दोस्तो, मैं रोहित श्रीवास्तव आपको गांव की एक देसी भाभी की चुदाई की कहानी सुना रहा था.
देशी Xxx हिंदी कहानी के पहले भाग
भाभी के पति की लुल्ली सील नहीं तोड़ पायी
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं दीपा भाभी को गांव के बाहर तालाब के किनारे बने एक पुराने बंगले में चोदने की तैयारी कर रहा था.
मैं दीपा भाभी को चूम चूस कर गर्म कर दिया था.
अब आगे देशी Xxx हिंदी कहानी:
धीरे धीरे मैंने दीपा के पेटीकोट के नाड़े को खोला और उसे उसके पैरों से निकाल दिया.
अब मैं उसके पैर के एक अंगूठे को मुँह में लेकर चूसने लगा जिससे वो उत्तेजित होने लगी और मेरी तरफ देख कर कामुक आहें भरने लगी.
मैं उसके चिकने पैरों को चूसता हुआ उसकी चुत पर आ गया.
पैंटी के ऊपर से ही मैंने उसकी चुत को सूंघा.
उसकी पैंटी उसकी चुत की मलाई से पूरी भीग चुकी थी.
फिर मैंने उसकी कमर पर चूमते हुए उसकी पैंटी को अपने दांतों से पकड़ कर खींचा और उसे उतार अलग फेंक दिया.
वो पूरी नंगी मेरे सामने पड़ी थी.
मैंने उसके बदन को खूब चूमा और चाटा.
वो गर्म हुई जा रही थी और मुझे अपनी तरफ खींच रही थी.
फिर जैसे ही मैंने उसकी चुत जो अपनी जीभ से स्पर्श किया तो जैसे उसमें करंट सा दौड़ गया और वो चीख पड़ी- आआ …. नाअंन्नह ऊऊऊऊ … ओफ्फ!
इसी के साथ भाभी ने अपने हाथ मेरे सर पर रख दिए और मुझे अपनी चुत पर दबाने लगी.
मैं भाभी की चुत को धीरे धीरे चाटने लगा.
उसकी चुत का रस निकल कर आजू बाजू में लग गया था.
मैंने उसे जीभ से चाट कर साफ किया और उसकी चुत को किसी भूखे भेड़िए की तरह चाटने लगा.
अब भाभी की मादक आवाजें और तेज हो गईं और वो मेरा सर अपनी चुत पर दबाने लगी.
ऐसा लग रहा था कि मेरे मुँह से ही अपनी चुत चुदवाएगी.
मैंने उसकी चुत के दाने से खेलना जारी रखा.
वो ज़ोर ज़ोर से आहें भरने लगी और अकड़ने लगी.
मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है.
मैंने अपनी एक उंगली भी उसकी चुत में डाल दी और उसे फिंगर-फक मतलब उंगल चोदन का मजा देने लगा.
साथ ही उसकी चुत के दाने को भी अपनी जीभ से सहलाने लगा.
जिससे थोड़ी ही देर में उसने अपनी चुत से सारा गर्म गर्म पानी छोड़ दिया.
मैं उसे पूरा पी गया और जो मेरी उंगलियों पर उसकी चुत का पानी लगा था, वो मैंने उसके मुँह में दे दिया.
उसने बड़े प्यार से अपनी ही चुत के रस को चूस चूस कर साफ कर दिया.
फिर वो अपना हाथ मेरे लंड पर फेरने लगी.
मैंने अपना अंडरवियर उतार दिया और मेरा 8 इंच का लंड उसकी नाक पर जा कर टिक गया.
जैसे ही उसने मेरा लंड देखा, उसकी आंखें बड़ी हो गईं.
भाभी बोली- ये क्या है … इतना बड़ा और मोटा?
मेरा लंड करीब 3 मोटा और 8 इंच लम्बा है.
भाभी- मैंने कभी इतना बड़ा और मोटा लंड देखा ही नहीं है … और ये तो मेरी चुत को फाड़ देगा. मैं तो मर ही जाऊंगी.
मैंने कहा- जानेमन लंड जितना बड़ा होगा, चुत को उतना ही मज़ा आएगा. एक बार इसे प्यार से चूसो. ये तुम्हें असली जन्नत दिखाएगा.
ये सुनकर उसने स्माइल दी और मेरे लंड पर अपने होंठों से एक चुम्बन कर दिया.
फिर वो भाभी मेरे लंड के सुपारे को अपनी जीभ से सहलाने लगी और धीरे धीरे मुँह में लंड लेने लगी.
मेरा लंड धीरे धीरे और भी मोटा हो गया जो उसके मुँह में ही मुश्किल से जा रहा था.
फिर मैंने उसका मुँह अपने लंड पर दबाना चालू किया तो उसकी आंखें बड़ी हो गईं.
भाभी मेरा लंड मुँह से निकाल कर तेज तेज सांसें लेने लगी और मेरी तरफ देख कर स्माइल करने लगी.
अब वो किसी भूखी शेरनी की तरह मेरा लंड चूसने लगी.
उसने मेरे लंड पर थोड़ा सा थूका और अपने दोनों हाथों से मेरे लंड की मुठ मारने लगी, अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.
इस बार उसने काफ़ी देर तक मेरे लंड को चूसा.
मैं उसी के मुँह में झड़ गया तो उसने एक भी बूँद भी खराब नहीं होने दी, पूरा वीर्य अपनी जीभ से चाट कर लंड को साफ कर दिया.
अब वो मेरे ऊपर आकर लेट गयी और मुझे किस करने लगी.
मैं भी उसे बेतहाशा चूमने लगा; कभी उसके होंठों पर, कभी उसके कान पर, तो कभी गर्दन के पास.
मैंने उसके मम्मों पर काफ़ी देर तक अपनी जीभ फिराई और निप्पल चूमे.
वो फिर से गर्म होने लगी थी.
मैं भी गर्मा गया था. मैं उसके पैरों के बीच में बैठ गया और उसकी एक टांग को अपने एक साइड में रख कर उसके दूसरे पैर को अपने कंधे पर ले लिया.
उससे भाभी की चूत चिर सी गई और उसकी दरार खुल गई.
फिर मैंने भाभी की चुत पर अपना लंड रख दिया और लंड सैट करके हल्का सा धक्का लगाया.
पर उसकी चुत काफी टाइट होने की वजह से मेरा लंड फिसल गया.
मैंने इस बार अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगाया और उसकी चुत पर फिर से सैट कर दिया.
मैंने उसकी तरफ देखा, तो वो मुझे हवस भरी निगाहों से देख रही थी.
भाभी थोड़ा डर भी रही थी क्योंकि मेरा लंड काफी फूल कर मूसल सा हो गया था.
मैंने चुत में लंड डालना शुरू किया, तो मेरे लंड का सुपारा उसकी चुत में घुस गया.
उसके मुँह से दर्द भरी आवाजें आने लगीं.
मैंने भाभी की टांग को अपने कंधे से हटाया और उसकी टांगों को खोल कर अपना लंड फिर से उसकी चुत पर लगा दिया.
इस बार मैंने भाभी के होंठों पर अपने होंठ रखे और उसके होंठों को लॉक कर दिया.
वो कुछ समझ पाती कि तभी मैंने एक जोर का झटका दे मारा.
मेरा आधा लंड उसकी चुत की दीवारों को चीरता हुआ अन्दर घुस गया.
वो छटपटाने लगी और चीखने की नाकामयाब कोशिश करने लगी.
पर मैंने उसके होंठों को कस कर अपने होंठों से जकड़ रखा था.
मैं वहीं रुक गया.
जब मुझे लगा कि वो थोड़ा शांत हो गयी है तो मैंने फिर से अपना लंड बाहर खींचा और पूरा जोर लगा कर उसकी चुत में पेल दिया.
इस बार उसकी सील टूट गयी और वो इतनी ज़ोर से चीखी कि मुझे लगा अगर किसी ने सुन लिया तो रायता फ़ैल जाएगा.
बंगला खाली होने की वजह से आवाज़ गूँज रही थी तो मैंने झट से उसके होंठों को कस लिया और वहीं रुका रहा.
थोड़ी देर बाद जब वो थोड़ा शांत हुई तो मैं धीरे धीरे उससे चोदना चालू कर दिया.
वो रो रही थी पर मुझे पूरा सपोर्ट कर रही थी.
फिर कुछ पल बाद भाभी ने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया और मेरे कान में बोली- बाबू मैं तैयार हूँ … आप शुरू करो.
हालांकि भाभी ये बात कराहती हुई बोली थी.
मैंने धीरे धीरे उसकी चुत में अपना लंड अन्दर बाहर करना शुरू किया और वो ‘इसस्स आआ आअहह उन्ह ओफ्फ़ …’ करती हुई चुदी जा रही थी.
मैं भी भाभी को ताबड़तोड़ चोदे जा रहा था.
कुछ देर बाद भाभी को चुदाई में मज़ा आने लगा.
अब वो भी मेरा साथ देने लगी और अपनी कमर उठाने लगी.
मैंने अपने धक्कों की स्पीड थोड़ी बढ़ाई और उसे किस करते हुए चोदता रहा.
लगभग 25-30 धक्कों के बाद वो झड़ने वाली थी, तो वो बोली- आंह बाबू और तेज ऊऊ ऊहह उमम्म औरर तेज मेरे राजा और जोर से चोद दो मुझे ईए आंह!
मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी और अगले 10-12 धक्कों के बाद वो झड़ने लगी और निढाल होकर उसने मुझे कसके पकड़ लिया.
लेकिन अभी मेरा नहीं हुआ था तो मैं कस कसके धक्के देने लगा.
मेरे हर धक्के पर भाभी थोड़ा ऊपर को हो जा रही थी.
जब भी मेरे धक्के लगते तो उसके बड़े बड़े चुचे काफ़ी हिल रहे थे.
मैं उनमें से एक को मुँह में लेकर चूसने लगा और काटने लगा.
साथ ही मैं अपने धक्कों की स्पीड को काफ़ी तेज करके चोदने लगा.
मैं अपने चरम पर आ गया था.
वो भी फिर से झड़ने वाली थी.
तभी भाभी भी नीचे से कमर उठा कर साथ देने लगी.
मैंने करीब 20 धक्कों के बाद अपना गर्म लावा भाभी की चुत में भर दिया और वो भी झड़ कर मुझसे लिपट गई.
हम दोनों पसीने से लथपथ हो गए थे.
मैं भाभी के मम्मों पर सर रख कर लेट गया.
वो भी अपना एक हाथ मेरे बालों में डाल कर आंख बंद करके लेटी रही.
हम दोनों की सांसें काफ़ी तेज चल रही थीं.
मैंने उसे किस किया और थोड़ी देर तक हम वैसे ही लेटे रहे.
फिर मैं उठा और मैंने अपना लंड उसकी चुत से निकाला, तो उसकी चुत से खून निकल रहा था.
हम दोनों के कामरस और उसकी चुत के खून में सना हुआ लंड बाहर निकल रहा था.
वो मेरे ऊपर आ गयी और मुझे बेतहाशा चूमने लगी.
भाभी बोली- आज से तुम ही मेरे पति हो. आज तुमने मुझे पूरा शांत कर दिया है. तुम्हें जब भी मन करे, मुझे चोद लिया करो. तुम जब कहोगे, जहां कहोगे, मैं आ जाऊंगी.
मैंने भाभी से कहा- मैंने अपना बीज तुम्हारे अन्दर डाल दिया है, तुम ये दवा खा लो.
उसने वो दवा हाथ में लेकर फेंक दी और बोली- मुझे तुम्हारे बच्चे की मां बनना है, उस नामर्द की नहीं, जो एक औरत को चुदाई का सुख नहीं दे पाता.
फिर भाभी मेरे सीने पर सर रख कर सो गयी.
थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा.
तो मैंने उससे कहा- एक बार और करने का मन है.
भाभी झट से राज़ी हो गयी.
फिर मैंने उससे उसकी गांड मारने की इच्छा जताई तो उसने कहा- मुझे पीछे से बहुत दर्द होगा. नहीं प्लीज़.
मैंने कहा- बस कुछ देर … उसके बाद आनन्द ही आनन्द आएगा.
कुछ देर बाद वो तैयार हो गयी और बोली- आराम से करना.
मैंने उससे कहा- ठीक है.
फिर हम दोनों 69 की पोजीशन में एक दूसरे को गर्म करने में लग गए.
मैंने अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगाया और उसे चिकना कर दिया.
भाभी की गांड को भी चिकना किया और लंड सैट करके मैंने एक करारा झटका दे मारा.
मेरा लंड आधा उसकी गांड को चीरता हुआ अन्दर घुस गया.
वो काफ़ी ज़ोर से चिल्लाई- उउई ईईई माँआ आअ मर गई आंह रहने दो … मेरी गांड फट जाएगी निकाल लो … जल्दी से निकाल लो!
भाभी रोने लगी और मुझसे छूटने की नाकाम कोशिश करने लगी लेकिन मैंने उसे पकड़ रखा था.
कुछ देर वो ऐसे ही ‘आईई ईईईई उम्म्म्म … ऊऊ ऊओह …’ करके रोती रही.
फिर जब भाभी थोड़ी शांत हुई तो मैंने अपने लंड को गांड से बाहर खींचा और धीरे धीरे बाहर निकाल कर फिर से धीरे धीरे अन्दर डाला.
ऐसे ही कुछ देर किया.
फिर जब वो थोड़ी शांत हो गई और उसे भी मजा आने लगा.
तभी मैंने अपना लंड बाहर खींचा और पूरे दम से अपने लंड को उसकी गांड में घुसा डाला.
वो तो जैसे कूदने को हो गई, उसकी आंखें बड़ी हो गईं … उसने अपनी चीख उस घास के बिस्तर में दबा दी और बहुत रोने लगी.
मैंने देखा तो मेरे लंड पर उसके गांड का माल और खून लग गया था.
मैं वैसे ही उसे अन्दर बाहर करने लगा.
अब उसकी सिसकारियां और उसके गांड पर मेरे लंड के बार बार अन्दर बाहर होने से फॅक फकच की आवाज़ आने लगी थी.
थोड़ी देर बाद जब उसको मज़ा आने लगा तो वो खुद ही अपनी गांड मेरे लंड पर गाड़ने लगी.
भाभी बोलने लगी- आंह मेरे राज़ा … आअज तो मज़ा आ गया … और जोर से ई उम्म्म्मम … ऊओह ऊऊर जोरर से बेबी … ऊओंम्म्म ऊहह!
वो ऐसे ही बोलती गयी और मैंने उसके चूतड़ों पर दो तीन चमाट मारे, जो उसको और मज़ा दे रहे थे.
उसके बालों को मैंने पकड़ कर खींचा और उसकी गांड को फुल स्पीड में मारने लगा.
मैंने 30-40 ज़बरदस्त धक्के मारे और अपना पूरा कामरस भाभी की गांड में भर दिया.
झड़ने के बाद मैं हांफते हुए उसकी पीठ पर गिर गया.
वो मेरे नीचे लेटी थी.
हम दोनों पसीने से भीग गए थे और हांफ़ रहे थे.
मैंने उसकी पीठ को खूब चूमा और पीछे से उसके गले को चूम कर पूछा- कैसा लगा जानेमन?
तो उसने कहा- आज तो तुमने मुझे तृप्त कर दिया … मेरी पूरी गर्मी निकाल दी. मैं घर नहीं जाना चाहती, आज रात भर मैं तुमसे चुदना चाहती हूँ.
फिर सीधी होकर भाभी ने मेरा सर अपने मम्मों के ऊपर रख लिया और मेरे बालों को सहलाने लगी.
बीच बीच में वो मुझे किस करने लगी.
अब तक शाम हो गयी थी, अंधेरा होने वाला था.
हम दोनों कपड़े पहन कर तैयार हुए और वहां से निकल दिए.
जाते वक़्त उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने पास खींच कर मुझे जोर से किस करने लगी.
लगभग दस मिनट तक हमने एक दूसरे के होंठों को चूसा.
फिर पहले वो वहां से गयी.
उसके बाद मैं निकला और अपने घर आ गया.
मैं कुछ दिन गांव में और रुका और उसे वहीं बंगले में मैंने काफ़ी बार चोदा.
फिर जब मैं वापस आने लगा तो उसने मेरा नंबर ले लिया और कहा कि मैं तुम्हें फोन करूंगी.
फिर मैं वापस लखनऊ आ गया.
मैं इस बीच काफ़ी बार गांव गया और उस भाभी को मैंने जी भरके चोदा.
अब तो उसको एक बच्चा भी हो गया है. उसने मुझे फोन करके खुद ही बताया था कि ये तुम्हारा बेटा है.
मैं भी कुंवारा बाप बन गया था.