मैं 25 साल की एक वर्किंग गर्ल हूँ, अब मुंबई में रहती हूँ। मुझे साड़ी पहनने का बड़ा शौक है, मैं साड़ी अक्सर पहनती हूँ और उसके नीचे एक छोटी सी ब्रा!
ब्रा भी ऐसी जो मेरे निपल्स को तो छुपा कर रखती है लेकिन बाकी चूचियों का उभार खुला छोड़ देती है।
इसी उभार में मर्द भोसड़ी वाले अपने आप चिपक जाते हैं।
ब्लाउज़ तो… बहन चोद… मैं पहनती ही नहीं। मेरे बदन पर साड़ी बहुत अच्छी लगती है।
मेरी गोल गोल खूबसूरत बांहें और मेरी मस्त मस्त बड़ी बड़ी चूचियाँ किसी को भी पागल बनाने के लिए काफ़ी हैं।
ऊपर से मेरी मोटी मोटी जांघें और साड़ी के लिबास में मस्तानी चाल किसी को भी लुभा सकती है।
जो भी मुझे देखता है वह बड़ी देर तक देखता ही रहता है।
ऊपर से मैं भोली भाली महिला दिखाई पड़ती हूँ पर अंदर से मैं मादरचोद सेक्सी हॉट गर्ल हूँ।
मैं रोज़ दो पैग शराब पीती हूँ और शराब के साथ चकने की जगह लंड का सवाद चखती हूँ।
शराब का नशा तो घंटे दो घंटे में उतर जाता है पर लंड का नशा मेरे दिमाग से कभी उतरता ही नहीं।
मेरे दिमाग में लंड बहनचोद हमेशा घूमते ही रहते हैं।
मैं अपनी कमसिन उम्र से लंड पकड़ रही हूँ और तब से आज तक कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
लंड पे लंड पकड़ती गई और फिर लंड पे लंड पेलवाना भी शुरू कर दिया था अपनी चूत में!
जी हाँ, मैं अब तक जाने कितने लंड पेलवा चुकी हूँ अपनी चूत में लेकिन जितने लंड पेलवा चुकी हूँ उससे दुगने लंड ओर पेलवाना चाहती हूँ।
वैसे मुझे लंड ढूंढने की जरूरत नहीं पड़ती।
खुदा ने मुझे इतना हुस्न दिया है, इतनी खूबसूरती दी है, इतना सेक्सी और हॉट जिस्म दिया है कि लंड भोसड़ी वाले खुद ही दौड़कर मेरे पास आ जाते हैं।
मैं मुस्कराती हुई थोड़ा जलवा दिखा देती हूँ तो लण्ड साले खड़े होकर मेरी सलामी बजाने लगते हैं।
जितने लंड मेरे संपर्क में आते हैं, मैं वो सब अपनी चूत में पेलवा लेती हूँ। मैं बुर चोदी बहुत बड़ी चुदक्कड़ औरत हूँ।
एक दिन बहुत तेज बरसात हो रही थी। मैं एक जगह रुक गयी और बड़ी देर तक रुकी रही।
पानी जब थोड़ा सा हल्का हुआ तो मैं सड़क पर आ गयी और किसी सवारी का इंतज़ार करने लगी।
हालांकि छतरी मेरे हाथ में थी लेकिन मुंबई की बरसात छतरी कहाँ झेल पाती है? मैं बुरी तरह भीगी हुई थी।
तभी अचानक एक कार मेरे सामने रुकी। कार वाले ने पूछा- मैडम कहाँ जाना है?
मैंने उसकी शक्ल देखी। मुझे वह एक शरीफ आदमी लगा तो मैंने कहा- मुझे परेल तक जाना है।
उसने बैठने का इशारा किया तो मैं कार में बैठ गयी।
वह बोला- मैं आपको छोड़ दूंगा! लेकिन जब हम परेल के पास पहुंचे तो वहां पानी बहुत भरा था।
वह बोला- मैडम, अब आगे नहीं जा सकता। मेरा घर यहीं है। आप मेरे साथ ही चलिए।
मैं थोड़ा झिझकी जरूर पर फिर हिम्मत करके उसे साथ चल पड़ी। वह मुझे अपने घर ले गया।
उसने मुझे कुर्सी पर बैठाया और बोला- मैडम आप बाथरूम में जाइये और अपने कपड़े वाशिंग मशीन में डाल दीजिये।
फिर ये बड़ी सी तौलिया लपेट कर एक शाल ओढ़ कर बैठ जाइये। गीले कपड़ों में आपको बुखार आ जायेगा। कपड़े थोड़ी देर में सूख जायेंगें फिर पहन लेना।
मैंने वही किया जो उसने कहा था। तब तक बरसात फिर बड़ी जोर से होने लगी।
वह बोला- आज शायद बारिश बंद नहीं होगी। मैंने कहा- लग तो ऐसा ही रहा है।
इतने में उसने बिना कुछ पूछे मुझे व्हिस्की का एक पैग पकड़ा दिया गर्म पानी के साथ!
मैं तो चाहती ही थी उसके साथ वक्त बिताना तो मैंने ख़ुशी ख़ुशी पकड़ लिया गिलास!
फिर हमने चियर्स कहा और शुरू हो गए।
बस यहीं से मेरी कहानी बदल गयी। मैं उसके लण्ड के बारे में सोचने लगी।
मेरा मन हुआ कि मैं इसका लण्ड पकड़ कर मुंह में ले लूँ। शराब में डुबो डुबो कर चाटूं लण्ड और लण्ड का टोपा!
मेरी चूत यह सोचते ही गीली हो गयी। फिर मैं अपनी झलक दिखाने की कोशिश करने लगी।
मैं अपने लम्बे लम्बे बाल झटकने लगी, अपनी आँखें मटकाने लगी और मंद मंद मुस्कराने लगी।
वह बोला- मैडम, आप बहुत खूबसूरत हैं। मैं बोली- यार, मैं मैडम नहीं हूँ मानसी हूँ। मुझे सिर्फ मानसी ही कहो!
उसने कहा- मैं विकास हूँ अकेला ही रहता हूँ।
बस मेरी आग और भड़क गई। मैंने मन में कहा ‘यह तो और अच्छा है.’
फिर मैं सोचने लगी कि देखो न मेरे सामने कितना बढ़िया लण्ड है और मैं ले नहीं पा रही हूँ।
मेरा मन हुआ कि मैं उसकी लुंगी में हाथ घुसेड़ दूँ।
इतने ही वो कुछ स्नैक्स लेकर मेरे सामने आया और मेरी नजर उसके लंड पर गयी तो मुझे उसका लंड खड़ा नजर आया, उसके उभरे हुए लंड को देखकर में जोश में आ गयी और उसकी लुंगी एक दम से खोल दी और उसका फनफनाता हुआ लौड़ा मेरी आखो के सामने आ गया और मेरे मुंह से अचानक ही निकला- लगता है कि बहुत बड़ा है भोसड़ी के तेरा लण्ड? और मेरे मुँह से लार टपकने लगी जैसे किसी बच्चे ने लॉलीपॉप देख ली हो और उसे चूसने को तड़प उठा हो…
मैंने लपककर उसके लंड को अपने हाथ में लिया तो वह मुझे हैरानी से घूरने लगा उसका गुलाबी लंड को मैंने अपने गुलाबी होठों से चूम लिया और उसका गुलाबी लंड और भी ज्यादा गुलाबी हो गया।
उसके बाद उसने मेरे दोनों कंधों को अपने हाथों से पकड़ा और ऊपर उठकर मेरे होठों को चूमने लगा और में भी उसे चूमने लगी…
तभी मेरे बदन से शॉल निचे गिर गया और मेरे ब्लाउज से बड़े बड़े आम दिखने लगे, उसने मेरे आमो को हाथ में पकड़ा और ब्लाउज में से ही मेरे आमो को दबाने लगा…
फिर उसने ब्लॉउज के हुक खोल दिए और मेरे दोनों रस भरे आमो को निचोड़ दिया
मैंने फिर अपनी बेशर्मी दिखाई और उसके सारे कपड़े खोल डाले और मुस्कराती हुई बोली- तुम नंगे नंगे बड़े अच्छे लग रहे हो विकास!
उसने भी मेरे कपड़े उतारकर मुझे नंगी कर दिया और बोला- तुम भी नंगी बहुत अच्छी लग रही हो मानसी!
मैंने बड़े प्यार से कहा- तेरी मानसी बहुत बड़ी मादरचोद है! ज़रा बच के रहना… तेरे लण्ड का पूरा मज़ा ले लेगी, बुरचोदी मानसी ! तेरे लण्ड पे बैठकर चोद डालेगी तेरा लण्ड! तेरे लण्ड को बना देगी चूहा.
वह बोला- जो बात मुझे कहना चाहिए वो तो तुम कह रही हो मानसी!
मैंने कहा- तुम हो एक शरीफ आदमी और मैं हूँ बुरचोदी एक बड़ी बेशरम लण्ड की दीवानी लड़की।
मेरे हाथ में जब लण्ड आता है तो मैं उसे देख कर पागल हो जाती हूँ। और फिर कुछ भी बोलने लगती हूँ।
उसने मुझे अपने नंगे बदन से चिपका लिया और फिर मुझे बेड पर पटक दिया। एक हाथ से मेरी चूचियाँ सहलाने लगा और दूसरे से मेरी चूत!
मैं उसका लण्ड चाटने लगी तो वह मेरी बुर चाटने लगा। हम दोनों बन गए 69.
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फिर वह घूमा और मुझे चित लिटा कर मेरी चूत में पेल दिया अपना मोटा लण्ड… बड़ी बेरहमी से चोदने लगा मेरी बुरचोदी चूत!
मैं भी उसका साथ देने लगी, झटके पे झटके मारने लगी, कमर हिला हिला के चुदवाने लगी।
मेरे मुंह से इसी मस्ती में कुछ न कुछ निकलने लगा- उई अम्मी… बड़ा मस्त लौड़ा है तेरा… मज़ा आ रहा है ऊँ आ हो… हांह ऊँहूँ आ… हो वॉव और चोदो… खूब चोदो… हां हूँ चूसो चप्प चप्प… साला तू बड़ा चोदू है तेरी बहन की बुर!
तेरी माँ की चूत… आज मौक़ा है चोद ले मेरी चूत। कल मैं तेरी बहन की बुर चोदूँगी। हां होओं हां क्या मस्त चुदाई है… मुझे इतनी अच्छी तरह से किसी ने नहीं चोदा। तुम खूब चोद लो मेरी फुद्दी… मेरी गांड भी चोद लो मेरे राजा!
आज जो चाहो कर लो, मैं तेरी प्रेमिका हूँ, तेरी बीवी हूँ, तेरी रंडी हूँ, तेरी चुड़क्कड़ भाभी भी हूँ, तेरी चुदासी पड़ोसन हूँ। मैं इस समय सातवें आसमान में हूँ. ये सब तेरे लण्ड का कमाल है मेरे राजा… मुझे चोदे जाओ… खूब चोदो… चीर डालो मेरी बुरचोदी चूत!
फिर मैंने उसे चित लिटा दिया।
उसका टनटनाता हुआ लण्ड ताक रहा था।
उसे देख कर मेरी उत्तेजना और बढ़ गयी।
मैं टांग उठाकर लण्ड पे बैठ गयी। लण्ड सट्ट से पूरा मेरी चूत में घुस गया।
मैं मस्त हो गयी और अपनी गांड उठा उठा कर लण्ड पर पटकने लगी।
मैंने कहा- देख विकास, इसे कहते हैं लण्ड चोदना! मैं तेरा लण्ड चोद रही हूँ भोसड़ी के विकास! आज तक किसी ने भी तेरा लण्ड नहीं चोदा होगा?
वह बोला- हां यार, वाकयी किसी ने नहीं चोदा। तेरी चूत बड़ी दमदार है यार! मेरा लण्ड बहनचोद अच्छी तरह चुद रहा है।
मज़ा मुझ भी खूब आ रहा था और उसे भी!
फिर तो मैं खलास हो गयी और वह भी खलास होने वाला था। मैं नीचे उतरी और लण्ड का सटासट मुठ मारने लगी। तब लण्ड ने उगल दिया सारा वीर्य!
एक घण्टे बाद उसका लण्ड फिर उठ खड़ा हुआ वह बोला-मानसी प्लीज एक बार मैं तुम्हें और चोदूंगा।
मैंने कहा- हां हां चोद लो। मुझे तेरा लण्ड पसंद है तो मैं खुले मन से चुदवा लूंगी।
उसने मुझे फिर अपने नंगे बदन से चिपका लिया और मेरे पूरे बदन पर हाथ फिराने लगा, मेरा पूरा नंगा जिस्म चूमने लगा। यहाँ तक की उसने मेरी गांड भी चूमी और चाटी भी!
मैं भी गर्म हो उठी और चुदने के लिए अपनी चूत खोलकर तैयार हो गयी।
उसने लण्ड पेला और पेलता चला गया। इस बार तो उसका लण्ड ज्यादा खूंखार नज़र आ रहा था, ज्यादा मोटा लग रहा था।
मुझे भी कुछ ज्यादा ही मज़ा आने लगा और मैं भी कमर हिला हिला के चुदवाने लगी।
वह बोला- यार, तेरी जैसी चुदवाने वाली लड़की बहुत मुश्किल से मिलती है।
मैंने भी कहा- यार, तेरे जैसा चोदने वाला भी बड़ी मुश्किल से मिलता है।
आज तो मेरा नसीब था जो तेरे जैसा मस्ताना लण्ड मुझे मिल गया।
“फिर उसने कहा तू तो बहन की लौड़ी लण्ड पीने में बड़ी एक्सपर्ट है। कितने लण्ड पीती है तू एक दिन में?”
हां यह बात तो पक्की है कि मैं हर रोज़ लण्ड पीती हूँ। कभी एक लण्ड पीती हूँ, कभी दो लण्ड और कभी कभी तो तीन तीन लण्ड मिल जाते हैं पीने को!
वो आगे बोला – जानती हो… बरसात के मौसम में… अरे यार लण्ड का असली मज़ा तो बरसात में ही है। विकास की बात सुनकर मेरी चूत भी अंदर मस्त होकर कुलबुलाने लगी।
विकास को शरारत सूझी तो उसने सिगरेट का कस लिया मैंने भी धुंआ का कस लिया और दूर से विकास के लण्ड पर फूंक कर निकाल दिया।
मेरी सिगरेट ख़त्म हुई तो मैंने अपनी बांहें उसके गले में डाल दीं विकास मेरी चूचियाँ ऊपर से ही दबाने लगा और मैं उसका लण्ड टटोलने लगी।
मर्द का हाथ जब चूचियों पर लगता है तो चूचियाँ अपने आप ही मचल उठतीं हैं। मैं उसका लौड़ा ऊपर से दबाकर चूम कर अपनी इच्छा ज़ाहिर करने लगी।
अब हम दोनों मादरचोद बिलकुल नंगे हो चुके थे। मैं उसका लौड़ा पकड़ कर मुस्कराते हुए हिलाने लगी। लण्ड साला तन कर फिर से खड़ा हो गया।
मैं नंगी नंगी विकास के जिस्म से चिपक गयी और वह मेरे जिस्म से!
नंगी नंगी किसी नंगे मर्द से चिपको तो उसका मज़ा कुछ और ही होता है और हम लड़कियां ऐसे मौकों की तलाश में हरदम रहती हैं।
कुछ देर बाद विकास ने जब लण्ड पेला मेरी चूत में और चोदना शुरू किया तो ज़न्नत का मज़ा आने लगा।
बाहर बड़ी जोर की बरसात हो रही थी और यहाँ अंदर गर्म गर्म जिस्म के साथ गर्म गर्म चुदाई हो रही थी।
उधर से बादलों की गर्जना सुनाई पड़ रही थी और इधर से मेरी चूत से से गच्च गच्च की आवाज़ें सुनाईं पड़ रहीं थीं।
बरसात के मौसम में लड़कियों को लण्ड बड़ा प्यारा लगता है और लड़कों को चूत और चूचियाँ बड़ी प्यारी लगतीं हैं। इस तरह मैंने आज फिर से एक नये मर्द के लंड का भरपूर मज़ा लिया।