मेरा नाम रिशु है जनवरी का महीना था और मैं एक इंटरव्यू के लिए अहमदाबाद जा रहा था. जयपुर से 3 बजे मैंने ट्रेन पकड़ी. क्योंकि सर्दियों का टाइम था तो स्लीपर कोच ही बेहतर लगा मुझे!
मैं टाइम पर ट्रेन में जाकर अपनी सीट पर बैठ गया. इतने चाय वाला आया तो मैं चुस्की लेते हुए चाय पीने लगा.
मेरे मन में ऐसा कोई ख्याल नहीं था कि कोई लड़की या औरत आकर मेरे समीप बैठे क्योंकि मन में जॉब की टेंशन ज्यादा थी, सोच रहा था कि नौकरी मिल जाए तो सेटल हो जाऊं.
इतना सोच ही रहा था कि अचानक सामने एक महिला लगभग 30 साल की अपनी बच्ची के साथ आई और पूछा- एस-3 यही है क्या?
मैंने कहा- जी हाँ!
इसके बाद उसने टिकट पर सीट नंबर देखा जो कि मेरे सामने वाली ही सीट थी. अपना सामान रखकर वो सीट पर बैठ गयी.
उसकी तरफ ज्यादा ध्यान न देते हुए मैं फ़ोन चलाने लगा। ट्रेन जयपुर से चल पड़ी और एक बार जब चेहरे से उसने मास्क हटाया तो मैंने देखा कि वह ज्यादा सुंदर नहीं थी. वजन में वह लगभग अस्सी किलो की होगी.
उसके बड़े बड़े दूध, बाल छोटे और गांड तो पूछो ही मत! पता नहीं कैसे उसकी पैंटी उसकी चूत को संभाल रही होगी.
उसकी ब्रा का साइज लगभग 38 होगा क्योंकि उसके दूध तो एकदम ब्रा फाड़ने को तैयार थे.
उसने जब सीट के नीचे अपना बैग रखा तो सामने क्लीवेज से उसकी वाइट कलर की ब्रा दिखाई दी.
ब्रा देखते ही लंड में थोड़ी हलचल सी हुई. फिर भी उसको चोदने का ख्याल नहीं आया.
रात के दस बज गए थे, मैंने सोचा कि खाना खाकर सो जाता हूं. मैंने ट्रेन में ही खाना खरीदा और अपनी सीट पर खाने लगा.
मुझे खाते देखकर उसकी बच्ची भी खाने की जिद करने लगी.
मैंने मुस्कुराते हुए उस लेडी की तरफ देखा, उसने भी रिप्लाई में स्माइल दी. तो मैंने उनके लिए खाना मंगवाया.
वो पूछने लगी- आप कहाँ जा रहे हो? मैंने इंटरव्यू के बारे में बताया और फिर मैं खाना खत्म करके बैठ गया.
अब जब बात शुरू ही हो गयी थी तो मैंने भी पूछ लिया- आप कहाँ जा रही हैं? उसने बताया- बेटी को डॉक्टर के पास दिखाने आयी थी.
मैंने कहा- आपके हस्बैंड नहीं आये? उसने बड़ी मायूसी से जवाब दिया- वो कुछ साल पहले गुजर गए!
इतना सुनते ही मैंने उन्हें सॉरी बोला और चुप हो गया.
फिर अचानक से उसने बात करना शुरू कर दिया. और इस बार कुछ इंटरेस्ट के साथ बातें की. बारह कब बज गए पता ही नहीं चला.
मैंने कहा- अब टाइम बहुत हो गया है, अब सोना चाहिए. वो बोली- ठीक है.
उसने अपनी बच्ची को साइड में लिटाया और मेरी तरफ चेहरा करके लेट गयी. सर्दी थी तो कम्बल से चेहरा ढक लिया.
कुछ दस मिनट हुए थे कि उसने अपना चेहरा बाहर कर लिया. मैंने पूछा- क्या हुआ? बोली- सांस लेने में दिक्कत हो रही है. मैं ओके बोलकर लेट गया.
लेकिन अब वो लगातार देखने लगी मेरी तरफ! तो मैंने इशारे में पूछा कि कोई दिक्कत हो रही है क्या? वह बोली- नहीं, बस यों ही सोच रही हूं कि आपसे दोस्ती कर सकती हूं. मैंने कहा- बिल्कुल … इसमें सोचने वाली क्या बात है.
फिर मैंने उससे कहा- आप मेरी सीट पर आकर बैठ जाइए और बच्ची को आराम से सोने दीजिये. वह बोली- मैं भी यही सोच रही हूँ क्योंकि मोटी हूँ तो दिक्कत हो रही है.
फिर वो शॉल लेकर मेरे बगल में बैठ गयी, लाइट भी बंद कर दी. अचानक से मेरे मन ख्याल आया कि एक बार कोहनी से इसके दूध टच करके देखता हूं कि क्या रिप्लाई देती है.
मैंने अपनी कोहनी उसके दूध से टच की. तो वो कुछ नहीं बोली.
मैंने सोचा कि हो सकता है कि गलती से समझ रही हो कि टच हो गया हो. इसलिए फिर मैंने एक बार और ट्राई किया. इस बार भी वो कुछ नहीं बोली और मेरी तरफ थोड़ा और खिसक कर बैठ गयी.
अब मेरी कोहनी उसके दूध पर दबाव बनाने लगी और वो आंख बंद करके बैठी रही. मैंने सोचा कि लाइन क्लियर है, क्यों ना निप्पल टच करके देखूं.
जैसे ही मैंने उसके निप्पल को टच किया, वो आंख खोलकर मुस्कुरा दी. बस फिर क्या … मैंने उसके कमीज के ऊपर से ही एक दूध को पकड़ कर मसल दिया.
सोच सकते हो जिसने एक लम्बे अरसे से जिस्म को हाथ न लगवाया हो, उसका क्या हाल हुआ होगा और उसकी चूत का.
ट्रेन अपनी रफ्तार में थी और मैं अपनी अब हाथ उसके गले से कमीज में डालकर उसके निप्पल को मसलने लगा. वो हल्की हल्की सिसकारियां लेने लगी और मेरी तरफ झुक गयी.
मैंने उसको अपना सर मेरी जांघ पर रखने का इशारा किया और वो सर रखकर लेट गयी.
मैं धीरे धीरे उसकी चूचियाँ सहलाता रहा और इधर पेंट में मेरा लंड एक दम अकड़ गया।मेरे लंड का तनाव वो महसूस कर रही थी.
जब मुझसे नहीं रह गया तो मैंने शाल में अपनी पेंट की जिप खोली और अपना लंड उसके सर पर टच किया.
उसने अपना एक हाथ पीछे की तरफ किया और लंड को पकड़ कर दबाने लगी।
मेरा लंड इतना टाइट हो गया कि मैंने उसको बोला- मुँह में लेकर इसको खाली कर दो!
फिर वो पेट के बल लेट गयी और मेरा लंड उसके होंठों से टक्कर मारने लगा. उसने होंठ खोलकर मेरा लंड सीधा मुख में ले लिया!
लगातार पांच सात मिनट चूसने के बाद उसने मेरे लंड से निकली गर्म गर्म वीर्य की धार अपने मुँह में ले ली।
मेरा पानी निकालने के बाद वो उठकर बैठ गयी.
मैंने उसको पैर मेरी तरफ करने को कहा. वो मेरे कहे अनुसार बैठ गयी.
उसके बाद मैंने अपना बाद हाथ उसकी लेगी में डाल दिया और धीरे से पैंटी के अंदर ले गया. उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो गयी थी.
मैं आराम से एक उंगली उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा. वो आंख बंद करके मजा ले रही थी।
कुछ देर बाद उसकी चूत ने गर्म पानी की धार छोड़ दी. उसके पैर कांप रहे थे. शायद एक लम्बे अरसे बाद इतना पानी था जो पांच मिनट में बाहर आ गया.
उसके चेहरे पर मुस्कान थी।
कुछ देर बाद वो उठकर बैठ गयी और मेरे कंधे पर सर रखकर सो गई. बस इतनी सी थी मेरी कहानी! मैं आज भी उस दिन को याद करता हूँ तो लंड उफान पर आ जाता है।