दोस्तो, मेरा नाम आर्यन है और मेरी उम्र 20 साल है। मैं इंदौर में रहता हूं । बात ज्यादा पुरानी नहीं है। कुछ समय पहले ही मैंने 12वीं पास की थी। मैं कॉलेज में एडमिशन ले चुका था। मेरी एक बड़ी बहन है जो शादीशुदा है और उसकी एक साल की बेटी भी है। मैं अपनी दीदी को लाने उसके ससुराल गया था।
ट्रेन से मैं दीदी के घर पहुंचा तो दीदी बहुत खुश हुई मुझे देखकर! शाम को जीजाजी आए और हमने साथ में खाना खाया। थोड़ा वक्त टीवी देखा और काफी बातें कीं।
मेरे जीजाजी सरकारी नौकरी में थे इसलिए उनका बाकी परिवार गांव में रहता था। दीदी अपनी बेटी और पति के साथ ही रहती थी। जीजाजी नौकरी में बहुत ज्यादा व्यस्त रहते थे और दीदी को ज्यादा वक्त नहीं दे पाते थे।
इसलिए दीदी थोड़ी मायूस दिखाई देती थी और छोटी छोटी बातों पर दोनों में तनाव हो जाता था। दूसरे दिन मैं ट्रेन की रिजर्वेशन करवाकर लाया था।
सफर बहुत लम्बा था।
हमारी ट्रेन रात में थी और शाम तक हम स्टेशन पहुंच गए। ट्रेन को चलने में अभी वक्त था। मैंने देखा कि सब लोग हमें घूर रहे थे। मैं सोच में पड़ गया कि हमें सब लोग ऐसे क्यों देख रहे हैं। फिर मैंने देखा तो पाया कि लोग दीदी को घूर रहे थे।
उसने काले रंग की साड़ी पहनी हुई थी। उसने बिना बाजू का ब्लाउज पहना था। उसके गोरे हाथ उसमें चमक रहे थे। दीदी का साइज भी 34-30-36 का था तो उनकी गांड और चूचियां अलग से बाहर निकली हुई दिख रही थीं।
दीदी ने साड़ी ऐसे पहनी थी कि दीदी की कमर और उसकी पीठ दिख रही थी। जो भी बगल से जा रहा था वो दीदी को बिना देखे जाता ही नहीं था। शायद दीदी भी यही चाहती थी कि लोग उसे देखें क्योंकि वो जीजाजी से संतुष्ट नहीं थी।
हम लोग वहीं स्टेशन पर थे। मैं साइड में जाकर बैठ गया। दीदी जान बूझकर कभी साड़ी ठीक करती तो कभी दूसरे लोगों को देखकर मुस्करा देती थी।
मैं भी जानकर अनजान बना हुआ था।
थोड़ी देर बाद पता चला कि जो हमारी ट्रेन थी वह 2 घंटे देरी से आएगी। मुझे टेंशन होने लगी।
तभी एक लड़का आया और बगल वाली जगह पर बैठ गया। उसने मुझे पूछा- कहां जा रहे हो? मैंने कहा- इंदौर जा रहे हैं हम, मगर हमारी ट्रेन 4 घंटे की देरी से आएगी।
उसने कहा- मैं भी इंदौर जा रहा हूं। मगर मेरी ट्रेन थोड़ी देर में पहुंच जाएगी। अगर तुम्हें जल्दी जाना है तो मेरे पास सीट खाली हैं। मेरे दोस्तों की टिकट बुक थी लेकिन वो लोग आ नहीं सके।
मैंने सोचा 2 घंटे रुकने से जल्दी जाना बेहतर है। बात करने के लिए मैंने दीदी को अपने पास बुलाया। वो लड़का दीदी को देखता ही रह गया। मैंने दीदी से बात की तो वो भी दूसरी ट्रेन में चलने के लिए राजी हो गई।
फिर मैंने उस लड़के से बात की तो पता चला कि उसका नाम दीपक था। वो 30 साल के करीब था और हाइट 6 फीट की थी। वो काफी हट्टा कट्टा नौजवान था। वो दीदी को बार बार देख रहा था।
मैं समझ गया था कि ये मेरी बहन की चुदाई करने की फिराक में है। वो खुद ही हमारे लिए नाश्ता लेकर आ गया।
दीदी भी उसके साथ बात करने लगी। अब वो दोनों काफी बातें करने लगे थे कुछ देर के बाद हमारी ट्रेन आ गयी। हम लोग ट्रेन में जाकर बैठ गए।
दीपक मेरी दीदी की बगल में जा बैठा। हम तीनों आपस में बातें करने लगे। मगर वो दोनों आपस में ज्यादा बात कर रहे थे।
ऐसे ही होते होते रात के 12 बज गए। सब लोग सोने लगे। बोगी की लाइटें बंद हो गईं। संयोग से हमारे वाली बोगी में बहुत कम लोग थे। जो थे वो भी बुजुर्ग आदि थे जो काफी समय पहले सो चुके थे।
दीपक ने अपना लैपटॉप निकाल लिया और कुछ काम करने लगा। कुछ देर बाद वो फिल्म देखने लगा। मेरी दीदी की बेटी मेरे पास सो चुकी थी तो दीदी भी उसके साथ फिल्म देखने लगी। वो दोनों फिल्म देखने में व्यस्त हो गए।
मेरे मन में पूरा शक था कि ये लोग रात में चुदाई करेंगे इसलिए मैं सोने का नाटक करने लगा। मगर मैं अंधेरे का फायदा उठाकर उनकी हरकतों को देखता रहा।
वो बार बार बातों ही बातों में मेरी दीदी को छूने की कोशिश कर रहा था। दीदी भी हंस हंसकर उसकी बातों का जवाब दे रही थी और जरा भी बुरा नहीं मान रही थी उसकी हरकतों के लिए।
उसने अपना हाथ दीदी की जांघ पर रख दिया। दीदी ने कुछ नहीं कहा।
फिर दीपक ने अपना हाथ उठाया और दीदी के कंधे पर ले जाकर दूसरी तरफ से उसकी चूची पर रख दिया। अब भी दीदी ने कुछ नहीं कहा।
धीरे धीरे उसका हाथ मेरी बहन की चूची को साड़ी के ऊपर से ही दबाने लगा। दीदी आराम से बैठी हुई थी। कभी वो बाकी लोगों को देख रही थी तो कभी मेरी ओर देख रही थी कि कहीं मैं जाग न रहा होऊं।
उधर दीपक ने जोर जोर से उसकी चूची को भींचना शुरू कर दिया था। मैं दीपक के हाथ को अपनी बहन की चूची पर चलते हुए साफ साफ देख सकता था।
मेरी दीदी के मुंह से हल्की कराहटें आने लगी थीं।
ये देखकर मैं भी गर्म होने लगा था और मेरा लंड भी खड़ा हो चुका था। अब मेरा खुद मन कर रहा था कि वो दोनों आगे बढें और मैं भी उनकी हरकतों का मजा लूं।
फिर दोनों ने यहां वहां देखा और दीपक ने अपना लैपटॉप बंद करके रख दिया। जब उनको लगा कि कोई नहीं जाग रहा है तो दीपक ने दीदी का चेहरा अपनी ओर किया और दोनों एक दूसरे के होंठों को चूमने लगे। दीदी भी उसका साथ देने लगी।
दीपक दीदी की चूचियों को भी दबा रहा था और दीदी उसकी पैंट पर से लंड को सहलाने लगी। दोनों की चूमा चाटी की आवाज मुझे तक भी आ रही थी और ये सब देखकर मेरा लंड फटा जा रहा था।
फिर उसने दीदी के ब्लाउज को ऊपर कर दिया और उसकी चूचियों को बाहर निकाल कर दोनों हाथों से दबा दबाकर चूसने लगा। दीदी ने उसकी चेन खोल दी और उसकी पैंट में हाथ देकर उसके लंड को सहलाने लगी।
दोनों अब हवस में पागल हो चुके थे। अब वो देख भी नहीं रहे थे कि कोई उनको देख रहा है या नहीं। वैसे भी रात का 1 बज रहा था और कोई भी नहीं जाग रहा था। वो दोनों अपनी मस्ती में लगे हुए थे।
फिर उसने दीदी को नीचे लिटा लिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गया। उसने दीदी की साड़ी को उठा दिया और उसकी चूत को सहलाने लगा। दीदी की नंगी जांघें मैं भी साफ साफ देख सकता था।
रात में उसकी गोरी जांघें अलग से चमक रही थीं। अब वो दीदी की पैंटी में हाथ देकर उसकी चूत में तेजी से उंगली करने लगा। दीदी उसके सिर को पकड़ कर अपनी चूचियों पर दबाने लगा। उसने दीदी की चूत में चुदाई की आग भड़का दी।
वो तेजी से उसके हाथ को पकड़ कर अपनी चूत में उंगली करवा रही थी। फिर उसने दीदी की पैंटी को नीचे खींच दिया और अपनी पैंट खोलकर अपनी जांघों तक कर ली। उसने अंडरवियर भी नीचे कर दिया।
उस लड़के की नंगी गांड मैं देख पा रहा था। जैसा वो हट्टा कट्टा था वैसा ही उसका लंड भी था। कम से कम 8 इंच का लंबा तगड़ा लंड था। उसने दीदी से लंड चूसने के लिए कहा तो दीदी ने कहा कि जल्दी कर लो।
फिर उसने अपने लंड को पकड़ा और दीदी की चूत पर सेट करके दीदी के ऊपर लेट गया। दीदी की चूत में लंड गया तो उसकी आह्ह निकल गई।
मगर दीपक ने एकदम से उसके मुंह पर हाथ रख दिया और पूरी तरह से दीदी से चिपक कर लेट गया। दीदी की चूत में लंड देकर वो धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगा। दीदी की टांगें फैली हुई थीं और एक टांग तो सीट के नीचे ही लटक रही थी।
दीपक अब उसकी चूचियों को पीते हुए अपनी गांड ऊपर नीचे करते हुए मेरी दीदी की चुदाई कर रहा था। ये देखकर मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था। मैंने अपनी लोअर में हाथ दे लिया और अपने लंड की मुठ मारने लगा।
वो दोनों अपनी चुदाई में मशगूल थे। अब दीदी मेरी तरफ देख भी नहीं रही थी। उनकी चुदाई की ट्रेन सरपट दौड़ रही थी। दोनों मस्त हो चुके थे।
पांच मिनट तक चोदने के बाद उसने दीदी को सीट पर ही कुतिया बना लिया और घुटनों के बल होकर दीदी की चूत में पीछे से लंड दे दिया।
वो कुतिया बनाकर दीदी की चुदाई करने लगा।
मैं भी अब अपने लंड की मुठ मारने लगा। मैं ऊपर वाली सीट पर था तो दोनों को कुछ पता नहीं चल रहा था कि मैं भी अपने लंड को हिला रहा हूं।
इतना ज्यादा सेक्स मुझे भी कभी नहीं चढ़ा था। मेरा तो मन कर रहा था कि मैं भी अपनी दीदी की चूत मार लूं। उसको ऐसे दूसरे लड़के से चुदते हुए देखकर मैं बहुत कामुक हो गया था। पांच मिनट तक चोदने के बाद दीपक मेरी दीदी की चूत में ही झड़ गया।
मैं भी उन दोनों को देखते हुए तेजी से मुठ मार रहा था कि एकदम से दीपक का ध्यान मेरे ऊपर चला गया। उसने मुझे देख लिया कि मैं उन दोनों को देख रहा हूं।
उसके बाद वो दोनों जल्दी से उठे और दीपक ने अपनी पैंट ऊपर कर ली। दीदी ने भी साड़ी ठीक कर ली और दोनों आराम से बैठ गए।
फिर दीपक ने दीदी के कान में कुछ कहा। पांच मिनट के बाद दीपक ने मुझे उसके साथ वॉशरूम तक चलने के लिए कहा। मैं जान गया कि वो जरूर मुझे मनाने की कोशिश करेगा। वहां जाकर उसने मुझसे कहा कि ये सब उसने उसकी दीदी की मर्जी से किया है।
मैं तो पहले से ही सब देख चुका था तो मुझे पता था कि मेरी दीदी अपनी मर्जी से ही चुदी है। फिर दीपक ने मुझे 2000 रुपये थमा दिए और बोला कि तू ये बात किसी से न कहना और अपनी दीदी को भी समझा देना।
पैसे पाकर मैं तो खुश हो गया। दीदी तो वैसे भी प्यासी ही थी इसलिए मुझे इसमें कुछ गलत नहीं लगा कि उसने अपनी संतुष्टि के लिए किसी के साथ चुदाई की। खुश होना तो सबका हक है।
उसके बाद हम लोग इंदौर पहुंच गए। दीदी के पास दीपक का नंबर आ चुका था। तीन दिन के बाद दीपक ने दीदी को फिर बुलाया और मुझे भी साथ आने को कहा।
हम उसके बताये गये पते पर पहुंचे। दो रूम की बुकिंग की थी उसने। दीदी पहले दुल्हन की तरह तैयार हुई और फिर दीपक के पास गई।
उन दोनों ने मेरे सामने ही अपनी सुहागरात मनाई और मुझे भी बहुत मजा आया। उसके बाद दीपक मेरी दीदी को कई बार चोद चुका है।
वो अब बहुत खुश रहती है। ये राज मेरे और मेरी दीदी के अलावा कोई नहीं जानता है।