सहेली के साथ सेक्स

हेल्लो दोस्तों, मैं याशिका बात 4 साल पहले की हैं मेरे घर के सामने एक लड़की रहती थी जिसका नाम जिया था। वो बला की ख़ूबसूरत थी। छरहरी गोरी चिकनी। गुलाबी होंठ रस से भरे हुए थे।

वो अपने मामा के घर गर्मियों की छुट्टियों मैं कुछ दिन के लिए रहने आयी थी मेरी भी छुट्टिया चल रही थी।

वो मेरी हमउम्र थी इसलिए हम दोनों की दोस्ती जल्दी से हो गई वो मेरे घर पर आने लगी कई बार तो हम रात को भी मेरे रूम में एक साथ सो जाते थे।

एक दिन हम दोनों ने एक मूवी देखी पूरी तीन घंटे की मूवी देखने के बाद टाइम का पता ही नहीं चला कब रात के दस बज गए उसके मामा मामी मेरे घर पर रात को जिया मेरे साथ सोती थी तो कोई एतराज़ नहीं करते थे।

जिया अकसर रातें मेरे घर पर बिताने लगी। हम अब नार्मल मूवी देखने के बजाय जवानी के जोश में सेक्सी मूवी भी देखने लगे थे और मज़ा करने लगे थे।

हमारी हर रात गरम और हसीं होती, बत्ती बुझ जाने के बाद हम दोनों के तन पर कोई कपड़ा न होता, हमारे होंठ रात भर एक दूसरे की प्यास बुझाते। एक रात तो सेक्स की हद हो गई जब एक नए तरीके से हमने सेक्स किया।

जिया ने मेरे होंठों को चूस चूस कर लाल कर दिया था, मेरे सारे कपड़े उतार देने के बाद तो ख़ुद भी बिना कपड़ों में मेरे साथ लेटी थी।

अचानक उस ने मुझे कहा- मैं तेरे बदन पर अपना पेशाब करना चाहती हूँ!

मुझे कुछ अजीब लगा पर मैं इस अनुभव को भी परख लेना चाहती थी, सो मैंने हाँ कर दी।

हम दोनों बाथरूम में चले गए और मैं नीचे बैठ गई। अब जिया अपनी चूत मेरे मुंह के ऊपर कर के खड़ी हो गई और उसने एक दो मिनट के बाद गर्मागर्म पेशाब मेरे ऊपर करना शुरू किया।

मुझे अजीब सा लग रहा था, उसने अपने हाथों से अपनी चूत की ऊपर के हिस्से को पकड़ कर मेरे मम्मों पर गरम पेशाब की धार सी गिराई। मेरा बदन जलने लगा। जब वो कर चुकी तो मुझे बिस्तर पर ले आई। मुझे कपड़े से साफ़ किया और अपनी चूत फैला कर लेट गई।

उसने अपनी टाँगें ऊपर उठाई हुई थी और फ़िर उसने मुझे उसकी चूत में मूतने को कहा। मैं एक तरफ़ खड़ी सोच रही थी। सेक्स का नशा बढ़ रहा था।

मैंने किसी तरह अपनी चूत उसकी चूत के साथ मिला दी और धीरे धीरे पेशाब करना शुरू किया, इस तरह के बेड ना ख़राब हो। मैं महसूस कर रही थी कि मेरा गरम पेशाब मेरे अन्दर से निकल कर उसकी चूत में भर रहा था।

अचानक उसने मुझे हटने कि लिए कहा और मुझे नीचे लिटा दिया, अब वो सारा पेशाब मेरे जिस्म पर गिराने लगी। साथ साथ वो अपनी चूत में ऊँगली डाल रही थी।

एक बार फ़िर से मुझे साफ कर कि वो मेरे ऊपर आ गई और मेरे मम्मों को अपने गरम होंठों में ले कर चूसने लगी। में सेक्स की आग में तड़प रही थी।

हम दोनों के मुंह से निकलने वाली आहें ये बता रही थी कि हम दूसरी दुनिया में खो चुके हैं। वो अपनी उंगलियों से मुझे चोद रही थी।

कुछ देर बाद सब शांत हो गया।

मेरी और जिया की आँखों में एक चमक थी। मैंने अपनी चूत में गीलापन महसूस किया। जिया ने भी इशारे से ये बात मुझे बताई कि वो बुरी तरह से गीली थी।

थोडी देर बाद में जताया के मुझे बैचेनी हो रही है सो मैंने अपना सूट उतार दिया, नीचे सिर्फ़ ब्रा पहनी थी पैंटी मैं कभी कभार ही पहनती हूँ। जिया को शायद इसमें कोई आपत्ति नहीं थी वो एकदम सामान्य थी।

थोड़ी देर बाद जिया ने भी अपने कपड़े उतार दिए। हमने अपने अपने हाथ जिया की छातियों पर रख दिए। अब जिया की हालत कुछ ख़राब हो रही थी।

मैं महसूस कर रही थी कि उसकी सांसें पहले से भारी थी। उसके स्तन कड़े हो रहे थे।

अब मेरा हौंसला थोड़ा बढ़ गया। कमरे में हल्की रौशनी थी। सब कुछ साफ़ नजर आ रहा था, मैंने जिया के होंठों को अपने होंठों में ले लिया। और हम दोनों एक दूसरे को चूसने लगी। हम दोनों के हाथ एक दूसरे के नंगे जिस्म को टटोल रहे थे।

मैंने अपनी ब्रा भी उतार दी। जिया पहले ही निवस्त्र हो चुकी थी। हम दोनों बुरी तरफ़ से एक दूसरे की छातियाँ दबाने लगी।

जिया- मैं पागल हो रही हूँ ये सब देख कर, एक अजीब सी आग भर रही है। मैं क्या करूँ?

याशिका- मेरी जान आ, आ जा, तुझे कुछ नया मजा दूँ जिंदगी का। अपने कपड़े उतार दे सारे! एकदम नंगी हो जा! फ़िर शर्म जाती रहेगी।

और फ़िर मैंने जिया को एकदम नंगा कर दिया। वो आँखें बंद कर के लेटी थी।

जिया- अब बोल क्या हो रहा है?  कुछ नही, एक अजीब सा नशा बढ़ रहा है जिस्म में याशिका मुझे किस करो, मेरे होंठों में।

और मैं जिया के सिरहाने बैठ गई और उसके सर को अपने हाथों में ले कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर उसे चूसने लगी।

कभी मैं और जिया एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे, कभी जिया मेरे । कभी हम दोनों अपनी अपनी जीभ निकालते और एक दूसरे से मिलते हुए एक दूसरे के मुंह में घुसा देते। कुछ देर ये सिलसिला चलता रहा।

जिया अपने आप में नहीं थी, उसके अन्दर जैसे एक चिंगारी उठ रही हों। गरम आहों से कमरा भर गया था। मुझ से भी अब बर्दाशत नहीं हुआ।

मैं जिया का सारा रस पी जाने को बेताब थी। सो मैंने जिया की टाँगे खोल कर में अपनी जीभ एक दम से उसकी चूत में घुसा दी।

जिया- सी स्स्स्स हाय! ये क्या कर दिया ! स्स्स्स्स हाय!

मैं बेतहाशा उसके रस को चूसे जा रही थी। मैंने जिया को अचानक उल्टा कर दिया और उसके चूतड़ ऊपर उठा दिए। अब मैंने अपने जीभ उसके पीछे घुसा दी।

जिया की सिस्कारियां बढ़ रही थी- हाय, सोनिया ये क्या आग लगा थी, घुसा दे अपनी जीभ, अपने उंगलिया मेरे पीछे। चोद मुझे अपनी जीभ से।

दोस्तो, उस रात हम दोनों ने चार बार एक दूसरे को चोदा। सुबह कब हो गई पता ही नहीं चला।
मैं और जिया खुश थे की एक दूसरे की चुदाई का खेल कितना मजेदार था।

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