आप सब का इस कहानी के दूसरे भाग में स्वागत है। जैसा कि पहले भाग में मैंने बताया किस तरह माँ का गुस्सा बदले की भावना में बदला, और मुझसे मदद लेने के लिए तैयार हुई।
मैं केवल चड्डी में माँ का बूब्स कपड़ो के ऊपर से ही दबा रहा था, और वो आंख बंद करके मुझे ग्रीन सिग्नल दे रही थी। मैं हाथ उनकी नाइटी और ब्रा के अंदर ले गया, और दूध को मसलने लगा। माँ आंखे बंद कर महसूस कर रही थी।
उनके बूब्स बड़े मुलायम थे। मैं उठा और मेन गेट अंदर से लॉक करके आया। मुझे भरोसा नहीं हो रहा था कि मैं माँ को चोदने वाला हूँ। मैं बहुत खुश था। मैंने चेक किया और मैं अपने रूम में आया।
माँ तब तक लेट गयी थी। मैं उनके ऊपर जा चढ़ा और उनकी आंखों में देखने लगा। शर्म से उसने आंखे बंद कर ली। मैंने पहले आंखों को चूमा। फिर गालों को चाटने लगा।
मेरा सपना था कि माँ का स्वाद लूँ। और आज माँ को चाटते हुए बहुत अच्छा लग रहा था। उनके हल्के पसीने वाले गाल का नमकीन स्वाद, आह। मैं तो गाल को खा जाना चाहता था।
मैंने उनके होंठो को छुआ, होंठो पर उंगली चलाई, और होंठो को चूसने लगा। वो भी साथ देने लगी।
उनकी जीभ को मुंह में लेकर मैं चूसने लगा। पूरा जीभ का रस पीने लगा। क्या स्वाद था। बिल्कुल मादक। मैंने होंठो का लंबे समय तक रसपान किया।
नाईटी उनकी बगलों को ढकती नहीं थी। उसमें बाल भी थे।
बाल वाली उस कांख को मैं चाटने लगा, और उसमें से सारा पसीना पी गया। ये सेक्स की ताकत है, कि कुछ भी चाटने पीने को तैयार कर देता है। कांखों को चाटने पर मां आश्चर्य में थी।
वो बोली: ये तो तेरे पापा ने किया ही नहीं। तुमको पसन्द है क्या ये करना?
मैं बोला: हां मां, इसका स्वाद और गन्ध मुझे पसन्द है।
वो भी रिश्ता भूल चुकी थी, और चुदने को तैयार थी। मैं पैरों की ओर गया, और पूरे पैर को चूसते हुए ऊपर आया। नाइटी उतार दी, और पैंटी के आस-पास चूसने लगा। वो मचलने लगी। ब्लैक पैन्टी और रेड ब्रा में गजब लग रही थी।
मैं बूब्स को जोर से मसलने लगा। वो सिसकिया लेने लगी।
मैंने ब्रा उतार दी और बूब्स चूसने लगा। मैंने काफी देर चूसा, और दबाया। फिर जोर से किस किया। लगभग 10 मिनट चूसने के बाद नीचे गया, और पैंटी के ऊपर से ही चाटने लगा। वो ओह्ह ओह्ह करने लगी।
फिर मैंने पैंटी उतार दी और चूत चूसने लगा। आह गजब मज़ा आया। मैं चूसता ही रहा काफी देर। फिर मैं ऊपर आकर किस करने लगा, और मोम पर लेट कर उनको देखने लगा। और उनके चूत और बूब्स की तारीफ करने लगा। वो भी खुद को जवान लड़की समझने लगी होगी शायद। वो खुश हो गयी।
फिर वो उठी और मेरे ऊपर आ गयी और मेरी बॉडी की तारीफ करने लगी। फिर मैं उनके हाथ अपने चड्डी पर रख कर उनको देखने लगा। उसने मेरी चड्डी उतारी और लंड चूसने लगी। मैं तो स्वर्ग में था। मैं कंट्रोल नही कर पाया और मलाई उनके मुंह में छोड़ दी। वो सारा पी गयी, और मेरे ऊपर लेट गयी।
वो बोली: अभी बदला पूरा नहीं हुआ है।
कुछ देर हम बाते करते रहें। फिर मैं किस और बूब चूसना करते रहा, और लंड फिर खड़ा हो गया। सारा शरीर मैंने उनका चूसा फिर से, और लंड उसके मुंह में दे दिया। वो चूस कर गीला कर दी। वो चॉकलेट की तरह अपने बेटे का लंड चूस रही थी। उसके होंठो को अपने लंड से चिपका देख मैं भी बहुत खुश हुआ।
चूस कर जब पूरा खड़ हो गया, तो वो लेट गयी और पैर फैला कर मुझे देखने लगी। मैं समझ गया कि ये अब चूत में लंड चाहती है।
मैंने चूत में उंगली शुरू की और गांड के छेद को चाटने लगा। वो बोली: उधर नहीं। मैंने पूछा: क्यों, पीछे नहीं ली हो क्या?
वो ना में सर हिलाई। मैं मन ही मन सोचा कि माँ की गांड भी मारूंगा, पर पहले ही दिन नहीं। तो मैं चूत चूसना शुरु किया। उसका जूस मैं मस्ती से पी रहा था।
माँ: डाल दो ना अब।
वो ऐसा बोल कर तड़प रही थी। मैंने लंड का टॉप उसकी चूत से सटाए रखा। वो तो मचल गयी। मैं भी मां की चूत में जिस छेद से मैं निकला था उसमें लंड सटा कर बहुत खुश था। वो तड़प रही थी।
माँ: डाल ना अब।
मैं लंड से चूत को रगड़ने लगा, और कुछ देर बाद लंड डाल दिया, और चोदने लगा। थोड़ी दिक्कत हुई डालने में, पर उनको कोई दर्द नहीं हुआ ज्यादा। मैं स्वर्ग में था। माँ की चूत में लंड डाल कर चाहता था जैसे यूं ही समय रुक जाए, और मैं चोदता रहूं। सामने पड़ी नंगी माँ और उसकी चूत ने मेरे लंड को जकड़ रखा था।
माँ एक अप्सरा लग रही थी। मेरे चोदने से उसके दूध हिल रहे थे। मैं एक ही तरीके से चोदता रहा। और उसकी चूचियों को दबाता रहा।
मैंने बोला: माँ मुंह में लोगी ना?
वो बोली: अंदर ही आजा ना, मैं प्रेग्नेंट नहीं हो सकती, ओपरेशन हो चुका है। तो डर भी खत्म।
मैंने मस्त अंदर ही पानी छोड़ दिया, और लंड चूत में ड़ाल कर ही लेट गया उसके ऊपर। हमने 2 और राउंड किये उसी पोजीशन में।
फिर नंगे ही रहे। शाम को पापा के आने से पहले हम साथ में नहाये और हमने कपड़े पहने। और इसी तरह हमारा चलता रहा।
मैंने 3 दिन बाद ही उनसे सेक्स के लिए कहा था। उसने खुद आने की बात कही थी कि बेटा मैं खुद आऊंगी। मैं इंतजार कर रहा था। 10 दिन हो गए, मैं मम्मी का इंतजार करता, जैसा कि उसने वादा किया था। पर वो आयी नहीं कभी मेरे कमरे में उस काम के लिए।
मै अब तड़पने लगा था। मैं फिर से माँ की चूत का स्वाद लेना चाहता था। मैंने कुछ प्रयास करने का सोच लिया, शाम को किचन में पीछे से खड़ा लंड गांड में सटा दिया और बूब्स को मसलने लगा। पापा टीवी रूम में थे तो मम्मी की हालत खराब हो गयी। वो बोली-
मम्मी: पापा घर में ही हैं, छोड़ो, पागल हो।
मैं: अरे अब कंट्रोल नहीं हो रहा। अब मुझे चोदना है आपको।
मम्मी: ठीक है, अभी छोड़ो, पापा नहीं होंगे कल तब कर लेना।
पर मैं मूड में था आज।
मैं: नहीं, आज ही करना है। वरना अभी करो।
मैं ज़ोर से चूची दबाने लगा, और लंड सटाने लगा गांड में। वो बोली-
मम्मी: अभी छोड़ो, रात में आऊंगी पापा के सो जाने पर।
मैं मान गया। फिर सब ने खाना खाया। डाइनिंग टेबल पे अपने पैरों से मम्मी के पैर रगड़ने लगा। मम्मी भी मुस्कुराने लगी। खैर, मैं अपने कमरे में गया और वेट करने लगा। रात के 11 बजे वो मेरे कमरे में आई।
आते ही बोली: डर लग रहा है, कहीं वो जग गए तो? अभी रहने दो, कल कर लेना।
मैं: अरे माँ, ये लंड खड़ा है, इसका क्या करूँ। कुछ नहीं होता।
माँ: देखना गड़बड़ ना हो कुछ।
मैं: मां तुम चिंता मत करो। फिर मैंने रूम अंदर से लॉक किया, और मां को लिटा कर ऊपर लेट गया।
मैं: माँ तुम बहुत सुंदर हो। मैं खुशनसीब हूं कि तुमको चोद पाया।
वो शर्मा के बोली: ऐसा क्या?
मैं: मैं होठ चूसने लगा।
वो भी साथ देने लगी।
मैं: माँ मैं काफी दिनों से प्यासा हूँ। आज वो प्यास तुम्हारे होंठ और चूत को चूस कर ही बुझाऊंगा।
माँ भी काफी खुल चुकी थी। वो बोली-
मम्मी: मेरे राजा, आज तेरे लंड की भी प्यास मिटा दूंगी। जितना चूसना है चूस लो। मैं अब तेरी भी उतनी ही हूँ, जितनी पापा की।
मैं होठ चूसता रहा। उनके जीभ को मुँह में लेके चूसने लगा। मन खुश हो गया।
मम्मी: मेरा राजा, सारी प्यास होठ से ही मिटा लेगा? नीचे क्रीम है, उसे भी चख ले।
मां की यूं बात-चीत सुन के मैं पागल हो गया और बोला-
मैं: आज हर जगह तुझे चुसूंगा। हर तरह प्यास मिटाऊंगा। प्यास बहुत लगी है।
मैंने उसकी चूचियों को कपड़ो के ऊपर से दबाया। उसके निप्पल को मसल दिया।
फिर वो बोली: नाइटी तो उतारने दो।
मैंने नीचे से ऊपर उठाया और उसने उतार दिया। जल्दी से ब्रा पैन्टी खोल कर लेट गयी। मैंने चूची को जोर से मसल दिया और चूसा। फिर दूध पीने लगा। वो भी मज़े ले रही थी। मैंने पैंटी को उतार दिया और चूत चूसने लगा।
मुझे चूत की मलाई क्रीम और चॉकलेट से भी ज्यादा स्वादिष्ट लग रही थी। आह। अद्भुत अनुभव था। मैं बयान नहीं कर सकता। मां मेरे बल पकड़ कर मस्त आहें भरने लगी। कहीं पापा ना जग जाए इसका डर भी था, पर इस चुदाई का आनंद दोनों ही ले रहे थे।
मैं अब चूत में उंगली करने लगा, और नीचे गांड के छेद को चाटने लगा। उनकी टाइट गांड भी आज मादक खुशबू दे रही थी।
मैं बोला: गांड कब मरवाओगी जान?
बोल कर अपनी उंगली गांड में डालने लगा। वो मचल गयी और बोली-
माँ: आह, वहां नहीं।
मैं गांड को चोदने की जिद करने लगा तो बोली-
मम्मी: आज नहीं। आराम से कभी, जब कोई ना हो। पूरे दिन पापा नहीं होते हैं, तो कभी दिन में कर लेना।
मैं मां की बात मान गया, और उसकी चूची मसल दी, और चूत चाटने लगा। इतनी देर चाटने के कारण उनकी चूत से फव्वारा निकल आया। मैं एक-एक बूंद पी गया। फिर लेट गया उनके बगल में। मैं उनकी कांखों को चाटने लगा। आह क्या मस्त सुगन्ध थी। वो कुछ मिनट में नॉर्मल हुई, फिर हम किस करने लगे। फिर वो उठी और बोली-
मम्मी: अब लंड का स्वाद चख लूं।
मैंने बोला: तेरा ही है जान। चख लो।
वो मेरा अंडरवियर उतार दी, और लंड चूसने लगी। लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया। पूरी तरह खड़ा करके वो लेट गई और बोली-
मम्मी: आजा मेरे राजा, मेरे अन्दर आजा। आज तू फिर से मेरे स्वर्ग में घुस जा।
मैं मिशनरी पोजीशन में ही उपर आ गया, और लंड रगड़ने लगा। चूत को लंड से पीटने लगा।
वो बोली: डाल दो, अब और नहीं रुको।
उसकी तड़प देख कर मैं और भी मस्त हो गया। मैं लंड डाल कर चुदाई करने लगा। आह क्या दृश्य था। हम यूँ ही चुदाई करते रहे। मां को घोड़ी भी बनाया, और पीछे से चोदने लगा। फिर लेट कर उनके पीछे से स्पून पोज में भी चोदने लगा। आखिरकार मैं आने वाला था।
वो बोली: आज पीना है।
मैं खुश हो गया। अंत मे लंड चूत से बाहर निकाला, तो मां खुद घुटनो पे आ गयी और चूसने लगी, और जल्द उनके मुंह में सारा जूस छोड़ दिया। वो भी मुंह खोल कर दिखाई जैसा पोर्न में होता है। फिर सारा माल गटक गयी। फिर हम लेट गए। वो मेरे ऊपर थी। हम बात-चीत करने लगे।
मम्मी: मज़ा आया।
मैं: हाँ बहुत, थैंक्स मां। तुम बहुत सुंदर हो। आई लव यू।
मम्मी: चुदने लगी तो सुंदर। ऐसे क्या बदसूरत थी?
मैं: नहीं जान, तुम तो सुंदर हो, तभी तो बेटा होकर भी तुझ पर आकर्षित हो गया। आपके चूचियों और गांड का मैं शुरू से दीवाना था जान।
मम्मी: बस मौके की तलाश में थे।
मैं: हाँ।
फिर हम होंठ चूसने लगे, और मेरा फिर से खड़ा हो गया। माँ एक और राउंड के लिए मान गयी।
वो बोली: ऊपर मैं रहूंगी।
लंड चूस कर उसने तैयार किया, फिर मेरे मुंह पर बैठ गयी। मैं चूत चूसने लगा। क्या सीन था।
फिर वो लंड पे बैठ कर चूत में लंड लेकर चुदने लगी।
कुछ देर के बाद वो घोड़ी बन गयी, और मैं पीछे से चूत में घुस गया। काफी देर के बाद मैं चूत में ही माल छोड़ कर लेट गया। माँ ने मेरी चड्डी से खुद की चूत साफ की। मेरा माल बाहर आ रहा था। फिर उसने कपड़े पहने और चुपके से निकल गयी। मैं नंगा ही सो गया।
दो दिन बाद पापा किसी टूर पे 15-20 दिन के लिए गए थे। रात को हम दोनों अकेले थे। मैं मम्मी-पापा के बेड पर गया और गांड को मसलने लगा।
पूरे कपड़े उतार कर पूरे शरीर को चूस कर स्वाद लिया। उसकी चूत को मलाई जैसे स्वाद लेते हुए चूसने लगा। मेरी जीभ उसकी चूत के छेद के अंदर तक जा रही थी। जीभ से ही चूत की चुदाई कर रहा था। लंड तो आज उसकी गांड के लिए रिजर्व था।
चूत को चाटते हुए गांड के छेद के चारों ओर उंगलियों से सहलाने लगा। चूत ने जब मलाई छोड़ दी, तो सारा रस चाट-चाट कर पी गया। आखिर मेरी मम्मी का रस था, बर्बाद कैसे होने देता? अब मैं गांड के पास गया और छेद के चारों ओर चूमने लगा। मैं बड़े आराम से करना चाहता था। एक कारण ये कि इस गांड की सील भी अभी ही टूटनी थी।
मैं जोर से गांड को नाक सटा कर सूंघने लगा। उसकी गांड की तारीफ भी कर रहा था।
मैं उसके चूतड़ों को मसलने लगा। काफी देर चूतड़ों से खेलने के बाद मैं गांड के छेद को चूसने लगा। जीभ से ही गांड मारने की कोशिश करने लगा।
अब छेद के ऊपर चूसता रहा और छेद में उंगली करता। मेरी थूक से गांड का छेद पूरा गिला हो गया था, और चिकना भी। 1 उंगली काफी देर गांड में करने के बाद अब दो उंगली डाल दी। मैंने दो उंगली डाल दी तो वो आह आह करने लगी, और निकालो-निकालो कहने लगी।
मैंने बोला: दो उंगली में नखरे करोगी तो पूरा लंड कैसे लोगी?
वो बोलने लगी: गांड लेना क्यों जरूरी है? चूत में डाल लो।
मैं उंगली करते रहा, और गांड को चूसता रहा।
मैंने बोला: गांड तो अभी मारूंगा ही, नख़रे अब तो बन्द कर लो।
ऐसा कह कर मैं उसके होठ चूसने लगा, और धीरे से बोला: भरोसा करो, मजा आएगा जान।
अब मैंने कपड़े सारे उतार दिये, और लंड उसके मुंह के पास ले गया।
लंड उसके होंठो पर रख दिया और उसकी आँखों में देखने लगा। कुछ देर शांत रहने के बाद उसने अपना मुँह खोला और लंड के ऊपरी भाग को चाटने लगी, जिससे मेरा लंड और भी खड़ा हो गया।
वो लेटे-लेटे ही मेरे लंड के स्वाद का मज़ा ले रही थी। उसके दिल से चूसने के कारण मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया। तो मैं गांड मारने के लिए नीचे की ओर गया।
मैंने लंड में ढेर सारा थूक और तेल लगाया। ऐसा ही तेल उसकी गांड के छेद पर भी लगा दिया, और छेद के अंदर भी उंगलियों से तेल को डाल दिया। अब मैंने लंड गांड के छेद पर सटा कर रगड़ने लगा। उसके चेहरे पे दर्द का डर साफ दिख रहा था।
मैंने प्यार से पूछा: गांड में डाल दूं?
उसने मना कर दिया।
मैं: केवल एक बार तो दे दो गांड, अच्छा ना लगे तो दोबारा मत करना।
उसने कहा: दर्द होगा।
मैंने विश्वास दिलाया: नहीं होगा। थोड़ा ही होगा।
फिर मैंने पूछा: डाल लूँ?
उसने अब हाँ कर दी: हाँ कर लो।
मैंने बोला: डार्लिंग मज़े आएंगे भरोसा करो।
मैंने उसके पैरों को कंधों पर रखा, और गांड में लंड का टॉप डाल दिया, और चोदने लगा। तेल के कारण टोपा आराम से चला गया। इसी तरह धीरे-धीरे चोदते हुए लंड और भी अंदर घुसता गया, और पूरी घुसा दी। कुछ देर तो वो रोती रही, फिर मजा लेने लगी।
मैंने इस तरह गांड की पुरी चुदायी की। घोड़ी भी बनाया और पीछे से गांड ली। फिर अंदर ही सफेद मलाई छोड़ कर उसी के ऊपर लेट गया और दोनों नंगे ही सो गए। पापा तो 20 दिनों के लिए बाहर थे, तो कोई हड़बड़ी नहीं थी। मेरा लंड भी उसके नाव मे मस्त सवारी का आनंद ले रहा था। तो दोस्तों इस तरह से मेरी मम्मी ने मुझे अपनी चूत और गांड दे डाली।