मैं हिमानी हूँ.. इंदौर में रहती हूँ। मेरी उम्र 38 साल की है। मेरे पति एक कंपनी में सेल्स मैनेजर हैं। मेरा एक 10 साल का बेटा है, जो कि नैनीताल में हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करता है। इंदौर में मैं और मेरे पति ही रहते हैं। आज मैं आपको अपनी चुदाई की सच्ची कहानी बता रही हूँ।
मेरे पति को कंपनी के काम से एक महीने के लिए दिल्ली जाना था, वो मुझे अकेला नहीं छोड़ना चाहते थे इसलिए उन्होंने उनके चाचा को मेरे पास रहने को बुला लिया। फिर मेरे पति टूर पर चले गए।
अब घर में मैं और चाचा ससुर ही रह गए। उनकी आयु 58 साल है। वे गाँव में रहकर खेती संभालते हैं। मेरे सास-ससुर मेरे देवर के साथ दुबई में रहते हैं इसलिए वो मेरे साथ नहीं आ सकते थे।
मेरे चाचा ससुर का एक बेटा है। वो दिल्ली में रहता है, पर उसकी बीवी मेरे चाचा ससुर से बात भी नहीं करती। वो अकेले थे, इसी लिए मेरे पास रहने को जल्दी ही मान गए। चाचा का कद 6 फुट 2 इंच है.. वे दिखने में बहुत ही अच्छे लगते हैं।
मेरे पति जब मेरे पास होते हैं मुझे जमकर चोदते हैं, पर अब वो नहीं थे। मैं हमेशा घर में नाइटी ही पहनती हूँ, पर चाचाजी के सामने कैसे पहनूं, ये मेरे लिए दिक्कत की बात थी।
एक दिन की बात है.. मैं चाचा जी के कमरे में किसी काम से गई, तब वो आँख बंद करके अपने लंड की मालिश कर रहे थे। उनको पता नहीं था कि मैं देख रही हूँ। वो बस आँखें बंद करके लंड की मालिश किए जा रहे थे और कुछ बड़बड़ा भी रहे थे।
मैं वहाँ से भाग आई… पर चाचा जी का मोटा लंड देख कर मेरी चूत तो बहने लगी थी। उनका इतना मस्त काला और लम्बा लंड मैंने पहली बार देखा था। मुझे पसीना आने लगा था। अब तो बस मुझे सिर्फ़ उनका लंड दिखाई दे रहा था.. पर रिश्ता कुछ नाजुक था इसीलिए ऐसा-वैसा कुछ सोच भी नहीं सकती थी।
इस बात को 3 दिन हो गए। अब मैं थोड़ी नॉर्मल हो गई थी। एक रात में सो रही थी, तब मुझे कुछ महसूस हुआ। किसी के हाथ मेरी चूचियों को दबा रहे थे। मैं समझ गई कि ये चाचाजी ही हैं। मैंने भी उनके लंड को याद किया और सोने का नाटक करती रही।
कुछ देर बाद वो मेरे पैरों को चूमने लगे, मेरी नाइटी भी उन्होंने ऊपर तक उठा दी और मेरी चूत को सहलाने लगे। अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो पा रहा था। मैंने अपनी दोनों टांगें खोल दीं। चाचा जी समझ गए कि मेरी चूत चुदना चाह रही है।
चाचा जी बेख़ौफ़ होकर मेरे ऊपर चढ़ गए और उन्होंने मेरे कान में कहा- बहू जाग जाओ.. खुल कर मजा लो। मैंने कुछ जवाब नहीं दिया तो और वो बोले- मुझे पता है.. तुम जाग रही हो और मजा ले रही हो।
तब मैंने बिना आँखें खोले ही रिप्लाइ दिया चाचाजी क्या कर रहे हो?
चाचाजी- बस तुझे प्यार कर रहा हूँ।
मैं- ये कैसा प्यार है?
चाचाजी- तुम 3 दिन पहले मुझे देखकर क्यों भागी थीं?
मैं- क्या..!
चाचाजी- अब बस भी करो यार.. आँखें खोलो और चुदाई का खुल कर मजा लो।
वो खड़े हो गए और बत्ती जला दी। वो सिर्फ़ लुंगी में ही थे और मैं नाइटी में थी। फिर उन्होंने लुंगी निकाल दी और अपना लंड हाथ में लेकर हिलाने लगे। मैं उनके लंड को बड़ी प्यासी नजरों से देख रही थी। उन्होंने मेरे पास आकर लंड मेरे मुँह के सामने किया।
चाचाजी- इसको तुम्हारे मुँह का टेस्ट कराओ, तुम इतनी खूबसूरत हो.. इसलिए मेरे से संभलना मुश्किल हो जाता है।
चाचाजी गाँव के थे.. उनका शरीर एकदम फिट था। मैंने उनका लंड मुँह में ले लिया। मेरे मुँह में लंड नहीं आ रहा था.. पर मैं इतने मस्त लंड को छोड़ना नहीं चाहती थी.. इसलिए मैं उनके लंड को जीभ से चाटने लगी।
चाचा जी का लंड बड़ा स्वादिष्ट लगा, तो मैं उनकी बड़ी-बड़ी गोटियों को भी चाटते हुए चूस और चूम लेती थी।
दो-तीन बार मैंने चाचा जी के लंड पर अपने दाँत भी गड़ा दिए.. तो चाचाजी चिल्ला पड़े- ओह.. आह्ह.. बहू क्या कर रही हो.. तू तो मस्त चूसती है।
आज तक मैंने गाँव में बहुत सारी चूतें चोदी है, पर तेरे जैसा किसी ने नहीं चूसा.. आह.. मजा आ रहा है.. मेरा सब कुछ तेरा ही है.. ले चाट ले इसको।
मैं- क्या चाचाजी.. क्या कहा आपने?
चाचाजी- हाँ गाँव की औरतों में मेरा लंड बहुत फेमस है.. खुद सामने से आकर चूत चुदवाकर चली जाती हैं। आज तक मैंने किसी को चोदने को नहीं कहा, वे सब खुद आकर अपना घाघरा ऊँचा करके मेरे लंड से अपनी चूत की ठुकाई करवाती हैं।
पर आज तक कभी शहर वाली चूत को नहीं चोदा.. आज तुम मिल गई.. अह.. तू तो शहर वाली है ना.. ये ख्वाहिश भी पूरी हो गई।
मैं- हाँ चाचाजी..
मैं मस्ती से उनका लंड चूस रही थी। फिर मैं इतने जोरों से लंड चूसने लगी कि उनका पानी निकल गया और उनका पानी मैं गटगट पी गई। आज तक मैंने कभी वीर्य पिया नहीं था, पर आज पिया तो बहुत ही टेस्टी लगा।
अब मेरे पर चुदाई सवार हो गई थी। मैंने उनका लंड जीभ से साफ किया, तो लंड में फिर से जान आ गई। मैं- चाचाजी कैसा लगा?
चाचाजी- बहू तू बड़ा मजा देती है बहू.. बहु की चुदाई का मजा ही अलग है… अब तू जो बोलेगी.. मैं वो करूँगा.. आज से मैं तेरा गुलाम हो गया।
वो जोरों से मेरे मम्मों को दबाने लगे, मैं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करने लगी। वो बड़े बेरहमी से मेरे थन मसल रहे थे।
फिर उन्होंने मेरा लिपलॉक किया और मेरी जीभ को चूसने लगे। एक हाथ से मम्मों को मसल रहे थे और जीभ से चूत का दाना सहला रहे थे। मैंने उनको जोर से पकड़ रखा था।
मैं- चाचाजी मुझे आपका लंड फिर से चूसना है। चाचाजी- मैं तो तेरा गुलाम हूँ.. मुझे तू बोल आप नहीं..!
मैं- जी ठीक है।
चाचाजी ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। मुझे उनका हब्शी लंड चूसने में बड़ा मजा आ रहा था। हम दोनों 69 में आ गए.. वो मेरी चूत को चाट रहे थे और मैं अपनी गांड उठा-उठा कर चूत चटा रही थी।
अब चाचाजी मेरे टांगों बीच में आ गए और कहने लगे- बहू तेरी चूत नहीं है ये गरम भट्टी है.. तेरी जैसी लुगाई आज तक नहीं देखी.. आह.. साली मस्त है रे तू.. मेरी कुतिया आज तो मैं तेरी चूत को खा जाऊँगा।
मैं- चल खा जा.. साले मेरा पानी निकाल दे हरामी.. अह.. चाचाजी- हाय मेरी रंडी.. उन्होंने मेरी चूत में अपनी लंबी जीभ डाल दी और जीभ से चूत को चोदने लगी।
मैं- आहह.. मर जाऊँगी मेरे चाचा.. तूने क्या कर दिया.. आज मुझे अपनी बना ले और मेरी चूत का सलाद बना दे। ‘ले रंडी ले साली..’
मैं- चाचा मेरे से अब रहा नहीं जा रहा, अब चोद दे।
चाचाजी- अभी नहीं चोदूंगा.. पहले चूत को खाने दे..!
मैं- तेरे मूसल से मेरी चूत खा मेरे भड़वे.. अह..
चाचाजी- नहीं कुतिया.. अभी और मजा ले ले।
वो मुझे तड़पा रहे थे और मुझसे सहन नहीं हो रहा था, अब जैसे भी हो मुझे बस लंड चाहिए था।
मैंने उनको उकसाने के लिए कहा- लगता है तुम्हारे लंड में जान नहीं है.. साले तेरा लंड कुछ काम का नहीं है.. चल हट साले भड़वे..!
अब वो थोड़े गुस्सा हुए और उन्होंने मेरी टांगें खोलते हुए अपने हब्शी लंड को मेरी छोटी सी चूत के आगे टिका दिया, फिर बोले- ले अब भोसड़ी की.. मेरे मूसल को झेल..!
यह कहते हुए उन्होंने एक ठोकर मारी, पर उनका लंड अन्दर नहीं जा पा रहा था.. इतना मोटा जो था।
मैंने कहा- चाचा लवड़े साले.. डाल इसको अन्दर..!
उन्होंने थोड़ा आगे पीछे होते हुए 3-4 धक्के लगाए.. तब उनके मोटे लंड का सुपारा चूत की फांकों को चीरता हुआ अन्दर को चला गया।
अब वो मुझे चोदते हुए और मेरे दूध मसकते हुए कहने लगे- बहू बहुत मजा आ रहा है.. तू साली चीज बड़ी मस्त है।
मुझे हालांकि उनके मोटे लंड से तकलीफ हो रही थी, पर मैं दांतों को भींचे हुए उनके लंड की मोटाई को अपनी चूत में जज्ब करने की कोशिश कर रही थी। कुछ ही देर में रस के कारण चूत ने दर्द को भुला दिया और मैं अपनी गांड उठाकर चुदवाने लगी।
कुछ देर बाद उनका पूरा लंड चूत की जड़ तक अन्दर-बाहर होने लगा और धमाकेदार धक्कों से मेरी चूत का बाजा बज उठा। इसके बाद उन्होंने फिर मुझे उल्टा किया और मेरी गांड में जीभ डाल दी। मैं मस्ती में ‘आह..’ करने लगी।
उन्होंने अपने लंड को पीछे से चूत में पेल दिया और जोरों से चोदने लगे। मैं चिल्लाए जा रही थी। कुछ देर चोदने के बाद उन्होंने कहा- मैं आने वाला हूँ।
अब मैं सीधी हो गई और वो मुझे ऊपर से चोदने लगे। मेरा शरीर भी अकड़ने लगा था।
चाचाजी- बोल माल कहाँ डालूँ? मैं- चाचाजी सब माल अन्दर ही डाल दो, जो होगा सो देखा जाएगा।
उन्होंने अपने लंड का पानी मेरी चूत में ही छोड़ दिया और मेरे ऊपर निढाल हो गए, मेरी चूत से उनका रस बहता रहा। बाद में उन्होंने मुझे गोद में उठाया और बाथरूम में ले गए। चाचा ने मेरी चूत को साफ किया।
अब मुझे कुछ शर्म आ रही थी। मैंने उनको ‘सॉरी’ बोला कि मुझसे ग़लती हो गई। तब उन्होंने कहा- बहू ऐसा मत सोच.. मुझे एक औरत की जरूरत थी और तुझे एक मर्द की.. वही किया है हम दोनों ने। इसमें कुछ ग़लत नहीं है।
मैं मुस्कुरा कर चाचा जी से लिपट गई। उस रात उन्होंने मेरी गांड भी मारी और जब तक चाचा जी हमारे घर रहे, तब तक ससुर में मुझे यानी अपनी बहु की चुदाई रोज 3-4 बार की। मैं उनका पानी पी जाती थी। इस ससुर बहु सेक्स से अब मैं बहुत खुश थी।
उन्होंने मुझे बहुत सारे जेवर भी लाकर दिए। वो मुझसे हमेशा मिलने आते हैं और मौका मिलते ही मुझे खूब चोदते भी हैं। शायद वो मुझे मेरे पति से ज़्यादा अच्छे तरीके से चोदते हैं, चाचा जी का लंड बड़ा है न.. इसलिए मुझे ही उनके लंड से चुदने में मजा आता है।