भाई से चुदाई

अपने भाइयों का लण्ड लेने वाली मेरी प्यारी बहनो और अपनी बहनों की गांड मारने वाले भाईयो!
मेरा नाम अंकिता है और मैं जोधपुर में रहती हूँ।

मेरा फिगर 36-34-36 है और किसी वजह से छोटी उम्र में ही सैक्स की तरफ ज्यादा ध्यान देने लगी।

मैं जोधपुर में मेरे भाई के साथ रहती हूँ। मैं और मेरा भाई लगभग रोज चुदाई करते है। अब तो ये हाल है कि मैं दिन में एक बार जब तक भाई से चुद नहीं लेती मुझे नींद नहीं आती है।

मैंने अपने भाई के अलावा किसी और से चुदाई नहीं की है।

मेरे भाई का नाम अंकित है। जब उसने मुझे पहली बार चोदा तो मेरी उम्र 21 साल थी। लेकिन उस उम्र में भी मैं जवान औरतों को मात दे रही थी।

मेरे स्तनों का आकार तो सामान्य ही था लेकिन थे बहुत ही टाईट व तीखे। मेरा फिगर देखकर बड़े लोगों व बूढ़े लोगों का भी लण्ड खड़ा हो जाता था।

जब मैं कक्षा १० में थी तो तभी मैं और भईया अलग जोधपुर में रहने लग गये थे। भईया ने मुझे बड़े प्यार से पाला था।

एक दिन स्कूल से आकर मैंने भईया से कहा- भईया स्कूल के वार्षिक फंक्शन में मैंने डांस करना है और ड्रेस कोड साड़ी है इसलिये मुझे साड़ी पहन कर जाना होगा, लेकिन मुझे साड़ी पहनना नहीं आता है और मेरे पास कोई अच्छी साड़ी भी नहीं है।

तो भईया कहा- अपनी नई साड़ी पहन लो!
मैंने कहा- हाँ! लेकिन ब्लाउज और पेटीकोट तो मुझे नहीं आयेगे!
भईया ने कहा- ठीक है तेरे लिये बाजार से नया ब्लाउज और पेटीकोट ले आऊँगा।

मैंने कहा- ठीक है भईया! पर पहले आप मुझे साड़ी पहनना सिखा दीजिये। जिस पर भईया ने मुझको साड़ी लाने को कहा। तो मैं भाग कर कमरे में गई और साड़ी लेकर आई।

मैंने उस समय टी-शर्ट और जीन्स पहन रखी थी। मैंने अपना टी-शर्ट उपर कर दिया तो मेरा गोरा पेट भईया की आँखों के सामने था।

मेरा गोरा पेट देखकर भईया की आँखों में वासना चमकने लगी, उसके मन में बुरे बुरे ख्याल आने लगे। उसने धीरे से मेरे पेट पर हाथ फिराया तो मैं हंसने लगी।

भईया ने कहा- हंस क्यो रही हो?
मैं बोली- कुछ नहीं! ऐसे ही! गुदगुदी हो रही है।

भईया ने मेरे कमर पर साड़ी लपेटी लेकिन कपड़े पहने होने के कारण साड़ी मेरे बदन पर ठीक नहीं हो पा रही थी।

भईया ने मुझे कहा- अंकिता! तुम अपने कपड़े, अपनी पैन्ट उतारो!
मैंने कहा- क्यों?
तो भईया ने कहा- इसलिये, क्योंकि साड़ी ठीक से नहीं आ पा रही है।

तो मैंने अपनी पैन्ट उतार दी। उस समय मैंने गुलाबी रंग की पेन्टी पहनी थी। मैं अपने भाई के सामने पेन्टी में थी।

मैंने कहा- जल्दी करो ना! मेरे हाथ दुख रहे हैं क्योंकि मैं अपने हाथो से अपना टी-शर्ट उपर किये हुए खड़ी थी।
भईया ने मुझे कहा- तुम अपना टी-शर्ट उतार दो तो मैं तुम्हें साड़ी पहना सिखाउंगा।

तो मैंने अपने बटन को खोल कर टीशर्ट उतार दिया। अब मैं केवल ब्रा और पेन्टी में ही थी। भईया खड़ा रह कर मेरे बदन के आस पास साड़ी लपेटने लगा।

भईया का हाथ मेरे बदन पर बार बार छू रहा था। जैसे तैसे भईया मुझे साड़ी पहनाई। फिर भईया ने कहा- देखो अंकिता जाकर आईने में! साड़ी ठीक से बन्धी है या नहीं।

मैं अपने कमरे में गई तथा आईने में अपने आप को देखने लगी। जब भईया बेडरूम में आया तो मैं केवल ब्रा और पेन्टी में थी तथा केवल एक साड़ी लपेटे हुए थी।

तभी भईया ने मुझे कहा- अंकिता! अगर तुम बुरा न मानो तो एक बात कहूं? तुम्हारा एक स्तन छोटा और एक बड़ा है।

तो मैं गौर से देखने लगी, फिर बोली- नहीं दोनों बराबर हैं!
मैंने अपना साड़ी का पल्लू हटा कर दिखाया।
तो भईया ने कहा- नहीं, तुम्हें साड़ी पहनकर दिखाई नहीं दे रहा है।
मैंने कहा- इससे क्या होगा?

तो भईया ने मुझे कहा- ये परेशानी तुमको तुम्हारी शादी के बाद आयेगी, जब तुम्हारा पति तुम्हारे दोनों स्तन बराबर नहीं पायेगा तो बड़ा नाराज होगा, और हाँ इससे तुम्हारी खूबसूरती भी कम हो जायेगी।

तो मैंने कहा- भईया! अब मैं क्या करूँ? ये ठीक नहीं हो पायेंगे क्या?
भईया ने कहा- ठीक तो हो जायेगे लेकिन तुम्हें कहे अनुसार इलाज करना पड़ेगा और इसका इलाज केवल मालिश के द्वारा ही होगा।
तो मैंने भईया से कहा- भईया! आप प्लीज इसे ठीक कर दीजिये ना!
तो भईया ने मुझे कहा- अंकिता! तुम एक काम करो तुम साड़ी उतार कर बिस्तर पर लेट जाओ, मैं तुम्हारी अभी मालिश कर देता हूँ।

फिर मैं अपनी साड़ी उतार कर बिस्तर पर लेट गई। भईया ने अलमारी में से तेल की शीशी निकाली और बिस्तर पर मेरे पास आकर बैठ गया और कहा- तुम अपनी ब्रा उतार दो, नहीं तो तेल से खराब हो जायेगी।

मैंने जल्दी से अपनी ब्रा को उतार दिया और अब मैं मेरे भईया के सामने केवल पेन्टी में ही थी। भईया ने अपने हाथ में तेल ले कर फिर मेरे स्तनों पर लगाया और मेरे स्तनों की मालिश करने लगा। मैं अपनी आंखों को बंद किये हुए लेटी थी। भईया मेरे कच्चे और हल्के गुलाबी रंग के स्तन व उनके चूचुकों को मसल रहा था। पहली बार किसी लड़के ने मेरे स्तनों को हाथ लगाया था और वह मालिश कर रहा था। इस कारण से मुझे अजीब सा नशा छाने लगा।

तभी भईया ने मेरे गुलाबी चूचुक को अपने अंगूठे व उंगली के बीच में लेकर जोर से दबा दिया तो मैं जोर से बुरी तरह चिल्ला उठी और बोली- आ आआ हहहह हहहह भईया इतनी जोर से नहीं! आराम से!

इसके बाद तो मैं अपने होश खोती जा रही थी तथा आसमान में उड़ने लगी थी लेकिन मेरा कोई गलत काम का मन नहीं था। लेकिन भईया मुझको पूरी तरह तैयार करके चोदने में मूड में था। करीब बीस मिनट मालिश करने के बाद भईया ने मुझे कहा- अंकिता तुम्हारे स्तन अभी थोड़े ठीक हुए हैं लेकिन अगर तुम बुरा न मानो तो मैं तुम्हारी पूसी भी देख लूँ ताकि उसमें भी कोई परेशानी तो नहीं है।

तो मैंने कहा- इसमें पूछने की कोई बात नहीं! आप मेरे भईया है आप मेरा बुरा थोड़े ही करेंगे।

भईया उस समय भी कपड़े पहने हुए थे। मैंने देखा कि भईया के कपडो पर भी तेल लग गया है। भइया उठे और अपने कपड़े निकाल दिये। मैंने पूछा तो कहा कि मेरे कपड़ों पर तेल लग गया है, बदलने है। अब भईया मेरे सामने सिर्फ अन्डरवीयर में थे।

मैंने भईया से कहा- भईया! आप अपना अण्डरवीयर निकाल दो, नहीं तो ये भी गन्दा हो जायेगा।
तो भईया ने जल्दी से अपनी अण्डरवीयर उतार दी।
भईया का लण्ड में लहराने लगा तो मैंने भईया से पूछा- ये क्या है?

तो उसने कहा- यह लन्ड है और अंग्रेजी में इसको पेनिस कहते है और हम दोनों इसी पेनिस की वजह से इस दुनिया में आये हैं।
मैंने पूछा- इससे क्या होता है?
भईया ने कहा- इससे चूत की शेप और साईज ठीक किया जाता है।
तो मैंने मासूमियत से कहा- भईया! क्या आप मेरी चूत की शेप भी ठीक करेंगे?
वह बोला- हाँ! लेकिन पहले मैं यह देख तो लूँ कि तुम्हारी चूत ठीक है भी या नहीं ?

यह बोलकर उसने मुझे मेरी पेन्टी उतारने को कहा तो मैंने अपनी पेन्टी उतार दी।

फिर भईया ने मेरे दोनों पैर फैला दिये और मेरी कुँवारी चूत को गौर से देखने लगा और मन ही मन सोचने लगा कि आज अपनी इस कुँवारी और नादान और भोली भाली लड़की की सील तोड़ने को मौका मुझे मिला हैं। ये बात मुझे भईया ने बाद में बताई जो लिखी।

मैंने पूछा- भईया आप क्या देख रहे है?
तो वो बोला- अंकिता! तुम्हारी चूत का साईज बहुत छोटा है इसे बड़ा करना पडेगा!
मैंने कहा- जल्दी से इसको बड़ा कर दो।

तो भईया ने कहा कि पहले मैं इस चूसूंगा, उसके बाद भईया ने अपनी जीभ मेरे नीचे डाल दी और चूसने लगा।

मेरी तो हालत ही खराब हो गई और मैं मस्ती के मारे आहह आहहह आअ अ आ आ आ आहह ओइइइ सीईइइ आहहह करने लगी।

भईया ने कहा- मजा आया?
तो मैंने कहा- बहुत! और करो भईया!

काफी देर चूसने के बाद भईया ने कहा- अंकिता! अब मुझे तुम्हारी चूत में अपना लण्ड घुसाना पड़ेगा पर मेरा लण्ड अभी पूरी तरह से तैयार नहीं हुआ है तुम इसे खड़ा करने में मेरी मदद कर दो।

उसके बाद जैसे भईया ने कहा, मैं वेसा करने लगी। उसके लण्ड को चूमने लगी, मुँह में लेकर आगे पीछे करने लगी, चूसने लगी.
तो भईया भी मेरी तरह करने लगे और वो बोलने लगे- ओ मेरी प्यारी बहन अंकिता! आहहहह हहहह क्या जादू है तेरे गुलाबी होठो में! जोर से चूस मेरी रानी! और चूस! मेरा मुँह में ले ले मेरा आज तू! आहहहहह!

जब भईया का लण्ड पूरी तरह से तन कर खड़ा हो गया तो उसने मेरी दोनों टांगों के बीच में अपना मोटा लण्ड रखकर थोड़ी क्रीम लगाई मेरी चूत के अन्दर तक! भईया ने क्रीम की शीशी को पूरी की पूरी मेरी चूत के ऊपर और अन्दर तथा अपने लण्ड पर लगा दिया और बोला- मैं तेरी चूत में अपना लण्ड डाल रहा हूँ!

और उसके बाद भईया ने एक जोरदार धक्का मारा, लण्ड पूरा मेरी चूत में एक बार में ही घुस गया, मेरी तो सांस ही अटक गई, मेरे मुँह से एक जोरदार तेज चीख निकली, मैं रोने लगी और रोते हुए बोली- मार डाला! मर गई रे!

मेरी चूत फट गई भईया! उफफ नहीं, अपना लण्ड बाहर निकालो भईया! मुझे अपनी चूत सही नहीं करवानी है, इसे बाहर निकालो!

लेकिन भईया ने मेरी एक नहीं सुनी और मेरे मुँह पर हाथ रखकर दूसरे हाथ से मेरे स्तन पकड़ कर मसलते हुए अपना लण्ड आगे पीछे करने लगे।

कुछ देर बाद मुझे थोड़ा आराम मिला तो भईया ने पूछा- अंकिता अब अच्छा लग रहा है ना!
तो मैंने कहा- भईया! बहुत मजा आ रहा है, जरा जोर से धक्के मारो मेरी चूत में!

और भईया जोर से मेरी चूत में झटके मारने लगे। अब भईया को और मुझको दोनों को मजा आ रहा था और हम दोनों सिसकियां ले रहे थे।

मैं भईया को कहने लगी- भईया! आज तक तुमने मेरा इलाज क्यों नहीं किया? अब डालो! जोर से डालो! मारो जोर से झटके मारो भईया।

भईया अब जोर जोर से झटके मारने लगे मैं सातवें आसमान पर थी तथा मुझे मेरी चूत की चुदाई से त्रिलोक नजर आने लगा था और मैंने भईया को कहा कि भईया मेरे चूत से कुछ निकलने वाला है!

भईया बोला- अंकिता! ये तुम्हारी जवानी और चूत का रस है जो आने वाला है, अब मैं भी तुम्हारे साथ आने वाला हूँ।

तभी मेरी चूत ने जोर की पिचकारी छोड़ी और मुझे बहुत मजा आने लगा। पहली बार मेरी चूत ने किसी लड़के के लन्ड से अपना रस छोड़ा था, अति आनन्द और मजे से मैं सीसीयाने लगी और एक तेजी खुशी की चीख निकली। और इसी के साथ में धडाम हो गई, मैं असमान की बुलन्दियों से कटी पंतग की भांति जमीन पर गिरने लगी।

तभी भईया का लण्ड मेरी चूत में फ़ूल कर झटके मारने लगा। मुझे फिर मेरी चूत में कुछ गर्म गर्म सा गिरता प्रतीत हुआ, ऐसा लगा किसी ने कोई गर्म गर्म चीज मेरी चूत में डाल दी हो।

भईया ने मेरी चूत में अपना वीर्य निकाल दिया। जब मैं खड़ी हुई तो मुझे भईया का सहारा लेकर खड़ा होना पड़ा।

खड़ी होने पर भईया का वीर्य मेरी चूत से निकल कर मेरी जांघों पर बहने लगा तो मैंने भईया से पूछा- यह क्या है?

तो वह बोला- यह पीने से ताकत आती है, तुम्हारी बॉडी सही हो जायेगी।

मैंने अपने हाथ से अपनी जांघों तक आये हुए भईया के वीर्य को अंगुलियों पर लिया और चाट गई। मुझे पहले अजीब पर बाद में बहुत अच्छा लगा।

बाद में भईया ने पूछा- अंकिता मजा आया?
मैंने कहा- हाँ भईया! आया! लेकिन एक वादा करो कि आप ऐसे ही रोज मेरा इलाज करोगे।
भईया ने कहा- हाँ करूंगा, पर उसके लिए तुम्हें मेरी पत्नी बनना पड़ेगा, फिर मैं तुम्हारा हर समय इलाज करता रहूंगा।
मैं मुस्कुरा दी और कहा- हाँ जी बनूंगी।
भईया कहा- अरे ‘हाँ जी’ क्यों कहा?

मैंने कहा- अब आप मेरे पति हैं और लड़कियाँ अपने पति का नाम नहीं लेती हैं न!

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