हेलो दोस्तो मेरा नाम लवली हैं मैं 30 साल की एक मद मस्त, जवान और पढ़ी लिखी औरत हूँ।
मेरी शादी को दो साल हो चुके हैं मेरे पति का नाम हेमंत हैं और वो बहुत ही स्मार्ट और हैंडसम है।
वैसे मैं इंदौर की रहने वाली हूँ। मेरा ससुराल भी इंदौर में ही है मगर मैं अब अपने पति के साथ दिल्ली में रहती हूँ।
मैं 5′ 5″ कद की हूँ और रंग से गोरी चिट्टी हूँ मैं लोगो से जल्दी घुलमिल जाती हूँ। मैं देखने में सेक्सी, खूबसूरत और हॉट हूँ।
मेरी चूचियां थोड़ी बड़ी साइज की हैं मेरी चूचियों का साइज 38 हैं इसलिए मैं अक्सर स्लीवलेस कपड़े ही पहनती हूँ।
मेरी गांड भी मोटी हैं जब मैं गांड को मटका मटका कर चलती हूँ तो मेरी गांड हिलने लगती हैं और सब देखने लगते हैं
शादी के पहले कॉलेज के दिनों में मैं दो बातों के लिए बहुत मशहूर थी एक तो पढ़ाई के लिए और दूसरे चुदाई के लिए!
मतलब यह कि मैं जितनी बातें पढ़ाई के बारे में करती थी उतनी ही बातें चुदाई के बारे में भी करती थी। चुदाई में सबसे ज्यादा लण्ड चूत की बातें होतीं थीं मैं इनके बारे मैं खुलकर बात कर लेती थी।
कोई ऐसा दिन न था कॉलेज में जब लण्ड और चूत पर कोई बात न होती हो वैसे भी मेरी जबान पर लण्ड, बुर, चूत आदि शब्द आम हो गए थे।
साथ साथ गालियां भी जैसे बहन चोद, मादर चोद, माँ का लौड़ा, बहन का लौड़ा, भोसड़ी वाली, बुर चोदी, गांडू और भी बहुत कुछ हम सभी बातों बातों में चुदाई करते हुए एक दूसरे से बोल ही देते थे।
वैसे मैंने शादी से पहले चुदाई का खेल बहुत खेला था मुझे लण्ड पीने में मज़ा आने लगा था फिर एक दिन लण्ड चूत में पेलवाना भी शुरू कर दिया। लेकिन शादी के बाद ऐसा नहीं किया।
बस अपनी जवानी की शुरुवात में ही मैंने लण्ड पकड़ना सीख लिया था पहले लण्ड मुंह में लेना शुरू किया और फिर लण्ड का ऐसा चस्का लगा की जल्दी से छूटा ही नहीं पर शादी के बाद सब कुछ बदल गया हैं।
मेरी शादी को दो साल हो गये हैं. इन दो सालों में मुझे अपने पति के लण्ड के अलावा कोई और लण्ड नहीं मिला। अब मैं धीरे धीरे किसी पराये मर्द के लण्ड के लिए तरसने लगी हूँ। मेरी चूत मुझे बहुत परेशान करने लगी हैं।
मेरा मन किसी काम में नहीं लग रहा था। मुझे कॉलेज के लण्ड बहुत याद आ रहे थे। कॉलेज में लड़को के लोड़ो के अलावा मैंने हमारे घर के पास 45 साल के अंकल के लौड़े से भी मैंने अपनी चूत को मज़ा दिया हैं अब सोचिये कितनी बड़ी चुदक्कड़ हूँ मैं।
उन अंकल की मतलब उनके लौड़े की भी बहुत याद आती हैं मुझे शादी के बाद काश उनका ही लंड मिल जाता मेरी चूत को तो मज़ा ही आ जाता।
बैठे बैठे आज यही सोच रही थी की मेरी सहेली आयुषी का फ़ोन आया की आज हम दोनों को शॉपिंग मॉल जाना था लेकिन चूत लंड की बातों में मैं इतना खो गई थी की आयुषी के साथ मॉल जाने का ध्यान नहीं रहा लगभग 1 बजे हम दोनों सहेलिया मॉल में मिली।
हम दोनों ने मॉल में शॉपिंग शुरू कर दी थी शॉपिंग करते करते शाम के 4 बज चुके थे और हमें अब भूख भी लगने लगी थी तभी आयुषी ने फ़ूड काउंटर पर जाकर कुछ स्नैक्स आर्डर किया और मैं वही पास में चेयर पर बैठ गई तभी किसी ने मुझे पीछे से छुआ एकदम से मैं घबरा गई।
साथ ही उन्होंने मेरा नाम पुकारा अरे लवली तुम यहाँ? तभी मैंने पीछे मुड़कर देखा तो सामने और कोई नहीं बल्कि जिनके बारे में मैं सोच रही थी आज वो वही अंकल थे जिनके लौड़े ने शादी से पहले मेरी चूत को खुश किया था।
मैंने कहा- अरे अंकल, मैं आपको बहुत याद करती हूँ और आज ही आपको याद किया था मैंने … आपसे मिलना चाहती थी। आपसे बातें करना चाहती थी। पर यह बताओ यहाँ दिल्ली में कैसे?
वे बोले- यहाँ मैं किसी काम से आया था और एक होटल में ठहरा हूँ एक दो दिन के लिए फिर उन्होंने कहा कितनी अच्छी बात हैं न हम दोनों आज मिल गए उसी के यहाँ ठहरा हुआ हूँ।
मैंने कहा- अरे वाह, मैं भी यही दिल्ली में अपने पति के साथ रहती हूँ। फिर मैंने उन्हें आयुषी से भी मिलवाया वो मन करने लगे लेकिन फिर मेरे जोर देने पर मान गए फिर आयुषी कुछ देर मेरे घर रुककर अपने घर चली गई।
फिर कुछ देर बाद मेरे पति का फ़ोन आया की आज वो अपने दोस्त के बर्थडे पार्टी में गए रात को देर से आएंगे तो मैंने कहा ठीक हैं लेकिन मैंने मेरे पति को अंकल के बारे में कुछ नहीं बताया।
वैसे भी अंकल के बारे में पहले भी अपने पति से कोई जिक्र नहीं किया था मेरी अंकल से चुदाई वाली बात मेरे और अंकल के बीच सीक्रेट ही थी।
मैंने अंकल को बड़े प्यार से बैठाया और झुक कर पानी दिया। नीचे झुकने से मेरी साड़ी का पल्लू गिर पड़ा।
मेरी छोटी सी ब्रा के अंदर से मेरी बड़ी बड़ी चूचियाँ अंकल को दिख गईं। वे अपने होंठ दबाने लगे।
मुझे बहुत अच्छा लगा, मैंने राहत की सांस ली। मुझे पराये मर्द के लण्ड का रास्ता दिख गया। मैंने सोच लिया था कि आज नहीं तो कल मैं अंकल का लंड फिर से अपनी गरम चूत में ले ही लूंगी।
तभी अंकल बोले- लवली तुम शादी के बाद पहले से ज्यादा सेक्सी और हॉट हो गई हो। शादी के बाद तुम्हारा चेहरा और बदन काफी खिल गया है।
मैंने कहा- वो तो हैं अंकल … लेकिन शादी के बाद मैं बहनचोद बहुत ज्यादा चुदक्कड़ भी हो गई हूँ। अब मैं किसी भोसड़ी वाले से शर्माती नहीं हूँ। बेशरम हो गई हूँ मैं!
वे हंसने लगे। इतने में अंकल का अचानक फोन आ गया तो वे चाय पीकर चले गये। उनके जाने के बाद में सोचने लगी की अंकल नज़रें बता रहीं थीं कि वे अपना लण्ड मुझे पकड़ाना चाहते थे।
दोस्तों क्या कहूं मैं खुद उनका लण्ड पकड़ना चाहती हूँ। मैं तो आज ही पकड़ लेती उनका लण्ड … लेकिन एक फोन ने सब काम बिगाड़ दिया बहनचोद!
दूसरे दिन शाम को अंकल का फ़ोन आया उन्होंने कहा तुमसे कुछ बात करनी थी लेकिन उस दिन फ़ोन के चककर में कर नहीं पाया।
मैंने कहा बोलिये न अंकल क्या बात हैं उन्होंने कहा क्या तुम मेरे होटल आ सकती हूँ जहाँ मैं रुका हूँ फिर कल वापस चला जाऊंगा उन्होंने कहा तुम्हें कुछ देना हैं जिसे तुम मुझे हमेशा याद रखो
मैंने कहा ठीक हैं उन्होने होटल का एड्रेस मुझे मैसेज कर दिया था दूसरे दिन में होटल पहुँच गई आज मेरे ब्लाउज कुछ ज्यादा ही खुला हुआ था जिससे मेरी चूचियां साफ़ दिख रही थी
जैसे ही मैं होटल पहुंची अंकल को फ़ोन किया अंकल ने मुझे अपने कमरे में बुलाया उन्होंने कहा… लवली अंदर आओ न प्लीज!
उन्हें मुझे बैठाया और फिर एक गिलास पानी का रखा। आज मेरी चूचियाँ कुछ ज्यादा ही खुली हुईं थीं।
मैंने पानी पिया और उन्हें थैंक्स कहा ! वो मेरे सामने बैठ गए ।
फिर उन्होंने पूछा- बोलो क्या पियोगी, ठण्डा या गर्म? मैंने मन ही मन कहा लंड पीने का मन हैं मेरा उन्होंने कहा क्या सोच रही हो? मैंने कहा कुछ नहीं
फिर मैंने अंकल से पूछा आप कुछ नहीं पियेंगे
तो वो बोले- आज तो मेरा वाइन पीने का मन हैं । अगर तुम मेरा साथ दो तो! मैंने कहा- हां जरूर दूँगी। उन्होंने वाइन के दो पैग बनाये और एक मुझे दे दिया फिर क्या था हमारा मूड बन गया।
मैंने कहा- आज मुझे अपने कॉलेज के दिन याद आ रहें हैं अंकल!
मैंने कहा- अंकल कल आपका फोन आया था. कोई खास बात थी क्या? उन्होंने कहा- नहीं, कोई खास बात नहीं थी।
वे बोले- एक बात है कि हम दोनों के बीच में उम्र का बड़ा अंतर है।
मैंने कहा- उम्र की माँ का भोसड़ा अंकल! औरत उम्र नहीं देखती, औरत मर्द का औजार देखती है अंकल। औजार बढ़िया हो तो हो तो उम्र की तो ऐसी की तैसी।
वे बोले- इतनी मस्त माल हो की मैं कल से तुम्हारे ही बारे में सोच रहा था। मैंने कहा- अरे यार, मुझे भी तुम्हारी बड़ी याद आती रही रात भर।
उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रख दिया तो मैं भी उनकी जांघ पर हाथ रगड़ने लगी। तब उन्होंने मुझे चूम लिया और मेरी नंगी टांगों पर अपना हाथ फिराने लगे।
फिर मेरा भी हाथ अपने आप अंकल के लण्ड तक पहुँच गया। मैं उनकी पैंट के ऊपर से ही लण्ड को सहलाने लगी।
मेरे मुंह से निकला- औजार तो मादर चोद बड़ा जबरदस्त लग रहा है अंकल?
मुझे बिना उनका लण्ड देखे एक मिनट का भी चैन न था। मेरा मन उनका लंड देखने को बैचैन हो चुका था मैं जल्दी से जल्दी उन्हें नंगा करना चाहती थी और जल्दी से मैंने उनकी शर्ट उतार दी।
अब उंनसे भी रहा नहीं गया उन्होंने मेरी साडी को खोल दिया और मेरे ब्लाउज के अंदर हाथ डाल दिया और तुरंत ही ब्लाउज को खोल कर फेंक दिया और उन्होंने मेरी ब्रा के हुक खोल दिए तो मेरी दोनों चूचियां बाहर आने के लिए तड़प उठी।
अंकल मेरी चूचियों को देखकर मस्त हो गए उन्हें पकड़ कर सहलाने लगे, मसलने और चूमने लगे। अंकल मेरे निप्पल मुंह में भर कर चूसने लगे।
मैं भी उत्तेजित होने लगी, मज़ा लेने लगी। फिर बड़ी बेशर्मी से मैंने उनकी पैंट उतार दी और उनकी अंडरवियर भी खोल डाली और उनका लौड़ा बाहर आ गया।
मैंने उसे देखा तो दंग रह गयी उनका मोटा तगड़ा लण्ड तन कर खड़ा था लण्ड बहुत ही मस्त लग रहा था। मैंने उसे पकड़ा चूमा और बोली वाह क्या लण्ड है अंकल? ऐसा लौड़ा बहुत कम लोगों का होता है।
तुम बड़े लकी हो. तुम्हारा लण्ड लाखों में एक है. मैं तो तुम्हारे लण्ड पर मर मिटी। मेरा तो दिल आ गया इस मादरचोद लण्ड पर! क्या मस्ताना लण्ड है भोसड़ी का! मज़ा आ गया यार ऐसा लौड़ा देख कर!
तब तक उन्होंने मेरी छोटी सी नेकर उतार कर फेंक दी। मैं माँ की लौड़ी उसके आगे एकदम नंगी हो गयी।
मेरा यह पहला मौका था जब मैं शादी के बाद किसी पराये मर्द के आगे नंगी खड़ी थी वह भी उसका नंगा लण्ड पकड़े हुए।
मुझमें बिलकुल भी शर्म नहीं बची थी और न झिझक मैं बिंदास अपनी जवानी का मज़ा लूटने लगी।
मैंने मन में कहा कि मैं झांट किसी की परवाह नहीं करूंगी। अब तो मैं एक नहीं, कई लण्ड का मज़ा लूंगी।
बस मैं अंकल का लण्ड बड़े प्यार से चाटने लगी और अंकल भी उसी प्यार से मेरी फुद्दी चाटने लगे।
मेरी चूत बहुत गर्मा चुकी थी। अंकल उसमें बार बार अपनी उंगली घुसेड़ रहे थे।
मैंने धीरे से अपनी टाँगें फैलाई तो मेरी चूत पूरी तरह खुल गयी अंकल को यही चाहिए था।
उन्होंने फ़ौरन लण्ड पेल दिया अंदर और बिना रुके चोदने लगे मुझे मैं भी अपने कॉलेज के दिनों को याद कर कर के चुदवाने लगी … मैं एन्जॉय करने लगी।
मुझे लगा कि आज मैं सच में अपनी सुहागरात मना रही हूँ। अपनी सुहागरात में भी मुझे इतना मज़ा नहीं आया था।
मैं बोली- अंकल, मुझे अपनी बीवी समझ कर चोदो। मैं ही तुम्हारी असली बीवी हूँ, मुझे चोदो। मेरी बुर चोदो, मेरी चूत चोदो, मेरी गांड चोदो। मैं तुम्हारी ही हूँ, जैसे चाहो वैसे चोदो। तुम्हारा लण्ड बड़ा मज़ा दे रहा है यार।
वे बोले- ले भोसड़ी की, आज मैं फाड़ डालूँगा तेरी चूत … भोसड़ा बना दूंगा मैं तेरी चूत का! मैंने जब तुझे पहली बार देखा था तो मेरा लण्ड खड़ा हो गया था और आज देख वही लण्ड तेरी चूत में घुसा है।
तेरी माँ की चूत … तू भोसड़ी वाली एकदम रंडी है और मैं रंडियां खूब चोदता हूँ। अंकल को जोश आ गया था, वे बोलते रहे मैं रंडीबाज हूँ, लौडियाबाज़ हूँ।
सच में अंकल बड़े मूड में थे और मस्ती से अपने बारे में बता रहे थे मुझे अंकल की बातें, उनका जोश, उनकी गालियां सब कुछ बड़ा अच्छा लग रहा था।
उन्होंने मुझे हर तरफ से चोदा और मैं भी खूब मन से चुदी।
मैंने उसे रात में रोक लिया और तब उन्होंने मुझे रात में 4 बार चोदा। सुबह उठ कर वे चले गये। उस रात मुझे अंकल के साथ चुदने में जमकर मज़ा आया।