हॉट आंटी बस सेक्स स्टोरी में मैंने अपनी मकान मालकिन आंटी की चूत मारी चलती बस में! आंटी को जयपुर जाना था, मैं उनके साथ गया था डीलक्स बस में!
नमस्कार दोस्तो, मैं पड़ोसन चुदाई कहानी में आपके लिए मजा लेकर आया हूं।
आज मैं आपको अपनी ही मकान मालकिन ललिता भाभी की जबरदस्त चुदाई की सेक्स स्टोरी सुना रहा हूँ।
मुझे आपके प्यार भरे मेल मिले, जिसके लिए आपका राज दिल से धन्यवाद करता है।
मेरी हॉट आंटी बस सेक्स स्टोरी पढ़ने से पहले आप सब भाइयों, भाभियों, आंटियों, कुंवारी लड़कियों से मेरा अनुरोध है कि लड़के अपना लंड अपने हाथ में लेकर और भाभियां अपनी अपनी चूत (मुनिया) को मुठ्ठी में लेकर सहला कर तैयार कर लें और मेरा लंड अपनी अपनी चूत में महसूस करें।
जैसा कि आप सब जानते हैं कि चुदाई का चस्का जिसको भी लग जाए, वो फिर मौके की तलाश में ही रहता है।
मेरी मकान मालकिन ललिता भाभी का तलाक हुए 7 साल हो चुके थे, उसके बाद से उसकी चूत लंड के लिए तरस रही थी।
मैं उसको चोद कर लंडसुख दे चुका था लेकिन 7 साल से प्यासी चूत इतने में कहां मानने वाली थी।
अब तो उसको एक नए लंड का चस्का लग चुका था।
हम दोनों को जब मौका मिलता तो कभी ललिता भाभी मेरे रूम में आ जाती, तो कभी मैं उसके घर जाकर जमकर चुदाई कर देता,
मैं आजकल मानेसर भी नहीं जा पा रहा था इसलिए मुझे भी ललिता भाभी की चुदाई की भूख बनी रहती थी।
एक बार ललिता भाभी को किसी काम के लिए अचानक जयपुर जाना था।
उसकी एक चचेरी बहन उनके साथ जाने वाली थी लेकिन उसे बुखार आ गया था तो उसका जाना अब संभव नहीं था।
ललिता भाभी का जाना शायद ज्यादा जरूरी था।
मैं ड्यूटी से आया तो उनके घर पहुंच गया।
ललिता भाभी और अम्मा कुछ बातें कर रही थीं तो मैं दिव्या के साथ खेलने लगा।
तभी अम्मा जी बोलीं- राज, एक काम है बेटा!
मैंने कहा- हां बोलिए अम्मा?
वो बोलीं- ललिता को जरूरी काम से जयपुर जाना है, विनीता को साथ जाना था, पर उसे बुखार आ गया. ललिता अकेली है बेटा, तू इसके साथ चला जाएगा क्या? कल शाम तक वापस आ जाओगे।
ललिता भाभी ने मेरी तरफ हसरत से देखा।
मैंने कहा- ठीक है अम्मा जी, कब निकलना है?
वो बोलीं- आज 9 बजे वाली बस से जाना है, तुम तैयार होकर आ जाओ. खाना यहीं खाकर जाना।
मैं मन ही मन खुश होकर अपने कमरे में आ गया।
फ्रेश होकर अपना बैग लेकर ललिता भाभी के घर पहुंच गया।
हम सबने खाना खाया और ऑटो लेकर बस स्टैंड पहुंच गए।
मैंने रात की 9 की बस में स्लीपर की पीछे तरफ की एक पूरी सीट बुक कर ली।
अब बस चलने का समय हो गया।
हम दोनों अपने स्लीपर में आ गए।
बस कुछ देर में गुड़गांव से निकल पड़ी और दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे पर चलने लगी।
ललिता भाभी ने बताया कि उसे जयपुर में बस 2 घंटे का काम है।
मैंने कहा- ठीक है, भले काम एक दिन में हो जाए, मगर हम दोनों एक रात रूक कर जयपुर घूम कर ही लौटेंगे, भाभी राजी थी।
बस हाइवे पर अपनी रफ़्तार पर चलने लगी।
थोड़ी देर में कंडक्टर टिकट चैक करने आ गया।
मैंने उसे इशारे से समझा दिया कि वो हमें डिस्टर्ब न करें।
बस की अन्दर की लाइट बंद हो गई।
मैंने अपना लोवर टी शर्ट उतार दी और अंडरवियर बनियान में हो गया।
ललिता भाभी ने साड़ी पहन रखी थी।
मैंने ललिता भाभी की साड़ी हटाई और ब्लाउज खोल दिया, उसने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी।
फिर उसने अपनी साड़ी पेटीकोट उतार दिया और नंगी हो गई।
उसने मुझे भी नंगा कर दिया।
आज हम बस में ही रात भर चुदाई का मज़ा लेने वाले थे।
दोनों लेट गए और एक दूसरे को चूमने लगे।
ललिता भाभी मेरे लौड़े को सहलाने लगी और मैं उसकी चूचियों को मसलने लगा।
दोनों एक-दूसरे के होंठों को चूस रहे थे।
अब ललिता भाभी लंड चूसने लगी और मैं उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा।
बस अपनी स्पीड से चल रही थी और ललिता भाभी गपागप गपागप लंड चूस रही थी।
हम दोनों 69 में आकर लंड चूत चूसने लगे।
फिर मैंने भाभी को लिटा दिया और ऊपर चढ़कर चूत में डाल डाल दिया।
लंड चुत चूस रहा था और मैं उसके होंठों को चूसने में लगा हुआ लंड अन्दर बाहर करने लगा था।
हम दोनों अपनी अपनी कमर हिला हिला कर चुदाई में साथ दे रहे थे।
मैं पहले भी बस में चुदाई कर चुका था लेकिन ललिता भाभी पहली बार बस में चुदवा रही थी।
मैंने जैसे ही अपना मुँह अलग किया, वो ‘आहह आह हह… करके चिल्लाने लगी।
तो मैंने उससे कहा- ओ मैडम ये बस है आपका घर नहीं… ज्यादा ऊ आ की आवाज मत निकालो।
वो किस करने लगी और मैं तेजी से चोदने लगा।
अब मैं जल्दी जल्दी अन्दर बाहर अन्दर बाहर करके चूत चोदने लगा।
कुछ देर बाद मैंने ललिता भाभी को उठाकर अपने लौड़े पर बैठा दिया और पोर्नस्टार की तरह चोदने लगा।
भाभी की चूचियों को बारी बारी से चूसने लगा और वो लंड पर उछलने लगी थी।
इस समय हम दोनों एक डीलक्स बस में थे और उसकी डबल स्लीपर में अच्छी जगह रहती है।
अब ललिता भाभी मस्ती से लंड पर कूदने लगी थी और मैं उसकी चूचियों को मुँह में लेकर चूस रहा था।
ललिता भाभी की रफ्तार अचानक तेज हो गई और उसकी चूत ने जल्दी पानी छोड़ दिया।
अब फच्च फच्च फच्च की आवाज आने लगी।
मैंने उसे लिटा दिया और ऊपर आकर चोदने लगा।
धीरे धीरे मैं अपनी रफ़्तार बढ़ाने लगा और उसके होंठों को, चूचियों को चूसने लगा।
वो भी मेरा साथ देने लगी थी और पीठ पर हाथ फेरते हुए अपनी कमर चलाने लगी थी।
मैंने तेज तेज झटके लगाने शुरू कर दिए और ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा।
मेरा लंड सनसनाता फनफनाता हुआ अन्दर बाहर अन्दर बाहर करने लगा और थप थप की आवाज़ आने लगी।
बस की रफ्तार और मेरे लौड़े की रफ्तार में जैसे रेस चलने लगी।
चूत लंड की इस रेस में ललिता भाभी की चूत ने फिर से रस बहा दिया और फच्च फच्च करते हुए मैं उसे चोदने लगा।
अब मेरा लंड भी अपनी रफ़्तार पर आ चुका था और फच्च फच्च फच्च की आवाज के साथ ही मेरे लंड ने वीर्य निकालना शुरू कर दिया।
हम दोनों ऐसे ही चिपक कर लेट गए और बस की तेज रफ्तार महसूस करने लगे।
रात भर के सफर में चुदाई का पहला राउंड खत्म हो चुका था।
थोड़ी देर बाद दोनों फिर से एक-दूसरे को चूमने लगे।
जल्दी ही हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए।
बस में हमें अब कोई के आने का डर नहीं था और ललिता भाभी भी अब खुल चुकी थी।
हम दोनों मजे से एक दूसरे के चूत लंड चूस रहे थे।
तभी बस अचानक से हिलने लगी और शायद बंद हो गई।
पीछे का एक टायर पंचर हो गया था और कुछ सवारी नीचे उतरने लगी थीं।
हम दोनों इस सब से दूर चुसाई में लगे हुए थे।
दस मिनट बाद गाड़ी फिर से चलने लगी और सब सामान्य हो गया।
हम दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे और सहलाने लगे।
मैंने ललिता को लिटा दिया और ऊपर चढ़कर चोदने लगा।
वो ‘आह आहह…’ करके अपनी कमर चलाने लगी और मैं तेजी से लंड अन्दर बाहर अन्दर बाहर करके चोदने लगा।
अब जैसे जैसे बस की रफ्तार बढ़ने लगी वैसे वैसे मेरा लंड भी अपनी रफ़्तार बढ़ाने लगा।
मेरा लंड सटासट सटासट सटासट ललिता भाभी की चूत के हाइवे पर दौड़ने लगा।
मैं भाभी की दोनों चूचियों को मसलने लगा और धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी।
ललिता भाभी- राज आह हहह फक मी फास्ट और तेज चोद … आहह मजा आ रहा है।
वो ये सब कहती हुई अपनी कमर चलाने लगी।
मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और दोनों एक-दूसरे के होंठों को चूसने लगे।
नीचे लंड ने ललिता भाभी की चूत में खलबली मचा रखी थी।
मैंने ललिता भाभी को लंड पर बैठने का इशारा किया।
वो खुशी खुशी लंड पर अपनी चूत रखकर बैठ गई।
मेरा लंड भाभी की चूत में समा चुका था।
अब ललिता भाभी ने अपना कमाल शुरू कर दिया और लंड पर उछल उछल कर अपनी गांड पटकने लगी।
अब हमें इस बात का भी कोई डर नहीं था कि हमारी चुदाई की आवाज कोई सुन रहा है या नहीं।
ललिता भाभी अपनी चूत में मेरे लंड को कसने लगी और उछल उछल कर अपनी गांड पटक रही थी।
मैं ललिता भाभी की चूचियों को मसलने लगा और वो आह हहह आहह हह करके लंड पर सवार होकर उछल उछल कर अपनी चूत चुदवा रही थी।
कुछ देर बाद अचानक से बस की लाइट जलना शुरू हो गई थी, शायद किसी ढाबे पर बस रूक गई थी।
धीरे धीरे कुछ सवारियां उतरने लगी थीं।
मैंने ललिता को वापस सीधा लिटा दिया और ऊपर चढ़कर उसे ताबड़तोड़ चोदने लगा।
दोनों एक-दूसरे को पागलों की तरह चूमने लगे।
ललिता भाभी की चूत में मेरा लंड बड़ी तेजी से गपागप गपागप अन्दर बाहर हो रहा था।
मैं ललिता भाभी के होंठों को चूस रहा था और वो भी बराबर साथ दे रही थी।
बस में शायद बहुत कम लोग ही बचे थे और पीछे तरफ किसी का ध्यान नहीं था।
हम दोनों अपनी चुदाई के खेल में ही मस्त थे और धीरे-धीरे दोनों की कमर की रफ्तार तेज होती जा रही थी।
ललिता भाभी की सिसकारियां बढ़ने लगीं और चूत लंड पर अपना कसाव बढ़ाने लगी।
मैंने दोनों चूचियों को मसलते हुए तेज़ तेज़ झटके लगाने शुरू कर दिए।
ललिता भाभी की चूत ने रसधारा छोड़ दी थी और अब हर झटके से फच्च फच्च फच्च की आवाज आने लगी।
लंड के साथ चूत रस बहने लगा था।
मैंने अपनी मकान मालकिन की चूत में अन्दर तक पूरा लौड़ा घुसा दिया।
सटा सट सटा सट लंड फच्च फच्च फच्च करके लंड चुत में अन्दर बाहर हो रहा था।
कुछ धक्कों के बाद मेरे लौड़े ने अमृत रस छोड़ दिया. ललिता भाभी की चूत भर गई और मैं उसके ऊपर लेट गया।
थोड़ी देर बाद मैंने हाफ पैंट टी-शर्ट पहनी और नीचे उतर गया।
ढाबे से कुछ खाने का सामान और डेरी मिल्क लेकर वापस आ गया।
ललिता भाभी अभी नंगी ही बिंदास लेटी हुई थी।
मैं उसके साथ लेट गया और अपने कपड़े उतार दिए।
दस मिनट बाद बस चालू हो गई और हाइवे पर दौड़ने लगी।
धीरे धीरे बस की लाइट बंद हो गई और सब शांत हो गया।
ललिता भाभी और मैं दोनों एक-दूसरे से चिपक कर लेटे हुए थे।
धीरे धीरे मेरा लंड खड़ा होने लगा।
ललिता भाभी को मेरे लंड की सख्ती का जैसे ही अहसास हुआ, उसका हाथ लंड पर आ गया और वो सहलाने लगी।
दोनों ने अपने होंठों को मिला दिया और चूसने लगे।
धीरे धीरे दोनों 69 में आ गए. भाभी गपागप गपागप लंड चूसने लगी और मैं चूत में जीभ डाल कर चोदने लगा।
नमकीन चूत में जीभ अन्दर बाहर करने लगा. ललिता भाभी कसमसाने लगी और लंड पर दबाव बनाने लगी।
मैंने चूत के दाने को चूसना शुरू कर दिया और 5 मिनट में ललिता भाभी की चूत का झरना बहने लगा, जिसे मैं पी गया।
मैंने भाभी को घोड़ी बनाया और गांड में थूक लगाया. लंड को छेद में रखकर झटका लगा दिया।
लंड गांड में चला गया और भाभी कराहती हुई लंड से गांड चुदवाने लगी।
अब ललिता भाभी भी धीरे धीरे अपनी कमर आगे पीछे करने लगी और थप थप की आवाज़ आने लगी।
बस की सवारियां सो चुकी थीं।
हम दोनों जोश में आकर अपनी कमर तेज़ी से आगे पीछे करने में लगे थे।
ललिता भाभी की गांड अब पूरी खुल चुकी थी और लंड आसानी से अन्दर बाहर हो रहा था।
मैंने दोनों चूचियों को पकड़कर दबाना शुरू किया और उसे कुतिया समझ कर चोदने लगा।
ललिता भाभी ‘आहहह फक मी राज चोदो मुझे और चोदो …’ चिल्ला रही थी और मैं भी तेज़ी से अन्दर बाहर कर रहा था।
अब जैसे जैसे झटकों की रफ्तार तेज होती जा रही थी, बस में थप थप की आवाज़ भी बढ़ती जा रही थी।
हम दोनों पूरे गर्म हो चुके थे और चुदाई के नशे में हमें कुछ नहीं दिख रहा था।
हम दोनों की कमर की रफ्तार बढ़ने लगी और मैं जल्दी जल्दी झटके लगाकर ललिता भाभी की गांड में अपना लंड अन्दर बाहर करके चोद रहा था।
कुछ देर बाद मेरा लंड टाइट होने लगा और झटकों के साथ वीर्य की पिचकारी छूट पड़ी।
ललिता भाभी की गांड वीर्य से भर गई।
मैं वैसे ही ऊपर लेट गया।
थोड़ी देर बाद उठकर ललिता भाभी को सीधा लिटा दिया और मैं उसके ऊपर लेट गया।
दोनों को नींद आ गई और सो गए।
सुबह 5:30 बजे कंडक्टर ने बाहर से आवाज़ दी- उठ जाइए, छह बजे जयपुर बस स्टैंड पर बस पहुंच जाएगी।
हम दोनों उठकर एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे।
फिर हमने अपने अपने कपड़े पहन लिए।
सुबह 6 बजे बस, स्टैंड पर पहुंच गई, हमने बस से उतर कर नाश्ता किया और एक होटल में कमरा ले लिया।
कमरे में पहुंच कर सो गए।
दस बजे उठ कर रेडी हुए और सबसे पहले वहां पहुंचे, जहां ललिता भाभी को काम था।
काम खत्म करके हमने दिन में जयपुर घूमा और रात का खाना खाकर होटल आ गए उस रात हमने जमकर चुदाई की।