दोस्तो, मैं अनिल शर्मा आपको अपनी एक सच्ची सेक्स कहानी सुना रहा हूँ.
यह कहानी आज से करीब 1 साल पहले की है, जब मेरी उम्र 23 साल की थी.
उस समय मैं कॉलेज से डिग्री ख़त्म करके घर आया था और मेरी नौकरी लग चुकी थी जो 2 महीने बाद जॉइन करनी थी.
इस वजह से मुझे दो महीने घर पर ही रहना था.
उस समय तक मैंने सेक्स नहीं किया था और दिन रात सिर्फ सेक्स के बारे में ही सोचता रहता था. मेरे दिमाग और शरीर में उत्तेजना का अंतहीन जवालामुखी बुरी तरह फटने को बेचैन था.
उस समय मुझे महिलाओं में सिर्फ कामुकता का समुद्र दिखता था, जिसके साथ मिलने को मेरे अन्दर का लावा बेचैन था.
मोनिका उस समय 36 वर्ष की थी यानि वो मुझसे 12 साल बड़ी थी और वह मेरे घर से 2 घर छोड़कर रहती थी.
उसके और हमारे घर के हमेशा से घरेलू ताल्लुकात रहे थे.
मोनिका की शादी कुछ 7-8 साल पहले हुई थी लेकिन एक साल पहले ही उसका तलाक हो चुका था और अब वह अपने मायके में ही रहती थी.
उसने मुझे दसवीं से बारहवीं कक्षा तक ट्यूशन पढ़ाई थी. उसने अपना ट्यूशन सेंटर फिर से चालू कर लिया था.
मुझे घर पर आए हुए एक दिन ही हुआ था और मैं अपने घर की बाल्कनी में खड़ा था.
उसी वक्त मैंने मोनिका को नीचे सड़क पर जाते हुए देखा था.
मैं क्या बताऊं, उसे देख कर मेरे होश उड़ गए थे.
उसने एक लाल रंग की टाइट कुर्ती और नीले रंग की जींस पहनी हुई थी.
उसका रंग हल्का सांवला सा था, आंखें बड़ी और काली, होंठ चटख लाल, मखमली और फूले हुए थे. उसके चूचे बड़े और टाइट थे और उसके शरीर की सबसे ख़ास बात थी उसकी गांड.
अगर कोई भी पुरुष, जो चाहे वो सदियों से कोमा में क्यों न हो, अगर उसे टाइट जींस में पीछे से चलते हुए देख ले, तो ये तय मानिए कि मोनिका के हसीन चूतड़ों की उछल कूद को देखकर उसका लंड भी अपनी पूर्ण मुद्रा में तन जाएगा.
यह भी कहा जा सकता है कि उसके गर्म शरीर में कामुकता का जो झरना बहता था, उसमें दुनिया का कोई भी पुरुष डूब कर अपनी जान गंवा देगा.
उस दिन सुबह उसे देखकर मैंने यह निश्चय कर लिया था कि मैं अपने लंड को इसकी चूत का स्वाद तो दिलाकर ही रहूँगा.
लेकिन अब मुझे यह योजना बनानी थी कि यह सब होगा कैसे?
मैं यह सब अपने मन में सोच ही रहा था कि मैंने देखा कि मोनिका नीचे जाती हुई मेरी तरफ देख रही है और स्माइल कर रही है.
तभी मुझे यह अहसास हुआ कि मैं ऊपर से उसके चूचों को ही घूरे जा रहा था.
वो नीचे से ही बोली- अरे अनिल, तू कब आया?
मैं- जी, कल ही आया मैं दीदी!
उसे दीदी कहने का मेरा मन तो नहीं कर रहा था लेकिन मैं उसे बचपन से दीदी ही बुलाता था, तो मुझे वही बोलना पड़ा.
वो- तू घर पर आ शाम को, फिर आराम से बात करते हैं.
मैं- जी दीदी.
उस समय हमारी इतनी ही बात हुई और वो चली गयी.
लेकिन जो तूफ़ान वो मेरे अन्दर पैदा करके गयी न, क्या बताऊं!
पूरी दोपहर मैं बस उसको अपने ख्यालों में चोदता रहा और उसे सोच कर मुठ मारता रहा.
शाम को मैं उसके घर गया.
उसके घर में उसके मम्मी पापा और वो ही रहते थे.
उसकी बड़ी बहन और बड़ा भाई दूसरे शहर में रहते थे.
उसने ही दरवाज़ा खोला तो मैंने देखा कि वो घर में पहनने वाला पजामा और एक पुराना टॉप पहनी हुई थी लेकिन उसका वो टॉप पुराना होने के कारण काफी टाइट हो चुका था और ऐसा लग रहा था मानो उसके चूचे अपनी कैद से आज़ाद होने के लिए तड़प रहे हों.
उसने मुझे एक झलक उसके चूचों को घूरते हुए देख लिया और मैंने तुरंत ही अपने आप को संभाला.
फिर हम दोनों कमरे में आ गए.
वहां उसकी मम्मी भी थीं.
काफी देर तक हम ऐसे ही बातें करते रहे.
वो मुझे मेरे बचपन की शैतानी के किस्से सुनाती रही.
फिर जाने का समय हो गया.
उसी वक़्त मेरे दिमाग में एक योजना आयी.
मैंने उससे कहा कि मेरे पास अभी 2 महीने हैं, तो मैं सोच रहा हूँ कि एमबीए करने के लिए CAT की तैयारी कर लूँ.
वो हम्म बोल कर मेरी बात आगे सुनने लगी.
मैंने उससे आगे कहा- आपकी इंग्लिश और लॉजिकल रीजनिंग काफी अच्छी है, तो क्या आप मुझे 2 महीने के लिए पढ़ा देंगी?
पहले तो वो सोचने लगी क्योंकि वो वैसे भी दिन भर अपने कोचिंग सेण्टर में बिजी रहती थी, लेकिन थोड़ी मनुहार करने पर वो मान गयी.
अब यह तय हुआ कि वो मुझे सुबह 6-7 के बीच पढ़ाएगी.
शुरू के 2-3 दिन तो कुछ नहीं हुआ, लेकिन सुबह सुबह उसको देख कर मैं कैसे अपने आपको काबू में रख पाता था, यह मैं ही जानता हूँ.
बिना कोई मेकअप, बिना कोई साज सज्जा के, हल्के सांवले और गदराए शरीर में ऐसा लगता था मानो कामदेव खुद उसके शरीर में निवास करते हों.
चौथे दिन पहुंचा, तो आंटी ने गेट खोला.
उन्होंने कहा कि वो अभी सोकर ही नहीं उठी है.
मैं चुप था.
तभी आंटी ने कहा कि जा, तू ही उसे कमरे में जाकर उठा ले.
मैं उसके कमरे के पास पहुंचा, तो देखा कि उसके कमरे का दरवाज़ा अटका हुआ था.
मैंने धीरे से आवाज़ दी- मोनिका दीदी!
लेकिन कुछ प्रतिक्रिया न मिलने पर मैंने दरवाज़े पर हल्के से दस्तक दी और दरवाज़ा खुल गया.
मैं सीधा अन्दर चला गया.
वो बिस्तर पर सो रही थी और उसकी कमर तक के नीचे का हिस्सा चादर से ढका हुआ था, लेकिन उसके ऊपर का हिस्सा मैं देख सकता था.
आह क्या ही नज़ारा था वो …
उसने ऊपर टाइट टॉप पहन रखा था और उसने ब्रा नहीं पहनी हुई थी, जिससे उसके चूचे बेतकल्लुफी में आधे से ज्यादा बाहर आ गए थे.
कमरे में एसी चालू होने के कारण कमरे में काफी ठंडक थी. उसके निप्पल कड़क हो चुके थे और मैं उन्हें टॉप में से ही अच्छी तरह से देख पा रहा था.
उसका टॉप नीचे से भी थोड़ा उठा हुआ था और उसकी नाभि और कमर भी मेरे सामने नंगी थी.
मेरा लंड यह नज़ारा देख कर खड़ा हो चुका था और मेरे शॉर्ट्स में उसका उभार साफ़ नज़र आ रहा था.
मैंने अपने आप को संभाला.
अभी मैं अपने लंड को सैट कर ही रहा था, ठीक उसी पल वो हड़बड़ाकर उठ गयी.
ज़ाहिर सी बात है कि कोई सुबह सुबह आपके कमरे में आ जाए, तो आप घबरा ही जाएंगे और उसके साथ भी वही हुआ.
उसके इस तरह उठने से उसका चादर उसके ऊपर से हट गया और तब मुझे अहसास हुआ कि उसने नीचे सिर्फ पैंटी ही पहन रखी थी.
उस पल कुछ क्षणों के लिए समय थम गया.
अंधेरे शांत कमरे में मोनिका बिस्तर पर घुटनों के बल आधी खड़ी हुई एक क्षण तक मुझे देखती रही और अगले क्षण मेरे शॉर्ट्स में से साफ़ दिखते हुए उभार को देखने लगी.
मैं उस कमरे में खड़ा हुआ सिर्फ उसकी पैंटी को ऐसे देखे जा रहा था मानो मैं उसे यूं ही गौर से देखता रहा, तो मुझे पैंटी में से ही उसकी चूत दिख जाएगी.
उस समय वो मुझे दुनिया की सबसे हसीन महिला से भी दस गुना ज्यादा हसीन और कामुक लग रही थी.
मेरा लंड अभी भी पूरी तरह खड़ा हुआ था.
मैंने देखा कि वो बार बार मेरे लंड की तरफ देखने की ऐसे कोशिश कर रही है मानो उससे भी रहा नहीं जा रहा हो.
उस समय मैं समझ गया कि वो तैयार है और कुछ करना पड़ेगा.
मैंने पीछे मुड़ कर देखा, तो कोई नहीं था.
उसका कमरा पहली मंज़िल पर था और उसके मम्मी पापा नीचे रहते थे.
मैंने उसी समय अपने शॉर्ट्स और अंडरवियर एक साथ नीचे कर दिए और अब मेरा खड़ा हुआ लंड उसकी नज़रों के सामने था.
यहां पर मैं यह बताना ज़रूरी समझता हूँ कि हालांकि मेरे लंड की लम्बाई सामान्य जितनी ही है, लेकिन मुझे यह बात हर लड़की ने बोली है कि मेरा लंड असामान्य रूप से मोटा है.
हालांकि उस समय मैंने यह काम सिर्फ उसकी इच्छा जानने के लिए किया था और जो मुझे उम्मीद थी, वही हुआ.
वो एक मिनट तो मेरे लंड को ही देखती रही, फिर बोली- कोई आ जाएगा, जल्दी पहनो इसे!
उसकी बोली में ज़रा भी गुस्सा या घृणा का भाव नहीं था बल्कि एक चुलबुलाहट थी जो मैंने तुरंत भांप ली.
मैंने अपना शॉर्ट्स ठीक से पहन लिया.
फिर मैं एक बार कमरे के बाहर गया, यह देखने कि उसकी मम्मी कहां हैं.
जब कोई नहीं दिखा, तो मैं एक भूखे शेर की तरह फिर से अन्दर आ गया और सीधा मोनिका के पास पहुंच कर उसे अपनी बांहों में ले लिया.
मैंने उसको अपने एकदम करीब खींचा और सीधे उसके होंठ चूमने लगा.
उन मखमली होंठों के स्पर्श से ही मेरे शरीर में एक करंट लगा.
मैं एक जन्मों से प्यासे व्यक्ति की तरह उसके होंठों को ऐसे चूसने लगा, जैसे उसके होंठों में शहद भरा हो और मुझे अपनी प्यास बुझाने के लिए उसे चूस कर निकालना हो. और इस चीज में वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.
और कुछ सेकंड बाद हम दोनों पागलों की तरह एक दूसरे के होंठ और जीभ को चूसने लगे थे.
ऐसा प्रतीत होने लगा, जैसे हमारी सांसें एक हो गयी हों.
हम दोनों ही मदहोशी के उच्चतम बिंदु को पार कर चुके थे और भूल चुके थे कि हमारे चुम्बन के बाहर भी दुनिया है.
कुछ मिनट के चुम्बन के बाद उसे हल्का सा होश आया और वो बोली कि कोई आ जाएगा.
मैंने एक बार फिर बाहर जाकर देखा, तो कोई नहीं था.
मैं अन्दर आया और मैंने कहा- अभी 5-7 मिनट हम यहां और रह सकते हैं. उसके बाद तुम्हारी मम्मी को शक होने लगेगा.
उसने मुझे फिर एक चुलबुली नज़र से देखा और बोली- और क्या कर लोगे इतने से टाइम में?
मैंने बिना कुछ सोचे उसे बिस्तर पर धक्के से लिटा दिया. फिर जो चादर उसने बांध रखी थी, वो खोल दी.
उसकी पैंटी उतारी और अपना सिर उसकी दोनों टांगों के बीच में सटा दिया.
उस पोर्न टीचर की चूत पहले से ही गीली थी और उसकी गंध ने मुझे एक बार फिर मदहोश कर दिया.
मैं सब कुछ भूल कर उसकी चूत को सहलाने और जीभ से चाटने लगा.
वो भी वापस पागल हो गयी और मेरे बाल अपने हाथों से सहलाने लगी, जिससे मैं मदहोशी में और डूबता जा रहा था.
हालांकि वो उस समय 36 साल की थी लेकिन चूत उसकी अभी भी कसी हुई थी और अभी फैली नहीं थी.
मैं उसकी चूत को ऐसे चाट रहा था, जैसे भूखा कुत्ता दूध के कटोरे को चाटता है.
वो भी मदहोशी में कराह रही थी और कह रही थी- आंह और चूसो … आह पी लो मेरा पानी … मेरे पति ने तो कभी ये सुख नहीं दिया मुझे.
कुछ ही मिनटों में वो झड़ गयी और उसका सारा पानी मैंने पी लिया.
अब हमारे पास नीचे आने के अलावा कोई चारा नहीं था लेकिन अभी भी हम दोनों के शरीर में ज्वाला जागी हुई थी.
हम दोनों नीचे आए तो आंटी ने पूछा- बड़ी देर लगा दी?
मोनिका बोली- मुझे उठने में थोड़ा टाइम लगा.
फिर आंटी ने कहा- मैं मंदिर जा रही हूँ.
बस इतना कह कर वो निकल गईं.
हम दोनों कोचिंग वाले कमरे में पहुंचे, जो मोनिका के पापा के कमरे से दूसरे कोने में था.
वो अभी भी सो रहे थे.
हम कमरे में पहुंचते ही एक दूसरे को पगलों की तरह चूमने लगे.
जल्द ही हम दोनों अपनी अलग दुनिया में पहुंच गए.
मोनिका ने कहा- मैं एक साल से नहीं चुदी हूँ. अब और इंतज़ार नहीं होता मुझसे!
मैंने वहीं अपने शॉर्ट्स और अंडरवियर उतार दिए और मोनिका का भी पायजामा व पैंटी उतार दी.
फिर मैंने उसे पीछे करके दीवार पर लगे वाइट बोर्ड से टिका दिया, पीछे से अपना लंड उस टीचर की चूत पर सैट कर दिया.
मैंने पूछा- तैयार हो क्या?
वो बोली- मैं तो कब से तैयार बैठी थी. बस मुझे अपनी चूत में लंड चाहिए.
यह सुनते ही मैंने अपना मोटा लंड एक शॉट में ही अन्दर घुसा दिया और उसकी चूत इतनी गीली हो चुकी थी कि वो एक बार में ही पूरा अन्दर चला गया.
उसके मुँह से आवाज़ आयी ‘आहहह … मर गई हह.’
इस आवाज को सुनकर कोई भी पहचान सकता था कि उसे जिस्मानी सुख की प्राप्ति हो रही है.
मैं जोर जोर से धक्के देने लगा और मेरा लंड उसके नर्म नर्म चूतड़ों के बीच से होता हुआ उसकी चूत में प्रवेश कर रहा था और पूरा अन्दर चला जा रहा था.
उस समय जब मैं उसे चोद रहा था, तो हम दोनों ही वासना की चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी.
थोड़ी ही देर में वो फिर से झड़ गयी और उसका पानी चूत से बहने लगा.
मैं एक पल को रुका, लेकिन उस पोर्न टीचर ने मुझे कहा- तुम चुदाई जारी रखो.
थोड़ी देर बाद मैं कुर्सी पर बैठ गया और वो मेरी गोदी में बैठ कर मेरे लंड पर उछल उछल कर अपनी चुदाई करवाती रही.
वो फिर से झड़ी और इस बार मैं भी झड़ गया और अपना सारा वीर्य मैंने उसके मुँह में छोड़ा, जो वो पूरा पी गई.
उसके बाद हमने पूरे 2 महीने रोज़ चुदाई की और मैंने उसकी गांड भी मारी, जो कि उसकी चूत मारने से भी बढ़िया अनुभव था.