ऑफिस की कुंवारी लड़की को चोदा

दोस्तो, मेरा नाम रोहन है। मैं 30 साल का हूँ.. पंजाब से हूँ। मैं बहुत ही हैंडसम हूँ ।

मेरे लंड का साइज 7 इंच हैं मैं अपने लंड की क्या तारीफ करूँ बस इतना कहना चाहता हूँ की एक बार कोई लड़की या ऑन्टी देख ले तो वो भी अपनी चूत दिए बिना नहीं रह पाएंगी ।

बात उन दिनों की है.. जब मेरी नौकरी चंडीगढ़ में लगी। कुछ समय बाद जब रोज चंडीगढ़ आने-जाने में परेशानी होने लगी.. तो मैंने वहाँ एक कमरे का किराए का घर ले लिया।

कुछ दिन तो ऐसे ही निकल गए काम करने में.. मुझे जिंदगी बोर सी लगने लगी।

तभी ऑफिस में एक लड़की की नई जॉइनिंग हुई। उसका फिगर साइज़ कमाल का था.. वो 25-26 साल की थी.. उसका नाम प्रीति था।

ऑफिस में हम 3 लड़के थे और वो अकेली थी। हम सभी उससे आकर्षित थे और.. लाइन मारने के चक्कर में किसी ना किसी बहाने से उसके पास बहुत बार जाते थे। हम तीन लड़कों में ये होड़ हो गई थी.. कि उसे पहले कौन पटाएगा।

उसकी ओर मैं तो कुछ ज़्यादा ही था.. सो कुछ ही दिनों में मैंने उसे पटा लिया। बस अब तो उसे चोदना रह गया था।

वो भी किराए के मकान में अकेली रहती थी। नीचे मकान मलिक और ऊपर एक कमरे में वो..

अपने घर तो उसे ला नहीं सकता था.. बाहर जाने का मौका ही नहीं मिलता था। सारा दिन काम में बिज़ी.. रोज़ शाम को उसे छोड़ने उसके घर तक जाता था.. पर मकान मलिक के डर से घर में अन्दर बुलाने से मना कर देती थी।

एक दिन मैंने बोला- मैं रात को फोन करूँगा.. दरवाजा खोलने नीचे आ जाना।
उसने हामी भर दी।

मैंने भी वैसा ही किया.. वो नीचे दरवाजा खोलने आई.. उसने शॉर्ट पहना हुआ था.. उसकी गोरी-गोरी टाँगें पहली बार देखीं.. एकदम चिकनी.. चमक मार रही थीं।

मैं चोरी-छुपे उसके कमरे में गया.. डर भी काफी लग रहा था.. पर दोनों तरफ आग लगी थी.. तो डर काहे का..

उसको लेकर मैंने उसके बिस्तर पर पटका.. टाँगें अच्छी लगी.. तो टाँगों को ही चूमते हुए उसकी पैन्टी को खींच लिया।

वो भी पूरे मज़े ले रही थी.. चूत के दीदार हुए.. एकदम पॉव-रोटी की तरह फूली हुई.. एक भी बाल नहीं.. झांटें माँटें सब साफ़ किया हुआ साफ-सुथरा कबड्डी का मैदान था..

मुझसे रहा ही नहीं गया तो डाल दिया मुँह.. और चुम्बन करने लगा। चूत उसकी पूरी गीली हो चुकी थी.. वो भी मेरे सिर की अपनी चिकनी टाँगों के बीच दबा रही थी। शायद उसकी चूत चाटने भर से उसका रस निकल चुका था.. पर मैंने तो अभी शुरूआत ही की थी।

खैर.. हम दोनों ने अपने एक-दूसरे के कपड़े निकाले.. और पूरे नग्न हो गए।

उसके चूचे देखे.. बड़े ही मस्त सुंदर.. और शानदार थे.. एकदम तने हुए..

पहली बार जब उन्हें दबाया तो.. एकदम ठोस थे और निप्पल तो अनार के दाने की तरह.. वाहह.. लण्ड खड़ा हो गया।

मैंने उसको कहा- लो सकिंग करो..

तो बोली- मुझे नहीं आता..

मैं बोला- जैसे मुँह में लेकर लॉलीपॉप कभी चूसा है तो.. बस उसी तरह चूस डालो..

उसने लवड़ा मुँह में ले लिया.. पहले तो थोड़ा हिचकिचाई.. फिर उसके बाद जो उसने कमाल किया.. अय हय.. मज़ा ही आ गया।

जब हम दोनों से रहा नहीं गया तो मैं बोला- चलो कार्यक्रम स्टार्ट कर देते हैं..

जैसे ही उसकी हाँ में मुंडी हिली मैंने उसकी एक टाँग अपने कंधे पर धर ली.. लवड़े पर क्रीम लगाई.. और जैसे ही उसकी चूत पर अपना लंड का सुपारा रखा.. और थोड़ा अन्दर डाला.. वो थोड़ी डरी और ऊपर की ओर खिसकी।

मैंने- क्या हुआ? तो प्रीति ने बताया- दर्द हो रहा है..

और वाकयी उसकी चूत टाइट मुझे भी टाइट लग रही थी।

अब मैं उस वक्त तो अपनी ही गर्लफ्रेंड से ये तो नहीं पूछ सकता था कि तुम पहले किसी के साथ चुदी नहीं हो क्या?

मैंने प्रीति से कहा तुम डरो नहीं.. कुछ नहीं होगा..

मैंने थोड़ी क्रीम और लगाई और धीरे-धीरे उसकी चूत के ऊपर लौड़े को घिसता रहा।

मैंने प्रीति से पूछा- कैसा लग रहा है?

वो थोड़ा शरमाते हुए बोली- अजीब सी गुदगुदी हो रही है..

फिर मैं अचानक ही अपने लण्ड का प्रेशर थोड़ा बढ़ाया और पेल दिया उसके अन्दर.. वो अपनी आवाज़ को दबाते हुए थोड़ी चिल्लाई.. इससे उसका रोने जैसा चेहरा हो गया था।

मैंने प्रीति की किस किया- पहली बार होता है.. थोड़ा दर्द होता है..

तो उसने कहा- मुझे देखना है कि क्या हुआ?

मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला.. तो उसने मेरे लंड को देखकर कहा- खून निकल रहा है..

तो मैंने भी मज़ाक में बोला- मुबारक तो.. अब तुम्हारा दरवाजा खुल गया है.. बाबे को अन्दर जाने दे..वो हँसने लगी।

फिर मैंने अपना कार्यक्रम आगे जारी रखते हुए.. थोड़ा थूक लगाया और अन्दर डाला। वो फिर थोड़ी चिल्लाई.. पर इस बार मैंने उसके होंठों पर होंठों रख दिया और उसे किस करने लगा।

उधर नीचे लंड को धीरे-धीरे आगे-पीछे करता रहा.. स्पीड बढ़ाना स्टार्ट किया.. तो प्रीति भी पूरा साथ देने लगी।

फिर मैंने उसको घोड़ी बनाया.. और पीछे से चूत मारने लगा।

उसकी गोरी गाण्ड देख कर मैंने थोड़ा थूक लगाया और उसकी गाण्ड के छेद पर एक उंगली रख दी। उसकी चूत एकदम गीली थी.. जिससे मेरी स्पीड भी बढ़ती जा रही थी।

प्रीति भी अपना पूरी गाण्ड उछाल-उछाल कर साथ दे रही थी। मैं भी अपने पूरे चरम पर था।

अब तो मेरा निकलने वाला ही था.. तो जैसे ही मेरा निकलने को हुआ.. तो मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल कर उसकी गाण्ड पर रख दिया.. और मेरा पूरा वीर्य उसकी गोरे-गोरे चूतड़ों के ऊपर फैल गया।

झड़ने के बाद मैं एकदम शांत हो गया और कुछ पलों बाद उसके चूतड़ों को पोंछा।

अब हम दोनों लेट गए.. रात के 3 बज चुके थे। मेरा मन अभी और चोदने का था.. पर घर भी जाना था तो.. मैं निकल गया।

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