पहली चुदाई का वो यादगार दिन

हेलो दोस्तों मेरा नाम नवीन हैं मेरी उम्र 25 साल हैं मैं कानपूर का रहने वाला हूँ मेरी हाइट 6 फीट हैं और मेरा रंग गोरा हैं और मैं गठीले बदन का मालिक हूँ

यह मेरी पहली चुदाई की है जो एक साल पहले की हैं जिसके कामुक अनुभव को आपके साथ बाँटना चाहता हूँ उस समय मैं नौकरी की तलाश कर रहा था

मेरे पड़ोस में एक लड़की थी जिससे मेरी कभी कभी बात हो जाया करती थी और जब उससे बात होती थी तो मेरा मन ही नहीं भरता था ऐसा लगता था जैसे उससे बात करता ही रहूं

वो एम.कॉम फाइनल की पढाई कर रही थी साथ में पार्ट टाइम जॉब भी कर रही थी उसका नाम शीतल था और वो 24 साल की थी यानी मेरी हमउम्र ही थी

जब भी हम दोनों मिलते थे हम दोनों के बीच बस कब से हाई हैलो ही चल रहा था दोनों अपने दिल के जज्बात एक दूसरे से कह ही नहीं पा रहे थे

शायद वो मुझे पसंद करती थी और मुझसे तो पूछना ही मत की वो मुझे कितनी ज्यादा पसंद थी एक दिन भी जब वो मुझे दिखाई नहीं देती थी तो मेरा मन बैचैन हो उठता था शीतल के लिए

एक बार अचानक वह मुझे मार्केट में मिल गई और बातचीत के बीच में मैंने उससे उसका फ़ोन नंबर ले लिया और उसने दे भी दिया.

उसका फ़ोन नंबर मिलते ही मुझे थोड़ी तसल्ली हुई की चलो वो कभी नहीं भी दिखे तो कम से कम उससे फ़ोन पर बात तो हो ही जाएगी

बस फिर क्या था, हम दोनों का बातो का सिलसिला काफी दिनों तक फ़ोन पर चलने लगा वो भी मुझसे बाते करने लगी और मैं भी शुरू हो गया फ़ोन पर ही

हम दोनों में एक दूसरे के प्रति प्यार बढ़ने लगा और साथ ही मेरी वासना भी अब मुझे उसे चोदने का मन करने लगा

हमारी बात सेक्स को लेकर भी होने लगी और फ़ोन पर हम सेक्स चैट भी करने लगे फ़ोन सेक्स करने में हम दोनों को बहुत मज़ा आने लगा था

शीतल बहुत ही खूबसूरत लड़की थी और इतनी ज्यादा सेक्सी की उभार के साथ उसके गोल गोल कड़े स्तन, भरा हुआ जिस्म, गोल गोल चूतड़ उसकी मोटी जांघें बहुत ही मस्त लगती थी

एक दिन उसने कहा की उसकी की वासना की आग बढ़ती ही जा रही अब रुकने का नाम नहीं ले रही हैं तो हमें मिलना ही चाहिए मैंने उससे कहा क्यों न हम होटल में मिले वहां किसी का दर भी नहीं रहेगा और हमारी वासना की आग भी शांत हो जाएगी उसने कहा यह ठीक हैं तो हम होटल में कल मिलते हैं फिर

तो हम दोनों एक होटल में मिले उस समय शाम के छह बज रहे थे वो अपने घर पर सहेली से मिलने का कहकर आयी थी होटल में मुझसे मिलने और उसे रात को आठ बजे तक घर पहुंचना था तभी उसकी बात सुनकर मैं थोड़ा मायूस तो हुआ पर उसको चोदने का मौका मैं नहीं गंवाना चाहता था तो मैंने कहा ठीक हैं देखते हैं चलो अब अंदर चलते हैं हम जैसे ही होटल के कमरे में पहुंचे तो उसे देखकर मुझसे तो रहा ही नहीं गया वो गुलाबी रंग के टॉप में बहुत ही ज्यादा सेक्सी लग रही थी उसकी गोल गोल चूचियां बाहर निकलने को मचल रही थी मैंने तुरंत ही उसके होठों पर किस कर दिया वो शर्माने लगी धीरे धीरे मैंने अपने हाथों से उसके स्तनों को दबाना शुरू किया.

वो भी चुदने को तड़प रही थी आज पहली बार ऐसा लग रहा हो जैसे कब से चुदाई की भड़की हुई आग को दोनों मिलकर बुझा देना चाहते थे बस सब कुछ मन ही मन चल रहा था उसने धीरे धीरे मेरी शर्ट और बनियान को अलग करके मेरे सीने पर अपने रसीले गुलाबी होंठों को रखकर चूम रही थी

उधर मैं उस प्यासी लड़की के टॉप को उतार उसकी 34 नंबर की गुलाबी ब्रा के बीच अपना मुँह डाल कर चूसने चाटने लगा.

फिर उसकी ब्रा उतरने के साथ ही अचानक से मेरी वासना जोरो पर थी और मैंने उसकी एक चूची को अपने मुँह में लेकर जोर से काट लिया

तो उसकी मदभरी सिसकारी निकल गई आह क्या कर रहे हो प्यार से काटो न!

उसी समय मैंने अपना लंड उसकी बड़ी सी गांड की दरार में कपड़े के ऊपर से ही सटा दी और लंड रगड़ने लगा.

मैंने उसके साथ चुम्मा चाटी, और चूची की चुसाई के बाद जल्द ही मैंने उसे पूरी नंगी कर दिया. उसने भी मेरे सब कपड़े निकाल दिए और मेरी चड्डी से ही मेरे लंड को भी निकाल लिया

फिर मैंने उसे पीछे करते हुए उसकी नर्म नर्म गांड को अपनी जीभ से चाटा वह भी काम रस में पूरी तरह डूब गई और मचल उठी और आह आह करने लगी

उसकी कामुक आवाज निकली तो वापस से मेरी वासना चरम पर आ गई बस फिर क्या था उसके चूतड़ों के नीचे तकिया रखकर मैंने तुरंत अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रखा.

फिर जैसे ही पहला धक्का मारा, लंड थोड़ी सी कठिनाई के बाद लंड बुर के कुछ अन्दर तक चला गया.
उसकी आंखों से आँसू बरस रहे थे पर होंठों पर हल्की सी मुस्कान थी.

उसने आंखें खोल मुझसे आंखों ही आंखों में कुछ कहा … और मैं उस रसभरी चूत में डूबता ही चला गया.

फिर से सेक्स कहानी के अनुभव का इस्तेमाल कर मैं उसे गंदी गंदी गालियां देने लगा.
मैं बोला- साली, आज तेरी बुर के बाद तेरी मचलती गांड भी फाडूंगा रण्डी!

वह भी मेरे पीठ पर नाखून लगाती हुई बोलने लगी- मेरे राजा जी, जैसे मन करे, वैसे रगड़िए. मुझे अपना बना लीजिए और बस मेरे हो जाइए. गांड का क्या है, जब मन आए, तब मार लीजिए.
उसकी इस बात ने मुझे आनन्द विभोर कर दिया और मैंने अपनी कमर को हल्के हल्के से चलाना चालू कर दिया.

कमर से कमर जुड़ी हुई थी.
नेहा ने अपनी दोनों टांगें हवा में उठा कर मेरे चूतड़ों से जरा सा नीचे कस दी थीं.

अब मेरी कमर चलती तो लंड उसकी चूत में आगे पीछे सरकने लगता.

वह भी मस्त हो रही थी और अपनी टाइट चूत को ढीला करवा रही थी.

तभी खुद ब खुद मेरे मुँह में उसका एक दूध आ गया और मैंने उसके चूचे को अपने होंठों से दबा कर जोर से खींच लिया.

‘आह आह और जोर से चूसो आह मजा आ रहा है.’

मैं उसके दोनों दूध बारी बारी से खींचते हुए चूसने लगा और उसकी चूत से रस टपकने लगा.
वह झड़ गई थी लेकिन लंड पर झांट बराबर भी असर नहीं हुआ था क्योंकि एक बार उसका रस निकल चुका था.

अब चूत गीली हो गई थी तो लंड सटासट अन्दर बाहर चलने लगा था.
कुछ ही देर में मैंने अपनी स्पीड तेज कर दी तो नेहा भी दुबारा से यौन संघर्ष करने लगी.

जल्द ही तेज रफ्तार ने हम दोनों को चरम सीमा पर पहुंचा दिया था और धकापेल बेरोकटोक अपनी द्रुत गति से चल रही थी.

इसी तरह एक दूसरे से लिपटे कब हम दोनों चरम को प्राप्त कर गए, पता भी नहीं चला.
लंड निकलने के बाद देखा तो उसके मुँह पर थोड़ा सा खून लगा था, जो हमारे प्यार का रंग था.

नंगी गर्ल Xx चुदाई से लंड से निकला सफेद रस उसकी चूत के अन्दर जा चुका था.
फिर उस दिन उसकी फटी हुई चूत की हालत देख मैंने गांड मारने का इरादा त्याग दिया.

शाम तक एक बार और मैंने उसे बाथरूम में फव्वारे के नीचे ले जाकर बाथरूम के फर्श पर लिटा कर चोदा.
ज्यादा अनुभव नहीं होने के चलते मैं उसे घोड़ी बना कर मजा नहीं ले पा रहा था.

नीचे गर्म जिस्म एक दूसरे से गुत्थम-गुत्था थे और ऊपर से ठंडे पानी की फुहारें हम दोनों को अति आनन्द पहुंचा रही थीं.
ऊपर से दो बार वीर्य पतन के बाद तीसरी पारी काफी देर तक चलती ही रही.

हमने एक दूसरे को हर जगह चूमा, चाटा, गुदगुदी की और जम कर चुदाई की.

अंत में उसने मेरे सीने के दाने को चूसते हुए अपने हाथों से मेरे 7 इंच के लौड़े की मुठ मारनी शुरू की. बीच बीच में वह मेरे लंड को अपनी गांड में भी सटा देती.

फिर वह मुझसे लंड को अपने दोनों चूतड़ों के बीच में घुसा कर रगड़ने को बोली, तब जाकर मेरा लावा फूटा.

इसके बाद मुझे काफी सुस्ती छा गई.
उसने ही मेरा बदन तौलिया से पौंछा और धीरे धीरे मेरे पैर हाथ और पूरे बदन को दबाने लगी.

थकान ने दोनों को नशे में चूर कर दिया था.
उसके बाद एक एक पैग वोदका पी कर हम दोनों नंगे ही एक दूसरे में समा कर सो गए.

इस तरह हमारी चढ़ती जवानी की वासना युक्त प्रेम की कहानी का पहला पड़ाव पार हुआ.

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