बारिश और दीदी की चुदाई

मेरा नाम आशीष है। मैं 23 साल का लड़का हूं। मैंने कभी सेक्स के बारे में नहीं सोचा था।

मेरी एक प्यारी सी दीदी है हर्षा! वो मुझसे एक साल बड़ी है। उनकी उम्र 24 साल है।

वो भी देखने में किसी मॉडल से कम नहीं लगती। वो मुझे काफी अच्छी लगती है पर उन्हें ऐसे गन्दी नजरों से नहीं देखा था। हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं पर भाई-बहन की तरह।

एक दिन की बात है, मम्मी-पापा को शादी में किसी दूसरे शहर में जाना पड़ा। मैं और मेरी दीदी घर पर अकेले ही रह गए।

जाते वक़्त मम्मी ने दीदी से कहा कि मेरा ख्याल रखे।

मॉम और डैड के जाने के बाद मुझे तो खुली छूट मिल गई कि जो मन में आयेगा वो करूँगा।

मैं अपने दोस्तों से साथ मिलकर घूमने चला गया और दीदी से कह गया कि मैं रात को देर से आऊंगा।

दीदी ने कहा- जल्दी आ जाना ! मुझे पढ़ने के लिए अपनी सहेली के घर जाना है !

मैं जल्दी की वजह से कह गया- हाँ ! मैं आ जाऊंगा।

मैं घर से निकला ही था कि मौसम ने अपना रंग दिखाना चालू कर दिया।

पर इतने दिनों बाद तो मौका मिला था तो मैं उसे बेकार कैसे जाने देता।

पर दोस्तों के साथ समय का पता ही नहीं चला और घर आने के लिए मुझे देर हो गई।

तभी मुझे दीदी की कही बात याद आई कि उन्हें तो काम की वजह से बाहर जाना था। मैंने तभी दोस्तों को अलविदा कहा और घर के लिए निकल गया।

पर मौसम ने अपना तेवर दिखाना शुरू कर दिया, बारिश का आना तो पक्का ही था। और वही हुआ जो मैं सोच रहा था, दीदी जा चुकी थी अपनी सहेली घर !

मैंने जल्दी से घर का दरवाजा खोला डुप्लीकेट चाभी से जो घर के बाहर गमले के नीचे रखी रहती है। जल्दी जल्दी मैं घर में घुसा और मैंने चैन की साँस ली कि शुक्र है घर तो पहुंचा।

फिर मै फ्रेश होने लगा और फ्रेश होकर टीवी देखने के लिए बैठ गया। घर पर तो कोई था ही नहीं तो मैंने सोचा कि क्यों न आज ब्लू फिल्म देखी जाये।

और मैं टीवी-डीवीडी चला कर देखने लगा और अपने लंड को सहलाने लगा।

मुझे ज्यादातर इन्सेस्ट मूवी देखना ज्यादा पसंद है।

मै बैठ कर मूवी देख रहा था और धीरे धीरे अपने लंड को सहला रहा था कि इतने में दरवाजे पर घण्टी बजी। मैं एकदम से हिल गया।

तभी बाहर से आवाज़ आई- ! दरवाजा खोल ! मैं भीग रही हूँ !

मैंने जल्दी-जल्दी अपने आप को ठीक किया और डीवीडी बंद करके दरवाजा खोलने के लिए चला गया।

पर मैंने जैसे ही दरवाज़ा खोला, मुझे एक जोरदार चांटा लगा। दीदी पूरी तरह भीग चुकी थी और वो कह रही थी कि जल्दी नहीं खोल सकता था?

मैं कुछ नहीं कह सका पर दीदी को जल्दी ही अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने कहा- सॉरी यार ! पर तूने भी तो इतनी देर लगा दी थी, मै बाहर खड़ी भीग रही थी, तुझे थोड़ा भी ख्याल नहीं है।

मैंने भी दीदी को सॉरी कहा और उन्होंने मुझे अपने गले से लगा लिया।

बारिश की वजह से उनका पूरा बदन भीग चुका था और ऊपर से उन्होंने कसे हुए कपड़े पहने हुए थे। वो देखने में काफी सेक्सी लग रही थी।

मैं भी उनसे चिपक गया और और सपनों में खो गया कि तभी दीदी नहीं कहा- आशीष बस यार ! अब हट ! मुझे कपड़े बदलने हैं।

मैंने कहा- ओह सॉरी दीदी !

वो जाने लगी, जाते समय वो पीछे से इतनी सेक्सी लग रही थी कि कोई बूढ़ा भी देख ले तो उसका लंड खड़ा हो जाये। मेरे भी मन में मेरा सोया हुआ शैतान जागने लगा और सोचने लगा- काश मैं उनको चोद सकता !

पर आखिर वो मेरी दीदी थी ना !

मैं यह सोच ही रहा था कि तभी दीदी ने पलट कर मुझसे पूछा- तुझे घर आने में इतनी देर क्यों हो गई?

मैं एकदम से घबरा गया क्योंकि मैं उस समय उनके मोटे मोटे चूतड़ देख रहा था। वो मुझे घूरने लगी और कहने लगी- क्या देख रहे हो आशीष?

मैंने कहा- कुछ नहीं दीदी…!

मैंने अपने आप को संभाला और कह दिया- दोस्तों के साथ समय का पता नहीं नहीं चला ! दीदी सॉरी…!!!

दीदी ने कहा- कम से कम एक फ़ोन ही कर देता !

मैंने कहा- मैं भूल गया !

तो उन्होंने कहा- चल, कोई नहीं ! मै फ्रेश होने के लिए जा रही हूँ !

और यह कहते हुए वो बाथरूम में घुस गई। मै बैठ कर उनके मोटे मोटे स्तन और गांड के बारे में सोचने लगा कि तभी आवाज़ आई- आशीष, मेरे कपड़े देना ! मैं लेना भूल गई !

मैंने पूछा- कहाँ हैं?

उन्होंने कहा- मेरे कमरे में देख ! वहीं मिल जायेंगे !

मैंने कपड़े लाकर उन्हें दिए और टीवी देखने लगा। तभी दीदी बोली- आशीष, मेरी ब्रा तो इसमें नहीं है !

तो मैंने कहा- खुद ही ले लो !

और मैं गुस्से में ब्रा लेने चला गया और देने के लिए जाने लगा। बाथरूम के पास जाकर उन्हें ब्रा देने लगा कि तभी दीदी नै मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अन्दर खींच लिया और कहने लगी- बहुत बदमाश हो गया है तू ? क्या देख रहा था तू तब ?

मैंने कहा- कुछ नहीं !

तो दीदी बोली- मै सब जानती हूँ कि तू क्या देख रहा था !

मैंने कहा- क्या !

वो बोली- तू ही बता कि क्या देख रहा था?

मैंने कहा- दीदी वो मैं…वो मै … !!
और मैं चुप हो गया!

तो दीदी बोली- तू मेरी गांड देख रहा था ना?

मैंने कहा- ना…न …ना …नहीं दीदी

और एकदम से मैं उनसे चिपक गया और कहा- सॉरी दीदी, आज के बाद कभी ऐसे नहीं देखूंगा !

वो बोली- चल पगले, मै सब समझती हूँ ! चल अच्छा एक बात बता कि मैं तुझे कैसे लगती हूँ !

मैं हैरान रह गया कि दीदी आज कैसे बात कर रही है …

मैंने कहा- अच्छी लगती हो !

दीदी बोली- अच्छी या बहुत अच्छी?

मैंने कहा- बहुत अच्छी !

तो वो बोली- तू अपनी दीदी को चोदेगा?

मैं सर नीचे कर के खड़ा हो गया ! मेरे तो मन की बात कह रही थी पर वो मेरी दीदी थी तो मै कुछ ना बोला !

वो कहने लगी- चल ठीक है ! रहने दे ! लगता है कि तू बुरा मान गया !

और मैं बाहर आ गया ! पर रह रह कर मुझे दीदी का गीला बदन याद आ रहा था …और मुझे आज मौका भी मिला और मै कुछ ना कर सका !!!!

मैं अपने कमरे में आ गया और दीदी के बारे में सोचने लगा और अचानक खड़ा हो कर बाथरूम की तरफ जाने लगा। मैंने सोचा कि जब उन्हें खुद ही कोई प्रॉब्लम नहीं है तो मै क्यों पीछे हटूँ !

और मैं बाथरूम में पहुँच गया। मैं जब बाथरूम में पहुँचा तो दीदी अपने कपड़े उतारने ही जा रही थी, उनका मुँह दूसरी तरफ था। मैंने पीछे से जाकर उन्हें पकड़ लिया और चूमने लगा!

मेरा लण्ड उनकी गांड की दरार में घुसने लगा।

वो बोली- आ गया ना !

मैंने कहा- दीदी, प्लीज़ ! किसी से कहना मत !

…और उन्हें चूमने लगा।

दीदी बोली- अरे पगले, मैँ किसी से क्यों कहूँगी …

मैं भी खुश हो गया और धीरे धीरे उनके कपड़े उतारने लगा और साथ ही उनके होंठों पर चूमने लगा…

क्योंकि यह मेरा पहला सेक्स था तो दीदी ने मुझे धक्का दिया और कहा- जानवर है क्या? आराम से कर ! आज तो मै तेरी हूँ …

मैंने कहा- सॉरी !
और इतने में दीदी ने अपना सूट उतार दिया। मैं तो देख कर बेहोश होने वाला था कि दीदी ने मुझे संभाला और कहा- क्या हुआ?

मैंने कहा- दीदी, इतने बड़े बड़े स्तन हैं आपके !

मैं उनको हाथ में लेकर चूसने लगा और दबाने लगा। दीदी भी जोश में आ चुकी थी और मुझसे चिपक गई थी। मेरा तो सपना साकार हो गया था। मैंने दीदी को धीरे धीरे पूर्ण नग्न कर दिया और खुद भी नंगा हो गया…

फिर क्या आज एक भाई अपनी बहन को चोदने वाला था !

मैंने जैसा ही अपना लण्ड निकाला, दीदी बोली- हे राम ! इतना मोटा ? साले तू क्या करता है?
मैंने कहा- दीदी कुछ नहीं ! यह तो ऐसा ही है !

वो बोली- साले, तूने आज तक कितनी लड़कियों को चोदा है?

मैंने कहा- किसी को नहीं …

वो बोली- चल आज अपनी बहन को चोद ! और खुद भी मजा ले और मुझे भी मजा दे !

मैंने कहा- दीदी, तो देर किस बात की !
मैं उन्हें चूमने लगा… उन्होंने मेरा लंड हाथ में ले लिया और आगे पीछे करने लगी। मुझे काफी मजा आ रहा था। मैं उनके बोबे दबा रहा था और होंठ चूस रहा था।

वो बोली- साले केवल चूसेगा ही या खायेगा भी ?

मैंने दीदी से बोला- साली, बड़ी जल्दी है तुझे ? चल घोड़ी बन जा साली रांड ! जल्दी कर ! मुझे तो तुजसे ज्यादा जल्दी है ! रंडी, कब से सोच रहा था कि कब तुझे चोदूँ !

वो बोली- अच्छा भैया ऐसे बात है तो लो…

और वो घोड़ी बन गई, मैं उसे पेलने लगा।

वो बोली- भैया दूध नहीं पीता? थोड़ा तेज नहीं चोद सकते ?

और मैंने झटके तेज कर दिए और चोदने लगा …

दीदी कहने लगी- बहन के लौड़े ! थोड़ा धीरे ! ओई माँ…मर गई साले ! थोड़ा धीरे !

मैंने कहा- अब पता चला कि मै कितना दूध पीता हूँ… साली रंडी, तेरी गांड का तो आज मैं बुरा हाल बना कर छोड़ूंगा !

वो भी कहने लगी- हाँ कुत्ते ! कर ना !

और मेरा साथ देने लगी… उसकी चूत पर बहुत सा थूक लगा कर जोर जोर से चोदने लगा।

अब वो मजे से चुदने लगी …और उसे भी मजा आने लगा…जब उसे मजा आने लगा तो वो भी उचकने लगी।

बीस मिनट तक मैं उसे चोदता रहा और अलग अलग ढंग से चोदा !

20-25 मिनट बाद जब मेरी छूट होने को आई तो मैने लंड बाहर कर उसके मुँह पर पिचकारी मारी और उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और सारा वीर्य चाट गई !

और फिर मैं उससे चिपक गया ! हम दोनों एक दूसरे के साथ देर तक चिपके रहे।

इतने में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और मैंने कहा- दीदी एक बार और हो जाये !

वो बोली- …हाँ हाँ ! क्यों नहीं ! नेकी और पूछ पूछ !…अज मेरे भैया फाड़ दे अपनी बहन की चूत ! बना ले अपनी…

और उस रात मैंने अपनी बहन को पाँच बार चोदा …नए नए स्टाइल में… और पूरी रात उससे चोदता रहा !

रात को पता नहीं कब नींद आई और मैं सो गया। सुबह उठ कर देखा तो दीदी घर का काम कर रही थी।

मैंने दीदी को पीछे जाकर फिर से पकड़ लिया और एक चुदाई फिर से की और कॉलेज़ चला गया।

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