दोस्तो, मेरा नाम अजीत है और मैं 23 साल का हूं। मैं आपको भाभी हॉट सेक्स कहानी में ले चलता हूँ।
ये घटना मेरे साथ आज से सालभर पहले हुई थी जब हम लोग अपने गाँव गये थे।
वहां पर मेरे बड़े पापा, बड़ी माँ और उनके बेटे-बहू यानि कि मेरे भैया और भाभी रहते थे।
मेरी भाभी शादी से पहले तो पतली दुबली सी थी मगर शादी के बाद तो जैसे उनकी जवानी में बहार आ गई।
भाभी के बूब्स एकदम मस्त मोटे हो गए और गांड एकदम से चौड़ी होकर फैल गई थी।
देखने में वो एकदम गजब की चोदने लायक माल लगने लगी थी।
हम लोग बहुत समय बाद गए थे तो मैं भाभी को इस सेक्सी रूप में देखकर दंग रह गया।
वो वाकयी गज़ब हो गई थी और लग रहा था कि भैया ने भाभी की चूत पर खूब मेहनत की है। जिसका असर उसके सारे बदन पर दिख रहा था।
खैर हम लोग अंदर गए।
कुछ देर के बाद रात हो गई। उसके बाद सब लोगों ने खाना खाया और फिर अंदर बैठ गए।
बैठे बैठे हम लोग हंसी मजाक करने लगे।
मैं भी भाभी को देखकर मुस्करा देता था और वो भी ऐसे ही कर रही थी।
वहां बैठे-बैठे बार-बार भाभी से मेरी नज़रें टकरा रही थीं।या यूं कहें कि भाभी भी बार बार मेरी ओर देख रही थी।
मैं आपको बता दूं कि भाभी काफी समय पहले से ही मेरे ऊपर लाइन मारने की कोशिश किया करती थी।
उस वक्त में जवान हुआ ही था। मैं नया नया जवानी में दाखिल हुआ था और भाभी की उस वक्त नई नई शादी हुई थी।
भाभी को लंड का नया नया स्वाद मिला था और शायद उस वक्त उनको हर जगह लंड ही दिखता था।
अगले दिन सब सामान्य रहा।
अब भाभी के लिए मेरा आकर्षण काफी बढ़ गया था।
उसके अगले दिन भाभी बाथरूम से नहा कर निकली तो मैं सीधा बाथरूम में गया।
बाथरूम में उनकी ब्रा और पैंटी टंगी थी, मैं उन्हें सूँघने लगा। उनकी पैंटी को सूंघते हुए ही मेरे लंड में जबरदस्त तनाव आ गया। मैं उत्तेजित होकर वहीं पर उसे लंड पर घिसने लगा।
अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था और मैंने उनके बारे में सोचकर मुठ मारना शुरू कर दिया। मैं भाभी की चूत की महक लेते हुए अपने लंड पर अपने हाथ को तेजी के साथ चलाने लगा।
भाभी के बारे में सोच सोचकर मुठ मारते हुए गजब का मजा आ रहा था, मुझे लग रहा था कि मेरा वीर्य जल्द ही निकल जाएगा।
मैं तेजी से मुठ मारने में लगा हुआ था कि किसी ने बाथरूम का दरवाजा पीटना शुरू कर दिया।
जल्दी से मैंने अपने लंड को भीतर किया और फिर मैं जल्दी से पैंट पहनने लगा। मेरा लंड मेरी पैंट में यूं का यूं तना हुआ दिख रहा था।
मैं उसको छुपाने की कोशिश कर रहा था लेकिन वो छुप नहीं रहा था।
फिर जैसे तैसे करके मैंने उसको छुपाया और बाथरूम का दरवाजा खोलकर बाहर आ गया।
मैंने बाहर पाया कि भाभी ही खड़ी हुई थी।
वो मुझे देखकर मुस्कराने लगी। फिर बोली- यो माथा पै पसीनो कैसो आयो है? अंदर ऐसो के कर रिया थाँ? पानी सूं नहाणे री बजाय पसीने सूं नहा लियो है?
मैं हड़बड़ा गया था और उस हड़बड़ाहट में कुछ न बोलकर सीधा मैं वहां से भागने लगा तो भाभी से टकरा गया। टकराने के बाद उनको धक्का लगा और वो दीवार से सट गई और मैं भी उनके ऊपर ही सट गया।
मेरी छाती भाभी के उरोजों से सट गई।
उनके मोटे मोटे बूब्स मेरी छाती से दब गए।
हम दोनों जैसे सहम से गए थे।
मेरा तना हुआ लंड मेरी पैंट में भाभी की जांघ से टकरा रहा था।
उनकी मोटी मोटी चूचियों का स्पर्श पाकर लंड में झटके लगने लगे और मैं जल्दी से अलग हो गया।
उसके बाद जब भी भाभी मुझे देखती मैं शर्म से उन्हें देखता और वो आँख मार देती।
मैं समझ गया था कि भाभी अब मेरी पटाई में आ गई है।
अब मैं भी बिना शर्म के भाभी को देखता और मज़ाक करता रहता।
फिर एक शाम घर में कोई था नहीं … उस दिन मेरे पापा मम्मी मंदिर में गये हुए थे।
मेरे बड़े पापा और मम्मी भी उनके साथ गए थे।
भैया काम पर गये हुए थे और भाभी अपने पड़ोस में किसी के यहां गई थी।
मैं घर में अकेला था और मेरा लंड खड़ा होने लगा।
दोस्तो, जब दिमाग में 24 घंटे सेक्स ही चलता है तो फिर सबसे पहले लंड का ही ख्याल आता है।
मैं सेक्स कहानी पढ़ने लगा और लंड को सहलाने लगा। मैं छत पर बैठ कर सेक्स स्टोरी पढ़ रहा था और अपने लंड को मजे में हिला रहा था।
मैं अपनी ही धुन में ऐसा लगा हुआ था कि पता ही नहीं चला कि भाभी मुझे देख रही थी।
वो कब आई और कब से मुझे देख रही थी मुझे कुछ पता नहीं चल सका।
उनको देखते ही मैं सकपका सा गया और थोड़ा हड़बड़ा गया।
मगर उस वक्त स्थिति ऐसी थी कि जब मेरी नजर उन पर पड़ी थी तो मेरा वीर्य बस छूटने ही वाला था। उनको देखते देखते मेरे लंड पर दो तीन बार मेरा हाथ चला और मेरा वीर्य छूट गया।
जमीन पर मेरे माल की दो-तीन पिचकारी जा गिरीं। अब जद देख लियो तो अंदर काई काई करो हो ?
तभी भाभी चलकर मेरे पास आने लगी और मैं जल्दी से अपने लंड को अंदर करने लगा।
वो बोली- अब जद देख लियो तो अंदर काई काई करो हो ?
पता नहीं उनकी इस बात से मुझे क्या जोश चढ़ा कि मैं सारा डर भूल गया और फिर से अपना लंड निकाल कर हाथ में लिया और भाभी को दिखाते हुए बोला- लो, अब क्या?
उन्होंने भी पता नहीं क्या सोचा और सीधे मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी।
मैं हैरान रह गया कि क्या ये सच में हो रहा है?
भाभी छत पर मेरा लंड मुंह में लिए मजे से चूस रही थी।
जब मुझे यकीन हुआ कि मैं सपना नहीं हकीकत में ये देख रहा हूं तो मुझे भी सेक्स चढ़ने लगा और मैं भी भाभी से मजे से लंड को चुसवाने लगा।
मुझे जन्नत का सा मजा मिल रहा था।
मैंने आराम से भाभी के बालों को पकड़ा और खड़ा होकर उनका मुंह चोदने लगा।
वो अब गले तक लंड को ले रही थी; उनके मुंह ऊं … ऊं … गूं … गप … चलप … की आवाजें आ रही थी।
फिर मैंने उनको ऊपर उठा लिया और उनको किस करने लगा।
वो भी चूमने में मेरा साथ देने लगी। वो मुझे इस तरीके से चूम रही थी लगा कि जैसे आज मुझे खा जाएगी।
भाभी पूरा मुंह खोलकर मेरे होंठों को अपने मुंह में लेने की कोशिश कर रही थी।
फिर भाभी ने मेरी टीशर्ट उतारी और पैंट भी खोलकर नीचे गिरा दी। उनकी छत चारों तरफ से कमरों से घिरी थी इसलिए देखने वाला कोई नहीं था।
पैंट उतारते ही मेरा तना हुआ लंड एकदम से फुंफकार कर बाहर आ निकला क्योंकि मैंने नीचे से अंडरवियर भी नहीं पहना था।
मैंने भाभी को अपनी बांहों में कस लिया और भाभी की चूत से मेरा लंड टकराने लगा।
मैं उनके बूब्स को कपड़ों के ऊपर से ही दबाने लगा।
फिर मैंने उनकी साड़ी को खोलना शुरू किया, उनके ब्लाउज के ऊपर से चूचों को निचोड़ा और फिर उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया।
मैंने पेटीकोट को उतरवा दिया और उनकी पैंटी के ऊपर से चूत को सहला दिया।
उनकी पैंटी पहले ही गीली थी; शायद वो मुझे मुठ मारते देखकर अपनी चूत सहला रही थी।
फिर मैंने उनके ब्लाउज और ब्रा को भी निकाल दिया।
अब भाभी की नंगी चूचियां मेरे सामने थीं।
मैंने उनके मोटे बूब्स को अपने दोनों हाथों में थाम लिया। उनको जैसे हथेलियों के तराजू में तौलने लगा।
इतनी मोटी चूचियां देखकर मैं तो पागल सा हो गया।
मैं उनको जोर जोर से भींचते हुए बारी बारी उनके निप्पलों को पीने लगा।
वो मजे में सिसकारने लगी और मेरे बालों में हाथ फिराते हुए मुझे अपनी चूची पिलाने लगी।
मैं उनके बूब्स में पूरा मुंह लगा कर चूसने लगा और उनके निप्पल को दांतों से काट देता जिससे वो सिसकारियां लेने लगी।
कुछ देर के बाद वो बोल उठी- आह्ह … … अब बस भी करो … चूत को भी ध्यान राखो … वो तुम्हारे इस जवान लंड की प्यासी है। चोद दो ना मेरी चूत को
… आह्ह चोद दो अजीत … दे दो अपनी भाभी की चूत में अपना लंड!! मिटा दो इस चूत की आग।
फिर मैंने उनको वहीं कमरे में अंदर किया और पलंग पर ले जाकर टांगें खुलवाकर बैठा लिया।
मैं खुद नीचे बैठ गया और उनकी चूत खुलवाकर उसमें मुंह लगा दिया।
कुत्ते की तरह मैं भाभी की चूत को चाटने लगा।
बहुत गजब की खुशबू आ रही थी भाभी की चूत से … मैं जैसे भाभी की चूत की खुशबू में खो ही गया।
मैं तो भूल ही गया कि मुझे भाभी की चूत की चुदाई भी करनी है।
जब उससे रहा न गया तो बोली- मिटा दो इस चूत री आग। जान निकालेगो मेरी अब? आह्ह … चोद दे ना हरामी … मरी जावां हूं मैं थारे लंड के लिए … घुसा दे अपना लौड़ा मेरी चूत में!
दो मिनट और उनकी चूत को चाटने के बाद मैं उठा और अपना लंड उनकी चूत की फांकों पर रखा और जोर से धक्का दे दिया।
मैंने लंड को अंदर डाला तो लंड तो पूरा घुस गया मगर वो जोर से चिल्ला उठी।
लगा जैसे पहली बार कोई उन्हें चोद रहा हो।
वो मुझे धक्का देने लगी और हटाने लगी।
फिर मैं रुका और लंड अंदर ही रखे रहा।
मैं बोला- आप तो ऐसे बिलख रही हो जैसे पहली बार हो?
वो बोली- शादी के एक साल तक ही तेरो भाई ने अच्छे से रगड़ी है, उसके बाद तो बहुत कम मिलतो थो इसन लंड! ये तेरो लंड के इंतजार में थी।
फिर ऐसे ही बातों बातों में मैंने भाभी की चूत में लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
वो अब आराम से चुदवाने लगी, वो अपनी गान्ड उठाकर मस्ती में चुदवाने लगी।
मैं धीरे से अपना लंड अंदर बाहर करने लगा तो भाभी को मस्त मजा आने लगा।
अब हम दोनों ही सिसकारियां ले रहे थे।
वो कह रही थी- आह्ह … … ओह्ह … चोद … आह्ह … मजा आ रह्यो है … बहोत दिनां क बाद ऐसी चुदाई हुई है … आह्ह … कर दे … जोर स … ऊईई … आह्ह … चोद मेरो राजा।
ये सब सुनकर मैं भी उत्तेजित हो गया और अपनी रफ्तार बढ़ा दी।
मैं भी उसको गालियां देते हुए चोदने लगा- हां मेरी रंडी … तेरी चूत अच्छे से मारूंगा आज … तेरी चूत को खोलकर रख दूंगा … मेरा लंड चाहिए था ना तुझे … आज जी भरकर मेरा लंड ले।
इसी तरह मैं उनको चोदता रहा और बीच बीच में उनके बूब्स भी दबाता रहा। कभी उनको चूसने लग जाता था।
भाभी के बूब्स पर मेरे दांतों के निशान हो गए थे; बूब्स मेरे चूसने से बिल्कुल लाल हो गए थे।
फिर करीब 15 मिनट बाद हम दोनों झड़ने वाले थे तो भाभी ने कहा- अंदर निकाल दो।
अब तो मैंने अपनी धक्का-पेल रफ़्तार बढ़ा दी और हम दोनों ने किस करते करते जोर से एक दूसरे को जकड़ा और झड़ गए।
भाभी ने मेरी पीठ पर नाखून भी गड़ा दिए। फिर हम दोनों उसी तरह नंगे लेटे रहे।
वो मेरे लंड को सहला को रही थी। मैं उसके चूचे मसले जा रहा था।
फिर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया और भाभी भी गर्म हो गई।
फिर भाभी ने कहा- डाल दो अपणो लंड अर चोदो मने!
मैं उनके उपर आया और अपना लंड उनकी चूत में डाला।
एक बार उनको थोड़ा सा दर्द हुआ लेकिन फिर पूरा लंड लेकर चुदवाने लगी।
अबकी बार उनके चूचे मस्त उछल रहे थे।
मैं भी जोर जोर से धक्के मारते हुए चोदने लगा।
वो आह्ह … आह्ह … करके सिसकारते हुए चुदती रही।
उनकी मादक आवाजें मेरा जोश बढ़ा रही थीं।
फिर मैं उनको गोद में उठाकर चोदने लगा।
उसके बाद दूसरे राउंड में 20 मिनट तक भाभी की चुदाई हुई और हम दोनों फिर से झड़ गए।
अब दोनों ही थक गए थे।
कुछ देर हम नंगे चिपके रहे और फिर उठ गए।
भाभी कहने लगी कि घरवाले आते ही होंगे।
उसके बाद हम कपड़े पहन कर नीचे आ गए।
उस रात को फिर मैंने एक बार सोते हुए मुठ भी मारी।
भाभी की चूत मिलने की खुशी में लंड का जोश शांत ही नहीं हो रहा था।
फिर हम लोग लगभग 20 दिनों तक वहां रहे और इन बीस दिनों में मैंने भाभी की खूब चुदाई की।
मौका मिलते ही मैं उनकी चूत में लंड को पेल देता था।
मेरी इंडियन भाभी हॉट सेक्स की इतनी दीवानी थी कि मौका देखकर अपनी साड़ी उठा देती थी और मेरे लंड को सहलाकर खड़ा करके खुद ही लंड चूत में लेकर चुदने लगती थी।
हम दोनों ने खूब मजे किए।