कर चोदेंगे तो चिल्लाएगी भी नहीं! मैंने पलट कर जवाब दिया- ज़बान संभाल कर बात करो!
वो बोला- ओहो, तुम तो बोलती भी हो? चलो अच्छा हुआ तुमने सुन तो लिया मैंने जो भी कहा. इतना कह कर वो सारे के सारे हंसने लगे. मैं उठ कर दूसरे केबिन में बैठी फैमिली के पास जाने लगी. मैंने सोचा कि किसी को बुला कर इनकी शिकायत कर देती हूँ।
मगर जब मैं देखने तो गई तो दूसरे केबिन में मुझे कोई भी नजर नहीं आया वो फैमिली जा चुकी थी। जब मैं वापस आई तो मैं देख कर हैरान रह गई एक लड़का मेरी बहन रिया के बूब्स पकड़ कर दबा रहा था और दूसरा उसकी जांघों को सहला रहा था।
मैं हैरान थी कि रिया भी कुछ नहीं बोल रही थी मैंने उनके पास आकर उनको धक्का देकर हटाने की कोशिश की फिर पीछे से दो लड़के आये और मेरी गांड पर हाथ फेरते हुए बोले- रानी, क्यों परेशान हो रही हो? देखो, हमारे लंड भी प्यासे हैं और तुम भी यहाँ अकेली हो।
अगर तुम हमारा साथ दोगी तो हम तुम्हारे साथ कोई जबरदस्ती नहीं करेंगे लेकिन अगर तुमने हमारी बात नहीं मानी तो हम तुम्हारी बुर को फाड़ कर रख देंगे।
मैं सोच में पड़ गई मेरे दिमाग में उनकी बात मानने के सिवा कोई रास्ता नहीं आया मैंने कहा- ठीक है, लेकिन मेरी भी एक शर्त है कि तुम मेरी बहन के साथ कुछ नहीं करोगे वो बोले- ठीक है. जैसा तुम कहोगी वैसा ही होगा।
उसके बाद उन्होंने रिया को छोड़ दिया और उन्होंने मुझे दूसरे केबिन में चलने के लिए कहा. मैंने उनके साथ दूसरे केबिन में चली गई, वहाँ पर जाने के बाद मैंने देखा तो उन्होंने एक व्हिस्की की बोतल निकाली और गिलास में डालने लगे।
उन्होंने पहले खुद वो दारू पी और फिर वो गिलास मेरे होंठों से लगा दिया मुझे भी दारू पीनी पड़ी क्योंकि मैंने उनको कहा था कि वो मेरी बहन के साथ कुछ नहीं करेंगे इसलिए मैं भी उनकी किसी बात को मना करके रिस्क नहीं लेना चाहती थी।
दारू पीने के बाद उन्होंने केबिन का दरवाजा बंद कर दिया. मेरा सिर भारी सा होने लगा था मुझे मजा सा आने लगा था। फिर दूसरे लड़के ने खिड़कियों को भी बंद कर दिया ताकि कोई बाहर से भी कुछ न देख सके. मैंने पीले रंग का सूट और सफेद रंग की पजामी पहनी हुई थी।
उनमें से एक लड़के ने मेरे सूट के ऊपर से ही मेरी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया मुझे अच्छा लगने लगा अब तक मुझे आधा नशा चढ़ गया था उस लड़के ने जोर से मेरे बूब्स को दबाना शुरू कर दिया।
फिर उसने मेरे गले में से दुपट्टा भी उतार दिया और मेरी चूचियों की दरार बाहर दिखने लगी. वह लड़का मेरी चूचियों को सूट के ऊपर से ही चूमने लगा।
मेरे निप्पल टाइट होना शुरू हो गये थे. पीछे से एक लड़के ने सूट को मेरी गांड से हटा कर मेरी गांड को दबाना शुरू कर दिया आगे वाले लड़के ने एक हाथ में मेरी एक चूची को भर लिया और दूसरे हाथ से मेरी चूत को टटोलने लगा।
उसका हाथ जल्दी ही मेरी चूत पर जाकर पजामी के ऊपर से ही उसको मसाज देने लगा. अब मैं धीरे-धीरे गर्म होती जा रही थी. उसके बाद आगे वाले लड़के ने मुझे नीचे ट्रेन के फर्श पर लेटा दिया।
उसने मेरी पजामी का नाड़ा खोल दिया और दूसरे ने मेरे सूट को ऊपर उठाते हुए मेरे कंधों से निकालते हुए मेरे बदन से अलग कर दिया. अब मेरे जिस्म पर केवल ब्रा और पैंटी रह गई।
एक लड़के ने दूसरे से कहा- सनी तू इसकी चूचियों को नंगी कर दे और मैं तब तक इसकी चूत के दर्शन कर लेता हूँ उसके बाद नीचे वाले लड़के ने मेरी पैंटी को निकाल कर मेरी चूत को नंगी कर दिया और ऊपर की तरफ दूसरे लड़के ने मेरी ब्रा को खींच कर नीचे धकेल दिया।
जिससे मेरी ब्रा मेरे पेट पर आकर फंस गई और मेरी चूचियां उछल कर बाहर आते हुए मेरी ब्रा पर टिक गईं मेरी मोटी और गोल चूचियों को देख कर नीचे वाले लड़के ने अपने दोनों हाथों में उनको भर लिया और उनको कस कर दबाने लगा. मैं तो अब मस्ती से भरने लगी. अब मुझे बहुत ही मजा आने लगा था।
उसके बाद उसने मेरी चूचियों को अपने मुंह में भर लिया. मेरे मुंह से आहें निकलने लगीं. मैंने ऊपर की तरफ देखा तो दूसरा लड़का अपने कपड़े उतार रहा था. उसने अपनी शर्ट उतार दी थी और अब वो पैंट को खोल रहा था।
कुछ ही पल में उसने अपनी टांगों से अपनी पैंट निकाल कर अलग करके साइड में फेंक दी और वो अंडरवियर में खड़ा दिखाई दिया उसके बाद उसने अपने अंडरवियर को भी निकाल दिया और उसका लंड मुझे अपने सिर के ठीक ऊपर तना हुआ दिख रहा था।
वो अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाता हुआ नीचे बैठ गया. घुटनों के बल बैठने के बाद उसने मेरे मुंह को खोल दिया और अपने लंड को मेरे मुंह में दे दिया. वो मेरे मुंह में लंड को देकर अंदर-बाहर करने लगा।
अब तक मेरे अंदर भी वासना जाग गई थी और मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. उसके मुंह आह्ह … आह्ह … की मजेदार आवाजें निकलने लगी. उसकी आवाजें सुनकर मैं भी और ज्यादा गर्म होने लगी।
नीचे की तरफ वाले लड़के ने मेरी चूचियों को मुंह से निकाल दिया और मेरी पैंटी को खींच कर मेरी टांगों से बाहर करते हुए साइड में फेंक दिया. अब मैं नीचे से बिल्कुल नंगी थी और मेरी ब्रा मेरे पेट पर फंसी हुई थी और मेरी चूचियों पर उस लड़के के मुंह की लार लगने से वो चिकनी हो गई थी।
नीचे से उसने मेरी चूत पर अपनी हथेली से सहलाना शुरू किया तो मेरी टांगें खुलने लगीं. मेरी चूत से पानी बहना शुरू हो गया था जो उस लड़के के हाथ की हथेली को चिकना कर रहा था।
उसके बाद उसने अपनी उंगलियाँ मेरी चूत में डाल दीं और मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगा. ऊपर से मेरे मुंह में लंड अंदर-बाहर हो रहा था और नीचे से दूसरे लड़के की उंगलियाँ चूत में अंदर-बाहर जा रही थीं. मैं बहुत ही ज्यादा गर्म हो गई थी।
उसके बाद नीचे वाले लड़के ने अपनी उंगलियाँ निकाल लीं और मेरी बगल में खड़ा होकर अपने कपड़े उतारने लगा. देखते ही देखते वो नंगा हो गया और अपने लंड को एक बार हाथ में हिला कर जल्दी से मेरे ऊपर लेट गया।
मेरे ऊपर लेटने के बाद वो मेरे नंगे बदन को चूमने लगा. मैं वहीं फर्श पर पड़ी हुई वासना से तड़पने लगी. मेरे मुंह में लंड था इसलिए मेरे मुंह से केवल ऊंह्ह … ऊंह्ह की दबी हुई आवाजें ही बाहर आ रही थीं. मेरे पूरे बदन को चूमने के बाद नीचे वाले लड़के ने मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया।
मैं कुंवारी चूत की मालकिन थी इसलिए मुझे बहुत दर्द हुआ जब उसने पहली बार मेरी चूत में लंड को अंदर धकेला. लेकिन उसके बाद उसने मेरी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया और जल्दी ही मेरी चूत का दर्द कम होना शुरू हो गया।
उसने लंड को अंदर तक पूरा डाल कर मेरी चूत को चोदना शुरू कर दिया. फिर उसने जोर-जोर से मेरी चूत को चोदना चालू कर दिया. ऊपर वाले लड़के ने तेजी से मेरे मुंह को चोदना चालू किया।
कुछ ही मिनट में उसके लंड से वीर्य निकल कर मेरे सारा का सारा वीर्य मेरे मुंह में झड़ गया. उसने जैसे ही लंड बाहर निकाला तो मैंने वीर्य को नीचे गले में गटकते हुए चीख कर कहा- आराम से करो!
वो लड़का बोला- हाँ हाँ … जैसे तुम कहो, वैसे ही करूंगा मैं उसकी बात सुन कर मैं खुश हो गई और उसने जोर से धक्के लगाना जारी रखा. अब मुझे उसके धक्के अच्छे लगने लगे थे. दस मिनट की चुदाई के बाद वो मेरी चूत में ही झड़ गया।
उसके बाद वो दोनों अपने कपड़े पहन कर केबिन से बाहर चले गये और मैं उठ कर अपने कपड़े उठा ही रही थी कि दूसरे दो लड़के केबिन में आ घुसे।
जब तक मैं कुछ बोल पाती उन्होंने अपने लंड अपनी पैंट की जिप से बाहर निकाल लिये थे. उनके लंड तन चुके थे तीसरे नम्बर के लड़के ने मेरे कंधों को पकड़ा और मुझे फिर से नीचे लेटा दिया उसके बाद चौथे ने अपनी जींस में से बाहर निकला हुआ अपना लंड मेरी चूत पर सेट किया और मेरे ऊपर लेट गया।
अगले ही पल उसका लंड मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था. पांच मिनट के बाद चौथे लड़के का वीर्य भी मेरी चूत में निकल गया जब वो उठा तो तीसरे ने मोर्चा संभाला और मेरी चूत को चोदने लगा. दस मिनट तक उसने भी मेरी चूत को जम कर रगड़ा।
उसके बाद वो दोनों चले गए और अगले दो लड़के केबिन में आ गये. फिर पांचवे ने मुझे उठने के लिए कहा और वो खुद बर्थ पर जाकर बैठ गया. उसने मुझे घुटनों के बल कर लिया और मेरी गर्दन को पकड़ कर अपने लंड पर मेरे मुंह को रख दिया और दबा दिया।
वो अपने हाथों से मेरी गर्दन को पकड़ कर अपने लंड पर मेरे मुंह को ऊपर-नीचे करने लगा. छठे लड़के ने पीछे से मेरी गांड पर लंड को सेट किया और धक्का दे दिया. मेरे मुंह में लंड था तो दर्द के मारे मेरी ऊंह्ह … निकल गई।
मगर कुछ ही देर के बाद मुझे गांड मरवाने में भी मजा आने लगा. उसके बाद उन दोनों ने पोजीशन बदल ली. पांचवे नम्बर का लड़का मेरी गांड को चोदने लगा और उससे दूसरे वाला मेरे मुंह को चोदने लगा।
बीस मिनट के बाद वो दोनों मेरी गांड और मुंह में बारी-बारी से झड़ गये. इस तरह से रात भर उन्होंने मुझे लगभग चार बार चोदा और इतनी ही दफा मेरी गांड भी मारी।
जब सुबह के चार बजे के करीब मैं अपने केबिन में वापस गई तो मैंने देखा कि रिया भी वहाँ अस्त व्यस्त सी बैठी थी मैं उसको ऐसी हालत में देख कर हैरान रह गई।
उन लड़कों ने शायद रिया के साथ भी वैसे ही किया था जैसे उन्होंने मेरे साथ किया था. जब मैंने पूछा तो रिया ने बताया कि उन 6 लड़कों ने उसकी भी रात भर चुदाई की. मैंने रिया से पूछा- ये सब कैसे हुआ और तुझे कैसा लगा?
रिया भी मेरी तरह अपनी चूत चुदवा कर खुश थी. पहली बार की चुदाई में ही हम दोनों बहनों को जोरदार चुदाई का मजा मिला था।