कमसिन पड़ोसन को चोदा

नमस्ते दोस्तों, आपका स्वागत है। मेरा नाम अभिषेक है और मैं कानपुर में रहता हूँ। मैं 23 साल का हूँ और मेरे लंड का साइज़ भी ज़्यादा है और दिखने में भी गोरा है।

बात उस टाइम की है, जब मैं जॉब के लिए पहली बार जयपुर में आया था मैंने और मेरे दोस्त ने एक रूम लिया और हम अपनी अपनी जॉब करने लगे।

हमारे रूम के सामने एक घर था, जिसमें अंकल, आंटी और और उनकी एक लड़की रहते थे। मुझे याद है जब मैंने उसे पहली बार देखा था। मैं छत पर गाने गाने सुन रहा था और वो संडे का दिन था सामने की बालकनी में वो लड़की खड़े होकर अपने बाल सूखा रही थी।

उसका 36-28-36 का फिगर एकदम सेक्सी था। क्या मस्त लचकती कमर थी, उसके तने हुए बूब्स किसी का भी लंड खड़ा कर दें। उसके बूब्स सच में इतने बड़े थे की पहली ही नजर में किसी को भी पागल कर दें, उसी तरह का उसका पिछवाड़ा था।

मेरा तो जी कर रहा था कि इस लड़की को कस के पकड़ लूँ और चुची मुँह में लेकर तब तक चूसता और दबाता रहूँ, जब तक कि वो अपने मुँह से ‘आहह अब बस करो..’ ना बोल दे।

पर क्या करता.. मजबूर था। मैं उसी के सोच में डूबा था कि अचानक उसने मेरी तरफ देख लिया। मैंने भी नज़र नहीं हटाई और उसने भी कोशिश नहीं की।

तभी उसकी मम्मी उसको पुकारने लगी मनीषा, वो अपनी मम्मी के बुलाने पर नीचे चली गई पर वो मेरा नींद, चैन सब ले गई।

जब नीचे जाते हुए उसका पिछवाड़ा मटक रहा था, उसे देख कर तो मेरा लंड एकदम कड़क हो गया था।

मैं भी एकदम से बाथरूम में जा घुसा और अपने लोडे को निकालकर उसकी मटकती गांड के बारे में सोचते हुए हिलाने लगा।

लगभग एक हफ्ते बाद, आज संडे का दिन था। मैं घर में अकेला था, अचानक जोर से बारिश होने लगी साथ ही लाइट भी चली गयी।

मैं थोड़ी देर बाद घूमने बाहर आ गया कि तभी सामने मनीषा दिखी, जो कुछ परेशान सी लग रही थी। उसने मुझे इशारा करके अपने पास बुलाया और मैं चला गया।

मैंने पूछा कि क्या बात है? तो उसने कहा कि मेरे घर की इमरजेंसी लाइट नहीं मिल रही है, वो मुझसे हेल्प मांगने लगी।

मुझे जब उसके घर में कोई नहीं दिखा, तो उसने बताया कि सभी घरवाले शादी में गए है, जो सुबह तक लौटेंगे।

मैंने भी फोन की लाइट ऑन रखी थी कि तभी मेरा फोन स्विच ऑफ हो गया। पूरे कमरे में एकदम अंधेरा हो गया।

अब हम दोनों कुछ देर यूं ही खड़े रहे, तभी अचानक फिर से बादल गरजने की ज़ोर से आवाज़ आई साथ ही बिजली भी कड़की, वो घबरा कर थोड़ा पीछे को सरक गयी।

जिससे वो थोड़ा सा मेरे लंड पर टच हो गई मेरी सांसें तेज चलने लगीं और उसके बदन की खुशबू मेरी सांसों की गर्मी को और भी बढ़ा रही थी। उसे भी मेरी गरम सांसें अपने कान पर महसूस होने लगीं।

मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया, उसकी सांसें भी बहुत तेज गति में चलने लगीं फिर मैंने धीरे से हाथ उसकी कमर में डाला और कस के दबा दिया।

मेरे इस हमले से वो एकदम गरम हो गयी। उसकी कोई आपत्ति न पाकर मुझे हिम्मत आ गई और मैंने उसे अपनी तरफ घुमा लिया।

अब मैं उसकी धड़कनों को सुन सकता था, जो बहुत तेज आवाज़ कर रही थीं। उसके नाज़ुक होंठ काँपने लगे। पहले शुरूआत उसने की और मेरे होंठों पे अपने होंठ रख दिए उसके मुलायम होंठ मुझे पागल बना रहे थे।

उसने दोनों हाथों से मुझे अपने क़ब्ज़े में ले लिया और मेरी कमर अपनी तरफ खींचने लगी हम दोनों एक दूसरे के होठो को चूसने में मस्त थे।

मेरा एक हाथ उसकी कमर को सहला रहा था और दूसरा हाथ उसके चेहरे पर था। हम दोनों एक दूसरे में डूबे थे कि तभी लाइट आ गयी और उसने मुझे एकदम से छोड़ दिया।

मैंने जैसे ही उसे देखा और भी पागल हो गया उसने गुलाबी रंग की कुर्ती और वाइट कलर की सलवार पहन रखी थी। उसका गोरा रंग, गुलाबी होंठ सुनहरी आंखे मुझे बेकाबू कर रही थी।

इस बार मैंने अपना प्यार दिखाया और उसके दोनों चूचियों को पकड़कर धीरे धीरे मसलने लगा। उसने भी मेरा साथ दिया और वो अपना हाथ मेरे हाथ के ऊपर रखके जोर जोर से अपने बूब्स दबवाने लगी।

मैं और भी उत्तेजित हो गया और जोर जोर से मम्मे मसलने लगा। इस बार उसने बहुत ही मादक आवाज़ निकाली- आआ…सीईई… अहह।

उसने अपने हाथ से अपनी सलवार थोड़ी ढीली कर दी, जिससे मेरा हाथ आसानी से अन्दर आ जा सके। मेरे हाथ में जैसे ही उसकी चुत का दाना लगा, वो एकदम से जोर से ‘सीईई आआहह..’ करने लगी और मेरा दूसरा हाथ अपने बूब्स पर ऊपर से दबवाने लगी।

जैसे ही मैंने एक उंगली थोड़ी सी घुसाई, वो एकदम से उछल कर मुझसे लिपट गई।

मैंने उसे गोद में उठाया और बेडरूम में ले गया, उसे बेड पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर आ गया। मैं उसे दबाने लगा, चूसने लगा। वो पूरी तरह से मस्त थी। अब मैं उसके पेट के तरफ बढ़ा और किस करने लगा।

धीरे धीरे उसकी चुत के आस पास जीभ फेरने लगा।

फिर वापस जाकर उसके गले पे किस करने लगा, जिससे वो मस्त हो रही थी।

तभी मैंने उसकी सलवार खींच कर पूरी बाहर निकाल दी और कुरती भी हटा दी। अब वो सिर्फ़ काले रंग की ब्रा और पेंटी में रह गई थी… जिसमें उसका गोरा बदन और भी अच्छा लग रहा था।

मैंने फिर से उसे गर्माना चालू किया। अब मैंने एकदम से अपनी जीभ को उसकी चुत पर लगा दिया, तो वो एकदम से कमर ऊपर करने लगी, जैसे चाहती हो कि मैं उसकी पूरी चुत खा जाऊं।

उसकी चुत की मादक खूशबू आय.. हाय.. और नमकीन पानी मेरा और जोश बढ़ा रहा था। उसका भी बुरा हाल था। वो मेरे सिर पकड़ के अपनी चुत में अन्दर दबा रही थी, उसके मुँह से ‘आआहह… उम्म्ह…सीईएह..’ की आवाजें निकल रही थीं।

तभी एकदम से वो अकड़ गयी और मैंने उसे छोड़ दिया वो झड़ चुकी थी।

अब उसकी बारी थी। वो भी मेरा लंड अपने हाथों में लेकर मसलने लगी और मेरी गोटियों को सहलाने लगी, क्या बताऊं दोस्तो… कितना अच्छा लग रहा था।

अब तक हम पूरे नंगे हो चुके थे, फिर धीरे से उसने अपनी जीभ की नोक मेरे लंड के सुपारे पर घुमाई, मेरा तो बुरा हाल हो गया, जैसे ही उसने होंठों में लंड लिया, मेरा और भी बुरा हाल हो गया। फिर वो बड़े ही प्यार से लंड चूसने लगी। मेरे मुँह से ‘आआहह…’ की आवाज़ बिना मेरे चाहे निकल पड़ी।

कुछ ही देर बाद मेरा रस निकलने वाला था, तो मैंने उसके मुँह से लंड निकाल कर उसके मम्मों पर पूरा माल निकाल दिया। मैंने उसे साफ़ किया और फिर से मसलने लगा। वो बोली- बस… अब और मत तड़पाओ… जल्दी से डाल दो अन्दर।

मैंने भी अपना सुपारा उसकी चुत पर सैट किया और हल्का धक्का मारा, तो उसकी हल्की चीख निकली ‘आह…’

थोड़ा और ज़ोर लगाया, मैंने तो सुपारा अन्दर घुस गया। वो थोड़ा ज़ोर से ‘आआईयइ…’ करने लगी।

मैंने उसके होंठों पे होंठ रख दिए बस एक धक्के में मैंने पूरा लंड अन्दर पेल दिया। क्या गरम चुत थी उसकी।

तभी उसने नीचे से कमर उचकाई… मैं इशारा समझ गया, बस मैं चुदाई के मैदान में दम से उतर गया।

जब लंड को चुत की रगड़ मिल रही थी तो बहुत मज़ा आ रहा था। वो एकदम मस्त होकर ‘उऊहह आअहह ऊहह इससस्स…’ करने में लगी थी और गांड उठा उठा के चुदवा रही थी।

साथ ही मैं उसके चुचे भी दबाने लगा और दबा दबा के पीने लगा।

फिर मैंने उसे घोड़ी बनाया और खुद घोड़ा बनकर पीछे से उसकी चुत में लंड घुसा दिया और जमकर चोदने लगा।

उसके बाद मैंने उसे गोद में उठा लिया। उसने मेरा लंड अपनी चुत में सैट किया और खुद ऊपर नीचे होने लगी, बड़ा ही मज़ा आ रहा था।

उस रात मैंने उसे हर टाइप की पोजीशन में चोदा और सुबह के 6 बजे तक हमारा खेल चालू रहा और हमने जमकर चुदाई का मज़ा लिया।