हेलो दोस्तों मैं अंजली देहरादून की रहने वाली हूँ। मेरी चूचियाँ 34 कमर 30 और गांड 36 की साइज के हैं। मैं ज्यादातर जीन्स और टॉप पहनती हूँ। मेरा रंग गोरा हैं । मेरे घर में मेरे पापा, मम्मी और मैं हम तीन लोग हैं ।
आज मैं आपको अपनी सच्ची चुदाई के बारे में बताने वाली हूँ चुदाई की ये घटना कुछ दिनों पहले की हैं हुआ यूँ की एक दिन मम्मी अपनी बहन यानी मेरी मौसी से मिलने उनके घर जा रही थी मौसी दिल्ली में रहती हैं मम्मी ने मुझे भी साथ चलने के लिए बोला।
पर एग्जाम की वजह से मैंने मना कर दिया तो मम्मी अकेली जाने के लिये तैयार हो गयी वैसे तो पापा भी मम्मी को रेलवे स्टेशन तक छोड़ आते लेकिन पापा दो दिनों के लिए बाहर गए थे।
रेलवे स्टेशन हमारे घर से कुछ दूरी पर ही हैं पैदल भी जा सकते हैं तो मैं मम्मी को रेलवे स्टेशन छोड़ने गई सुबह 11 बजे मैं मम्मी को ट्रैन में बैठाकर वापस घर आने लगी
मैंने लोअर, शर्ट और जूते पहन रखे थे और ऊपर ठण्ड से बचने के लिए लोंग स्वेटर पहना था जो मेरे घुटनों तक था ।
रेलवे स्टेशन से कुछ दूर ही निकली थी कि तभी पीछे से एक बाइक आई जो मेरे पास आकर रुकी और मुझसे पूछा- यहाँ कोई होटल है क्या?
मैंने कहा- हाँ यहाँ होटल तो बहुत सारे हैं। आपको कैसा होटल चाहिए?
उसने कहा- आप कहाँ से हो?
मैंने बताया- मैं यहीं की हूँ। आपको कैसा होटल चाहिए?
उसने कहा- आपके हिसाब से कोई बढ़िया सा होटल बता दो जहां मेरा सामान सेफ रहे और मुझे आज यही रुकना है। कल सुबह चला जाऊंगा।
मैंने कहा- मैं आपको होटल तक ले चलूंगी।
उसने मुझे बाइक पर बैठने के लिए बोला। मैं बैठ गयी और रास्ता बताती गयी। बातों से पता चला कि वो यह घूमने के लिए आया है।
उसने अपना बैग सीने से लगाया हुआ था और मैं उससे चिपक कर बैठी थी ताकि मुझे ठंडी हवा न लगे। जब वो ब्रेक लगाता तो मेरी ३४ की चूचियाँ उसकी पीठ से लग जाती।
2 या 3 बार ऐसा हुआ। मैं जानबूझकर उससे बिलकुल चिपक गयी और अपना हाथ उसकी जांघ पर रख दिया और हल्का हल्का हाथ फिराने लगी।
उससे बातचीत की तो उसने अपना नाम कबीर बताया ओर वो पंजाब का रहने वाला था।
तभी मेरे घर से कोई 3 किलोमीटर दूर हम दोनों एक अच्छे से होटल में चले गए।
उसने उस होटल में रूम बुक किया और अंदर चले गए। कबीर ने कुछ खाना आर्डर किया और रूम में आ गया।
अंदर जाकर मैंने अपना स्वेटर उतार दिया । वो मुझे देखता ही रह गया। उसका ध्यान मेरी चूचियों पर था।
तभी मैंने रूम हीटर चला दिया और हम लोग खिड़की के पास लगे बेड पर बैठ गए जहां से पूरा शहर दिख रहा था। कबीर भी साथ बैठा था।
हमने पैरों पर कम्बल डाल लिया था। कम्बल के अंदर से कबीर के पैर मेरी गांड को टच कर रहे थे।
हम बात करने लगे। तभी खाना आ गया और हमने खाना खाया और वापस वही खिड़की के पास आ गए।
अचानक से कबीर ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और बोला- इतनी खूबसूरत जगह में इतनी खूबसूरत लड़की ने साथ में सैर करवाई इसके लिए थैंक्स।
मैंने उसके हाथों को पकड़ लिया जिससे उसने मेरी गर्दन पर किस कर दिया। मेरी चूत तड़पने लगी थी।
उसने धीरे से अपना हाथ मेरी चूची पर रख दिया और दबाने लगा। मुझे समझ नहीं आया कि मैं उसको रोकूं या नहीं। लेकिन मैं भी किसी अजनबी के साथ यही चाहती थी तो मैं पीछे की तरफ मुड़ गयी।
मैंने एक बार कबीर को देखा और उससे लिपट गई. इतनी देर में मेरी चूत आग उगलने लगी थी। कबीर मेरे होंठों को चूमने लगा। मैं भी उसका साथ दे रही थी। वो अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल कर मुझे किस कर रहा था।
उसने मुझे किस करने के बाद मेरी लोअर उतार दी और मैं पेंटी में रह गयी। तभी कबीर भी अपना लंड बाहर निकाल कर हिलाने लगा। मैंने उसके मोटे लंड को देखा, तो उसने मुझे अपना लंड हिलाने के लिए कहा। मैं उसका लंड हिलाने लगी।
वो भी मेरी पेंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को सहला रहा था। इससे मेरी चूत से पानी निकलने लगा और मेरी चूत गीली हो गयी थी।
उसने मुझसे कहा- नंगी हो जाओ मैंने कहा- तुम ही कर दो! उसने मेरी पेंटी निकाल दी और मुझे बिस्तर पर चित लिटा कर मेरी चूत को चाटने लगा।
मैं भी गांड उठा कर मादक सिसकारियां लेने लगी और कबीर मेरी चूत को चाटने लगा। मेरी चूत से पानी निकल रहा था और कबीर को ये नमकीन पानी बड़ा मजा दे रहा था, जिससे वो मेरी चूत को बड़े मजे से चाट रहा था।
मेरी चूत को काफी देर तक चाटने के बाद उसने अपनी दो उंगलियों को मेरी चूत में डाल दिया और अपनी उंगलियों को मेरी चूत में अन्दर बाहर करने लगा।
मैं भी कामुक और चुदासी हो गयी थी और सिसकारियां ले रही थी।
कबीर मेरी चूत में उंगली करने के साथ ही मेरे होंठों को चूसने लगा। मैं भी उसका भरपूर साथ दे रही थी। हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे. वो मेरे होंठों को चूसते चूसते मेरे होंठ को काट भी ले रहा था।
काफी देर तक एक दूसरे के शरीर से खेलने के बाद हम बिस्तर पर चुदाई के आसन में हो गए। उसके बाद कबीर अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा।
उसने मेरी शर्ट को निकाल दिया और उसके बाद मेरी ब्रा को भी उतार दिया। मैं अब एकदम नंगी उसके सामने पड़ी थी। वो मेरी चूची को दबाने लगा। मेरी चूची को दबाने के बाद कबीर मेरी चूची को चूसने लगा कभी कभी मेरी चूची के निप्पल को हल्का सा काट भी लेता।
मुझे अपनी चूची चुसवाने में बड़ा मजा आ रहा था. मैं खुद अपने हाथ से अपनी चूची को पकड़ कर उसके मुंह में निप्पल डाल देती।
मेरी चूची को चूसने के बाद कबीर मेरी चूत को मसलने लगा मेरे मुख से सिसकारियां निकाल रही थी।
उसने मेरी चूत को मसलने के बाद मेरी चूत पर अपना लंड रख दिया और मेरी चूत को लंड के सुपारे से रगड़ने लगा।
जब मेरी चूत पर लंड रगड़ रहा था, तो मेरे अन्दर चुदाई की इच्छा बढ़ती ही जा रही थी और मुझे जल्दी से लंड से चुदवाने का मन कर रहा था।
लेकिन कबीर मुझे तड़पा रहा था और मेरी चूत पर अपना लंड रख कर रगड़ रहा था।
मेरी चूत से लगातार पानी निकल रहा था। मैंने अपनी गांड को उचका कर उसका लंड चूत में लेने की कोशिश की तो वो मेरी चूत में अपना लंड धीरे धीरे डालने लगा।
उसके बाद उसने एक तेज झटका लगाया और मेरी चूत में अपना पूरा लंड डाल दिया।
मैं एक मस्त आह के साथ उसके लंड में खो सी गई। मैं कई बार कई चुदाई कर चुकी थी इसलिए मुझे उसका लंड लेने में कोई दिक्कत नहीं हुई; बस हल्का सा दर्द हुआ।
लेकिन मेरी चूत आज काफी टाइट थी क्योंकि मैं बहुत दिन से चुदी नहीं थी।
बाद में जब कबीर मेरी चूत में अपना लंड डाल कर मेरी चूत को चोदने लगा तो चूत गीली हो गयी इसलिए उसका लंड आसानी से अन्दर बाहर होने लगा।
कुछ देर चोदने के बाद उसने अपना लंड चूत से बाहर निकाल लिया और मेरी चूत को चाटने लगा।
मेरी चूत को चाटने के बाद कबीर मुझसे अपना लंड चूसने के लिए कहने लगा। मैं भी उसका लंड चूसने लगी। मैं उसका लंड गले तक लेकर चूस रही थी और वो आंख बंद करके मजे से अपना लंड चुसवा रहा था।
उसके बाद कबीर ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल कर अन्दर बाहर करने लगा।
कुछ देर बाद अपना लंड चुसवाने के बाद उसने अपना लंड फिर से मेरी चूत में डाल दिया और मेरी चूत को चोदने लगा।
मुझे लंड से बड़ी राहत सी मिल रही थी क्योंकि इस बार मैं काफी दिनों बाद चुद रही थी।
हम दोनों लोग एक दूसरे को किस करते हुए ताबड़तोड़ सेक्स कर रहे थे। वो बार बार अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल रहा था और उसके बाद अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल कर मेरी चूत को चोद रहा था।
हम दोनों काफी देर से सेक्स करते रहे थे। चुदाई से पहले हम दोनों को ठंड लग रही थी लेकिन सेक्स करने के बाद हम लोग ठंड को भी भूल गए थे। ठंड की जगह लण्ड ने ले ली थी।
इस वक्त हम दोनों नंगे होकर सेक्स कर रहे थे। मैं अपनी गांड उठा उठाकर कबीर का लंड अपनी चूत में लेकर उससे चुदवा रही थी और हम दोनों मदहोश हो कर सेक्स कर रहे थे।
मुझे उससे चुदवाने में बहुत मजा आ रहा था। वो अपना लंड मेरी चूत में डाल कर तेजी से अन्दर बाहर करने लगा। हम दोनों की चुदाई से फच फच की आवाज निकल रही थी। चुदाई की आवाज से और भी सेक्सी माहौल बन गया था।
फिर हम दोनों तेजी से सेक्स करने लगे। अब मैं भी उसको बोलने लगी तेज तेज। वो मुझे पूरी ताकत से चोद रहा था। सेक्स करते करते मैं झड़ने लगी तभी उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया और मेरी चूत को चाटने लगा।
मेरी चूत से बहुत पानी निकल रहा था। वो मेरी चूत को चाट रहा था। मेरी चूत एकदम गीली हो गयी तो मुझे लगा कि बस अब खेल खत्म हो गया।
लेकिन इसके बाद उसने एक बार में ही अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया और चोदने लगा। मुझे तो मानो ज़न्नत मिल गई।
हम दोनों फिर से सेक्स का मजा लेने लगे। फिर कोई 10 मिनट बाद हम दोनों सेक्स करते करते झड़ गए। हम दोनों का पानी निकल गया और काफी थक गए इसलिए यूं ही नंगे ही बिस्तर पर लेट गए। पता नहीं कब आँख लग गयी।
कुछ देर बाद जब आंख खुली तो शाम के 4 बज गए थे । हम बाथरूम में एक साथ नंगे नहाये और घूमने के लिए निकल गए।
रात के 8 बजे हमने खाना खाया और होटल से मेरे घर की तरफ चल दिए। वो मुझे रात के लिए चुदने के लिए कहने लगा लेकिन मैंने मना कर दिया।
उसने मुझे मेरे घर से कुछ दूर छोड़ दिया और वो अपने होटल की तरफ चल दिया। फिर ना ही मैंने और ना ही कबीर ने एक दूसरे से किसी तरह की कोई बात की बस वो चुदाई एक बार ही हुई हमारे बीच जिसने हम दोनों को मस्त मज़ा दिया।
आपको मेरी यह अजनबी के साथ चुदाई की कहानी कैसी लगी कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।